ख्वाबों दर्मियां ,एक आधी अधूरी सी रैन

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ब्लॉग प्रेषक: स्नेहा सिंह
पद/पेशा: Lecturer
प्रेषण दिनांक: 22-07-2022
उम्र: 29
पता: लखनऊ
मोबाइल नंबर: 9453749772

ख्वाबों दर्मियां ,एक आधी अधूरी सी रैन

।। ख्यालों 

दर्मियाँ एक आधी अधूरी सी रैन ।।


रैन की ओट में था

और था मैं बेचैन बड़ा

सिरहाने रखी तकिए को जो,

मैंने थामा बाहों से कसकर 

उलझकर रह गया 

रैन की बेताबियों की कशमकश में ।


फिर गया जो मैं नींद के आगोश में

हो ही गई गई गुफ्तगू दो चार

सोच दरमियान कैद ख्यालों से ।।


कभी जागा तो कभी करवटों तले

गुजार दी

रात की खामोशियों को

 इंतजार में

दीदार में सूरज की दमक के


आया 

हरदम एक ख्याल 

मैं! क्यों उलझा सा रहा

 ज़िंदगी

तमाम 

आखिर,क्यों

नही जिया कुछ पल चैन और सुकून से

खुद वास्ते!


ख्याल हरदम एक मुझे सताता

चिढ़ाता और जलाता सा हैं

हां!

एक ख्याल हरदम मुझे आकर

झकझोरता सा हैं।।

झकझोरता सा हैं ।।

❤️

स्नेहा की कलम से.............................

साहित्यकार, पर्यावरण प्रेमी और राष्टीय सह संयोजक

कानपुर उत्तर प्रदेश

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