ईमानदारी का ईनाम….

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ब्लॉग प्रेषक: पीयूष गोयल
पद/पेशा: जॉब
प्रेषण दिनांक: 04-08-2022
उम्र: ५५
पता: Gr Noida
मोबाइल नंबर: 9654271007

ईमानदारी का ईनाम….

    एक राहजन रहजनी करने के लिए दूर जंगल में रास्ता भटक गया. रास्ते में उस दूर एक व्यक्ति दिखाई दिया राहजन मन ही मन सोचने लगा चलो इस को लूटते हैं जैसे ही उसके पास पहुँचा जो भी तेरे पास हैं सब कुछ निकाल दे व्यक्ति ने जेब में से चाकू निकाल कर के उस राहजन के हाथ में दे दिया राहजन व्यक्ति से बोला ये क्या हैं व्यक्ति राहजन से बोला मैं भी तेरा जैसा ही राहजन ही हूँ और तेरी तरह इस जंगल में रास्ता भटक गया हूँ , अब तो दोनो की स्थिति देखने लायक़ थी … अब तो दोनो एक दूसरे के दोस्त बन गए …जंगल में यह सोच कर आगे बढ़ते गए कही बाहर निकलने का रास्ता मिल जाए …जैसे ही और आगे बढ़े दूर एक झोपड़ी दिखाई दी उनमें से एक राहजन बोला चलो आज रात यही रुकते हैं जैसे ही झोपड़ी के पास पहुँचते हैं एक दीपक व लम्बे व बढ़ी हुई दाढ़ी वाले बाबा दिखाई दिए … दोनो बाबा के पास जाकर ज़ोर से बोले जो भी हैं सब दे दो … बाबा बहुत पहुँचे हुए थे ठीक हैं सब मिल जाएगा लेकिन बेटा इतनी रात में कहा जाओगे आज रात यही रुको मैं तुम्हारे लिए खाने व सोने का इंतज़ाम करता हूँ और हाँ सोने से पहले मेरे से ज़रूर मिलना बाबा ने उनको एक एक सिक्का देकर कहा देखो बेटा मेरे पास तो सिर्फ़ ये ही हैं और जाओ अब आराम करो सुबह को बात करेंगे … सुबह होते ही जैसे ही वो जागते हैं क्या देखते हैं ना तो बाबा और ना ही झोपड़ी… उनमें से एक तुरंत बोलता हैं अरे जो बाबा ने रात में हमें सिक्का दिया था देख लो हैं या नहीं दोनो अपनी-अपनी जेब देखते हैं और बड़े ही अचंभित होते हैं अरे ये तो चाँदी के सिक्के हैं.बड़ी ख़ुशी-ख़ुशी दोनो अपने-अपने घरों को चल दिए …बाबा के बारे में सोचते-सोचते … हम से बड़ी भूल हो गई बाबा को पहचान न पाए ..दोनो आपस में विदा लेते समय बोले ज़रूर यह हम दोनो के लिए कोई न कोई शुभ संदेश हैं …हाँ यार ये बात मैं भी सोच रहा हूँ … वाक़ई कोई न कोई हमारे भविष्य के लिए शुभ संदेश हैं … देख हम दोनो चोरी चकारी करते हैं ये बहुत अच्छा काम नहीं हैं उसके बाद भी हम दोनो को चाँदी का सिक्का मिला … इस चोरी चकारी को छोड़ कर ईमानदारी से काम करने लगे तो चाँदी की जगह सोने के सिक्का मिलेगा… विदा लेते समय दोनो न प्रण किया की अब हम ये बुरा काम नहीं करके अपना जीवन ईमानदारी से काम करके जीवन यापन करेंगे… समय गुजरता गया …दोनो में गहरी मित्रता व पूरी ईमानदारी से अपने-अपने काम करने लगे …कुछ समय बाद एक साधु उनके घर पर पधारे और बात करते-करते एक पोटली देकर वहाँ से चले गए … यही घटना दूसरे के यहाँ भी हुई … दोनो एक दूसरे से मिले और इस घटना के बारे में बताया तो बड़े ही अचंभित हुए.एक सी घटना …चल पोटली को खोल कर देखते हैं.क्या देखते हैं सोने का सिक्का और एक चिट जिस पर लिखा था यह तुम्हारी ईमानदारी का ईनाम…. दोस्त ईमानदारी की डगर …

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