| ब्लॉग प्रेषक: | डॉ श्याम लाल गौड़ |
| पद/पेशा: | शिक्षक |
| प्रेषण दिनांक: | 16-08-2022 |
| उम्र: | 40 |
| पता: | सहायक अध्यापक नव्यव्याकरण श्री जगदेव सिंह संस्कृत महाविद्यालय सप्त ऋषि आश्रम हरिद्वार पत्रालय साधु बेला, जनपद हरिद्वार उत्तराखंड पिन कोड 24 9410 |
| मोबाइल नंबर: | 9368760732 |
जीत किसकी होगी
जीत किसकी होगी।
(लघुकथा )
दो व्यक्ति आपस में चर्चा करतें जिसको वर्तमान में डिबेट कहते हैं।
पहला व्यक्ति- दूसरे व्यक्ति से आपके हिसाब से समाज में किस व्यक्ति की जीत होनी चाहिए?
दूसरा व्यक्ति- जिसके कर्म शुद्ध हों,जिसकी नियत साफ हो, जो कर्तव्य परायण हो, जिसमें राष्ट्र निर्माण की क्षमता हो, जो व्यवहारी हो, जो सुख-दुख की परिभाषा को जानता हो, जो
परोपकार: पुण्याय पापाय परपीडनम्
वाले सिद्धांतों को चरितार्थ करने वाला हो, ऐसे व्यक्ति की ही जीत होनी चाहिए।
पहला व्यक्ति- साहब आज कल्पना करना केवल कल्पना मात्र है, क्योंकि आज कलयुग है कलयुग।
क्या आप युग के प्रभाव को नहीं मानते हैं?
दूसरा व्यक्ति -नहीं क्योंकि सत्य तो सत्य होता है और सत्य सदा, सर्वदा, सर्वत्र विजित ही होता है।
इसलिए जो व्यास के वचनों को मानेगा उसका पालन करेगा, उसके आचरण में निपुण होगा वही विजित होगा।
पहला व्यक्ति- क्या आपको पता है कि आज इस कलयुग में केवल विधर्मी ही विजित हो रहे हैं, सर्वत्र उनके ही जय जयकार हो रही है।
धनबल जीत रहा है साहब धनबल, सत्य तो रेंग रहा है रेंग ।
सत्य का दम घुट रहा है और असत्य अट्टहास कर रहा है।
सत्य को असत्य चिड़ा रहा है।
परोपकार कि घिघियां बंध गई है।
नाराज नहीं होना भाई मैं वही कह रहा हूं,जो सर्वत्र दृश्य मान है, जो एक दूसरे के मुंह से सुनाई पड़ रहा है। इसको स्पष्ट करने के लिए केवल इतना समझ लेना ही काफी है, मनुष्य परस्पर आपसी कलह में जी रहा है, लोलुप्ता के लिए जी रहा है।
अपने सुख के लिए जी रहा है। अपने स्वार्थों को सिद्ध करने के लिए व्यक्ति से व्यक्ति को लड़वा रहा है,कहीं जातिवाद के रूप में कहीं अमीरी गरीबी के रूप में, कहीं धर्म के नाम पर ,फिर भी आपहैं कि मानने को तैयार नहीं है कि जीत किसकी होगी।
मेरे हिसाब से अधर्म की जीत होगी, अधर्म अट्टहास करेगा अधर्म फलेगा, कलयुग जिसके पक्ष में होगा और जो कलयुग के पक्ष में होगा उसकी जीत होगी।
दूसरा व्यक्ति भाई मैंने आपको इस संदर्भ में जो प्रमाण देने थे मैं दे चुका हूं, फिर भी मैं अपनी बात को और प्रमाणित करने की कोशिश करूंगा। आपको महाभारत तो याद होगा ही, आपको अंग्रेज भी याद होंगे, क्या आप मुगलों को भूल गए? आपको 1070 साल याद है ना भूले तो नहीं।
यत्र योगेश्वर कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धर:।
तत्र श्री वियजयो:भूतिर्धुर्वा नीतिर्मतिर्मम।।
क्या आप गीता के विजय उद्घोष को भूल गए?
और कितने उदाहरण दूं आपको कि, सत्य कभी हारता नहीं है, सत्य कभी परबस नहीं होता है, सत्य रेंगता नहीं है, सत्य का दम नहीं घुटता।
सत्य दहाड़ता है, सत्य चमकता है, सत्य की चमक के सामने असत्य की आंखों में मोतियाबिंद हो जाता है। असत्य डरा सहमा रहता है असत्य को छिपना पड़ता है। सत्य तो सत्य होता है प्रभु सत्यम परम धीमहि:।
पहला व्यक्ति- मैं आपकी बातों को मानने के लिए तैयार नहीं हूं, क्योंकि मैं व्यवहार में जीता हूं, मैं अपनी आंखों से देखता हूं और कानों सुनता हूं, उस पर मनन भी करता हूं। मैं पूर्ण विश्वास के साथ में अपनी बात को रखता हूं की असत्य ही जीतेगा, असत्य की जय हो।
दूसरा व्यक्ति- मैं आपको एक बार फिर से याद दिला दूं कि मैंने जितने उदाहरण आपको अभी दिए हैं, आप भी उनको भूलियेगा नहीं, असत्य सृष्टि के आदि से लेकर के और वर्तमान युग मैं तथा सृष्टि के समाप्ति तक असत्य हारता रहेगा, असत्य हारा है, असत्य का दम घुटता रहेगा, असत्य असहाय हो जाएगा, असत्य को लकवा मार जाएगा, असत्य केचुंवे की भांति मर खप जाएगा मिट्टी में मिल जाएगा, असत्य को महामारी हो जाएगी, असत्य को असय्य रोग होगा, असत्य को पालने वाले अथवा उसके पक्षधरों का इस संसार से समूल नाश हो जाएगा। हम उसकी जड़ों में मट्ठा डाल देंगे।
सत्य की जय हो! सत्य की जय हो! सत्य की जय हो! असत्य का नाश हो! असत्य का नाश हो !असत्य का नाश हो!
अंत में
यतो धर्मस्ततो जय:!
डॉ श्याम लाल गौड़ सहायक अध्यापक नव्यव्याकरण
श्री जगदेव सिंह संस्कृत महाविद्यालय सप्त ऋषि आश्रम हरिद्वार पत्रालय साधु बेला, जनपद हरिद्वार उत्तराखंड पिन कोड 24 9410
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