
ब्लॉग प्रेषक: | सूर्य प्रकाश त्रिपाठी |
पद/पेशा: | ब्लाक मिशन प्रबन्धक |
प्रेषण दिनांक: | 21-09-2022 |
उम्र: | 32 |
पता: | ग्राम - बसंतपुर जिला - सिद्धार्थनगर उत्तर प्रदेश |
मोबाइल नंबर: | 9580008185 |
उठो धनुर्धर
उठो धनुर्धर
उठो धरा के
श्रेष्ठ धनुर्धर,
समर खत्म क्या
तुम सोते हो II
तेरे भुजबल पर
ही मैंने,
लंकेश्वर से
युद्ध किया I
काल भी तुझसे थर
–थर कांपे,
फिर क्यों मुझको
छोड़ दिया II
जन्म हमारा साथ
हुआ था,
तीनो अनुजों में
प्यारा था I
शोभा रघुकुल की
थी तुझसे,
तू संसार हमारा
था II
सम्पूर्ण धरा को
फन पर धारे,
रण कौशल का सब
ज्ञान तुम्हें I
इन्द्रजीत के एक
बाण से,
कैसे तुम यू
गिरे भूमि पे II
चौदह वर्षो की
तप सेवा,
से निद्रा को
जीत लिया I
अडिग रहा हर
विपत्ति में,
क्यों चिरनिद्रा
वरण किया II
गुरुसेवा में
मेरा प्रतिद्वंदी,
परसुराम से तू
डरा नही I
हर पग मेरे साथ
रहा जो,
क्या सच में भाई
रहा नही II
निश्चित ही है
खेल तेरा ये,
बचपन में छिप
जाता था I
भाई को खूब
सताने में,
आनन्द तुझे सब
आता था II
समय नही हंसी
करने का,
अब समरभूमि
तैयार खड़ी I
रावण का कब दम्भ
मिटेगा,
प्रतीक्षा में
है जनकनन्दनी II
मूर्छा से अब
उठो वीरवर,
शत्रु पर
सिंहनाद करो I
हाहाकार मचे
रिपुदल में,
अग्नि का शर-चाप
धरो II
युद्ध की चीखें
चहुँ दिशा में,
रक्तसनी यह भूमि
है I
कैसे लीन हुए
निद्रा में,
न ये अवध की
भूमि है II
दो क्षण भानु
रुक जाओ,
औषधि कही उपलब्ध
नही I
हनुमत वीर
हिमालय हैं,
आजाये फिर
सूर्योदय सही II
दशरथ कौशल्या
साथ नही,
छूटे सारे हैं
बान्धवजन I
ह्रदयप्रिय सीता
भी नही,
जीवन की आशा था
लक्ष्मण II
नभ,जल,थल भी
शोकाकुल हैं,
वानर भालू करते
क्रन्दन I
युद्धक्षेत्र
में खड़ा अकेला,
आज तुम्हारा
रघुनन्दन II
प्रेयसी की नजरे
प्यासी हैं,
प्रेमी के कब
दरश मिले I
आएंगे सौमित्र
हमारे,
राह देखती
उर्मिले II
अपराधी हू मै
तेरा जो,
लखनलाल को ला ना
सका I
रक्षक था मेरे
प्राणों का,
उसकी रक्षा कर
ना सका II
लिखा मुझे
वनवासी होना,
पितु आज्ञा का
मै भागी I
अवगत था वन के
कष्टों से,
तुझको बनाया
सहभागी II
चिता मेरी तैयार
करो अब,
जीवन का कोई
अर्थ नही I
मिथ्या हो गये
वचन हमारे,
प्रार्थनाये सब
व्यर्थ रहीं II
प्रचंड गर्जना
हुयी मेघो में,
बजरंगी द्रोणागिरी
लिए I
करुणा हर्ष में
बदली,
प्रिय को अपने
प्रसन्न किये II
हर्षित मन है,
पुलकित तन है,
दिव्य स्वप्न
साकार हुआ I
शोकाकुल रामादल
में,
नव ऊर्जा का
संचार हुआ II
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26-06-2025
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डिप्रेशन में जा रहे हैं। पांच क्लास में पढ़ते थे, उसी समय हम दिल दे चुके सनम का पोस्टर देखा, अजय देवगन हाथ में बंदूक लेके दांत चिहारले था, मुंह खूने खून था, हम समझे बड़ी मार धाड़ वाला सनिमा होगा। स्कूल से भाग कॉपी पैंट में लुका के तुरंत सिनेमा हॉल भागे।
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हाय हाय बिजली।। सर ई का है ? दिखाई नहीं दे रहा है, ई पसीना है, ई पसीना घबराहट में नहीं निकला है, न ही किसी के डर से निकला है, फौलाद वाला शरबत पीने से भी नहीं निकला है, ई निकला है गर्मी से, और अगर बिजली रहती तो ई देह में ही सुख जाता लेकिन पंद्रह से बीस
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