
ब्लॉग प्रेषक: | स्नेहा सिंह |
पद/पेशा: | Lecturer |
प्रेषण दिनांक: | 28-09-2022 |
उम्र: | 29 |
पता: | लखनऊ |
मोबाइल नंबर: | 9453749772 |
सफलता चूमेगी कदम
।। संपादकीय लेख ।।
जीवन के शिखर बिंदु तक पहुंचने के लिए त्याग,तपस्या और कठिन श्रम की आवश्यकता पड़ती हैं ।।
बिना इनके,बड़े से बड़ा लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता हैं
निरंतर प्रगति के लिए,जरूरी हैं ।। ईमानदारी,सत्यता और कर्मठता से कर्म किए जाएं जीवन पथ पर
तभी,उज्ज्वल भविष्य का निर्माण किया जा सकता हैं ।।
साहित्य की दुनिया
विचारों,और कल्पनाओं पर आश्रित हैं ।।
रोज़ नए नए विचारों का संगम होता रहता हैं और रचनाओं का उद्गम भी होता रहता हैं ।।
एक कवि,रचनाकार या साहित्यकार
भावों और जज़्बातों से ओत प्रोत रहता हैं सदैव ।।
सकारात्मकता के साथ वो,
लेखनी के जगत में निरंतन लीन रहता हैं ।।
और उसका उद्देश इस पथ पर ऐसे ही तरक्की करते रहना हैं जीवन काल में ।।
साहित्यकार,
स्नेहा सिंह
कानपुर उत्तर प्रदेश
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नए ब्लॉग पोस्ट
26-06-2025
डिप्रेशन में जा रहे हैं।
डिप्रेशन में जा रहे हैं। पांच क्लास में पढ़ते थे, उसी समय हम दिल दे चुके सनम का पोस्टर देखा, अजय देवगन हाथ में बंदूक लेके दांत चिहारले था, मुंह खूने खून था, हम समझे बड़ी मार धाड़ वाला सनिमा होगा। स्कूल से भाग कॉपी पैंट में लुका के तुरंत सिनेमा हॉल भागे।
Read More05-06-2025
सनातन धर्म में कर्म आधारित जन्म जीवन का अतीत भविष्य।
अक्सर गाँव में मैंने अपने बाल्य काल में देखा है अनुभव किया है वास्तविकता का अंवेषण किया है जिसके परिणाम मैंने पाया कि ज़ब कोई जातक (बच्चा ) जन्म लेता है तो सबसे पहले माता को उसके स्वर सुनने कि जिज्ञासा होती है नवजात ज़ब रुदन करता है तो माँ के साथ परिजन..
Read More05-06-2025
सनातन धर्म में धर्म कर्म के आधर पर अतीत एवं भविष्य काया कर्म का ज्ञान।
सनातन धर्म के मूल सिद्धांतो में धर्म क़ो जीवन के लिए अति महत्वपूर्ण मानते हुए मान दंड एवं नियमों क़ो ख्याखित करते हुए स्पष्ट किया गया है जिसके अनुसार...
Read More17-05-2025
हाय हाय बिजली
हाय हाय बिजली।। सर ई का है ? दिखाई नहीं दे रहा है, ई पसीना है, ई पसीना घबराहट में नहीं निकला है, न ही किसी के डर से निकला है, फौलाद वाला शरबत पीने से भी नहीं निकला है, ई निकला है गर्मी से, और अगर बिजली रहती तो ई देह में ही सुख जाता लेकिन पंद्रह से बीस
Read More11-05-2025
आदर्श व्यक्तित्व के धनी नरसिंह बहादुर चंद।
युग मे समाज समय काल कि गति के अनुसार चलती रहती है पीछे मुड़ कर नहीं देखती है और नित्य निरंतर चलती जाती है साथ ही साथ अपने अतीत के प्रमाण प्रसंग परिणाम क़ो व्यख्या निष्कर्ष एवं प्रेरणा हेतु छोड़ती जाती...
Read More23-04-2025
घटते जीवांश से खेतों को खतरा।
जैसे कि कृषि विकास दर में स्थिरता की खबरें आ रहीं हैं। यह चिन्ता का विषय है। तमाम आधुनिक तकनीक व उर्वरकों के प्रयोग के बावजूद यह स्थिरता विज्ञान जगत को नये सिरे से सोचने के लिए बाध्य कर रही है। अभी तक हमारी नीतियां तेज गति से बढ़ती जनसंख्या को भोजन देने..
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