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ब्लॉग प्रेषक: | श्री योगेश सिंह धाकरे |
पद/पेशा: | पटवारी म.प्र शाशन |
प्रेषण दिनांक: | 04-10-2022 |
उम्र: | 53 |
पता: | हाॅस्पिटल रोड़ (राधा सदन) मकान न.02मछली पालन केन्दृ के पास |
मोबाइल नंबर: | 9407460877 |
चंदृबरदाई को पढ़ लेना......
रचनाकार....क्या हो सकता है
इतिहास में ले जाता हूँ तुम्हें...
तुम्हें रचनाकार होने पर गर्व होगा ।
चंद्रबरदाई को पढ़ लेना....
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कोरा कागज क्या व्यक्त करता है,
लेखनी ही इतिहास लिखती है ।
बीरता और वेदना अभिव्यक्त कर..
सत्ता ओर शाशन से लड़ती है ।।
कलम "चाटुकर" बन गयी तो..
सत्ता का मिटना तय है ।
चन्दरबरदाई की कलम से तो..
मो. गौरी को भी भय है ।।
कवि की कलम , कातिल बन..
कान्धार में कहर ढ़ाती है ।
मत चूके चौहान की रण भेरी..
सिहरन पैदा कर जाती है ।।
शाशन सत्ता सिंहासन राज..
सब मो.गौरी का ।
अंधा राजा और एक कवि..
देश अजनवी सा ।।
घर मे घुस कर मारने की प्रेरणा..
ओज"का "चारण" ही देता है ।
सत्रह बार माफ करने का ..
इतिहास भी भारत ही देता है ।।
कवि की महत्ता जाननी हो तो..
चन्दरबरदाई को पढ़ लेना ।
तूलिका" और तीर" की जोड़ी..
को जेहन घढ़ लेना ।।
शब्द भेदी तीर की ताकत से..
गर्दन को कटते देखा है ।
भरी सभा मे गौरी के मस्तक ...
को हमने गिरते देखा है ।।
सपाट पटल है ....उकेर दो...
विरह "वेदना "ओज को ।
रस छन्द अंलकार गर्वित करो..
देवनागरी की कोख को ।।
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स्वरचित.....श्री योगेश सिह धाकरे "चातक"
( ओज की आवाज )
आलीराजपुर मध्य प्रदेश
@ सर्वाधिकार सुरक्षित
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26-06-2025
डिप्रेशन में जा रहे हैं।
डिप्रेशन में जा रहे हैं। पांच क्लास में पढ़ते थे, उसी समय हम दिल दे चुके सनम का पोस्टर देखा, अजय देवगन हाथ में बंदूक लेके दांत चिहारले था, मुंह खूने खून था, हम समझे बड़ी मार धाड़ वाला सनिमा होगा। स्कूल से भाग कॉपी पैंट में लुका के तुरंत सिनेमा हॉल भागे।
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सनातन धर्म में कर्म आधारित जन्म जीवन का अतीत भविष्य।
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सनातन धर्म में धर्म कर्म के आधर पर अतीत एवं भविष्य काया कर्म का ज्ञान।
सनातन धर्म के मूल सिद्धांतो में धर्म क़ो जीवन के लिए अति महत्वपूर्ण मानते हुए मान दंड एवं नियमों क़ो ख्याखित करते हुए स्पष्ट किया गया है जिसके अनुसार...
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हाय हाय बिजली।। सर ई का है ? दिखाई नहीं दे रहा है, ई पसीना है, ई पसीना घबराहट में नहीं निकला है, न ही किसी के डर से निकला है, फौलाद वाला शरबत पीने से भी नहीं निकला है, ई निकला है गर्मी से, और अगर बिजली रहती तो ई देह में ही सुख जाता लेकिन पंद्रह से बीस
Read More11-05-2025
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युग मे समाज समय काल कि गति के अनुसार चलती रहती है पीछे मुड़ कर नहीं देखती है और नित्य निरंतर चलती जाती है साथ ही साथ अपने अतीत के प्रमाण प्रसंग परिणाम क़ो व्यख्या निष्कर्ष एवं प्रेरणा हेतु छोड़ती जाती...
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घटते जीवांश से खेतों को खतरा।
जैसे कि कृषि विकास दर में स्थिरता की खबरें आ रहीं हैं। यह चिन्ता का विषय है। तमाम आधुनिक तकनीक व उर्वरकों के प्रयोग के बावजूद यह स्थिरता विज्ञान जगत को नये सिरे से सोचने के लिए बाध्य कर रही है। अभी तक हमारी नीतियां तेज गति से बढ़ती जनसंख्या को भोजन देने..
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