झांसी की रानी..

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ब्लॉग प्रेषक: हरजीत सिंह मेहरा।
पद/पेशा: ऑटो चालक..
प्रेषण दिनांक: 21-11-2022
उम्र: 53 वर्ष
पता: मकान नंबर 179,ज्योति मॉडल स्कूल वाली गली,गगनदीप कॉलोनी, भट्टियां बेट टिया,लुधियाना, पंजाब, भारत।पिन नंबर -141 008.
मोबाइल नंबर: 8528996698.

झांसी की रानी..

बनारस में 1828 में,एक बच्ची का जन्म हुआ,

मणिकर्णिका नाम था पर,मनु नाम प्रचलित हुआ।

अति सुंदर,चंचल,चप्पल थी वो, गुण सब को लुभाते थे,

इसी अदाके चलते लोग उसे, "छबीली"कह बुलाते थे।

माता के देहांत के बाद, पापा ने उसे पाला था,

संस्कार,युद्धकला,साहस के,सभी गुणों को डाला था।

चौदह वर्ष की आयु में ही,उसका था विवाह हुआ,

राजा"गंगाधर राव"से,पति सुख था प्राप्त हुआ।

विवाह उपरांत था उसका,रानी रूप अवतार हुआ,

रानी बनते ही उसका नाम"लक्ष्मी बाई"प्रख्यात हुआ!

ग्यारह वर्ष ही गृहस्थ भोगा,फिर पति का देहांत हुआ,

इक्कीस वर्ष की आयु में उसका, राजतिलक हुआ।

सुहाग छिंन जाने पर उसपे,विकट स्थिति आन पड़ी,

पड़ोसी राजाओं ने सेना संग, झांसी पे चढ़ाई करी।

डटकर किया सामना उनका, साहस का प्रमाण दिया,

नाको चने चबवाए उसने,ऐसा फिर संग्राम किया!

पर,यहीं इसकी विपदा ना थमी, दुविधा नई आनी थी,

इतिहास के पन्नों पे इसने,लिखनी नई कहानी थी।

सन् 1857 में झांसी पर, हिंसा का आगाज़ हुआ,

पर रानी ने सूझबूझ से,सबका सपना विफल किया।

सन् 1858 जनवरी में था,अंग्रेजों से सामना हुआ,

रण में उत्तरी लक्ष्मी बाई..रंग गोरों का लाल हुआ!

टूट पड़ी बिजली सी बन कर,गोरों को बेहाल किया,

चुन-चुन कर,सबको भेदा, सबका हौंसला पस्त किया!

उसके रण कौशल को देख, सारी सेना विस्माई थी..

तोड़ ना देख,इस आंधी का, अंग्रेजी सेना चकराई थी!

छः माह तक रण ना छोड़ा,ऐसी वो मर्दानी थी..

चट्टान जैसी अटल रही वो,शेरनी सामान दहाड़ी थी!

मराठा बुंदेलों से हमने...सुनी ऐसी कहानी थी..

"खूब लड़ी मर्दानी..वो तो,झांसी वाली रानी थी"!!      

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स्वरचित@-

हरजीत सिंह मेहरा.

लुधियाना,पंजाब,भारत।

फोन-85289-96698

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