बाल कहानी- प्रिया

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ब्लॉग प्रेषक: शमा परवीन
पद/पेशा: लेखिका
प्रेषण दिनांक: 09-12-2022
उम्र: **
पता: BAHRAICH
मोबाइल नंबर: ***

बाल कहानी- प्रिया

बाल कहानी- प्रिया

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    प्रिया एक चंचल लड़की थी। एक दिन प्रिया अपनी सहेलियों के साथ खेल रही थी। अचानक प्रिया की नज़र जमीन पर पड़ी अँगूठी पर पड़ी। प्रिया ने अँगूठी उठाकर पास के मैदान में फेंक दी, बिना पूछें कि ये अँगूठी किसकी है?

कुछ देर बाद प्रिया की सहेली ज्योति की अम्मी आयी और ज्योति को लेकर घर चली गयी। ज्योति जाते समय बोली-,"मैं थोड़ी देर में आती हूँ।" बहुत देर बाद भी जब ज्योति खेलने के लिये नहीं आयी तो प्रिया ज्योति को बुलाने उसके घर गयी। उसने देखा कि ज्योति की अम्मी और ज्योति परेशान थी। ज्योति की अम्मी की सोने की अँगूठी खो गयी थी।

ज्योति ने जिद करके अँगूठी पहन ली थी, अब मिल नहीं रही है।

प्रिया ने जल्द ही आन्टी से सारी बात बताई और जिस जगह अँगूठी फेंकी थी, वहाँ ले गयी।

बहुत ढूँढने पर अंगूठी नहीं मिली।

ज्योति ने प्रिया से कहा-,"अगर तुम अँगूठी फेंकती नहीं तो शायद अँगूठी गुम नहीं होती।"

ज्योति की अम्मी ज्योति को डाँटते हुए बोली-,"गलती तो तुम्हारी है, जो तुमने जिद करके मेरी अँगूठी पहनी। अँगूठी बड़ी थी। तुम्हारी अँगुली पतली है इसलिए गिर गयी।"

वहाँ पर भीड़ इकठ्ठा हो गयी। कुछ लोग कहने लगे कि गलती माँ की है जो बच्चे की जिद पर सोने की अँगूठी दे दी और देखभाल भी नहीं की। 

सब लोग थक हार कर वहाँ से चले गये।

प्रिया चुपचाप तमाशा देख रही थी और सोच रही थी आखिर अँगूठी गयी कहाँ? बात कुछ भी हो, पर गलती मेरी भी है। प्रिया ने ध्यान से मन लगाकर ढूँढने की दोबारा कोशिश की, इस बार प्रिया ने सफलता हासिल की उसे अँगूठी मिल गयी। वस तुरन्त ज्योति के घर गयी और उसने आन्टी को अँगूठी दे दी। 

ज्योति की माँ अँगूठी पाकर बहुत खुश हुई, उन्होनें ज्योति को गले से लगा लिया।

शिक्षा

बच्चों को क्या देना चाहिए और क्या नहीं, इसका ज्ञान उन्हें शुरू से कराते रहना चाहिए।


शमा परवीन

बहराइच (उत्तर प्रदेश)


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