ज़ख्मी सा, मेरा मन

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ब्लॉग प्रेषक: स्नेहा सिंह
पद/पेशा: Lecturer
प्रेषण दिनांक: 10-12-2022
उम्र: XX
पता: लखनऊ
मोबाइल नंबर: 9453749772

ज़ख्मी सा, मेरा मन

।। ज़ख्मी सा मेरा मन ।।

मैं

भाव के हाथों बिकता रहा

और ये ज़माना मेरा सौदा

दौलत के सहारे करता रहा ।।


जब,जब ढूंढा चैन दिल का

ये ज़माना  रह रहकर

मुझ पर तंज कसता रहा ।।


वफ़ा,ईमान और सच

का चोला ओढ़ा मैंने तन पर

पर बेईमान होने का इल्ज़ाम

सरेआम, मुझपे हरदम लगता रहा ।।


अपनेपन से सबको हृदय

में बसाता गया मैं,

पर पत्थर दिल होने का दाग

मेरे दामन में लगता रहा ।।


प्रेम प्रेम बस प्रेम

से रंगा मन का कोना कोना

पर नफ़रत के दंश का भार मेरा मन

हमेशा ढोता रहा

मेरा मन ढोता रहा ।।

❤️


स्नेहा की कलम के असरार

साहित्यकार, पर्यावरण प्रेमी और राष्टीय सह संयोजक

कानपुर उत्तर प्रदेश

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