
ब्लॉग प्रेषक: | पीयूष गोयल |
पद/पेशा: | Service |
प्रेषण दिनांक: | 15-12-2022 |
उम्र: | ५५ |
पता: | Gr Noida |
मोबाइल नंबर: | 9654271007 |
११ मोतियों की माला…
११ मोतियों की माला——एक जंगल में एक सिद्धि प्राप्त ऋषि रहते थे.आस -पास के लोग उनसे मिलने जाया करते थे.ऋषि की कुटिया के पास एक कुआँ था.कुँए की एक ख़ासियत थी जो भी कोई पानी पीने जाता बाल्टी के साथ एक मोती भी ज़रूर आता.अक्सर आस-पास के लोग इस कारण से उनसे मिलने जाते थे.एक क़स्बे में एक ज्ञानीजन रहते थे,उनको भी पता चला की जंगल में एक पहुँचे हुए ऋषि रहते हैं,और उनकी कुटिया के पास एक कुआँ और पानी के साथ-साथ एक मोती भी निकलता हैं और उस पर कुछ लिखा होता हैं.मन में जिज्ञासा हुई की मैं भी मिलकर आऊँ उन संत से,घर से बिना बताएँ चल दिए संत से मिलने,संत से मिले चरण स्पर्श किये,बातें हुई संत की बातों से प्रभावित हुआ,संत से आज्ञा लेकर पानी पीने के लिए कुँए की तरफ़ चल दिए,बाल्टी में पानी के साथ मोती को देखकर जिज्ञासा शांत हुई. विश्वास भी हो गया लोग सही कह रहे थे.पानी पीने के बाद जैसे ही मोती को हाथ में लिया उस पर लिखा था “अहंकारी” ज्ञानीजन मन ही मन सोचने लगा इसको कैसे पता.संत से आज्ञा लेकर चल दिए वापिस घर की तरफ़ ये सोचते-सोचते की उसको कैसे पता चला … ख़ैर … अब अहंकार ख़त्म करके फिर मिलने जरुर जाऊँगा.समय गुजरता रहा फिर एक दिन चल दिए संत से मिलने, कुएँ से जैसे ही बाल्टी से पानी पीना शुरू किया एक और मोती मिला लिखा था,”क्रोध” फिर सोच में पड़ गया. इसको कैसे पता मैं बहुत ज़्यादा क्रोध करता हूँ.ऐसे ही हर बार होता रहा “मद”,“लोभ”,”आलस्य”,”छल”,”हठ”,”ईर्ष्या”…..आदि के मोती घर ले जाते रहे.ज्ञानीजन को अपने आप पर बड़ा ही रोष हुआ इतने दोष लेकर जी रहा हूँ …. नहीं,नहीं मुझे इन दोषों को दूर करना हैं … क़रीब एक साल बाद फिर ज्ञानीजन संत की कुटिया पहुँच गए. संत के पैर छूकर वही संत के पास बैठ गये.संत से बहुत देर बातें की,संत बोले जाओं कुएँ के पास… ज्ञानीजन संत से बोले नहीं अब मुझे नहीं जाना कुएँ के पास …. अब मुझे किसी चीज़ की ज़रूरत नहीं हैं.संत जानते थे मुझे इसको क्या देना हैं.संत अपनी कुटिया में गए और एक माला ज्ञानीजन के गले में डाल दी जिसमें ११ मोती थे और जिन पर हर मोती पर अलग- अलग लिखा था “मुझे ज्ञान हो गया अब मुझे किसी चीज़ की ज़रूरत नही”.सच बताऊँ मैं तो कुएँ पास इस लिए गया था मुझे भी सोने के मोती मिल जाएँगे और मेरी जिज्ञासा क्या सच में ही कुएँ से मोती निकलते हैं ,लेकिन मुझे क्या पता था मोती के साथ-साथ गुण व अवगुण भी पता चलते हैं.चलो जिज्ञासा के साथ-साथ मुझे मेरे अवगुणों का भी पता चल गया और मैंने इन अवगुणों को अभ्यास से दूर कर लिया.
श्रेणी:
— आपको यह ब्लॉग पोस्ट भी प्रेरक लग सकता है।
नए ब्लॉग पोस्ट
26-06-2025
डिप्रेशन में जा रहे हैं।
डिप्रेशन में जा रहे हैं। पांच क्लास में पढ़ते थे, उसी समय हम दिल दे चुके सनम का पोस्टर देखा, अजय देवगन हाथ में बंदूक लेके दांत चिहारले था, मुंह खूने खून था, हम समझे बड़ी मार धाड़ वाला सनिमा होगा। स्कूल से भाग कॉपी पैंट में लुका के तुरंत सिनेमा हॉल भागे।
Read More05-06-2025
सनातन धर्म में कर्म आधारित जन्म जीवन का अतीत भविष्य।
अक्सर गाँव में मैंने अपने बाल्य काल में देखा है अनुभव किया है वास्तविकता का अंवेषण किया है जिसके परिणाम मैंने पाया कि ज़ब कोई जातक (बच्चा ) जन्म लेता है तो सबसे पहले माता को उसके स्वर सुनने कि जिज्ञासा होती है नवजात ज़ब रुदन करता है तो माँ के साथ परिजन..
Read More05-06-2025
सनातन धर्म में धर्म कर्म के आधर पर अतीत एवं भविष्य काया कर्म का ज्ञान।
सनातन धर्म के मूल सिद्धांतो में धर्म क़ो जीवन के लिए अति महत्वपूर्ण मानते हुए मान दंड एवं नियमों क़ो ख्याखित करते हुए स्पष्ट किया गया है जिसके अनुसार...
Read More17-05-2025
हाय हाय बिजली
हाय हाय बिजली।। सर ई का है ? दिखाई नहीं दे रहा है, ई पसीना है, ई पसीना घबराहट में नहीं निकला है, न ही किसी के डर से निकला है, फौलाद वाला शरबत पीने से भी नहीं निकला है, ई निकला है गर्मी से, और अगर बिजली रहती तो ई देह में ही सुख जाता लेकिन पंद्रह से बीस
Read More11-05-2025
आदर्श व्यक्तित्व के धनी नरसिंह बहादुर चंद।
युग मे समाज समय काल कि गति के अनुसार चलती रहती है पीछे मुड़ कर नहीं देखती है और नित्य निरंतर चलती जाती है साथ ही साथ अपने अतीत के प्रमाण प्रसंग परिणाम क़ो व्यख्या निष्कर्ष एवं प्रेरणा हेतु छोड़ती जाती...
Read More23-04-2025
घटते जीवांश से खेतों को खतरा।
जैसे कि कृषि विकास दर में स्थिरता की खबरें आ रहीं हैं। यह चिन्ता का विषय है। तमाम आधुनिक तकनीक व उर्वरकों के प्रयोग के बावजूद यह स्थिरता विज्ञान जगत को नये सिरे से सोचने के लिए बाध्य कर रही है। अभी तक हमारी नीतियां तेज गति से बढ़ती जनसंख्या को भोजन देने..
Read More