ब्लॉग प्रेषक: | नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर |
पद/पेशा: | सेवा निवृत प्रचार्य |
प्रेषण दिनांक: | 08-01-2023 |
उम्र: | 60 वर्ष |
पता: | C-159 Divya Nager Colony Post-Khorabaar Gorakhpur-273010 utter pradesh |
मोबाइल नंबर: | 9889621993 |
प्लेटफार्म
प्लेटफार्म -
प्रत्येक मनुष्य के जीवन में कभी कभी कुछ ऐसे पल प्रहर आते है जो बिना प्रभावित किए नहीं रहते है एवं जिनका प्रभाव व्यक्तित्व पर जीवन भर लिए पड़ता है ।
मेरे साथ भी ऐसे कुछ
अविस्मरणीय पल प्रहर का सत्यार्थ जुड़ा है जो बरबस मेरे व्यक्तित्व को बिना प्रभावित किए नहीं रह पाता ऐसी ही एक घटना वर्ष उन्नीस सौ अस्सी कि है जिसने मुझे जीवन में सदैव दिशा दृष्टिकोण प्रदान किया जो मेरे लिए जीवन कि अनमोल धरोहर है जिसे शायद ही मै भूल पाऊ ।।
देवरिया रेलवे का प्लेट फार्म मेरे साथ भूपेंद्र दीक्षित बहुत योग्य विनम्र प्रतिष्ठित एवं ख्याति लब्ध व्यक्ति थे जिन्हें मै रेलवे स्टेशन छोड़ने गया था क्या गजब व्यक्तित्व लम्बी काया श्याम वर्ण में आकर्षक प्रभावी व्यक्तित्व और मुस्कुराता चेहरा ट्रेन के आने में बिलंब था ट्रेन लगभग चार घंटे बिलंब थी उस समय इतना तेज संचार माध्यम नहीं था अतः प्लेटफॉर्म पर पहुंचने पर जानकारी हुई कि ट्रेन चार घंटे बिलंब से आएगी मैंने ही कुछ ऐसी बातों को छेड़ना उचित समझा जो हम दोनों कि उम्र में बाप बेटे का अंतर होने के बावजूद कुछ सकारात्मक एवं ज्ञान वर्धक हो।।
देवरिया रेलवे स्टेशन का नवीनीरण मीटर गेज से ब्राड गेज में परिवर्तन के कारण चल रहा था और कुछ दिन पूर्व ही वहां एक दुर्घटना जानकारी के अभाव में घटित हुई थी प्लेट फॉर्म को ऊंचा किया गया था और ट्रेन अभी मीटर गेज कि ही चल रही थी लोकल पैसेंजर ट्रेन यात्रियों से भरी ज्यो ही प्लेट फार्म में दाखिल हुई बहुत से यात्री जो आदतन कहे या भीड़ के कारण या जल्दी उतरने के लिए किसी भी कारण से ट्रेन के दरवाजे के समीप खड़े थे या लटके थे उनको अंदाज़ा नहीं था कि प्लेटफॉर्म को ऊंचा किया जा चुका है जिसके कारण जल्दी उतरने के चक्कर में या दरवाजे से लटके बहुत से यात्रियों के पैर कट गए यह दुर्घटना दुर्भाग्य पूर्ण अवश्य थी जब मैंने दीक्षित जी को घटना का वृतांत बताया तब हतप्रद रह गए और फिर उन्होंने बात बदलते हुए मेरी शिक्षा अध्ययन के विषय में जानकारी चाही जब मैंने उन्हें बताया और उनको पता लगा कि मेरे अध्ययन के विषयों में भौतिक विज्ञान भी है तब उन्होंने भौतिक विज्ञान का मेकेनिक्स ही पढ़ाना शुरू कर दिया और पूरे समय उन्होंने रेल इंजन कि डिजाईन एवं निर्माण कार्य प्रणाली को ही पढ़ा दिया उनके द्वारा कुछ घंटो पर प्लेटफॉर्म दी गई जानकारी इतनी स्पष्ट है की आज भी मै लगभग बयालीस वर्षों बाद भी रेल इंजन को पूरा एसेंबल कर सकता हूं।
सिर्फ याद को ताज़ा करने के लिए कुछ समय लग सकता है इतना ग्राह व्यक्तित्व था रेल इंजन कि पूरी मेकेनिक्स बताने के बाद उन्होंने पुनः केंद्रीयकृत यातायात नियंत्रण प्रक्रिया बताना शुरू किया जो सम्पूर्ण भारत में छपरा बिहार से गोरखपुर उत्तर प्रदेश तक ही सिर्फ पूर्वोत्तर रेलवे में प्रयोगातमक लागू थी जिस तकनीकी को देवरिया जनपद के रोपन छपरा निवासी स्वर्गीय लाल जी सिंह जी द्वारा रेल में सेवा के दौरान जापान प्रशिक्षण के दौरान वहां से लाकर प्रयोगात्मक रूप से छपरा से गोरखपुर के बीच लगाया गया था दीक्षित जी ने सी टी सी सेंट्रालाईज ट्राफिक कंट्रोल सिस्टम को बताना शुरू किया और पूरा सी टी सी सिस्टम ही स्पष्ट कर दिया मुझे यह समझ में ही नहीं आ रहा था कि उनकी जानकारियों ज्ञान कि कोई सीमा भी है या नहीं धीरे धीरे ट्रेन सात बजे शाम आने वाली पांच घंटे बिलंब हो गई मै बार बार उनसे अनुरोध करता रहा कि घर लौट चलते हैं पुनः ट्रेन के समय पर लौट आएंगे लेकिन उन्होंने कहा प्लेटफार्म है इंतज़ार के लिए क्या बुरा हैं साथ ही साथ उनको यह अनुभव होने लगा कि मेरा किशोर मन अब ज्ञान के बोझ से बोझिल हो गया है तब उन्होंने विषय बदल दिया और मुझे दिशा दृष्टि दृष्टि
कोण देने के लिए अपने जीवन के मौलिक मूल्यों एवं संघर्षों के विषय में बतलाना शुरू किया और अतीत कि यादों में खो गए अपने जीवन के महत्वपर्ण पल प्रहर अनुभवों को साझा करने लगे।
उन्होंने बताया कि पिता श्री जानकी दीक्षित गाव हरपुर दीक्षित बिहार सिवान जिले का एक परंपरागत गांव के किसान थे छ भाई थे पिता जी के पास खेती के अतिरिक्त कोई आय का साधन नहीं था लेकिन उन्होंने अपने सभी बेटों को शिक्षा के लिए प्रेरित किया और सबके लिए शिक्षा कि उचित व्यवस्था करते हुए हर संभव सुविधाओं को उपलब्ध कराया बड़े भाई ने कानून कि पढ़ाई पूरी किया उनका विवाह हुआ और एक पुत्र के पिता बनने के बाद बहुत कम आयु में ही निधन हो गया मैंने इंजीनियरिंग मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद टाटा जैसे प्रतिष्ठत संस्थान के टाटा स्टील में बतौर इंजिनियर अपना कैरियर प्रारम्भ किया उन्होंने अपने जीवन के नैतिक मूल्यों एवं सिद्धांतो पर मुझे गौर कर जीवन में चलने के लिए शिक्षा दी।
[1/1, 8:29 PM] Renu Tripathi: भूपेंद्र दीक्षित वास्तव में कर्मठ समर्पित योग्य इंजिनियर थे और टाटा जैसे विश्व प्रतिष्ठत संस्थान के महत्पूर्ण एसेट थे जिसे उन्होंने अपने कार्यों से प्रमाणित किया ।
दीक्षित जी ने लौह कचरा आयरन मड को परिष्कृत कर उससे पुनः स्टील के उत्पादन का विधिवत शोध टाटा समूह के समक्ष प्रस्तुत किया जो समूह के लिए महत्पूर्ण एवं आर्थिक रूप से बहुत फायदे मंद थी टाटा समूह के द्वारा वर्ष उन्नीस सौ सत्तर के दशक में दीक्षित जी के महत्पूर्ण शोध के लिए बीस हज़ार कि नगद धनराशि एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया एवं उनके कार्यों को अपने सभी स्तरो पर आदर्श कार्य के रूप में प्रचारित एवं प्रसारित किया गया जिससे कि समूह के अन्य कर्मचारियों एवं अधिकारियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़े ।
दीक्षित जी कि इस महत्वपूर्ण उपलब्धि से टाटा समूह को भी अभिमान था टाटा समूह भारत ही नहीं वल्कि सम्पूर्ण विश्व में इसीलिए उद्योग जगत के लिए आदर्श एवं अनुकरणीय हैं कि टाटा समूह द्वारा अपने अधिकारियों एवं कर्मचारियों कि सुविधाओं को विशेष ध्यान दिया जाता है कहावत है टाटा समूह व्यवसाई कम मनविय मूल्यों कि गुणवत्ता का सम्मान करने वाला उद्योग समूह है जिसके कारण बहुत से उच्च पदों के सरकारी अधिकारी सरकारी सेवा छोड़ कर टाटा समूह को अधिक पसंद करते हैं इस कड़ी में अजय सिंह भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी का जिक्र करना चाहूंगा जिन्होंने भारत सरकार के सम्मानित उच्च पद को छोड़कर टाटा समूह जाना बेहतर समझा यह टाटा समूह के उच्च मानवीय मूल्यों के संरक्षण एवं संवर्धन का एक उदाहण मात्र हो सकता है।
टाटा समूह कि उच्च मानवीय मूल्य परम्पराओं एवं भूपेंद्र दीक्षित जी के टाटा के लिए ईमानदारी समर्पण के बीच कुछ समय का संसाय बन कर दीक्षित जी कि सफलताओं के प्रतिपर्धी लोगों ने कुछ एसा कुचक्र रच डाला कि भूपेंद्र दीक्षित जी एवं टाटा समूह में दूरियां बढ़ गई और विश्वाश का डोर कमजोर पड़ टूट गया और दीक्षित जी ने टाटा समूह छोड़ दिया या टाटा समूह ने ही उन्हें समूह छोड़ने के लिए कहा जो भी सच हो भूपेंद्र दीक्षित जी के जीवन में परीक्षाओं का यह कठिन दौर शुरू हुआ लेकिन उन्होंने थकना हारना झुकना नहीं सीखा था उनके पारिवारिक संस्कार इतने मजबूत थे कि उनकी निष्ठा संदेह से परे थी जो चुनौतिया परिस्थितियों के कारण उत्पन्न हुई थी उससे उन्होंने लड़ना बेहतर समझा कहते है सत्य परेशान हो सकता है पराजित नही इसकी प्रमाणिकता को सिद्ध किया भूपेंद्र दीक्षित जी ने समय बीतने के साथ टाटा समूह में उनके प्रति उभरी भ्रांतियां समाप्त हो गई लेकिन उन्होंने दोबारा नौकरी करना उचित नहीं समझा और स्वयं को स्थापित करने के लिए कॉन्ट्रेक्ट का कार्य प्रारम्भ किया यह भूपेंद्र दीक्षित जी द्वारा समय समाज को भ्रम के दल दल से उबर कर संघर्ष के नए संभावनाओं के शुभारम्भ से अपने वर्तमान को एवं आने वाले भविष्य को दिशा दृष्टि एवं प्रदान करते हुए प्रेरित किया इस कार्य में उनके मित्र एवं सहभागी ने भी महत्पूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हुए साथ निभाया और दोनों साथ साथ सफलता के शिखर पर बड़ते चले गए टाटा समूह कि नौकरी के बाद अपेक्षित सफलता के सभी माप दंडो को निर्धारित किया और उसे प्राप्त किया जो किसी भी साधारण व्यक्ति के लिए असंभव ही नहीं सर्वथा कल्पना ही है।
भूपेंद्र दीक्षित जी ने अपने जीवन के शिखर यात्रा का प्रथम शुभारम्भ किया और शिखर पर स्थापित हुए वहा जब समय काल एवं द्वेष वैमनस्य के प्रतिस्पर्धा ने सांस य का अंधेरा किया तब उसे अपने धैर्य एवं दक्षता से समाप्त करते हुए जीवन के दूसरे सोपान का शुभारम्भ कांट्रेक्टर कार्य के साथ किया और शिखर पर स्थापित हुए जमशेदपुर टाटा नगर में एवं बिहार में अपनी विशेष पहचान सफल व्यक्ति के रूप में स्थापित किया कहते हैं व्यक्ति के जीवन में परीक्षाएं उसी कि होती है जो परीक्षा के योग्य होता है यह सच्चाई भूपेंद्र दीक्षित जी के जीवन में अक्षरशः सत्य है।
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