नारी का स्वाभिमान, भारतीय परिधान

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ब्लॉग प्रेषक: अमृता विश्वकर्मा
पद/पेशा: साहित्यकार
प्रेषण दिनांक: 12-01-2023
उम्र: 24
पता: सिलाव, नालंदा
मोबाइल नंबर: **********

नारी का स्वाभिमान, भारतीय परिधान

नारी का स्वाभिमान, भारतीय परिधान

     साड़ी एक भारतीय परिधान है। जो महिलाओं द्वारा पहना जाता है। साड़ी पहनने का चलन बहुत पुराना है। कैसे आरंभ हुआ? कहां से आया?किसने आरंभ किया?इन प्रश्नों का उत्तर ढूंढना अत्यंत कठिन है।साड़ी ही ऐसा परिधान है जिसमें कोई भी महिला चाहे वह भारतीय हो या फिर विदेशी, अत्यंत ही आकर्षक दिखती है। विदेशों में भी साड़ी पहनने का प्रचलन प्रारंभ हो चुका है किंतु दुर्भाग्य की बात यह है कि भारतीय महिलाएं साड़ी को छोड़कर पाश्चात्य परिधान पहनने लगी हैं। इस परिधान को बहुत ही तुच्छ समझने लगे हैं, इससे पहनना पसंद नहीं करते हैं। कुछ महिलाएं कहती है कि साड़ी पहन कर काम नहीं हो पाता है। तो कुछ कहते हैं कि यह आरामदायक परिधान नहीं है और कार्यालयी परिधानों के अनुरूप नहीं है तो मैं उनसे पूछना चाहती हूं कि पहले के समय जब पाश्चात्य परिधान नहीं था तब महिलाएं क्या काम नहीं करती थीं। उस समय तो आज के जितनी सुविधाएं भी उन्हें उपलब्ध नहीं थी। उन्हें कितने कठिन कार्य करने होते थे जैसे अनाज को चक्की में पीसना, जंगल से लकड़ियां काटकर लाना, तालाब और कुआं से पानी लेकर आना। यह सभी कार्य वह साड़ी पहनकर ही करते थे।

        अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति के समय हमारे देश की वीरांगना लक्ष्मीबाई ने साड़ी पहन कर ही अंग्रेजी के छक्के छुड़ा दिए थे। उन्होंने साड़ी में ही तलवारबाजी,घुड़सवारी की और उनकी सेना में जो महिलाएं थी वह भी तो साड़ी पहनकर ही अंग्रेजो के खिलाफ लड़ी थी। उन से बड़ा कोई कार्यालय कार्य तो नहीं कोई करता।

         आज के जमाने की कुछ महिलाओं ने भी प्रमाणित कर दिया है कि साड़ी पहनकर भी बहुत से कार्य किए जा सकते हैं। जैसे में सरला ठकराल जो भारत की पहली महिला पायलट जिसने 1936 में पहली बार साड़ी पहनकर हवाई जहाज उड़ाने का गौरव हासिल किया तो वहीं हमारे देश की गौरव भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज ने साड़ी पहन कर ही मैदान में उतरी। शीतल राणे महाजन ने साड़ी पहन कर 13000 फीट से 2 बार छलांग लगाई रिकॉर्ड बनाया। इन सब में मंदिरा बेदी भी कहां पीछे रहने वाली थी।उन्होंने भी साड़ी में push up करके दिखा दिया।और आज की महिलाएं अपनी प्रतिभा को साड़ी में प्रदर्शित कर रही हैं।एशना कुट्टी ने साड़ी पहन कर ही हूला हुप का नृत्य किया तो वही पारुल अरोड़ा ने साड़ी में ट्रिपल बैकफ्लिप भी किया। मोनालिसा एक बस चालक है। और वो साड़ी में ही बस चलाती है तो दिव्या मैया साड़ी पहनकर आइस स्किइंग करती है तो वहीं केरल की सड़कों पर लैरीसा साड़ी पहनकर स्केटबोर्डिंग करती दिखी। इन महिलाओं ने दिखा दिया कि कठिन से कठिन कार्य भी साड़ी पहनकर किया जा सकता है।

         इससे यह प्रमाणित होता है कि हम कोई भी कार्य साड़ी पहन कर सकते हैं। खाना बनाने से लेकर तलवारबाजी तक, push- up से लेकर क्रिकेट खेलने तक सारे कार्य साड़ी में किए जा सकते हैं।

       जब इतने कठिन कार्य साड़ी पहनकर सकता है तो घर के कार्य क्यों नहीं हो सकते। मैं ये नहीं कहती कि महिलाएं अपनी पसंद के परिधान ना पहले बल्कि ये कहना चाहती हूँ कि इसे तुच्छ नहीं समझिये यह बहुत ही आरामदायक, कार्यालय के लिए अत्यंत ही सटीक और आकर्षक परिधान है।

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