
ब्लॉग प्रेषक: | Mariyam ramla |
पद/पेशा: | लेखिका |
प्रेषण दिनांक: | 13-01-2023 |
उम्र: | 26 |
पता: | Panjab Ludhiana |
मोबाइल नंबर: | +880 1674-896118 |
Article
सास भी सहेली होती है
एक ही आंगन कदम दो होती है, रिश्तों में दरार एक उगली से ही शूरू होती है, घर में बेटी पैदा ना हो तो कितनी दुआ कितनी फरियादे होती है, बेटी जन्म ले तो घर में लक्ष्मी आती है।
एक बेटी की बचपन और पहचान कितनी खूबसूरत होती है, उसके हर सपने हर जरुरते एक माता पिता हर हाल में पूरी करते हैं, ये सब छोड़ के एक बेटी कितनी सारी उमंगे दिल में लिए ससुराल जाती है,
क्यू के एक बेटी को बचपन से ही कहा जाता है उसका अपना घर उसका ससुराल होता है। बेटी विवाह होते ही एक आंगन सुना तो दूसरा आंगन खिल उठाता है, एक बेटी ही है जो सास के रूप में एक बहू को मिलती है, इतने सालो से घर को संवारती है, हर छोटी छोटी चिज का ध्यान वो रखती है,
सुबह की रोटी शाम की चाय इतनी भीड़ में भी अकेले सब काम निपटा लेती है, खिडकी का वो परदा सोफ़े से तो कभी बिस्तर की चादर से मैच कर के घर को हजारो रंगो में सजाने की कोशिश करती है,
सब नियम कानून एक स्कूल के रूटीन के जैसे वक्त गुजरता जाता हैं, हर रोज नई नई आवाजे भी सुनती है, जब पूरे संगसार को एक नियम एक बंधन में जोड़ कर अपनी मुठी में कैद करती है, शाम को मेरे घर आना जलेबी या गोलगप्पे खिलाने की सोचती है तो पड़ोसी को ऐसे न्यौता देती है,
तभी घर में खुशियां और बढ़ाने की कोशिश में एक बेटी की रूप में बहू ले आती है, फिर से कुछ नियम कुछ बदलाव से शुरू होती है, क्यू के हर संग्सार को अपनी मन मुताबिक हर औरत अलग अलग तारिके से चलाती है।
एक बेटी वियाह होकर ससुराल आती है उसे हर कदम उसकी मां याद आती है। मेरी मां ने तो सब्जी में मिर्ची ज्यादा डाली , मुझे करेला पसंद नहीं, मेरी मां ने तो भिंडी में भी अल्लू डाली थी, लेकिन सास को ये सब बात कहा पता थी, और इधर ननद भी ससुराल में सही से नहीं घुल मिल पा रही थी, एक ही घर में दो कदम और 2 आवाजे, लेकिन शिकायते एक ही हो रही थी। दोनो माए अपनी बेटी की जिंदगी सुलझाने में लगी हुई थी,
पूरा दिन हम जान जान बोल के पति से सास की शिकायत हजार करते, लेकिन ये क्यों भूल जाते हैं जिस जान ने जान बुलाने के लिए एक बेटा पैदा किया है, वो सास ही तो हमारी असली मां होती है, इतने सालो से हर छोटी छोटी चिज वो पुराने गेहने वो शादी की साडिया और भी ना जाने कितनी चिजे बस अपनी बहू को देने के लिए ही संभल के रखती है, हर अच्छी चिज अपनी बेटी से भी छुपा के रखती है। तो सास कैसे या क्यू आख़िर बदनाम होती है।
चलो न आज सास की पसंद की साड़ी पहनते हैं, पति तो हर रोज घुमाने ले जाते हैं। आज सास बहू साथ मिल्कर पार्लर कुछ खरीदारी तो आते वक्त गोलगप्पे भी खाते हैं,
कभी सास रोटी बनाए तो क्यों ना बहू भी खाना परोसे इसमे इतना भी क्या वक्त लगता है।
पति तो सुबह ऑफिस जाने के बाद एक सास या बहू ही घर में अकीली होती है, कभी सास छोटी छोटी बाते अनदेखा करे तो कभी बहू भी अनसुना करदे तो उसमें भी क्या जाता है। हर सोच में बुराई होती है, तो क्यों ना हम सोच को ही बदल देते हैं।
एक ही आंगन कदम दो, ये रिवाज तो सालो से चला आ रहा है, आज हम बहू तो सास भी कभी बहू होती है, और एक दिन हम भी सास के रूप में ही मिलते हैं, एक बेटी की कितनी सारी रूप होती है। कभी बेटी कभी मां कभी सास,
लेकिन ये सोचा कभी हर किसी के पैर बस दो ही होते हैं, और एक पैर ना हो तो हम पूरी तरह से लाचार या अधूरे होते हैं। ये कदम हमे हजारो सिख अच्छे,बुरे की पहचान हमारे भविष्य की और ले जाती है।
चलो न एक कदम हमारी तो एक कदम सास के साथ मिलकर उन्गली पकर के चलते हैं। तू-तू मैं मैं में भी ये आंगन हमारी ही है, इसमे खुशबु हर बेटी, हर मां , हर सास की होती है, सब की अलग जिस्म नहीं होती है, बस रूप अलग अलग होता है,
क्यों के सास भी कभी बहू और सास भी सहेली होती है,.
लेखिका मरियम रामला
श्रेणी:
— आपको यह ब्लॉग पोस्ट भी प्रेरक लग सकता है।
नए ब्लॉग पोस्ट
26-06-2025
डिप्रेशन में जा रहे हैं।
डिप्रेशन में जा रहे हैं। पांच क्लास में पढ़ते थे, उसी समय हम दिल दे चुके सनम का पोस्टर देखा, अजय देवगन हाथ में बंदूक लेके दांत चिहारले था, मुंह खूने खून था, हम समझे बड़ी मार धाड़ वाला सनिमा होगा। स्कूल से भाग कॉपी पैंट में लुका के तुरंत सिनेमा हॉल भागे।
Read More05-06-2025
सनातन धर्म में कर्म आधारित जन्म जीवन का अतीत भविष्य।
अक्सर गाँव में मैंने अपने बाल्य काल में देखा है अनुभव किया है वास्तविकता का अंवेषण किया है जिसके परिणाम मैंने पाया कि ज़ब कोई जातक (बच्चा ) जन्म लेता है तो सबसे पहले माता को उसके स्वर सुनने कि जिज्ञासा होती है नवजात ज़ब रुदन करता है तो माँ के साथ परिजन..
Read More05-06-2025
सनातन धर्म में धर्म कर्म के आधर पर अतीत एवं भविष्य काया कर्म का ज्ञान।
सनातन धर्म के मूल सिद्धांतो में धर्म क़ो जीवन के लिए अति महत्वपूर्ण मानते हुए मान दंड एवं नियमों क़ो ख्याखित करते हुए स्पष्ट किया गया है जिसके अनुसार...
Read More17-05-2025
हाय हाय बिजली
हाय हाय बिजली।। सर ई का है ? दिखाई नहीं दे रहा है, ई पसीना है, ई पसीना घबराहट में नहीं निकला है, न ही किसी के डर से निकला है, फौलाद वाला शरबत पीने से भी नहीं निकला है, ई निकला है गर्मी से, और अगर बिजली रहती तो ई देह में ही सुख जाता लेकिन पंद्रह से बीस
Read More11-05-2025
आदर्श व्यक्तित्व के धनी नरसिंह बहादुर चंद।
युग मे समाज समय काल कि गति के अनुसार चलती रहती है पीछे मुड़ कर नहीं देखती है और नित्य निरंतर चलती जाती है साथ ही साथ अपने अतीत के प्रमाण प्रसंग परिणाम क़ो व्यख्या निष्कर्ष एवं प्रेरणा हेतु छोड़ती जाती...
Read More23-04-2025
घटते जीवांश से खेतों को खतरा।
जैसे कि कृषि विकास दर में स्थिरता की खबरें आ रहीं हैं। यह चिन्ता का विषय है। तमाम आधुनिक तकनीक व उर्वरकों के प्रयोग के बावजूद यह स्थिरता विज्ञान जगत को नये सिरे से सोचने के लिए बाध्य कर रही है। अभी तक हमारी नीतियां तेज गति से बढ़ती जनसंख्या को भोजन देने..
Read More