ब्लॉग प्रेषक: | दिव्यांजली वर्मा |
पद/पेशा: | लेखिका |
प्रेषण दिनांक: | 23-01-2023 |
उम्र: | 27 |
पता: | शिव नगर कॉलोनी, पहाडग़ंज, फैजाबाद, अयोध्या, उत्तर प्रदेश, 224001 |
मोबाइल नंबर: | 8417935207 |
बिटिया की शादी
रामू एक गरीब किसान था। किसी तरह किसानी करके अपने बाल बच्चों का पेट पाल रहा था। लेकिन खेती से सिर्फ उनका पेट भर जाता मगर बाकी की जरूरत पूरी नहीं हो पा रही थी। और कभी कभी तो जब सूखा पड़ जाता तो उसकी फसल खराब हो जाती थी। तब तो और भी ख़राब हालात होते थे क्योंकि तब घर मे खाने को भी कुछ नहीं होता था। और सबको भूखे पेट ही सोना पड़ता था। किसी से अनाज उधार लिया जा सकता था लेकिन उसका उधार चुकाने के लिए ना ही रामू के पास अनाज था और ना पैसे।
एसे मे ही रामू के चार बच्चों मे सबसे बड़ी लड़की लाली जवान हो रही थी। रामू को उसकी शादी की चिंता भी सताने लगी थी। क्योंकि अगर समय पर लड़की के हाथ पीले ना कराए तो फिर क्यूँ करेगा उससे शादी। गांव मे तो लड़कियों के 16 साल की होते ही घर वालों को उसकी शादी की चिंता सताने लगती है और 18 साल की होते होते कोई अच्छा लड़का देख के उसकी शादी कर देते है। अगर इससे ज्यादा उम्र हो जाए और शादी ना हो तो गांव वाले तरह तरह की बाते बनाने लगते है। फिर बाद मे कोई लड़का मिलता भी नहीं है। इसलिए रामू भी चाहता था कि समय रहते लाली की शादी कर दे।
लेकिन इस दहेज लोभी समाज में ये इतना आसान नहीं था। क्योंकि कोई भी बिना दहेज के शादी करने को तैयार नहीं था। अगर कोई तैयार हो भी जाता तो वो रामू से उसका खेत मांगता। जिसे रामू दे नहीं सकता था। क्योंकि उसके पास बस वहीं एक कमाने का और अपने बच्चों के पेट पालने का जरिया था। अगर रामू वो भी दे देता तो उसके भूखों मरने के दिन आ जाते।
इसी तरह दिन बीतते रहे। लाली की उम्र भी बढ़ती रही और उसी के साथ रामू की चिंता भी बढ़ती रही। इसी चिंता मे एक रात जब रामू सोया तो उसने एक सपना देखा कि भगवान कृष्ण उसके सपने मे उसके घर आए है। मगर उस waqt रामू के घर मे ना खाने को अन्न था ना बैठने को कुर्सी। फिर भी रामू ने भगवान कृष्ण को अपने घर मे बुलाया और अपने ग़मछे से एक जगह की जमीन साफ की और गमछा झार के भगवान कृष्ण को वहा बैठने को कहा। भगवान कृष्ण उसकी आवभगत देख के बड़े खुश हुए। फिर रामू जल्दी से भाग के पड़ोसी के घर गया और उसने कुछ चीनी मांग लाया। और भगवान को चीनी और पानी दिया। भगवान कृष्ण रामू की इस खातिरदारी से बहुत प्रसन्न हुए।
सब खा पी लेने के बाद भगवान कृष्ण ने रामू से कहा,
रामू मैं तुम्हारी खातिरदारी से प्रसन्न हुआ हू।इसलिए मैं तुम्हें कुछ देना चाहता हू। बताओ तुम्हारी क्या चाहत है ? तुम्हें क्या चाहिए?
तो रामू बड़े प्यार से हाथ जोड़ के भगवान कृष्ण से कहता है, भगवान मेरी बस इतनी सी चाह है कि मेरी बेटी लाली की शादी हो जाए। और मेरी बेटी के जैसे ही इस गांव की दूसरी बेटियों की शादी भी हो जाए।
तो क्या इस गांव मे लड़कियों की शादी नहीं हो पा रही है?
हो पा रही है भगवान। लेकिन जो अच्छा दहेज दे रहा है केवल उसी की शादी हो पा रही है।
तो ये बात है। ठीक है रामू आज से 10 दिन बाद एक अच्छे लडके का रिश्ता तुम्हारे घर आएगा। तुम उस लडके से अपनी बेटी की शादी कर देना। और दहेज की जगह नव जोड़े को यही चीनी दे देना। दोनों हमेशा खुश रहेगे। और गांव की बाकी लड़कियों की शादी भी जल्दी ही बिना दहेज दिए हो जाएगी। इतना कह के भगवान कृष्ण गायब हो गए ।
जब रामू सुबह सो के उठा तो उसने सोचा कि ये बस एक सपना था। और सपना समझ के वो सब कुछ भूल गया। लेकिन 10 दिन बाद सच मे एक अच्छे लडके का रिश्ता लाली के लिए आया। जिससे रामू को भगवान कृष्ण की सपने वालीं बात याद आई। रामू ने अपनी बेटी की शादी उस लडके से तय कर दी। वो लोग भी बिना दहेज लिए शादी करने को तैयार हो गए।
रामू ने धूमधाम से अपनी बेटी लाली की शादी की। फिर उसे याद आया कि भगवान ने कहा था नव जोड़े को चीनी दे देना। लेकिन वो तो सपना था। अब रामू को चिंता सताने लगी कि चीनी कहा से लाए। तो भगवान कृष्ण फिर से उसके सपने मे आए और बोले, रामू तुम्हारे खेत मे एक घड़े मे पोटली रखी है। उस पोटली मे जो चीनी है वो नव जोड़े को दे देना। रामू सुबह उठते ही अपने खेत गया। वहां सच मे एक घड़े मे पोटली थी। रामू पोटली लेके अपने घर आ जाता है ।और जब वो अपनी बेटी लाली को विदा करने लगता है तो उसे वो चीनी भेट देता है।
इस तरह रामू की अपनी बेटी लाली की शादी करने की चाहत पूरी होती है। और भगवान कृष्ण की कृपा से गांव की दूसरी लड़कियों की शादी भी बिना दहेज दिए हो जाती है
दिव्यांजली वर्मा
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