ब्लॉग प्रेषक: | नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर |
पद/पेशा: | सेवा निबृत्त प्रचार्य |
प्रेषण दिनांक: | 14-02-2023 |
उम्र: | 60 वर्ष |
पता: | C-159 Divya Nager Colony Post-Khorabaar Gorakhpur-273010 utter pradesh |
मोबाइल नंबर: | 9889621993 |
चाल कदमो की आहट एव ज्योतिष विज्ञान का सच
कदमों की आहट और भविष्य
ज्योतिष विज्ञान कि सच्चाई
प्राणियों की अनगिनत प्रजातियों में सिर्फ मनुष्य ही एक मात्र ऐसा प्राणि है जिसमें सेंस मतलब सोचने, समझने अनुभव अनुभूति कि क्षमता है जो उसमें संवेदना कि जागृति करती है जिसके कारण वह अन्वेषी एव जगरूक प्राणि है एवं उसमें किसी भी विषय वस्तु को जानने खोजने की जिज्ञासा सदैव जीवन्त रहती है यही कारण कि मनुष्य अपने भविष्य वर्तमान के प्रति सजग एव खोजी होता है और यही प्रबृत्ति ज्योतिष विज्ञान का आधार है।
मनुष्य कि जिज्ञासा ब्रह्म ब्रह्माण्ड के रहस्यों को जानने एव समझने में सदैव लगी रहती है जिसके कारण वह निरंतर अभ्यास करता रहता है ।
मनुष्य की खोजी जिज्ञासु प्रवृत्ति का ही परिणाम ब्रह्मांड के रहस्यों का परत दर परत खुलता रहस्य है अब विस्मय नही अपितु उसके ज्ञान कि पहुंच का विषय है जिसके कारण चंद्रमा एव मंगल तक वह पहुँच चुका है ।
ज्योतिष विज्ञान भी स्थूल शरीर के मनुष्य कि संवेदना के शुख दुख वर्तमान भविष्य की विवेचना वास्तविकता है।
स्थूल शरीर में कि संवेदना है स्वांस धड़कन कि अनुभूति का केंद्र उसे विज्ञान प्राण ऊर्जा कहती है तो मानवीय संस्कृति संस्कार उसके सिद्धांत आत्मा कहती है जिसे ईश्वरीय अवधारणा के सार तत्व की स्वीकार्यता मान्यता प्राप्त है।
ईश्वर एवं आत्मा एक ही है जो सृष्टि कि शाश्वत निरंतरता कि परम्परा प्रकृति प्रवृति का महत्पूर्ण एवं अभिभाज्य हिस्सा है जिसके अंतर्मन एवं वाह्य प्रकृति प्रवृति का बोध समय काल कि निरंतरता में उसे अपने जन्म जीवन के मध्य कि यात्रा में उत्सव उपलब्धियों के लिए प्रेरित करती है ।
सृष्टिगत जीवन एवं जन्म मृत्यु फिर जन्म के कर्मवाद सिद्धांत कि आवश्यकता है जिस स्थूल शरीर के सुख दुःख कि पूर्व जानकारी के लिए मनुष्य सदैव प्रयास रत रहता है जिसका भारतीय सैद्धांतिक आधार उसके जन्म का समय है जिससे ज्योतिष गणना कि जाती हैं।
दूसरा महत्पूर्ण आधार हस्त रेखाएं है जो मानव स्थूल शरीर का अनिवार्य अहम बनता विगड़ता हिस्सा है बनते विगड़ते हस्त रेखाओं को मनुष्य के वर्तमान भविष्य कि गणना का आधार बनाया जा सकता है जो स्थाई नहीं रहता तो क्यों नहीं मानव स्थूल शरीर कि संरचना, स्वर, पद चाप को उसके भविष्य के निर्धारण का आधार है।
विज्ञान हस्ताक्षर अंगूठे के निशान अंक विज्ञान आदि अनेकों आधार पर मानव के वर्तमान भविष्य कि गणना का आधार बनाया है ।
भारतीय ज्योतिष पद्धति में जन्म समय के साथ ग्रह नक्षत्रों की स्थिति को मानव के भविष्य कि गणना का आधार माना जाता है जो बहुत हद तक प्रासंगिक एवं आस्था विश्वास का आधार है।।
कुछ दिन पूर्व मेरे एक मित्र उपाध्याय चेतन ने मुझसे कहा कि ज्योतिष गणना कि आपकी अवधारणा मनोविज्ञान है जो साधारण से साधारण व्यक्ति कि योग्यता है ।
मै आपने मित्र के प्रश्न का उत्तर इस लेख के माध्यम से देना चाहूंगा मनोविज्ञान किसी भी प्राणी के अंतर्मन में निहित प्रवृत्तियों के रहस्य को जानने मांपने का विज्ञान है ना कि उसके भविष्य निर्धारण कि संभावना का आधार मुझे विश्वास है मेरे मित्र के प्रश्न का उत्तर प्राप्त हो चुका होगा।
जब भी किसी परिवार में किसी नए सदस्य का आगमन होता है या जातक जन्म लेता है तो जातक का पिता या परिवार यह जानना चाहता है कि जातक या नए सदस्य का आगमन परिवार समाज बंधु बांधव के लिए शुभ विकासोन्मुख है या नही यह भी कहा जाता है कि आने वाले पग शुभ है या नही नेत्र विहीन प्राणि किसी के पद चाप को सुन कर स्प्ष्ट उसके विषय में सही अनुमान लगा लेते है आने वाले के विषय मे यह एक प्रकृति सम्मत विज्ञान भी है और ज्योतिष का शसक्त आधार भी है जिसको मूल मानकर ज्योतिषीय भविष्यवाणी कि जा सकती है जो सौ प्रतिशत सही होगी।
किसी भी व्यक्ति के चलने के यानी उसके कदमो कि अविनि पर गति उसके स्थूल शरीर के पूर्वजन्माजित कर्मो एव भौतिक जीवन के कर्मो आधारित भविष्य की सटीक भविष्यवाणी कर सकता है जो पूर्ण रूप से सत्य होगी।
महिलाओं के विषय मे अक्सर कई युक्तियाँ उनके अवनी पर गति के आधार पर प्रयोग कि जाती है जैसे नागिन जैसे चाल ,हिरनी जैसी चाल ,हस्तिनी जैसी चाल ,शेरनी जैसी चाल जो उनके व्यक्तित्व कि व्यख्या एव पूर्वजन्माजित कर्मो के आधार पर प्राप्त भौतिक जीवन एव स्थूल शरीर के वर्तमान कर्माजीत भविष्य के निधार्रण कि ही युक्तियां है ।
इसी प्रकार पुरुषों के विषय मे प्रचिलित है मर्दों जैसी चाल ,शेर जैसी चाल,गर्दभ चाल ,बाज़ जैसी चाल आदि आदि।
ज्योतिष के इसी विषय कि गम्भीरता को मैं यथार्थ में प्रामाणिक रूप में प्रस्तुत कर रहा हूँ।
पुरुष ---
1-यदि कोई जातक बचपन मे जब चलना सीखता है और उसके दोनों घुटने आपस मे टकराते है तो उसके जीवन मे संघर्षों कि एक लंबी श्रृंखला से गुजरना पड़ेगा सफल व्यक्तित्व एव शिखर कि सफलता में बाधाएं उसका पीछा नही छोड़ेंगी और वह नियति से हार मान लेगा यही उसका भविष्य होगा।
यही बालक जब बड़ा होगा तब उसके और जब समाज राष्ट्र का महत्वपूर्ण अंग बनेगा तो अपनी असफलताओं के लिये नियत एव भगवान को दोष देता रहेगा।
2-जब किसी चातक द्वारा चलना प्रारम्भ किया जाता है और उसके पग स्प्ष्ट पड़ते है उसके पद गति में उसके स्वयं के स्थूल शरीर द्वारा कोई बाधा नही उतपन्न कि जाती बहुत स्प्ष्ट है कि उसके दोनों घुटने आपस मे टकराते ना हो तो निश्चय ही वह जातक आत्म विश्वास ,साहस एव सफलता के नए सोपान रचेगा उसके कर्म अनुकरणीय एव मार्ग दर्शक होंगे संघर्ष भी उसका विजयी मुल्यों के लिए होगा और वांछित सफलता के लिए यही जातक सौभशाली एव रचनात्मक व्यक्तित्व होगा।
3-वैसे तो प्रत्येक जातक जब चलना सीखता है तो धीरे धीरे ही पग अवनी पर रखता है मगर ज्यो ज्यो वह बड़ा होता है उसके पग कि गति परवर्तीत होने लगती है कुछ कि गति मध्यम ना तेज ना धीमा कुछ धीमा,कुछ की गति तेज होती है जो उनके भविष्य के निर्धारण का स्प्ष्ट आधार है।
जिन व्यक्तियों के पग चाप मध्यम होते है वे लोग अत्यधिक सोच विचार करने वाले और जोखिम संघर्षों से भयभीत रहने वाले जो मील जाय उसमें संतुष्ट रहने वाले होते है।
4-जिसके पद छाप औसतन धीमी होती है वे चिंतनशील दार्शनिक एव आध्यात्मिक सुख कि अभिलाषा के व्यक्ति जीवन को नए आयाम परिभाषा देने का प्रायास जीवन पर्यन्त करते रहते है किसी भी जिम्मेदारी का निर्वहन बड़े ही विवेक एव शौम्यता पूर्वक करते है एव किसी भी क्षेत्र में जिसको वे चुनते वक्त शिखरम होते है या शिखरतम के प्रेरण श्रोत होते है ऐसे व्यक्ति या जातक जन्म ही कम लेते है।
5-क्योंकि उनके पूर्वजन्माजित संस्कार उनको पुनः जीवन मृत्यु के बंधन में जाने से प्रतिरोध करते है।
6-जिन व्यक्तियों के पग चाप कि गति बहुत तेज होती है उनमें दो प्रकार के व्यक्ति होते है एक बनावट में सामान्य से अधिक लंबे उनके पग भी सामान्य से तेज होंते है जो भविष्य गणना के आधार नही होते क्योकि वह स्वाभाविक गति होती है औसत कद काठी के व्यक्ति कि गति यदि तेज है तो वह अपने आप मे विलक्षण एव उत्कृष्ट भविष्य का स्वामी होता है और एक नए कीर्तिमान को स्थापित करने वाला होता है यदि आप इसे समझना चाहे तो मैं आपके समक्ष दो उदाहरण जिसके साक्ष्य आपको आपके आस पास ही मिल जाएंगे महात्मा गांधी जी अजान बाहु थे और लंबे तेज चलते थे लंबे होने के कारण उनके पग चाप लंबे थे मगर अजान बाहु उनके व्यक्तित्व कि ज्योतिषीय वास्तविकता थी जो उनके शारिरिक बनावट का महत्वपूर्ण हिस्सा थी।
दूसरा लाल बहादुर शास्त्री जी छोटे कद के बहुत तेज चलने वाले।
नारी --
1-जो बलिक मंद गति से चलती हो उसका भविष्य शुखमय होगा लेकिन जोखिमो से भरपूर होगा इसी को हस्तिनी पग चाप कहते है ।
2-जिनकी गति मध्यम या सामान्य होती है उनके भविष्य में दुविधा,संदेह ,क्लेश ,सुख ,दुख का नियमित सांचार होता रहता हैं एव उनमें धैर्य ,सहनशीलता एव मर्यादाओं कि संस्कृति एव उनके वर्तमान कि स्थिति उन्हें जीवन भर शसंकित रखती है।
3-जिस नारी के अवनी पर पग के साथ साथ उनके शरीर की भाव भंगिमाएं बदलती रहती है उनका भविष्य बहुत आकर्षक एव औरों के लिये प्रेरणा दायक होता है इस प्रकार कि नारी वास्तव में नारी गरिमा महिमा होती है या तो वह संगीत,कला ,साहित्य ,राजनीति या किसी भी क्षेत्र में एक विशेष स्थान प्राप्त करती है और प्रेरक होती है।
4-यदि किसी नारी के पग चाप ना अधिक गतिमान हो ना अधिक धीमा निश्चय रूप से आप औसत चाल कह सकते है इस प्रकार कि नारी मान्यताओं,के सीमाओं बंधन में सुख दुख कि कल्पना अपने भाग्य को किसी भी अन्य शक्ति के समन्वय के साथ परिभाषित करती है और अपने भाग्य या नियति को विधि का विधान मान लेती है एवं परिस्थितियों में संतुष्ट रहने कि विवशता को स्वीकार करती है।
5- पुरुष हो या नारी यदि अवनी पर उसके पैर बिल्कुल सपाट पड़ते हो या निशान बनाते हो तो पुरुष वह पुरुष धार्मिक मान्यताओं का संत या समाज का आदेश होता है और वह समाज के भाग्य भविष्य के निर्माण का युग पुरुष होता है भगवान वामन एवं भगवान श्री कृष्ण के पद छाप ऐसे ही थे अंतर सिर्फ इतना है कि भगवान श्री कृष्ण के पद में चक्र एवं मत्स्य तथा भगवान वामन के पग में मत्स्य के आकृतियां थी जो पग चाप छाप में परिलक्षित होती थी।
नारी के पग यदि सपाट है तो दरिद्रता दुःख पीड़ा एवं असमंजस के जीवन भविष्य का सूचक है।
मैंने पुरुष नारी जातक के पद चाप जो अविनि पर पड़ते है जो उसके भविष्य एव कर्म के मूल परिभाषक है कि ज्योतिषीय याथार्त के परिपेक्ष प्रस्तुत किया है जो एक वास्तविकता के सत्त्यार्थ का ज्योतिष विज्ञान का महत्वपूर्ण अविभाज्य अंग है।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।
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