इक्कीसवीं सदी और भारत

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ब्लॉग प्रेषक: नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
पद/पेशा: सेवा निवृत प्रचार्य
प्रेषण दिनांक: 17-02-2023
उम्र: 60 वर्ष
पता: C-159 Divya Nager Colony Post-Khorabaar Gorakhpur-273010 utter pradesh
मोबाइल नंबर: 9889621993

इक्कीसवीं सदी और भारत

इक्कीसवीं सदी भारत कि चुनौतियां एव विश्वास --

       विषय वस्तु ---सदी ईस्वी सन के सौ वर्षों को सदी, दस वर्षों को दशक कहते है वर्तमान में इक्कीसवीं सदी के बाईसवें वर्ष का शुभारंभ है एक वर्ष में तीन सौ पैसठ दिन एव बारह माह होते है इसी तरह एक हज़ार दो सौ महीनों, चार लाख अड़तीस हज़ार दिन एव दस करोड़  इक्यावन लाख दो हाज़ार घण्टो छ सौ घण्टे तीस करोड़ सात लाख बीस हज़ार मिनटों का लेखा जोखा सम्पूर्ण विश्व ब्रह्मांड या किसी राष्ट्र विशेष के लिये बहुत महत्वपूर्ण एव उसके भविष्य के लिये प्रासंगिक प्रेरणा प्रदान करता एव घटित संभावित जोखिमों से सजग करता है जो सदी की उपलब्धि होती है जहां तक भारत का संदर्भ है बीसवीं सदी में स्वतंत्र हुआ जिसकी लड़ाई उन्नीसवीं सदी में शुरू हुई थी नब्बे वर्षों के  अनवरत संघर्ष त्यागो बलिदानों का परिणाम आज़ादी साथ ही साथ आर्थिक सुदृढ़ीकरण के लिये बैंकों का राष्ट्रीयकरण मिश्रित अर्थव्यवस्था को अंगीकार करते विकास के पग पर आगे बढ़ने के लिये का संकल्प मुख्य है।अन्तराष्ट्रीय स्तर पर उन्नीसवीं सदी इंग्लैंड की बीसवीं सदी अमेरिका की थी तो इक्कीसवीं सदी में चीन और भारत प्रबल दावेदार है।युवा ओज तेज एव दूरदृष्टि मजबूत इरादों के व्यक्तित्व स्वर्गीय राजीव गांधी जी ने भारत मे इक्कीसवीं सदी का आवाहन किया था जिसके दस वर्षों बाद दुर्भाग्यपूर्ण कारगिल के साथ बीसवीं सदी का समापन भारत के लिये इक्कीसवी सदी के लिये बहुत महत्वपूर्ण संदेश देता है।।

सांचार क्रांति--इक्कसवीं सदी के प्रारम्भ में ही भारत मे मोबाइल क्रांति आयी जिसे जन जन ने स्वीकार किया आज मोबाइल के कारण सांचार क्रांति  के साथ साथ सोसल मीडिया
सामाजिक सांचार माध्यमो का विकास हुआ एव भारत का आम जन जन इलेक्ट्रॉनिक माध्यमो के प्रति जगरूक हुआ लगभग हर हाथो में मोबाइल से भारत मे कहावत चरितार्थ हुआ कि दुनियां मेरी मुठ्ठी में क्योकी कही किसी भी विषय मे कोई भी जानकारी उपलब्ध कराने में मोबाइल ने बहुत सार्थक अहम भूमिका का निर्वहन किया है हर विकास के कुछ दुष्परिणाम भी होते है मोबाइल के संदर्भ में भी सच है कुछ युवा वर्ग इसके दुरपयोग से भटकता भी प्रतीत होता है।साथ ही साथ डिजीटल भारत के तरफ दृढ़ता पूर्वक भारत द्वारा कदम बढ़ाया जा रहा है जो इक्कीसवीं सदी के महत्वपूर्ण उपलब्धियों में शुमार होगा।।

आर्थिक क्षेत्र--आर्थिक क्षेत्र में भारत तूफानी गति से आगे बढ़ता जा रहा है विश्व मे प्रतिद्वंद्वी चीन बहुत आगे एव मजबूत होते हुये भी आर्थिक क्षेत्र में भारत के समक्ष कोई चुनौती
इक्कीसवीं सदी में प्रस्तुत कर सकने में सक्षम नही होगा आर्थिक सुधारो को सकारात्मकता से स्वीकार कर भारत ने जिस प्रकार की दृढ़ इच्छा शक्ति को सार्वजनिक किया है एव जन जन की स्वीकार्यता के आवाहन का सकारात्मता संवाद और स्वीकार्य अति महत्वपूर्ण है  निश्चय ही इक्कसवीं सदी में भारत मजबूत आर्थिक शक्ति के रूप स्थापित होगा अभी सकल घरेलु विकास दर लगभग सात प्रतिशत है जो आने वाले कुछ वर्षों में दस प्रतिशत से ऊपर होगी भारत की अर्थव्यवस्था पांच ट्रिलियन के आंकड़े को पार करती हुई होगी एव  डिजिटल ट्रांजेक्शन क्रिप्टो करेंसी और जन जन की आर्थिक जागरूकता भारत इक्कसवीं सदी में प्रमुख उपलधियो में शुमार होगी भारत के वित्तिय बाज़ार सुदृढ सक्षम होकर सम्पूर्ण विश्व मे एक आर्थिक विकास का मॉडल प्रस्तुत करेंगे।।

चिकित्सा क्षेत्र ---स्वास्थ एव चिकित्सा के क्षेत्र में भारत ने अभूतपूर्व प्रगति की है चिकित्सा क्षेत्र में शोध एव आविष्कार के लिये ठोस कदम उठाते हुये सार्थक परिणाम के साथ चिकित्सा एव स्वास्थ सेवाओ में अभूतपूर्व क्रांति आयी है चाहे ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन हो या शहरी दोनों स्तरों पर भारत द्वारा महत्वपूर्ण उपलब्धियों को हासिल किया है ।स्वस्थ सेवाओं में निवेश के आकर्षण से एक से बढ़कर एक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध है गरीबो के उपचार के लिये आयुष्मान योजना  के द्वारा पांच लाख तक कि चिकित्सा मुफ्त चिकित्सा सुविधा विकासशील  राष्ट्र की जनता के लिये महत्वपूर्ण स्वास्थ सुविधाओं को उपलब्ध कराने में सहायक है जो भारत मे इक्कसवीं सदी महत्वपूर्ण उपलब्धि है बीसवीं सदी में भारत मे आम जन को औसत आयु पैसठ वर्ष थी जो बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के कारण इक्कीसवीं सदी के पूर्वार्ध में ही औसत आयु सात्तर वर्ष है
इसके अलावा बच्चो के स्वस्थ महिलाओं एव प्रसूता के स्वस्थ सम्बंधित अनेक कारगर कार्यक्रम जारी है जो स्वस्थ राष्ट्री एव स्वच्छ राष्ट्र  की अवधारणा के आधारभूत यथार्थ है।।

आटोमोबाइल--आटोमोबाइल के क्षेत्र में भारत में क्रांतिकारी परिवर्तन आये है बीसवीं सदी में जहां आटोमोबाइल क्षेत्र सीमित था और सिर्फ धनाढ्य वर्ग की आवश्यकता में ही शुमार होने के कारण इसकी संभावनाएं बहुत कम थी और बाज़ार भी नगण्य था आज स्थिति विल्कुल अलग है आज भारत ऑटोमोबाइल का हब है तो बहुत बड़ा बाजार भी है अब लगभग पचास करोड़ से अधिक दोपहिया वाहन एव तीस करोड़ से अधिक के चार पहिया वाहन उपयोग करने वालो का बाज़ार है जो प्रति वर्ष बढ़ता जा रहा है जितने यहां चार पहिया वाहन स्वामी है उतनी आबादी विश्व के एक सौ पंचानवे देशों की जनसँख्या नही है ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में भारत ने क्रांतिकारी प्रगति की है एव नित्य प्रति दिन करता जा रहा है जिसके परिणाम स्वरूप विदेशी निवेशकों का प्रिय देश है जिसके कारण ऑटोमोबाइल क्षेत्र की बड़ी बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के भारत मे निवेश का शिलशिला जारी है
आटोमोबाइल की दुनियां में भारत विश्व मे प्रमुख होगा जो इक्कसवीं सदी की महत्वपूर्ण उपलब्धियो में होगा।।

तकनीकी क्षेत्र- इक्कीसवीं सदी में भारत ने तकनीकी क्षेत्र में मजबूती से कदम बढ़ाया हो चाहे तकनीकी शिक्षा हो या तकनीकी उत्पाद दोनों ही क्षेत्रो में आत्म निर्भरता की तरफ दृढ़ता पूर्वक आगे बढ़ता जा रहा है और कुछ विकसित राष्ट्रों को छोड़ कर तकनीकी ज्ञान और उत्पाद का निर्यात भी कर रहा है तकनीकी विकास एव अनुसंधान में अभूतपूर्व उपलब्धियों को हासिल करता भारत अब विश्व के अनेको राष्ट्रों के उपग्रह प्रेक्षेपित करता है तो बहुत से राष्ट्रों को रेल इंजन आदि का निर्यात करता है छोटे मझोले हवाई जहाज आदि का निर्माण अब बहुत ही सीमित क्षेत्र है जहाँ भारत को तकनीकी रूप से किसी पर निर्भर रहना हो समुद्री विज्ञान एव तकनीकी कृषि विज्ञान आदि का निर्यात भारत करता है निश्चित तौर पर भारत तकनीक रूप से सुदृढ एव मज़बूत राष्ट्र भारत मे होगा राष्ट्र इक्कसवीं सदी
में होगा।।

कृषि उत्पादन--कृषि उत्पादन के क्षेत्र में भारत ने बहुत नए आयाम स्थापित किये है हरित क्रांति ,श्वेत क्रांति , आदि के माध्यम से भारत मे खाद्यन्न उत्पादन में आत्म निर्भरता तो हासिल बहुत पहले ही कर लिया था अब खाद्यान्न निर्यात करने वालो राष्ट्रों की कतार में खड़ा जब भी विश्व मे कही खाद्यान्न समस्या आती है भारत आगे बढ़कर सहायता करता है कृषि से सम्बंधित उद्योगों का जाल सा बिछ रहा है कृषि में मधुमख्खी
पालन ,मत्स्यपालन,मुर्गी पालन ,बकरी पालन आदि अनेक योजनाओं को लागू कर अपने ग्रामीण क्षेत्रो की जनता को जागरूक एव आत्म निर्भर बनाने का शसक्त अभियान भारत के द्वारा चलाया जा रहा है दूध ,सब्जी एव फलों के उत्पादन के लिये नईतकनिक का विकास एव कृषि उत्पाद को
बाज़ार उपलब्ध कराकर उचित मूल्य और लागत के अनुपात में लाभ सुनिश्चित कर कृषि क्षेत्र में अद्भुत उपयोगी उपलब्धि हासिल कर रहा है यह उपलब्धियां इक्कीसवीं सदी के पूर्वार्थ की है इक्कसवीं सदी में दुग्ध उत्पादन ,एव कृषि उत्पादन में विश्व का सबसे शसक्त राष्ट्र होगा प्रतिद्वंद्वी चीन में कुल भूभाग के तीस प्रतिशत तक खेती सीमित है तो भारत मे उपलब्ध भूभाग का साठ से सत्तर प्रतिशत उपयोग कृषि या कृषि कार्यो के लिये किया जाता है और इसके बढने की संभावना है कृषि क्षेत्र में भारत इक्कसवीं सदी का नेतृत्व करेगा।।

शिक्षा --शिक्षा के क्षेत्र में भारत ने अभूतपूर्व प्रगति की है जहां बीसवीं सदी के अंत मे साक्षरता प्रतिशत साठ प्रतिशत थी जो अब बढ़कर उनहत्तर प्रतिशत हो चुकी है चाहे प्राइमरी शिक्षा हो ,मिडिल शिक्षा हो ,माध्यमिक शिक्षा हो मेडिकल या तकनीकी सभी स्तरों पर अभूतपूर्व सुविधओं का सृजन भारत द्वारा किया गया है जहां सिर्फ पांच भारतीय तकनीकी संथान थे आज सोलह है राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान में भी अभूतपूर्व बृद्धि साथ ही साथ तकनीकी शिक्षा में निवेश को आकर्षित कर तकनीकी शिक्षा में महत्वपूर्ण क्रांतिकारी कदम उठाया गया लगभग प्रत्येक तहसील में भारतीय औद्योगिक संस्थान,प्रत्येक जनपद में पॉलिटेक्निक कालेज एव लगभग प्रत्येक मंडल मुख्यालय पर इंजीनियरिंग कॉलेज उपलब्ध है इसी प्रकार मेडिकल शिक्षा के लिये हर जनपद में मेडिकल कालेज की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के दृढ़ संकल्प के अंतर्गत उत्तरप्रदेश जैसे घनी आबादी के राज्य में विगत वर्षों चालीस मेडिकल कालेज का खोला जाना साथ ही साथ अखिलभारतीय आयुर्विज्ञान संथानो की स्थापना इक्कीसवीं सदी में शिक्षा के क्षेत्र में भारत के बहुमुखी विकास का संकल्प है अनेको विश्वविद्यालय की स्थापना कृषि विश्वविद्यालय, आयुष विश्वविद्यालय ,खेल विश्वद्यालय किन्नर विश्वविद्यालय सारे दृढ़ संकल्प भारत को शिक्षा के हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में शुभ लक्षण एव परिणाम के प्रराक्रम के भारत को परिभाषित करता है।इसी प्रकार प्राथमिक शिक्षा के लिये मुक्त भोजन ड्रेस एव पुस्तकें उपलब्ध कराना साथ ही साथ इंटेमीडिए तक कि शिक्षा को लड़कियों के लिये मुफ्त उपलब्ध कराना अति महत्त्वपूर्ण एव ठोस कदम शिक्षित सबल सक्षम भारत की इक्कीसवीं सदी को परिलक्षित करता है जिसका शुभारंभ भारत द्वारा नई शिक्षा नीति लागू करके किया है।।

रक्षा क्षेत्र एव रक्षा उपकरण--रक्षा एक ऐसा संवेदनशील मुद्दा है जिसके क्षेत्र में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है छोटे मोटे हथियार पैराशूट को छोड़ कर अभी भी भारत को अपने रक्षा क्षेत्र में आयात पर ही निर्भर रहना पड़ता है अतः रक्षा क्षेत्र में बहुत कुछ किया जाना बाकी है आजादी के तुरंत बाद देश की आवश्यकता थी खाद्यान्न उत्पादन आत्म निर्भर बनाना जिसके चलते प्रथम पंचवर्षीय योजना से ही कृषि प्रधान योजनाओं कोप्राथमिकता पर लागू किया गया रक्षा क्षेत्र में बहुत अधिक ध्यान नही दिया जा सका जिसके चलते हिन्दू चीनी भाई भाई के धोखे के हथियारों से भारत जैसे शांतिप्रिय राष्ट्र शर्मसार हुआ और पंचशील की शीलता के तले रौंदा गया परिणाम स्वरूप रक्षा की कमियों ने भारत को अपनी रक्षा के लिये आंदोलित किया और तब भारत ने रक्षा क्षेत्र में गम्भीरता से कार्य करना शुरू किया अनेको योजनाओं एव कार्यक्रम लागू कर तेजी से आगे बढ़ना शुरू किया जिसके कारण सन आज भारत परमाणु संपन्न राष्ट्रों की अग्रिम पंक्ति में खड़ा है तो पृथ्वी, ब्रह्मोश, अग्नि, आकाश आदि अपनी स्वदेशी विकसित मिशाइल क्षमाता के साथ मजबूत स्थिति में है पनडुब्बियों के स्वदेशी निर्माण हल्के लड़ाकू विमान आदि के निर्माण क्षेत्र  में मजबूती से आगे बढ़ रहा है तो आज भी उंसे अपनी रक्षा जरूरतों के लिये आयात पर निर्भर रहना पड़ता है जिसके कारण बहुत बढ़ी धनराशि का व्यय रक्षा सामग्री के खरीदने पर व्यय होती है जो किसी भी विकाशील राष्ट्र के लिये चुनौती खड़ी करती है भारत द्वारा इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को सुनिश्चित करने के लिये अनेक ठोस कदम उठाए जा रहे है जिसमे डी आर डी ओ की अहम भूमिका है भारत द्वारा अंतरिक्ष अनुसंधान में तो अनेको आयाम स्थापित किये गए है और किये जा रहे है जिसमे मंगल अभियान चंद्रयान आदि अभियान के साथ साथ उपग्रहों का नियमित प्रक्षेपण सम्मिलित है लेकिन रक्षा अनुसंधान एव रक्षा क्षेत्र में आत्म निर्भरता बहुत महत्वपूर्ण उपलब्धि इक्कीसवीं सदी के भारत के लिये होगी जिसके लिये भारत द्वारा रक्षा उपकरणों के उत्पादन हेतु रक्षा गलियारों की स्थापना की प्रक्रिया जोर शोर से शुरु की गई है निश्चय ही इक्कीसवीं सदी के मध्यान्ह तक रक्षा उपकरणों के बड़े नियातको में सम्मिलित होगा।।

इक्कीसवीं सदी में भारत की चुनौतियां----

जनसँख्या--भारत के लिये इक्कीस सदी की सबसे बड़ी चुनौती क्योंकि  समूर्ण विश्व की कुल आबादी सात सौ पचास करोड़ में लगभग पैंतीस प्रतिशत आबादी सिर्फ चीन एव भारत मे बसती है जिसमें भारत की आबादी एक सौ अड़तीस करोड़ है जो चीन की कुल जनसँख्या से अंतर मात्र चार पांच करोड़ का ही है  चीन ने अपनी जनसंख्या पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया है जबकि भारत मे यह एक विकराल समस्या इसलिये है क्योकि भारत की सामाजिक संरचना में विविधता एव धार्मिक सामाजिक रूढ़ वादिता कारण है कोई समाज आज भी प्रजनन को खुदा की देन कह कर आज स्वय का परिहास करता है उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध में स्वर्गीय संजय गांधी ने पांच सूत्रीय कार्यक्रम प्रस्तुत किया था जो तब भी प्रासंगिक एव महत्वपूर्ण था और आज भी प्रासंगिक है । भारत मे जन्म दर सत्रह सौ प्रति मिनट एव मृत्यु दर एक हज़ार प्रति मिनट है सात सौ व्यक्तिअतिरिक्त बोझ स्वरूप भारत की आबादी पर बोझ बनते है राष्ट्र के सिमित संसाधन और उस पर बढ़ाता बोझ भारत के  इक्कीसवीं सदी के लिये बहुत बड़ा विषय चिंता का है और इसका निवारण करना भारत की जिम्म्मेदारी है समान नागरिक संघीता भारत की अनिवार्यता एव उसके विकास के लिये अत्यंत आवश्यक है जो उसके इक्कीसवीं सदी में विश्व नेतृत्व की सक्षमता क्षमता के लिये संजीवनी है अतःजन संख्या नियंत्रण भारत के लिये आवश्यक ही नही उसके अस्तित्व की एव पहचान से जुड़ा हुआ है जिसे इक्कसवीं सदी में सार्थकता की दिशा देनी ही होगी अन्यथा सभी प्रयासों पर पानी फिर सकता है जनसंख्या धीरे धीरे एक विस्फोटक स्थिति के परिणाम को अग्रसर है जिसके परिणाम शुभ कत्तई नही होने वाले अतः इक्कीसवी सदी में जनसंख्या नियंत्रण ही विकास एव आत्मनिर्भरता के मापदंडों को परिभाषित करेगा।।

गरीबी--भारत मे गरीबी भुखमरी की समस्या इक्कीसवीं सदी में लगभग समाप्त हो जाएगी जिसमें महत्वपूर्ण प्रायास जन मानस को स्वय करना होगा दो प्रमुख कारण है जो नकारात्मकता  को जन्म दे रहे है जो ठीक उस मिठाई की तरह है जिसका स्वाद अच्छा लगता है मगर होते जान लेवा है उसी प्रकार दो जहर है इस राष्ट्र में एक सब्सिडी दूसरा मुक्त जीवन   की आवश्यकता मुहैय्या होना हालांकि की दोनों ही कही ना कही वर्तमान राजनीतिक लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनीतिक पार्टियों के आत्मघाती निर्णय प्रतिस्पर्धा की राजनीतिक शैली है जो भारत के आम जन युवाओ को अकर्मण्य बनाता है एक तो फ्री राशन, फ्री घर ,फ्री शिक्षा ,फ्री चिकित्सा आदि आदि जिसका बोझ उन वर्गों पर पड़ता है जो कर्मठ पुतिषार्थी है साथ ही साथ मुफ्त एक नशे के जीवन शैली के रूप में विकसित हो रहा है जो घातक भी है और भयानक भी इसी तरह कर्ज़ माफी एक ऐसा राजनीतिक हथियार है जो देश को गरीबी के दल दल की तरफ ढकेलता है इक्कसवीं सदी में भारत को गरीबी उन्मूलन के लिये गम्भीरता से प्रायास करने होंगे जिसके लिये सकारात्मक ऊर्जावान स्वाभिमानी आत्मनिर्भर समाज की संरचना करनी होगी ,सब्सिडी को जहां तक सम्भव हो समाप्त करना होगा ,जन संख्या नियंत्रण को कड़ाई से लागू करना होगा यही रास्ते है जिस पर चल कर विकसित देशों ने आर्थिक सामाजिक आत्म निर्भरता सक्षमता और शक्ति प्राप्त की है भारत को अदूरदर्शी और लोकलुभावन और शासकीय प्रशासकीय भय भ्रष्टाचार की परंपरागत प्रकियाओं एव राजनीति से मुक्त होना इक्कीसवीं सदी की प्राथमिकता होगी यदि स्वय राजनीति एव राजनीति द्वारा  इसे नही अपनाया गया तो जन मानस स्वय इसे लागू कर देगा तभी भारत से गरीबी को जड़ से समाप्त किया जा सकता है नही तो गरीबी नही समाप्त होगी आर्थिक असमानता बढ़ेगी और देश अक्षम अकर्मण्यता के समाज के नेतृत्व का पंगु राष्ट्र के खतरों की तरफ बढ़ता जाएगा जो इक्कसवीं सदी की प्रमुख चुनौतियों में सम्मितल है।।

बेरोजगारी--भारत की कुल आबादी एक सौ अड़तीस करोड़ की साठ प्रतिशत आबादी नवजवानों की है  जिसकी सत्रह प्रतिशत आबादी अठारह से पच्चीस वर्ष की एव चालीस प्रतिशत बाकी आबादी तीस से पैंतीस वर्ष की है जिनके लिये रोजगार उपलब्ध कराना एक समस्या है जबकि संसाधन सीमित है ऐसे में इक्कसवीं सदी में बेरोजगारी से  निपटना एक समस्या होगी भारत मे नौकरियों की अद्यतन स्थिति या क्षमता सरकारी गैर सरकारी कुल मिलाकर दस से बारह करोड़ की है जिसमे चार से पांच करोड़ की क्षमता सरकारी क्षेत्रो की है जबकि पांच से छः करोड़ की संभावना प्राइवेट सेक्टर में है जबकि बेरोगार की संख्या में बेहताशा बृद्धि हो रही है  आज लग्भग बीस करोड़ युवा रोजगार की तलाश में प्रतिदिन सुबह निकलते है एव शाम निराश होकर स्वय की किस्मत सरकारी व्यवस्था को कोसते है ऐसे में रोजगार का सृजन और नए अवसर उपलब्ध कराना इक्कीसवीं सदी के भारत के लिये एक समस्या होगी जिसके लिये एक मात्र कारगर विकल्प के रूप में स्वरोजगार को प्रोत्साहित करना एव अवसर उपलब्ध कराना होगा ।जबकी भारतीय युवा जोखिमो से बचना चाहता है और सुरक्षित भविष्य के रोजगार के प्रति ही ज्यादा तार्किक एव जागरूक है ऐसे में रोजगार परक शिक्षा ही नवयुवकों में स्व रोजगार के प्रति सतर्कता एव सकारात्मकता का संदेश दे सकती है जो इक्कीसवीं सदी के भारत की अति आवश्यक आवश्यकता है एव बेरोजगारी का विकल्प भी है ।नई शिक्षा नीति में कई सुधारात्मक कदम उठाए गए है जिसके परिणाम इक्कीसवीं सदी के मध्य से परिलक्षित होंगे इस बीच रोजगार उपलब्ध कराने हेतु ठोस एव सार्थक परिणाम परक दृढ़ता की आवश्यकता इक्कसवीं सदी की चुनौतियों में सम्मिलित है।।

पर्यावरण--इक्कीसवीं सदी की मुख्य समस्या मे प्रमुख समस्या पर्यावरण की बढ़ती चिंता भी होगी विकास की अंधाधुंध दौड़ और पर्यावरण के मध्य संतुलन की आवश्यकता इक्कीसवीं सदी की प्रमुखता होगी जल जीवन वन जीवन पर  इक्कीसवीं सदी की प्राथमिकता  में सम्मिलित है क्योकि पर्यावरण प्रदुषण एक ऐसी समस्या है जिसके कारण पूरा बातावरण ही दूषित हो रहा है जिसके कारण पृथ्वी पर प्राकृतिक संतुलन ही गड़बड़ा रहा है मौसम ऋतुओ की चाल चरित्र में परिवर्तन हो रहा है ग्लेशियर पिघल रहे है भू जल समाप्त होते जा रहे है और प्राकृतिक आपदा जैसे भूकम्प बाढ़ सुनामी एव तूफान आसाशीय बिजली प्रत्येक वर्ष लाखो जिंदगियों  को अकाल काल के गाल में निगलता जाता है और बचाव एव राहत कार्यो पुननिर्माण का बोझ बढ़ता है साथ ही साथ तरह तरह की नई बीमारियों की भी संभावना बनी रहती है जिसके लिये आवश्यक है कि इक्कसवीं सदी में पर्यावरण एव प्रदूषण एक प्रमुख क्षेत्र होगा जहां बेहद गम्भीरता से कार्य करते हुए संतुलित विकास के सिद्धांत को स्वीकार करते हुये प्रकृति को संरक्षित करते हुये वन क्षेत्रों एव विलुप्त हो रहे वन्य प्राणियों का संरक्षण साथ ही साथ जल संरक्षण को की प्राथमिकता होगी पूर्व प्रधान मंत्री एव मशहूर राजनेता भारत के प्रधान मंत्री ने इराक अमेरिका के युद्ध के समय कहा था कि वह दिन दूर नही की जल के लिये जंग लड़े जाएंगे। समाप्त होते प्राकृतिक संसाधनों में जल प्रमुख है जो प्राणि के प्राण एव जीवन से सीधे जुड़ा है अतः स्वच्छ नदियां हरे भरे प्रकृति ही प्राणि का आधार है वायु प्रदूषण चिंताजनक स्थिति में है बड़े शहरों जैसे दिल्ली लखनऊ में रहने वाले लोंगो को सांस लेने में दिक्कतें आती है जिसे सिर्फ और सिर्फ पर्यावरण के संतुलन से ही नियंत्रित किया जा सकता है अतः इक्कसवीं सदी में पर्यावरण एव प्रदूषण एक अति संवेदनशील एव महत्वपूर्ण विषय होगा जिसे समाधान के मार्ग पर लाना आवश्यक होगा जो इक्कीसवीं सदी का प्रमुख एजेंडा होगा।।

कोरोना--इक्कीसवीं सदी के दूसरे दशक के अंत मे कोरोना की त्रदासि से सम्पूर्ण मानवता एव विश्व को सकते में  ला खड़ा किया है कोरोना के कारण भारत मे करोङो लोंगों का संक्रमित होना एव लाखो लोगो का मरना अंसतुलित होती प्रकृति के प्रकोप का जैविक हथियार है या मानवीय भूल का  जैविक हथियार जो भी है इसके प्रकोप भयाक्रान्त समूर्ण विश्व अभी नही नही उबर सका है हर स्तर पर इसके समाधान के प्रयास के वावजूद अभी तक कोई स्थायी समाधान नही निकल सका है सिर्फ कोरोना की दो लहरों में जन जीवन ठहर गया था उद्योग धंधों के पहिये रुक गया था और आर्थिक मोर्चे पर बहुत हानि उठानी पड़ी थी तो इसके रोकथाम लिये अरबो रुपये व्यय करने पड़े साथ ही साथ कोरोना के कारण रुकी आद्योगिक गतिविधियों के पुनर्चलन पर अरबो व्यय करने पड़े जिसके कारण परंपरागत विकास की गति सीमित होकर धीमी पड़ गयी कोरोना के वैरिएंट डेल्टा और ओमिक्रोम के भय से भारत मे बहुत गमम्भीरता से सकारात्मक दृढ़ कदम उठाये जा रहे है जिसके कारण निश्चित ही विकास की गति प्रभावित होने की संभावना है
इस प्रकार के प्राकृतिक या देव या मानव जनित प्रकोप ना आये और यदि आ ही जाए तो उसके निपटने के में दक्षता हासिल करना इक्कीसवीं सदी का मुख्य मुद्दा होगा जिसका हल खोजना ही होगा क्योकि कोरोना का कहर इक्कसवीं सदी में विश्व एव मानवता को बहुत कुछ सीखा गया।।

नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर, गोरखपुर उत्तर प्रदेश भारत

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