हाय कैसी किस्मत!

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ब्लॉग प्रेषक: दिव्यांजली वर्मा
पद/पेशा: लेखिका
प्रेषण दिनांक: 20-02-2023
उम्र: 27
पता: फैजाबाद, अयोध्या, उत्तर प्रदेश, 224001
मोबाइल नंबर: 8417935207

हाय कैसी किस्मत!

जनमी तो वो भी माँ की कोख से थी

पिता की गोद उसका राज सिंहासन था
भाई की राजकुमारी थी वो
बड़ी बहनो का सर पर स्नेहिल आचल था
बड़ी दुलारी थी सबकी प्यारी थी
एक पल भी आँखों से ओझल नहीं होने देता कोई
एक दिन इस राजकुमारी को ब्याह ले गया एक राजकुमार
हीरे मोती से कर दिया उसके हर अंग का सिंगार
इतराती, शर्माती, बलखाती वो करने लगी खुद से प्यार
लेकिन कैसे है ये विडंबना भी
राज रानी को नौक रानी बनने मे देर ना लगी
फूटी इसी किस्मत की महल से सड़क पर आ पडी
रंग बिरंगे कपड़ों मे जो सजी रहती थी
अब एक फटी धोती मे जी रही
अन्नपूर्णा की देवी अब अन्न के कण कण को तरस रही
चेहरे से वो कांति वो तेज भी ना जाने कहां खो गया
लटकती झुर्रियों मे यौवन उसका सो गया
जो हाथ सिर्फ दान देने को उठा करते थे कभी
अब हाय किस्मत कैसी, मांगते है खाने को
समय का फ़ेर है या किस्मत का खेल
महल से सड़क पर आने मे लगती नहीं देर

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