प्रसव के बाद रक्त आना, कारण और इलाज

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ब्लॉग प्रेषक: शबनम खातून
पद/पेशा: General Nursing and Midwifery
प्रेषण दिनांक: 15-04-2023
उम्र: 25
पता: Chainpur, Palamu, Jharkhand
मोबाइल नंबर: 6200038525

प्रसव के बाद रक्त आना, कारण और इलाज

प्रसव के बाद खून के थक्‍के आने के लक्षण, कारण और इलाज

प्रसव के बाद यूट्राइन लाइनिंग के गिरने की वजह से ब्‍लीडिंग होती है। अगर नॉर्मल डिलीवरी हुई है जो जन्‍म नलिका के ऊतकों के क्षतिग्रस्‍त होने की वजह से ब्‍लीडिंग हो सकती है। जो खून प्रसव के तुरंत बाद नहीं निकलता है वो खून के थक्‍के के रूप में शरीर से बाहर आ सकता है। कभी-कभी ये थक्‍के डिलीवरी के तुरंत बाद भी आ सकते हैं।

वैसे तो प्रेग्‍नेंसी के बाद खून के थक्‍के बनना सामान्‍य आत है लेकिन बहुत ज्‍यादा ब्‍लड क्‍लॉट होना या खून के थक्‍के बड़े आना चिंता का विषय हो सकता है। आइए जानते हैं डिलीवरी के बाद खून के थक्‍के आने के कारण, लक्षण और इलाज के बारे में।

 खून के थक्‍के आने के सामान्‍य लक्षण

खून के थक्‍के जैली की तरह होते हैं। इनमें म्‍यूकस या ऊतक भी हो सकते हैं और ये गोल्‍फ की गेंद जितने बड़े भी हो सकते हैं। डिलीवरी के बाद हर हफ्ते खून के थक्‍के आने और ब्‍लीडिंग की मात्रा बदल सकती है। जानिए कि डिलीवरी के तुरंत बाद और उसके बाद के हफ्तों में ब्‍लीडिंग कैसे होती है।

पहले 24 घंटे : इस समय हैवी ब्‍लीडिंग होती है और खून गाढ़ा लाल रंग का होता है। इस दौरान हर एक घंटे में सैनिटरी पैड बदलने की जरूरत होती है। इस समय आपको टमाटर जितने बड़े या अंगूर जितने छोटे एक या दो खून के थक्‍के आ सकते हैं।

डिलीवरी के 2 से 6 दिन बाद: अब खून निकलना धीमा हो जाना चाहिए। इस समय खून गाढ़े भूरे या गुलाबी लाल रंग का होता है। अभी भी छोटे खून के थक्‍के आ सकते हैं।

प्रसव के 7 से 10 दिन बाद: ब्‍लीडिंग का रंग गुलाबी लाल या हल्‍का भूरा हो सकता है। पीरियड के पहले 6 दिनों के मुकाबले ब्‍लीडिंग हल्‍की होगी। अब आपको रोज पैड लगाने की जरूरत नहीं होनी चाहिए।

प्रसव के 11 से 14 दिन के बाद : अब डिस्‍चार्ज हल्‍के रंग का होगा। डिलीवरी के बाद के पहले 10 दिनों के मुकाबले अब ब्‍लीडिंग कम ही होनी चाहिए।

डिलीवरी के 3 से 4 हफ्ते के बाद : इस समय तक खून आना बहुत कम हो जाता है। हालांकि आपको भूरे या हल्‍के लाल रंग के खून जैसा डिस्‍चार्ज हो सकता है। कभी-कभी इन हफ्तों में ब्‍ल‍ीडिंग बिलकुल बंद हो जाएगी। आपको दोबारा पीरियड भी आ सकते हैं।

डिलीवरी के 5 से 6 हफ्ते बाद: आमतौर पर डिलीवरी के पांच से 6 हफ्ते के बाद ब्‍लीडिंग रुक रजाएगी। हालांकि, इस दौरान कभी-कभी भूरा, लाल या पीले रंग के खून के धब्‍बे दिख सकते हैं।

डिलीवरी के बाद के हफ्तों के दौरान सुबह के समय, दूध पिलाने के बाद और एक्‍सरसाइज करने के बाद अक्‍सर ब्‍लीडिंग हो सकती है।

डॉक्‍टर को कब दिखाएं

डिलीवरी के बद खून के थक्‍के आने के साथ आपको कुछ ऐसे लक्षण भी महसूस हो सकते हैं जिनके बारे में तुरंत डॉक्‍टर से सलाह लेनी पड़े।

डिलीवरी के तीसरे दिन के बाद भूरे लाल रंग का खून आना

सांस लेने में दिक्‍कत

100.4 डिग्री फारेनहाइट से ज्‍यादा बुखार होना

वजाइनल डिस्‍चार्ज से बदबू आना

पेरिनियम या पेट में टांकों का अलग होना

तेज सिरदर्द

बेसुध होना

एक घंटे में एक से ज्‍यादा सैनिटरी पैड इस्‍तेमाल करना

डिलीवरी के 24 घंटे बाद बहुत बड़े खून के थक्‍के आना

 डिलीवरी के बाद खून के थक्‍के आने का इलाज

अगर आपको बहुत ज्‍यादा ब्‍लीडिंग या खून के थक्‍के आ रहे हैं तो डॉक्‍टर अल्‍ट्रासाउंड के जरिए इस बात की जांच करेंगें कि कहीं प्‍लेसेंटा के टुकड़े तो अंदर नहीं रह गए हैं। प्‍लेसेंटा से गर्भावस्‍था के दौरान शिशु को पोषण मिलता है।

अगर छोटा-सा टुकड़ा भी प्‍लेसेंटा का अंदर रह जाए तो गर्भाशय ठीक तरह से अपने सामान्‍य आकार में नहीं आ सकता है। इसकी वजह से लगातार ब्‍लीडिंग होती रहेगी।

इसके लिए डाइलेशन एंड क्‍यूरेटेज यानी डीएंडसी करवानी पड़ेगी। इसमें गर्भाशय से प्‍लेसेंटा के टुकड़ों को निकाला जाता है।

वहीं, यूट्राइन एटोनी की वजह से भी डिलीवरी के बाद लगातार ब्‍लीडिंग हो सकती है। इसमें प्लेसेंटा से जुड़ी रक्त वाहिकाओं पर गर्भाशय सिकुड़ने में नाकाम रहता है। ये ब्‍लीडिंग इकट्ठा होकर खून के थक्‍कों का रूप ले सकती है।

इसमें गर्भाशय काे सिकोड़ने और ब्‍लीडिंग को कम करने के लिए ऑपरेशन और कुछ दवाओं की जरूरत होती है।

डिलीवरी के बाद ब्‍लीडिंग होने से कैसे बचें

खूब पानी पिएं और मल को पतला करने वाले आहार खाएं। इससे टांकों को कोई नुकसान पहुंचने का खतरा कम हो जाएगा।

डिलीवरी के बाद डॉक्‍टर द्वारा बताई गई सभी बातों का ध्‍यान रखें। बहुत ज्‍यादा एक्टिव रहने का असर ब्‍लीडिंग और रिकवरी पर पड़ सकता है।

लेटते और बैठते समय पैरों को ऊंचा रखें।

ब्‍लीडिंग रोकने और संक्रमण के खतरे को कम करने के लिए टांकों को हाथ न लगाएं और बार-बार हाथों को धोती रहें।

गर्भावस्‍था ही नहीं बल्कि बच्‍चे के जन्‍म के बाद भी महिलाओं को कई तरह की समस्‍याएं आती हैं जिनमें से एक खून के थक्‍के बनना भी है। इसका इलाज भी मौजूद है इसलिए आपको ज्‍यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है।

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