
ब्लॉग प्रेषक: | डॉ आर सी यादव |
पद/पेशा: | शिक्षक/ लेखक/ कवि/ मोटीवेशनल स्पीकर/ फ्रीलांस जर्नलिस्ट |
प्रेषण दिनांक: | 01-05-2023 |
उम्र: | 48 |
पता: | डोभी, केराकत, जौनपुर, यूपी |
मोबाइल नंबर: | 9818488852 |
तुम मजदूर हो
फटे पुराने कपड़ों से लिपटे तन
निकल पड़ते हो गेह से ।
छल-कपट से दूर तुम
हो कर्मरत तुम देह से ।।
बांध सिर पगड़ी फटी, बेबस -दुखी - मजबूर हो ।
तुम मजदूर हो ।।
मन विकल, काया शिथिल
आंखें उम्मीदों से भरी ।
दो वक्त की रोटी मिले
दुविधा यही सबसे बड़ी ।।
बन प्रजा सेवक सदा,निभाते सदा दस्तूर हो ।
तुम मजदूर हो ।।
दर-बदर हो तुम भटकते
कुछ कार्य की तलाश में ।
कर्म से जो धन मिले
जीवन कटे उल्लास से ।।
श्रमशक्ति ही पूजा सदा, फिर भी नहीं मगरूर हो ।
तुम मजदूर हो ।।
भूख से आंतें सिकुड़ती
देह ज्यों कंकाल सी ।
ज्योति आंखों की घटी
दिल से निकलती आह सी ।।
देख मस्तक की व्यथा , निरीह सी तस्वीर हो ।
तुम मजदूर हो ।।
कर्म जल से सींचकर
जग में सदा खुशियां बिखेरे।
ग्रीष्म की भीषण तपिश
या शीत की रैना घनेरे ।।
परमार्थ बन, परकाज हित,रचते सदा तदबीर हो ।
तुम मजदूर हो ।।
बेधकर धरती का सीना
भाग्य की रेखा बनाते ।
तोड़ चट्टानों की बाहें
मरूभूमि में नदियां बहाते।।
फौलाद से टकराए जो,खल के लिए शमशीर हो।
तुम मजदूर हो।।
है तुम्हारे भाग्य में क्या ?
खुद नहीं विधि को पता है ।
पर तुम्हारे कर्म से
रोशन सदा सारा जहां है ।।
दूसरों के घर तराशे
पर्णकुटी अपनी सजाते ।
धन-धान्य से पर घर भरे
तुम स्वयं निर्धन ही कहाते ।।
विघ्न-बाधा में अडिग , तुम देश की तकदीर हो ।
तुम मजदूर हो ।।
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