| ब्लॉग प्रेषक: | अमृता विश्वकर्मा |
| पद/पेशा: | साहित्यकार |
| प्रेषण दिनांक: | 05-10-2023 |
| उम्र: | 24 |
| पता: | सिलाओ, नालन्दा |
| मोबाइल नंबर: | *********** |
थक गई हूं।
थक गई हूं।
लड़की हूं इस अपराध की सजा भुगतते-भुगतते,
जमाने के ताने सुनते-सुनते,
थक गई हूं।
अपने लक्ष्य के लिए लड़ते,
उसे पूरा करते।
थक गई हूं।
अपनी निर्दोषिता प्रमाणित करते-करते।
अपनी सफाई देते देते।
थक गई हूं।
अपने परिवार के लिए लड़ते-लड़ते।
उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी करते-करते।
थक गई हूं।
पारिवारिक कलह से।
शादी के लिए सबके ताने सुनते-सुनते।
थक गई हूं।
जिम्मेदारियों को निभाते।
जिमेदारियों के लिए अपने शौक को मारते-मारते।
थक गई हूं।
लोगों से डरते-डरते।
समाज से लड़ते-लड़ते।
थक गई हूं।
अपनी असहनीय पीड़ा सहते-सहते।
उस असाध्य रोग को सहन करते-करते।
थक गई हूं।
ईश्वर से अपनी मृत्यु की कामना करते-करते
पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक,शैक्षिक,
शारीरिक परिस्थितियों से लड़ते-लड़ते।
थक गई हूं।
दूसरों की खुशी के लिए ,
अपनी खुशी का त्याग करते करते।
थक गई हूं।
सांसों की आने जाने के क्रम से।
अब करना चाहती हूं मैं आराम,
जिससे की कभी मुझे कोई थकान न हो,
क्योंकि थक गई हूं।
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