जहां जैसा माहौल, वहां वैसा ही बोल।

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ब्लॉग प्रेषक: डॉ. अभिषेक कुमार
पद/पेशा: साहित्यकार, प्रकृति प्रेमी व विचारक
प्रेषण दिनांक: 08-11-2023
उम्र: 34
पता: ठेकमा, आजमगढ़, उत्तर प्रदेश
मोबाइल नंबर: +91 9472351693

जहां जैसा माहौल, वहां वैसा ही बोल।

माननीय श्री नीतीश कुमार जी के चरणों में समर्पित आलेख

©आलेख: डॉ. अभिषेक कुमार

     यह मिथ्या नहीं हो सकता की जहां जैसा माहौल, वहां वैसा बोल नहीं होगा..? यह सत्य है की बिहार के वायुमंडल में भोजपुरी अश्लील गाने और फिल्मों का घना कोहरा छाया हुआ है। हमने हाल ही में हिंदी, भोजपुरी सिनेजगत में व्याप्त अश्लीलता पर एक आलेख लिखा था जिसका शीर्षक था "अश्लील गाने और फिल्मों का होड़, समाज के लिए कोढ़।" जिसमें अश्लीलता के प्रभावों को विस्तार से उल्लेखित किया था। मैं व्यक्तिगत तौर पर किसी व्यक्ति विशेष को आलोचना/निंदा करना पसंद नहीं करता और न ही इस लेख के माध्यम से किसी को निंदा करना हमारा कोई मकसद है। परंतु बिहार विधान सभा के शीतकालीन सत्र में दिनांक 07/11/2023 को माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी के द्वारा भरी सदन में जनसंख्या नियंत्रण पर दिए गए बयान को सुन कर स्तब्ध और हैरान रह गया की आखिर किसी राज्य के माननीय राजा जो पिछले 18 सालो से वहां की संवैधानिक गद्दी पर बैठा हो और वह किस प्रकार के सार्वजनिक असभ्य सेक्स ज्ञान दे रहा है..! अचानक उनकी वक्तव्य सुन कर किसी एकांत कमरे में बैठा मैं अकेले शर्मसार हो गया। वहां मौजूद सदन में महिलाओं के क्या हाल हुआ होगा..? सभी महिला पुरुष प्राथमिक दृष्टया में जरूर अचंभित और शर्मा गए होंगें।

श्री नीतीश कुमार जी के बयान नीचे दिए गए लिंक पर दृष्टव्य है।👇 
https://fb.watch/oaKeSUD1qF/?mibextid=Nif5oz

https://www.facebook.com/nalandareporter/videos/353575080661095/?mibextid=Nif5oz

एक पुरानी प्रचलित अवधारणा है- जहां जैसा माहौल होता है वहां के अधिकांश लोग उसी के अनुरूप आचरण करने लगते हैं अथवा वैसे हो जाते हैं। इस लिए अभिभावक अपने नन्हें बच्चों को किसी अच्छे माहौल में विकसित करने के लिए प्रयत्नशील रहते हैं। भोजपुरी, हिंदी अश्लील गाने, तथा फिल्म जगत में खुलेआम बेहद अश्लीलता का प्रचंड लहर से जहां पूरा देश अछूता नहीं है वहीं बिहार के राजधानी पटना जहां मुख्य मंत्री, समस्त मंत्रिमंडल का नित्य निवास है वह भला कैसे अछूता हो सकता है। सभी भोजपुरी अश्लील, पोर्न स्टारों का बसेरा तो पटना में ही है। अधिकांश ऐसे भोजपुरी सिनेजगत के कुकलाकारो का पैदायसी स्थान पटना के आस पास जिले से ही है। पटना समेत बिहार के अधिकांश घरों में तथा जनमानस में भोजपुरी कुकलाकारों के अश्लील भद्दी गाने बड़े सौख से तथा ऊंचे डीजे आवाज में भी सुने जाते हैं जिसका यह आलम है की यहां कोई भी गायक सबसे गंदे से गंदे अश्लील गाने से हीट होकर फिल्म अभिनेता बनता है और जनता का खूब दुलार प्यार पाता है ऐसा उसका विश्वास है तथा जिससे वह उत्तरोत्तर दिन दूनी रात चौगनी तरक्की करता है यह कोई किसी से छुपा नहीं है। यथा स्थिति यह है की गांव, शहर, कस्बे प्रतिष्ठानों पर दिन रात अश्लील गाने सुने जाते हैं और देखें जाते हैं जिसके प्रभाव से पूरे गुलशिता, पूरे चमन में कामदेव का अंगड़ाई भरा बादल छाया रहता है। हद तो तब हो गई जब कामदेव का सुरूर बिहार के माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी के माथे चढ़ बोलने लगा। उन्होंने जिन शब्दों में जनसंख्या नियंत्रण हेतु सुझाव सुझाया वह इतना विचित्र विश्लेषण है की उसे कलमबद्ध करने में मुझे शर्म आएगा, वह मैं नहीं कर सकता। ऊपर दिए गए लिंक में आप खुद सुन लें। हद तो तब हो गई जब उनके वक्तव्य को ओजस्वी तेजस्वी बिहार के माननीय उपमुख्यमंत्री जी ने भी समर्थन किया और सराहा। क्या बिहार वासियों को यही अब सुनना बाकी रह गया था..? आखिर यह किस प्रकार की विभत्स बयानबाज़ी है आप खुद अंदाजा लगा लें..? ऐसी आम धारणा होती है की बुजुर्ग सठिया जाते हैं और उलूल जुलुल बोलने लगते हैं। क्या श्री नीतीश कुमार जी सठिया गए हैं..? परंतु वे उम्र के आखरी पड़ाव पर होने के बावजूद भी राजगद्दी माननीय नीतीश कुमार जी छोड़ना नहीं चाहते चाहे कितनी बार दल बदल गठबंधन क्यों न करना पड़ जाए। क्यों न पलटू राम की उपाधि से विपक्ष नवाजे इसका कोई प्रभाव पड़ने वाला उनपर नहीं है। आखिर बेशर्मी के जो चादर ओढ़े हुए हैं। ऐसे बड़बोले अनाप-शनाप ज्ञान वाचने वाले माननीय श्री नीतीश कुमार जी नेताओं की श्रेणी में अकेले नहीं है ऐसे सैंकड़ों हजारों और भी नेतागण हैं। राजतांत्रिक व्यस्था के बाद पनपे प्रजातांत्रिक व्यवस्था के सर्वसम्मति से चुने हुए आदर्श प्रतिनिधियों के मुंह से इस प्रकार के ज्ञान सोभा देता है क्या..? कदापि नहीं..! जो लोग विकास की डींग हाक रहे हैं की विकास हमारे वजह से हुआ है वह नहीं जानते की विकास एक सतत प्रक्रिया है जो समय की मांग के अनुसार स्वत: उत्पन्न होने वाली पद्धति है और यह अनवरत चलता रहता है जो कभी रुकता नहीं। एक दिन इसी क्रमबद्ध विकास ने अपनी रफ्तार से चलते चलते इस स्थुल संसार का अंत और फिर उत्पन्न करता है।

यह बात कितनी सच्चाई है मुझे नहीं मालूम पर कुछ लोग यह भी आरोप लगाते रहें की माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी गांजे की नशा में धूत रहते हैं क्या यह गांजा की नशा का उत्प्रेरणा था की वे अद्भुत सेक्स ज्ञान वाच रहे थें या फिर अश्लील गाने फिल्मों का मंडराया वातावरण जहां उनके बुद्धि को चकरा दिया और मन कामदेव के वाणो से सीख लेकर जिव्हा को बेकाबू कर दिया वाचने को...। कुछ न कुछ तो जरूर है तभी माननीय श्री नीतीश कुमार जी जैसे सभ्य संस्कारित मर्यादित नेता का जुबान फिसला और ऐसे बयान दे दिया जो शर्मनाक करने वाला है। खैर जब अगले दिवस विपक्षी पार्टियों ने इस वक्तव्य के लिए कड़ा विरोध प्रदर्शन करना सुरु किया और कहा की ऐसा व्यक्ति बिहार के मुख्यमंत्री बने रहने लायक नहीं है तो उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ तो वे तुरंत बड़ी चतुराई से बिना कोई संकोच किए अपने उस दिए गए सेक्स ज्ञान वाली बयान के लिए बड़ी विनम्रता और आदरपूर्वक से पूरे सदन और बिहार के लोगो से माफी मांगी जो मनवोचित है। परंतु फिर भी पति पत्नी के निजी जीवन संबंध और सदन दोनो की अपनी अपनी मर्यादा है जिसे किसी भी व्यक्ति को पार नहीं करना चाहिए।

इस संदर्भ में पूर्व मुख्य मंत्री श्री जीतन राम मांझी जी का भी चौकाने वाला बड़ा बयान आया की मुख्य मंत्री की कुर्सी के लिए श्री नीतीश कुमार जी के भोजन में लंबे समय बाद धीमे धीमे असर करने वाले विषाक्त पदार्थ मिलाया जा रहा है जिसका प्रभाव नीतीश कुमार जी पर देखा जा सकता है। उन्होंने आगे कहा की महावीर चौधरी पर पुष्पांजलि न कर के उनके बेटे पर वह पुष्पांजलि कर दिया तथा विधान परिषद में अनुसूचित जातियों और महिलाओं पर भद्दी टिप्पणी कर डाली। अपने से बड़े उम्र के मांझी जी को तुम ताड़क,  तुच्छ वचनों से जिस प्रकार मांझी जी को बोला की तुमको हमने मुख्य मंत्री बनाया यह हमारी भूल थी वह किसी आदर्श और सूबे के मुखिया के मुख से सोभा नहीं देता। मांझी जी के प्रति दिए बयान में अहंकार स्पष्ट प्रदर्शित हो रहा था। वैसे श्री नीतीश कुमार जी को शायद मालूम नहीं की वे खुद किसी विशेष परिस्थिति और मजबूरी के कारण बिहार के मुख्यमंत्री के गद्दी पर लंबे समय से बैठें हैं।

वैसे पिछले कुछ दिनों से कहीं कही नीतीश जी के मुख से बोली हुई वाणी एक सटीक धारा प्रवाह में नहीं हो रही जिसका आरोप विपक्ष लगा रहा की मुख्य मंत्री की कुर्सी के खातिर यह सब षड्यंत्र हो रहा है। बहुत सारे इसे रसायन है जिनको यदि भोजन में मिला के दिया जाए तो व्यक्ति धीरे धीरे पागल या अन्यत्र विमारी से मौत हो सकता है। एक ऐसा ही मामला हमने किसी कहानी में पढ़ा था की एक महिला अपने यौन शोषक व्यक्ति को अपने नाखून काट कर उसे भून के पाउडर बना के उसके भोजन में मिला देती थी और उसे हर रोज बड़े प्रेम से खिलाती थी। समयोपरांत वह व्यक्ति साधारण तरीके से मर गया और कहीं कोई जांच में पता भी मौत का चल नहीं पाया बस उसके शरीर के धीरे धीरे अंग प्रत्यंग उपांग काम करना बंद कर दिए। विधान सभा सीट जीतने के आधार पर बिहार में राजद, भाजपा और जदयू ये तीन ही पार्टियां प्रमुख है जिसमे जदयू सबसे छोटा दल है अर्थात इनके विधायक इन दोनो पार्टियों से कम जीतते हैं। राजद और बीजेपी कभी एक साथ गठबंधन कर नहीं सकते इस लिए श्री नीतीश कुमार जी जिस ओर जाएं सत्ता की मलाई वही पार्टी खायेगी और फिर नीतीश कुमार को बड़े शौख से मुख्य मंत्री के कुर्सी पर कोई भी पार्टी बैठा देता है और यही क्रम पिछले 18 सालो से चल रहा है। श्री नीतीश कुमार जी इसी समीकरण पर बिहार के मुख्यमंत्री बनते चले आ रहे हैं और शायद जब तक जीवित रहें यह समीकरण बरकरार रहेगा कारण की कोई भी पार्टी यहां स्पष्ट जनादेश नहीं लाती। श्री जीतन राम मांझी जी का यह अनुमान गलत नहीं है की श्री नीतीश जी अपने उम्र के दृष्टिगत कुर्सी स्वेच्छा से छोड़ेंगे नहीं। पहले भी राजतांत्रिक प्रजातांत्रिक व्यस्था में इस प्रकार के षड्यंत्र होते रहे हैं यह कोई नया नहीं है। चूंकि राजसत्ता का भोग स्वर्ग भोग के समान होता है, इर्द गिर्द के लोगो की नजर हमेशा राजसत्ता की कुर्सी पर टिकी रहती है। श्री जीतन राम मांझी जी के बयान नीचे दिए गए लिंक पर सुने जा सकते हैं।👇

https://fb.watch/ogcb0mLrln/?mibextid=Nif5oz

जनप्रतिनिधियों को जीवन में धैर्यता, वाणी पर संयमता, जनकल्याणकारी कार्यों के लिए कुशलता और सदन में गंभीरता होना ही चाहिए इसमें कोई किंतु परंतु का सवाल नहीं है। 

इस प्रकरण में विधान सभा अध्यक्ष महोदय के भाव भंगिमा को देखा तो लगा की यह महामहिम तो पक्ष और विपक्ष दोनों को समान भाव से सुनने के लिए बैठें हैं परंतु वह सत्ता पक्ष का पक्ष ज्यादा ले रहे हैं और विपक्ष को नसीहत दे रहे हैं। चूंकि विधान सभा सदस्य सत्ता पक्ष द्वारा ही मनोनित या निर्वाचित किया जाता है तो उनकी भी मजबूरी है की सत्ता पक्ष को ज्यादा से ज्यादा सुना जाए। मेरे समझ से विधान सभा या लोक सभा के अध्यक्ष को सत्ता पक्ष और विपक्ष से अलग कोई विशिष्ट, ज्ञानवान, बुद्धिमान नैतीकधारी व्यक्ति को इस आसन पर आसीन करना चाहिए तभी वह स्वतंत्र रूप से पक्षरहित सवालों, उत्तरो को सुन सकता है तदनुसार कार्यवाही कर सकता है। अपने, अपनो का साथ देते रहे हैं यह रीति सदा से चलती आई है। स्वतंत्र मुक्त राजनैतिक पार्टीरहित विधान सभा/लोक सभा अध्यक्षों को चयन पर यदि संविधान में संशोधन करना भी पड़े तो महामहिम राष्ट्रपति महोदय/महोदया तथा केंद्र सरकार को इस पर विचार करना चाहिए।

जनता, नेताओं के जुमला और क्रियाकलापों से लगभग अब ऊब चुकी है। इस सृष्टि में कुछ भी बेलगाम नहीं है। सभी को नियंत्रित करने वाला कोई न कोई दृश्य/अदृश्य शक्ति मौजूद है। फर्क बस इतना ही है की प्रकृति अपने विधान को टूटने नहीं देती और इंसान अपने बनाए विधान को मद, मोह, लोभ, द्वेष, अहंकार और अज्ञानता में कई बार तोड़ देता है। असल में यही कारण एक दिन सुपर क्वांटम कंप्यूटर युक्त कृत्रिम बुद्धिमता प्रणाली को जन्म देगा तथा राजतंत्र और प्रजातंत्र से भिन्न एक नए तंत्र संगणकतंत्र का स्वत: विकास हो जायेगा और फिर आने वाली सरकारे इसी पर आधारित होगी। अर्थात देश के सभी विभागों कार्यालयों के प्रमुख प्रधान व्यक्ति के स्थान पर एक कृत्रिम बुद्धिमता का मशीनी मानव होगा जो मनुष्य अब तक अपने बल बुद्धि विवेक से हल करता आ रहा था अब वह एक पल में प्रोग्रामिंग के जरिए मनुष्य से बेहतर, सटीक और गुणवतापूर्वक हल कर के देगा।

बहरहाल जहां जैसा माहौल, वहां वैसा बोल हो ही जाता है यह सृष्टि के नियमों में से एक नियम है। वर्तमान बिहार के चमन में बेहद अश्लील गंदे, बेहूदे, शर्मनाक गाने का खुमार चढ़ा हुआ है। माननीय श्री नीतीश कुमार जी जैसे शख्त्ती से बिहार में शराब बंद कराया था उसी सख्ती से ठोस कानून लाकर अब तक गए गए कुल अश्लील गाने और फिल्माए गए अश्लील फिल्मों का जड़ से सोशल मीडिया और इंटरनेट से मिटाएं तभी आने वाला भविष्य सुखदाई और फलदाई हो सकता है। माननीय श्री  नीतीश कुमार जी को राजा परीक्षित और कलयुग प्रकरण से सीख लेना चाहिए कि राजा परीक्षित ने जब भीम भयंकर कालिकल को स्वर्ण में रहने को स्थान दिया तो वह कलयुग झट से उनके स्वर्ण जड़ित पहने हुए मुकुट पर सवार हो गया और उनके बुद्धि को भरमा के ऐसा कृत्य करा दिया जिसको राजा परीक्षित कभी सपने में भी सोच नहीं सकते थें और उससे सत्यानाश करा दिया। बड़ी कृपा सुकदेव जी की रही की उनको लगातार सात दिन तक श्रीमद्भागवत कथा सुना के राजा परीक्षित को मोक्ष के अधिकारी बनाया। ठीक उसी प्रकार माननीय श्री नीतीश कुमार जी अपने राज में बेहद अश्लील भोजपुरी गाने और फिल्मों को खुलेआम प्रदर्शन पर जो खुली छूट दे रखें है, उसपर त्वरित लगाम लगाए। अश्लीलता के स्वर वातावरण में गुंजन के प्रभाव से ही वह मर्यादित सदन में ऐसा सेक्स ज्ञान दे दिए जिससे उनकी खुब किरकिरी हुई। खैर जो हुआ सो हुआ और वे उस घटना के लिए माफी भी मांग चुके हैं जो नीचे दिए गए लिंक के माध्यम से देखा जा सकता है।👇

https://fb.watch/obc6yYMKfa/?mibextid=Nif5oz

भगवान माननीय श्री नीतीश कुमार जी को सद्बुद्धि दें, लंबी उम्र दे और उन्हें ख्याति दे। हमारा मकसद उनके निजीगत स्वैच्छिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना कतई नहीं है बस हृदय के कुछ उद्गार थें जो लेखक, विचारक होने के नाते अपने शब्दो में व्यक्त कर दिया। यदि उन्हें स्वयं या उनके किसी अनुयायियों, उनके किसी समर्थक, सहनेता को बुरा भी लगता  है तो हम हृदय से क्षमा प्रार्थी हैं।🙏

सबका मंगल, सबका भला

वसुधैव कुटुंबकम् 


राष्ट्र लेखक और भारत साहित्य रत्न उपाधि से विभूषित

डॉ. अभिषेक कुमार

मुख्य प्रबंध निदेशक

दिव्य प्रेरक कहानियाँ मानवता अनुसंधान केंद्र

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