समसामयिक दोहे

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ब्लॉग प्रेषक: नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
पद/पेशा: सेवा निवृत्त प्रचार्य
प्रेषण दिनांक: 28-04-2024
उम्र: 62 वर्ष
पता: गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल नंबर: 9889621993

समसामयिक दोहे

सदाबहार दोहे------

1-

षड्यंत्र कि बात नही कहते सब सत्य 

निर्भय प्रजा जन सत्यार्थ लोक तंत्र।।

2-

टांग खींचना परस्पर जन हित कि रार  

साथ खड़े मंच पर स्वांग प्रपंच कि  बात।।

3-

रैली रेला हुंकार बढ़ा चुनावी ताप

विजय मान मैदान में जैसे हो निःष्पाप।।

4-

जीवन जेल यात्रा अंतर ट्रॉयलअरु वेल 

जीवन बहुत झमेला भोगअरुकलेश।।

5-

कटता नही टिकट शांत चित्त न विवेक

दल दल बुल बुला जैसे शस्त्र अनेक।।

6-

हरियाली झूमती बाली शगुन सुगंध विशेष 

अविनि काया माया प्राणि जीवन खुशी अनेक।।

7-

लोलुपता निर्लज्जता सत्य सार्थक धार

घर जेल घालमेल सत्ता शासन हथियार।।

8-

लोलुपता निर्लज्जता सत्य सार्थक धार

घर जेल घालमेल सत्ता शासन हथियार।।

9-

बिंदिया चूड़ि कंगना एक दूजे का साथ

पतित पावनी पतन चलन चरित्र संघार।।

10-

कीच पुष्प में अंतर नही पैरों रौंदे जात

इत्र सुगंध दुर्गंध रंग बदरंग सब साथ।।

11-

देन लेन अपना नही देश राष्ट्र का दांव

वाह वाह कि चाह दिया सब गंवाया।।

12-

यश मिला नही नित जो था रहे गंवाए

पश्चातप नही लूट रहा सब हो रहे कंगाल ।।

13-

करनी भरनी सत्य नही भाग्य का खेल 

भाग्य भगवान सच करनी धरनी मेल।।

14-

आज अतीत भविष्य जैसे रेल 

करनी भरनी भाग्य सटीक बेमेल।। 

15-

कृपा दया नही चाहिए उचित सत्कार

ज्ञान योग बैराग्य तपस्या ही मान।।

16-

धन बैभव लक्ष्मी माया सब अंधकार 

सूरज सूर्य भी माया काया  उजियार।।

17-

सूर्योदय संध्या दिवस पल प्रहर प्रवाह 

नित निरंतर जग खेल है बेसुरा बेराग।।

18-

पर्व लोकतंत्र द्वेष द्वंद का भाव 

जनता जानती नेताओ का हाल।।

19-

देश प्रेम स्वांग है जन जानत सच  

पर्व लोकतंत्र का हो रहा बेअर्थ।।

20-

बृद्ध युवा असहाय जन जागरण राष्ट्र 

भाई बंद करो चोचले सत्य सार्थकबात ।।

21-

मत सम्मत से ही राष्ट्र समाज विकास

जनता जनार्दन ही लोक तंत्र की आस।।

22-

मोल मत है सहभाग के बोल 

सरकार आधार सुदृढ़ अनमोल।।

23-

निर्भय परख विचार इर्ष्या संसय त्याग  

निरपेक्ष सार्थकता जिम्मेदार समाज।।

24-

अर्थहीन अधिकार न हो कोई भी हो 

मत महत्वपूर्ण ऊपयोगी रहीम रमेश।।

25-

मतपत्र मत पेटिका बदल गया रूप

तकनीकी युग मे लापरवाही नही कबूल ।।

26-

मत सम्मत से ही राष्ट्र समाज विकास

जनता जनार्दन को लोक तंत्र की आस।।

27-

राष्ट्र समर्पित नेतृत्व बहुमत ताकत सारः

लोकतंत्र शक्ति जन कल्याण प्रभाव।।

28-

चिंतन सापेक्ष निष्ठा कार्य परिणाम 

जाती धर्म नही उचित निष्पक्ष व्यवहार।।

29-

पृथ्वी आकाश में ध्रुव तारे अनेक

अंत भय भ्रम का ज्ञान ऊर्जा प्रकाश।।

30-

ना कोई राज रंक सत महिमा उजियार

जीवन सदा उत्साह जन्म जीवन आधार।।

31-

सच्चा पवन ज्ञान जीवन बोध मार्ग

भक्ति का मधुपान सत ईश्वर गुणगान।।

32-

छल छद्म प्रपंच रूढ़िवादी का दंश

प्राणि में भेद भाव समय समाज बेरंग।।

33-

गुरु शिष्य परंपरा मार्ग ज्ञान बैराग्य

तमस का उजियार सतत शिष्य अनुराग।।

34-

देश विदेश में स्वीकार सच है भगवान

काल पल प्रहर बढ़ता ईश्वर सत्य सारः।।

35-

अनुनय अनुयायी ईश्वर का भान  

जान लिया जिसने युग कि पहचान।।

36-

सतगुरु कि कृपा ईश्वर स्वर वरदान

कर्म धर्म सच है कर्म करो निष्काम।।

37-

पाखंड प्रपंच का आडंबर ना हो साथ

आत्म साथ उपदेश वेद उपनिषद पुराण।।

38-

समानता युग सिद्धांत है द्वेष विद्वेष रार

शत्र शास्त्र ज्ञान है धर्म धैर्य मर्म समान।।

39-

प्राणि पराधीन नही आत्म बोध है एक

धर्म कहती नही मानव जाति अनेक।।

40-

पाप पान है मदिरा भय व्याधि मद्यपान

मदिरा पान जो करे डूबत मरत गजग्राह।।

41-

उत्साह अंतर्मन का बैराग्य ज्ञानप्रकाश 

ईश्वर सत्य जीवन मोल अनमोल भाव।।

42-

जीवन मे शुभ संयम अरु संकल्प

भक्ति भाव का सच दूषित दूषण व्यर्थ।।

43-

अद्भुत  अनमोल है जीवन का हर पल 

संवेदना साक्ष है आने वाला पल पल।।

44-

त्याग तप व्रत जीवन का अनुराग

विधि विधान का सच प्राणि प्राण समान।।

45-

प्रेरणा एक ज्योति है जन जन कासाथ

दीपक एक प्रेम का प्रशस्त मार्ग है आप।।

46-

टिकट मिला नही संसय बरकरार

वैद्य नुख्से स्वर्ग नरक का अस्पताल।। 

47-

जन्म राम का मर्यादा मूल्य संदेश

लाज आए नही नेता लूट रहे देश।।

48-

अपील दलील नही खारिज सब तर्क

आखिर काल समय क्षमा याचना व्यर्थ।।

49-

संकुचित सोच राह दम घुटता मरता

कथित व्यथित आचार फल कर्म भरता।।

50-

अल्प काल शिखर भाग्य कर्म सौभाग्य

निर्भय निश्चय जानिए चरित्र संस्कृति मार्ग।।

51-

ईटा पत्थर सब जोर शोर कि बात

लाठी डंडा आम खून खराबा का राज।।

52-

संवेदना क्या बात मछली मटन प्रदर्शन

मानव तन मन वेष हत्या नरभक्षी दर्शन।।

53-

मौसम नेता गिरगिट सम भाव के चाल

नैतिकता नही पल पल रंग बदलते भांड।।


54-

जनता फंस जाएगी वादे होंगे खाक

लोकतंत्र का पर्व अपना अपना दांव

55-

घर जेल में फर्क नही लोपतंत्र पड़ाव

पर्व प्रसन्न्ता बस सत्य सनातन प्रेम

56-

वर्षो का विवाद विजय राम का मर्म

सूर्य वंश हंस सूर्य तिलक का मान

57-

धन्य सकेतपुरी जय जय जय श्री राम

प्रथम चरण शुभ अंत चरण मोक्ष्य

58-

मत जनमत जन्म जीवन सोच

प्रभु को क्या जाने निसिचर उत्कोच 

69-

कल्पना सोच गरीब निवारण मंत्र

यथार्थ सत्य शून्य नियत निति कुसंग

60-

भोजन भाषण विवाद बात कुतर्क 

चीनी कि मिठास घातक मर्ज मवाद

61-

जन मत में हिस्सा मत प्रतिशत हद

बात हैरानी नही विजय मार्ग ही मद

62-

घोषणा कोरी लगे संकल्प लागत मीठ

अविश्वास विश्वास में सूक्ष्म रेखा है मीत

63-

संपत्ति वितरण विवरण दिवालिया सोच 

गोल माल सब जनता का धन नोच

64-

मत व्यर्थ नही दान सोच विचार

गलती से ना मिले दुर्दशा कि आंच।।

65-

दान का मोल नही योग्य को दान 

मत हर मूल्यवान जाना मत भूल।।

66-

अपने और पराए भेद भाव का अंत

निर्मल निश्चल मन मतदान विवेक

67-

हार जीत से परे मत न्याय निःस्वार्थ 

लोकतंत्र का पर्व है परम प्रशन्नता मर्म।।

68-

महायज्ञ कि आहुति अनुष्ठान मान

मतदान निष्पक्ष सम्पूर्ण प्रमाण।।

69-

सुनना है सबकी चुनना है मन की

प्रतिनिधि ऐसा बात सुने जन जन की।।

 70-

कर्म धर्म मे निपुण निश्छल निर्विकार

जन सेवा सत्कार ही उत्तम हो विचार।।

71-

अस्त्र शस्त्र का अंत मत शक्ति पर्याप्त 

जय पराजय का मत  समर्थ ही सारः।।

72-

परख ध्यान से तब मत दान

मत व्यर्थ नही महादान कल्याण।।

73-

चयन सही हो लालच भय स्वार्थ मुक्त 

निर्भय निर्विकार मत सुयोग्य के युक्त।।

74-

मूल्यवान मत है पात्र को ही दान

कुपात्र को मत शक्ति मत परिहास।।


75-

व्यस्तता बहुत मतदान प्रथम कार्य 

धर्म कार्य यह दान स्वंय पर उपकार।।

76-

भूल चुक माफ नही अनुष्ठान मतदान 

शक्ति जन मत हद हस्ती अभिमान।।

77-

अच्छा नेता चुनना कठिन बहुत कार्य 

संयम धैर्य आंकलन है सत्य विचार।।

78-

झूठ फरेब से बचो मत पावन दान

चुनना है वर्तमान भविष्य परिणाम।।

79-

लड़ना बंद करो सिर्फ करो विचार 

 चुने सब मजबूत स्वच्छ सरकार।।

80-

टिकट मिला नही संसय बरकरार

वैद्य नुख्से स्वर्ग नरक का अस्पताल।।

81-

जन्म राम का मर्यादा मूल्य संदेश

लाज आए नही नेता लूट रहे देश।।

82-

अपील दलील नही खारिज सब तर्क

आखिर काल समय क्षमा याचना व्यर्थ।।

83-

संकुचित सोच राह दम घुटता मरता

कथित व्यथित आचार फल कर्म भरता।।

84-

अल्प काल शिखर भाग्य कर्म सौभाग्य

निर्भय निश्चय जानिए चरित्र संस्कृति मार्ग।।

85-

ईटा पत्थर सब जोर शोर कि बात

लाठी डंडा आम खून खराबा का राज।।

86-

संवेदना क्या बात मछली मटन प्रदर्शन

मानव तन मन वेष हत्या नरभक्षी दर्शन।।

87-

मौसम नेता गिरगिट सम भाव के चाल

नैतिकता नही पल पल रंग बदलते भांड।।


88-

जनता फंस जाएगी वादे होंगे खाक

लोकतंत्र का पर्व अपना अपना दांव।।

89-

घर जेल में फर्क नही लोपतंत्र पड़ाव

पर्व प्रसन्न्ता बस सत्य सनातन प्रेम।।

90-

वर्षो का विवाद विजय राम का मर्म

सूर्य वंश हंस सूर्य तिलक का मान।।

91-

धन्य सकेतपुरी जय जय जय श्री राम

प्रथम चरण शुभ अंत चरण मोक्ष्य।।

92-

मत जनमत जन्म जीवन सोच

प्रभु को क्या जाने निसिचर उत्कोच।। 

93-

कल्पना सोच गरीब निवारण मंत्र

यथार्थ सत्य शून्य नियत निति कुसंग।।

94-

भोजन भाषण विवाद बात कुतर्क 

चीनी कि मिठास घातक मर्ज मवाद।।

95-

जन मत में हिस्सा मत प्रतिशत हद

बात हैरानी नही विजय मार्ग ही मद।।

96-

घोषणा कोरी लगे संकल्प लागत मीठ

अविश्वास विश्वास में सूक्ष्म रेखा है मीत।।

97-

संपत्ति वितरण विवरण दिवालिया सोच 

गोल माल सब जनता का धन नोच।।

98-

पृथ्वी आकाश में ध्रुव तारे अनेक

अंत भय भ्रम का ज्ञान ऊर्जा प्रकाश।।

99-

ना कोई राज रंक सत महिमा उजियार

जीवन सदा उत्साह जन्म जीवन आधार।।

100-

सच्चा पवन ज्ञान जीवन बोध मार्ग

भक्ति का मधुपान सत ईश्वर गुणगान।।

101-

छल छद्म प्रपंच रूढ़िवादी का दंश

प्राणि में भेद भाव समय समाज बेरंग।।

102-

गुरु शिष्य परंपरा मार्ग ज्ञान बैराग्य

तमस का उजियार सतत शिष्य अनुराग।।

103-

देश विदेश में स्वीकार सच है भगवान

काल पल प्रहर बढ़ता ईश्वर सत्य सारः।। 

104-

अनुनय अनुयायी ईश्वर का भान  

जान लिया जिसने युग कि पहचान।।

105-

सतगुरु कि कृपा ईश्वर स्वर वरदान

कर्म धर्म सच है कर्म करो निष्काम।।

106-

पाखंड प्रपंच का आडंबर ना हो साथ

आत्म साथ उपदेश वेद उपनिषद पुराण।।

107-

समानता युग सिद्धांत है द्वेष विद्वेष रार

शत्र शास्त्र ज्ञान है धर्म धैर्य मर्म समान।।

108-

प्राणि पराधीन नही आत्म बोध है एक

धर्म कहती नही मानव जाति अनेक।।

109-

पाप पान है मदिरा भय व्याधि मद्यपान

मदिरा पान जो करे डूबत मरत गजग्राह।।

110-

उत्साह अंतर्मन का बैराग्य ज्ञानप्रकाश 

ईश्वर सत्य जीवन मोल अनमोल भाव।।

111-

जीवन मे शुभ संयम अरु संकल्प

भक्ति भाव का सच दूषित दूषण व्यर्थ।।

112-

अद्भुत  अनमोल है जीवन का हर पल 

संवेदना साक्ष है आने वाला पल पल।।

113-

त्याग तप व्रत जीवन का अनुराग

विधि विधान का सच प्राणि प्राण समान।।

114-

प्रेरणा एक ज्योति है जन जन कासाथ

दीपक एक प्रेम का प्रशस्त मार्ग है आप।।


115-

पर्व लोकतंत्र द्वेष द्वंद का भाव 

जनता जानती नेताओ का हाल।।

116-

देश प्रेम स्वांग है जन जानत सच  

पर्व लोकतंत्र का हो रहा बेअर्थ।।

117-

बृद्ध युवा असहाय जन जागरण राष्ट्र 

भाई बंद करो चोचले सत्य सार्थकबात ।।

118-

मत सम्मत से ही राष्ट्र समाज विकास

जनता जनार्दन ही लोक तंत्र की आस।।

119-

मोल मत है सहभाग के बोल 

सरकार आधार सुदृढ़ अनमोल।।

120-

निर्भय परख विचार इर्ष्या संसय त्याग  

निरपेक्ष सार्थकता जिम्मेदार समाज।।

121-

अर्थहीन अधिकार न हो कोई भी हो 

मत महत्वपूर्ण ऊपयोगी रहीम रमेश।।

122-

मतपत्र मत पेटिका बदल गया रूप

तकनीकी युग मे लापरवाही नही कबूल ।।

123-

मत सम्मत से ही राष्ट्र समाज विकास

जनता जनार्दन को लोक तंत्र की आस।।

124-

राष्ट्र समर्पित नेतृत्व बहुमत ताकत सारः

लोकतंत्र शक्ति जन कल्याण प्रभाव।।

125-

चिंतन सापेक्ष निष्ठा कार्य परिणाम 

जाती धर्म नही उचित निष्पक्ष व्यवहार।।

126-

देन लेन अपना नही देश राष्ट्र का दांव

वाह वाह कि चाह दिया सब गंवाया।।

127-

यश मिला नही नित जो था रहे गंवाए

पश्चातप नही लूट रहा सब हो रहे कंगाल ।।

128-

करनी भरनी सत्य नही भाग्य का खेल 

भाग्य भगवान सच करनी धरनी मेल।।

129-

आज अतीत भविष्य जैसे रेल 

करनी भरनी भाग्य सटीक बेमेल।। 

130-

कृपा दया नही चाहिए उचित सत्कार

ज्ञान योग बैराग्य तपस्या ही मान।।

131-

धन बैभव लक्ष्मी माया सब अंधकार 

सूरज सूर्य भी माया काया  उजियार।।

132-

सूर्योदय संध्या दिवस पल प्रहर प्रवाह 

नित निरंतर जग खेल है बेसुरा बेराग।।

133-

षड्यंत्र कि बात नही कहते सब सत्य 

निर्भय प्रजा जन सत्यार्थ लोक तंत्र।।

134-

टांग खींचना परस्पर जन हित कि रार  

साथ खड़े मंच पर स्वांग प्रपंच कि  बात।।

135-

रैली रेला हुंकार बढ़ा चुनावी ताप

विजय मान मैदान में जैसे हो निःष्पाप।।

136-

जीवन जेल यात्रा अंतर ट्रॉयलअरु वेल 

जीवन बहुत झमेला भोगअरुकलेश।।

137-

कटता नही टिकट शांत चित्त न विवेक

दल दल बुल बुला जैसे शस्त्र अनेक।।

138-

हरियाली झूमती बाली शगुन सुगंध विशेष 

अविनि काया माया प्राणि जीवन खुशी अनेक।।

139-

लोलुपता निर्लज्जता सत्य सार्थक धार

घर जेल घालमेल सत्ता शासन हथियार।।

140-

लोलुपता निर्लज्जता सत्य सार्थक धार

घर जेल घालमेल सत्ता शासन हथियार।।

141-

बिंदिया चूड़ी कंगना एक दूजे का साथ

पतित पावनी पतन चलन चरित्र संघार।।

142-

कीच पुष्प में अंतर नही पैरों रौंदे जात

इत्र सुगंध दुर्गंध रंग बदरंग सब साथ।।


नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश

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