सामाजिक रिश्तों का हृास

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ब्लॉग प्रेषक: सुषमा राज
पद/पेशा: साहित्य कार
प्रेषण दिनांक: 09-07-2025
उम्र: 40
पता: Mumbai
मोबाइल नंबर: 97704677555

सामाजिक रिश्तों का हृास

भारतीय समाज में रिश्तों का बहुत महत्व है, रिश्ते, व्यक्ति को भावनात्मक समर्थन, सुरक्षा और खुशी प्रदान करते हैं। ये रिश्ते न केवल व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा देते हैं, बल्कि समाज में एकता और सद्भाव बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. 

रिश्तों के बिना, व्यक्ति अकेला और असुरक्षित महसूस कर सकता है। रिश्ते हमें भावनात्मक सहारा, मार्गदर्शन और प्रोत्साहन मिलता हैं। 

हमारे रिश्ते ही हमें खुशियों और दुखों को साझा करने में मदद करते हैं, और हमें यह महसूस कराते हैं कि हम अकेले नहीं हैं. 


लेकिन आजकल एकल परिवार का प्रचलन बढ़ता जा रहा है, खासकर शहरी क्षेत्रों में, एवं आधुनिकता की दौड़ में शामिल करते हुए 

ग्रामीण परिवेश भी बदल रहा है, 

मानती हूं कि एकल परिवार के कुछ फायदे हैं पर सबसे ज्यादा नुक्सान बच्चों का हो रहा है , उनकी परवरिश प्रभावित हो रही है, दादा-दादी, चाचा-चाची जैसे विस्तारित परिवार के सदस्यों का प्यार और मार्गदर्शन न मिलना, अकेलेपन की भावना, और सामाजिकता की कमी. इसके अतिरिक्त, माता-पिता के व्यस्त होने पर बच्चों की ठीक से परवरिश न हो पाना और आपात स्थिति में कम सहायता मिलना , इसके साथ ही अकेलेपन और उचित मार्गदर्शन न मिलने के कारण बच्चों को गुड टच एवं बेड टच की जानकारी न होना, जिस कारण मासूम बच्चे दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं, जो 

उन्हें संभावित खतरों से असुरक्षित कर सकता है। बच्चों को गुड टच और बैड टच के बीच अंतर बताना और उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए सशक्त करना महत्वपूर्ण है।


पर आज समाज में मानवीय मूल्य तथा परिवारिक मूल्य धीरे- धीरे कम होता जा रहा है। ज्यादातर व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए रिश्ते निभाते हैं। केवल स्वार्थ सिद्धि की अहमियत रह गई है। लोग पैसे, जमीन जायदाद के लिए हत्या, अपहरण जैसा नीच कार्य कर जाते हैं।

आज समाज में लगातार रिश्तों का दायरा संकुचित होता जा रहा है,

यह एक गंभीर समस्या है, जिसमें मानवीय मूल्यों और पारंपरिक रिश्तों में गिरावट देखी जा रही है। स्वार्थ, दिखावा, और भौतिकवाद के बढ़ते प्रभाव के कारण, लोग एक-दूसरे से दूर होते जा रहे हैं और रिश्तों में दूरियां बढ़ रही हैं। रिश्तों में संवाद की कमी, एक-दूसरे को न सुनना, और अपनी बात आक्रामक तरीके से कहना, ये सब रिश्तों में दरार पैदा करते हैं. अहंकार के कारण, लोग अपनी गलती मानने को तैयार नहीं होते, जिससे रिश्ते बिगड़ जाते हैं. 

रिश्तों में कड़वाहट और दूरियां, मानसिक तनाव और अवसाद का कारण बन रही है जो अपराध को जन्म देता है,

हाल ही में एक नहीं ऐसे कई हादसे हुए है, जिसको लेकर ये प्रश्न है। मेघालय में एक हत्याकांड — जिसमें एक नवविवाहिता ने अपने किसी प्रेमी के साथ मिलकर अपने पति को मार दिया। वो भी एक हनीमून ट्रिप था, 


उससे कुछ ही दिन पहले मेरठ में भी एक हादसा हुआ, जिसमें एक पत्नी ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने पति को मार दिया और किसी ड्रम में बंद कर दिया। उससे पहले पाकिस्तान से भी एक ख़बर थी कि सोशल मीडिया इन्फ़्लुएंसर कोई थी, जिनको इस बात पर मार दिया गया कि वो शादी नहीं करना चाहती। तो ये कौन-सा, ये किस प्रकार का प्रेम है? ये किस प्रकार के रिश्ते हैं जो बनते या आधार जिसका प्रेम बताया जाता है , पर इसके अंतर्गत हत्याएँ हो रही हैं? एक लड़की जिसको अपने फूफा जी से ही प्रेम हो गया और इस हद तक कि अपनी शादी के कुछ दिनो में ही उसकी हत्या करवा दी, 

बहुत ही दुखद स्थिति है , एक खूनी वारदात है। बर्बर हत्याकांड है, किसी की जान चली गई है, एक जवान व्यक्ति की जान चली गई है। इस पर जितना अफ़सोस किया जाए , जितनी निंदा की जाए, कम है। ये सब घटनाएं रिश्तों को तार- तार

कर रही है, वास्तव में यह एक गंभीर समस्या है। क्या? और हम ऐसा क्या कर सकते हैं कि इस तरह की दुखद घटनाएँ आगे ना घटें...

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