ब्लॉग प्रेषक: | अमृता कुमारी विश्वकर्मा |
पद/पेशा: | साहित्यकार |
प्रेषण दिनांक: | 29-10-2022 |
उम्र: | 24 |
पता: | सिलाव, नालंदा |
मोबाइल नंबर: | *********** |
दीवाली का महत्व
दीवाली सनातनियों का एक महान पर्व है | इसे मनाने के बहुत से कारण हैं | इस दिन भगवान राम चौदह वर्ष के वनवास से अयोध्या लौटे थे | इसलिए भगवान राम के आने की खुशी में वहाँ की प्रजा ने दीप जला कर उनका स्वागत किया था | प्रकाश का पर्व भी कहते हैं क्योंकि ये पर्व सब के जीवन में अंधकार मिटा कर खुशियाँ लाता है |
ये एक ऐसा त्यौहार है जिसमे वस्तु को महत्व दिया जाता है | सब्जी से लेकर मिठाई तक, झाड़ू से लेकर सजावट की सामग्री तक, फुलझड़ी से लेकर पटाखों तक, मिट्टी के खिलौने से लेकर भगवान की मूर्तियों तक, मिट्टी के दियों से लेकर बिजली के रंगीन बल्ब तक,बर्तन से लेकर हीरे मोती तक, साईकिल से लेकर B. M. W. कार तक खरीदी जाती है | इस दिन का सबको प्रतीक्षा रहता है कि दीपावली में ये खरीदेंगे वो खरीदेंगे।
ये त्यौहार सबके जीवन में अंधकार मिटा देता है और प्रकाश लाता है | इस त्यौहार में सभी वयक्ति खुश हो जाता है | सफाई करने वाला श्रमिक सफाई कर के पैसे कमाता है | इस त्यौहार में मिट्टी के बने खिलौने और लकड़ी के बने घरौंदे की कलाकारी भी देखी जाती है | दियों, मिठाई, सरसों, कपास, रुई, तेल सभी वस्तुओं को महत्व दिया जाता है और इसी के कारण लोग इन लोगों से वस्तुएं खरीदी जाती है | जिससे कि इन के घरों में भी दीप जल सके | इस तरह से छोटे व्यापारी से लेकर बड़े बड़े व्यापारियों को भी बहुत ही लाभ होता है सभी के घरों में दीप जलते हैं।
इस दिन धन की देवी लक्ष्मी की पूजा होती है | लोग कहते हैं कि माँ लक्ष्मी उसी घर में आती है जिस घर में ज्यादा सफाई, सजावट और दीप जल रहे हो तो ये बिलकुल असत्य है माँ लक्ष्मी उसी घर में आती है जिसके कारण दूसरों के घर में दीप जलते हैं इसलिए ये आवश्यक नहीं की हमने कितनी खरीदारी की बल्कि आवश्यक ये है कि हमारे कारण कितने लोगों ने दीप जलायें, और कितने लोगों के यहाँ खुशियाँ आयी |
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