इतिहास एवं पुरातत्व
अयोध्यापूरी धाम के पौराणिक परिचय।
मैं अयोध्या हूं। सृष्टि विकास के पूर्व में केवल जल ही जल था तथा जल से स्थल निर्माण के क्रम में मैं यानी कि अयोध्या का उदय सर्वप्रथम हुआ तथा सृष्टिकर्ता भगवान श्री नारायण ने मेरे कानों में कहा था मैं तुम्हारी भूमि पर अवतरित हूंगा इस लिए मेरा महात्म्य और...
Read Moreआदिवासी स्वाभिमान का प्रतीक : राजा मेदिनी राय
पलामू के चेरो राजवंशोत्पन्न महाराज मेदिनी राय का नाम सर्वाधिक पराक्रमी, प्रजावत्सल,न्यायकारी तथा लोकप्रिय राजा के रूप में आदर के साथ लिया जाता है।12वीं शताब्दी में जपला (पलामू) के प्रतापी खरवार शासक प्रताप धवल देव के बाद मेदिनी राय को पलामू का सर्वाधिक...
Read Moreगोरा और बादल : वीरता और शौर्य की अद्भुत कहानी
गौरा ओर बदल दोनों चाचा भतीजे जालोर के चौहान वंश से सम्बन्ध रखते थे | मेवाड़ की धरती की गौरवगाथा गोरा और बादल जैसे वीरों के नाम के बिना अधूरी है. हममें से बहुत से लोग होंगे, जिन्होंने इन शूरवीरों का नाम तक न सुना होगा ! मगर मेवाड़ की माटी में आज भी इनके...
Read Moreमहाप्रतापी महाराणा प्रताप के बारे में कुछ रोचक जानकारी
महाराणा प्रताप एक ही झटके में घोड़े समेत दुश्मन सैनिक को काट डालते थे। 2.... जब इब्राहिम लिंकन भारत दौरे पर आ रहे थे । तब उन्होने अपनी माँ से पूछा कि- हिंदुस्तान से आपके लिए क्या लेकर आए ? तब माँ का जवाब मिला- ”उस महान देश की वीर भूमि हल्दी घाटी से एक...
Read Moreबिखरे पड़े हैं पलामू में बुद्ध के प्राचीन अवशेष
सोन एवं उसकी सहायक नदी उत्तर कोयल की घाटी में पसरा पलामू जिला में विगत ढाई हजार वर्ष से लेकर बारहवीं शताब्दी तक के बुद्ध से संबंधित अवशेष खेतों से बस्तियों तक तथा जंगलों से पहाड़ों तक बिखरे पड़े हैं। विडंबना है कि इन अवशेषों का कोई सुध लेने वाला नहीं है-
Read Moreचलिए हजारो साल पुराना इतिहास पढ़ते हैं।
सम्राट शांतनु ने विवाह किया एक *मछवारे की पुत्री सत्यवती* से।उनका बेटा ही राजा बने इसलिए भीष्म ने विवाह न करके,आजीवन संतानहीन रहने की भीष्म प्रतिज्ञा की। सत्यवती के बेटे बाद में क्षत्रिय बन गए, जिनके लिए *भीष्म आजीवन अविवाहित रहे, क्या उनका शोषण होता...
Read Moreनेपाल का जानकी मंदिर जहां हुआ था माता सीता का स्वयंवर, इसे क्यों कहते हैं नौलखा मंदिर
जानकी मंदिर नेपाल के काठमांडू शहर से लगभग 400 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण राजपुताना महारानी वृषभभानु कुमारी ने 1911 ईस्वी में करवाया था। मंदिर के निर्माण में करीब 9 लाख रूपए लगे थे। इसलिए मंदिर को नौलखा मंदिर के नाम से भी जाना जाता..
Read Moreगौरवशाली अतुल्य भारत 🚩
हल खींचते समय यदि कोई बैल गोबर या मूत्र करने की स्थिति में होता था, तो किसान कुछ देर के लिए हल चलाना बन्द करके बैल के मल-मूत्र त्यागने तक खड़ा रहता था ताकि बैल आराम से यह नित्यकर्म कर सके,यह आम चलन था। *हमनें (ईश्वर वैदिक) यह सारी बातें बचपन में स्वयं...
Read Moreमहाप्रतापी राजा राणा सांगा के संदर्भ में रोचक तथ्य
शरीर पर 84 घावों के कारण महाराणा सांगा को "मानवों का खंडहर" भी कहा जाता है। * इन महाराणा का कद मंझला, चेहरा मोटा, बड़ी आँखें, लम्बे हाथ व गेहुआँ रंग था। दिल के बड़े मजबूत व नेतृत्व करने में माहिर थे। युद्धों में लड़ने के शौकीन ऐसे कि जहां सिर्फ अपनी फौ
Read Moreबाबा साहेब का जीवन था संघर्ष की खान
14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू के एक गांव में इस महान विभूति जन्म होना । कोई साधारण नही था । वो एक असाधारण व्यक्तित्व और बहुमूल्य प्रतिभा के धनी थे ।। बाबा साहेब का जीवन काल, बचपन से ही गरीबी, संघर्षों,जातिवाद,भेदभाव और छूत अछूत की विडंबनाओ
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