महिला सशक्तिकरण

महिलाओं की प्रधानता और नेतृत्व, इनके हाथ में शासन सत्ता की बागडोर प्रस्तावना

इस लेख में प्राचीन काल में वैदिक युग की ऋषिकाएं और विदुषी, मध्यकाल में रानी, राजमाता तथा विश्व की अनेक महिलाएं जैसे– ब्रिटेन की मार्गरेट थैचर, जर्मनी की एंजेला मर्केल और न्यूजीलैंड की जैसिडा अर्डर्न आदि अनेक महिलाओं ने देश दुनियां को अपनी ताकत दिखाई है...

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महानिशां कि ममतामयी माँ

नारी महिमा गरिमा कि माँ के संघर्षों कि कहानी। जीवेश से जब भी उसके सहपाठी पूछते तुम्हारे पिता का नाम क्या है ? जीवेश कुछ भी बता पाने में खुद को असमर्थ पाता और सहपाठियों के बीच लज्जित होता लौट कर माँ से सवाल करता माँ मेरे पिता कौन है? स्वास्तिका बताती भी..

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प्राचीन इतिहास में सशक्त एवं ज्ञानी नारी-नेतृत्व।

प्राचीन भारत के विभिन्न ऐतिहासिक एवं धार्मिक साहित्यों में सशक्त एवं ज्ञानी नारी-नेतृत्व के दर्शन भले चौंकाने वाले हों, किंतु उनकी सत्यता से इंकार नहीं जा सकता है।ऋग्वैदिक काल में नारियों की स्थति अन्य कालों की तुलना में बेहतर थी।उस समय नारी जितना...

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मर्यादाओं की लक्ष्मण रेखा

मर्यादाओं की सीमा लांघ कर कोई व्यक्ति आगे बढ़ेगा तो निःसंदेह प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा ही आज न कल परंतु सत्य, धर्म, नियम को पालन करते हुए व्यक्ति यदि कभी दिग्भ्रमित होकर या गुमराह हो कर मर्यादाओं की सीमा तोड़ भी देता है तो उसे बचाने के लिए ईश्वर साक्षात खड़े...

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नारी शक्ति के नौ रुपों कि आराधना नौरात एव वर्तमान भारत में नारी का यथार्त

किसी भी युग या समाज के अस्तित्व कि कल्पना ही नही की जा सकती है ब्रह्म भी बिना नारी शक्ति के अधूरा है यदि सनातन में ब्रह्मा ,विष्णु ,शंकर देव है तो सरस्वती,लक्ष्मी ,पार्वती त्रिदेवियों नारि शक्ति बिना देव शक्ति संतुलित नही होती चूंकि ब्रह्म सत्ता निर...

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आवनी चेतना स्त्री नारी

साहित्यिक आंदोलन जिसमे स्त्री कि गरिमा महिमा मर्यादा के सापेक्ष एकात्म भाव से स्त्री साहित्य कि रचना कि जाती है जिसमें स्त्री अस्मिता के महत्वपूर्ण अवयव आयाम को संगठित रूप से प्रस्तुत किया जाता है अंग्रेजी में फेमनिज्म के रूप में जाना जाता है जो लिं..

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आराच पन्नक

कहानी अतीत कि घटित सत्य घटनाएं जो वर्तमान एव भविष्य के लिए दिशा दृष्टिकोण का मार्ग प्रदान करते हुए शिक्षा एव संवेदनाओ के लिए प्रेरणा परक होते है । रामायण मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जीवन ऐश्वर्य का सत्यार्थ ब्रह्मर्षि वाल्मीकि जी के द्वारा प्रस्तुत

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बेटी बचाओ..सशक्त बनाओ!

कुरीतियों में वशीभूत होकर गलतफहमीयों का शिकार है लोग, बेटियां बोझ होती हैं सोचकर, कोख में ही मार डालते हैं लोग। परंतु,अंतर्मन से कभी सोचा है, इसका अंजाम क्या होगा...? जो वंश को आगे बढ़ा सके,वो, उस वारिस का उद्भव कहां से होगा? आज बेटों की चाह में..

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नारी शक्ति पुरस्कार-2023 के संदर्भ में सूचना

पिछले कुछ वर्षों में, महिलाओं को सभी क्षेत्रों में भाग लेने के लिए पहचानने और प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा ठोस प्रयास किए गए हैं और महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर अत्यधिक महत्व और ध्यान केंद्रित किया गया है। "नारी शक्ति पुरस्कार" समाज में महिलाओं..

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विद्रोह की पीड़ा

कुछ घाव इतने सालों के पश्चात् फिर से हरे हो रहे थे । जब प्रेरणा एक कलेक्टर के रुप में साक्षात्कार दे रही है। एंकर उससे पूछती हैं " आप ने अपने वैवाहिक संबंध को क्यू तोड़ा है?? अर्थात क्या आपके जीवन में रिश्तों से भी ज्यादा महत्व अधिकार को है?? वह सोच...

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घूंघट

पुरानी प्रथाएं निभाई जाए या आधुनिक तकनीक अपनाई जाए । जहां,एक तरफ घूंघट का सिर पर होना जरूरी था ।। वही,आज मान ,मर्यादा का हनन कर साहब! घूंघट तो दूर कही अपनी बारी का समय गिनता हैं और यहां तो हुजूर!

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बेटी जन्म की बधाई

बेटी के महत्व को दर्शाती यह रचना। बेटी है अभिशाप नही, ईश्वर का रूप समाई I बिना जन्म, पहचान बताकर, फिर भी गर्भ से विदाई I बेटी होती क्यों परायी,

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नारी हूँ मैं कुछ भी कर सकती हूँ

ये रचना नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा देगी । जो लोग महिलाओं को कमजोर समझते है उनके लिए समाज मे आईना दिखाने का काम करेगी ये रचना क्यों कि महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहिये ।

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पौराणिक सनातनी साहित्य में स्त्री-प्रताड़ना

प्राचीन काल से ही भारतीय समाज पुरुष संचालित रहा है।समाज के केंद्र में फन काढ़े पुरुष फूंफकारता रहा और भयाक्रांत स्त्रियां परिधि पर कांपती रहीं। चूंकि धर्म का नियामक....

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