व्यंग/कटाक्ष
सात फेरों के सातों वचन
जहियाँ से बिहार, सरकारी नौकरी में महिला लोग के तैतीस प्रतिशत आरक्षण दिया था, उसी समय करेजा के मजबूत करके आपन मेहरारू के फॉर्म भरवाए थे। हमरा कहीं नहीं हुआ कोई बात नही मेहरारू के कहीं न कहीं तो होइए जायेगा। देखिए एक विभाग का रिजल्ट भी आ गया, दो बरिस पहिले।
Read Moreझोला छाप नही गारंटीड डागडर।
अचानक जगत नारायण उर्फ जगता को साइकिल पंचर बनवाते हुए बारह साल के बाद मुज़ीब के दुकान में देखा। बचपन का साथी था, एक ही स्कूल में हम दोनो साथ पढ़े थे लेकिन मैट्रिक के बाद वो गायब हो गया। आज मिला तो मैंने पूछा - का जगत का कर रहा है, आज कल। वो बोला - डागडर
Read Moreफिर कब दिखोगे।
रिटायरमेंट के बाद डीएसपी साहेब गया जाने के लिए अपने पूरे परिवार के साथ प्लेटफार्म नंबर दस पर ट्रेन के इंतजार में थे, तभी उनकी अर्धांगनी बोली मुन्ना कहां है। डीएसपी साहेब मुन्ना को खोजने गए तो मुन्ना टीवी देखने में व्यस्त था, चल इंहा से, का देख रहा है, पाप
Read Moreझाड़ फूंक और भूत।
जबड़ से जबड़ भूत के पानी पिला देता था शिवशंकरा। पीपल के भूत, बरगद के भूत, शीशम के भूत आऊ त आऊ रहड़, गन्ना सब के भूत त्राहि त्राहि करता, जब शिवशंकरा मंतर मारता।
Read Moreवेलेंटाइन डे और भारतीय संरक्षण दल के सेवक।
आठ महीने से रोज, तेरी गली में आकर, तुझे भर भर के नजर से देखता था। बस इजहार नही कर पाया। जीवन संगिनी कैसे बनाऊं, ये सोच सोच के तीन बार फर्स्ट ईयर में फेल हुआ। लेकिन एक महीने पहले वो मुझे देख कर मुस्कुराई, लगा स्नातक फर्स्ट डिवीजन से पास हो गया। इतनी खुशी त
Read Moreअन्न की बर्बादी न हो
व्यर्थ न जाए अन्न का दाना नारी में न इसे बहाना ये सब अब हो गया पुराना आज तो है नया जमाना।
Read Moreश्री मोबाइल कथा
श्रीहरि के वचन सुन नारद जी बोले कि उस मोबाइल में क्या होगा? और उसका प्रयोग क्या है? यह कौन कौन रखेगा ? इसमें क्या क्या होंगे? सभी कुछ विस्तार से बताएँ। नारद की बात सुनकर श्रीहरि बोले: दुख व शोक को दूर करने वाला यह सभी स्थानों पर आपको बुद्धिमान बनाने वाला
Read Moreपलायन - शौक या मजबूरी।
जब भी रुपए पैसे की जरूरत होती तो राष्ट्रवादी पार्टी और सेकुलर पार्टी में जिंदाबाद मुर्दाबाद करता, उसे दो चार रुपए की आमदनी हो जाती थी।
Read Moreबेटा नंबरी बाप सौ नंबरी। मासूम प्रेम पुजारी
ये मैं बड़ी आत्मीयता से बक सकता हूं की यदि हीर रांझा एक दूसरे से मिल गए होते तो हीर के साथ अगला नाम सोहनी के साथ होता और रांझा का महिवाल के साथ। मतलब साफ है की एक से दिल भरता कहां है। चाहे वो कोई भी हो। हम तो वो हैं जिन्हे सिर्फ एक भगवान पर नही बल्कि ....
Read Moreशिकारी वर्सेज तेंदुआ
काहे जी सियार जैसा काहे रेंक रहा है ? हां! गए थे दिशा फिरे, रहड़ जरा भी चरमरा रहा था तो निकला हुआ भी सटक जा रहा था, साला ई तेंदुआ जे न करा दे, पूरा पाचन खराब हो गया है, कुछ डर से, आऊ कुछ समय से पेट नही खाली करने से। डरिए मत, नवाब साहेब आ गए हैं,......
Read Moreभूत, भगवान और मैं।
भगवान और मैं। बोलते बोलते हार मान गए थे घरवाले की हनुमान चालीसा याद कर लो, जब भी डर लगे जोर जोर से उच्चारण करने लगना। लेकिन मैं निकम्मा आज तक विद्यालय में भी, हिंदी की कक्षा में पढ़ाई जाने वाली कविता में भी, सिर्फ "हवा हूं हवा, मैं बसंती हवा".........
Read Moreतू कैकई, मैं दसरथ।
शादी के वक्त सात वचन क्या दिया की वो अपने आप को कैकई और मुझे दशरथ समझने लगी। कैकई ने तो एक वचन राज्याभिषेक के लिए मांगा लेकिन मेरी वाली तो एकवचन को बहुवचन में शामिल कर, प्रतिदिन वचन की मांग करती है, ताकि मैं उसकी मांग पूरी करते करते मांग कर खाना शुरू कर..
Read Moreमुर्गा, खस्सी, मदिरा, नववर्ष और आंग्ल वर्ष के विरोधी।
जगत चचा का तोंद हजारों खस्सियों का कब्रगाह था, उनकी बांह भी चिकन सरीखा हो गई थी और तो और मुंह भी जमुनापारी नस्ल की बकरी से मिलने लगी थी, वो तो उनकी किस्मत थी की बकरी के शौकीनों की नजर उन पर नही पड़ी नही तो बेचारे कहीं मुंह दिखाने लायक नही रहते...
Read Moreसीरियल पगला देगा...
सीरियल के मुताबिक यहां हिंदुस्तान में हर आदमी अपने घर में तो बच्चे पैदा कर ही रहा है साथ में कई अन्य घरों में भी इनके योगदान में कोई कमी नहीं है।
Read Moreमुझ बेवड़ा की बात मत पूछो जी।
अब मैं दिन भर शाम का इंतजार करता ताकि दुःखी हो जाऊ और दोस्त सब मुझे दारू का भोग लगाए।अब रोज रोज मुझे विदेशी कौन पिलाता सो मैं मशालेदार पर उतर गया। पैसे कहां से आते थे - महाराज मुझे घर में ही चोरी करने की आदत पड़ गई। लेकिन मैने सिर्फ चोरी ही नही की बल्कि
Read Moreदर्द सहेंगे, कुछ ना कहेंगे, चुप ही रहेंगे हम, प्यार में तेरे सनम।
हूक-सी उठती है मन में– काश हम भी लिख पाते अपना दर्द, पर उस हूक को हम समझदारी से ज़बरियन दबा देते हैं। तब हमें अहसास होता है कि विद्रोह कैसे कुचले जाते होंगे।
Read Moreनर हो न निराश करो मन को।
भगवान मुझ जैसे मुजसम्मा को बनाने की क्या जरूरत थी। किस खास मकसद के लिए मुझे अवतरित किया प्रभु। अब तो लगता है की यदि कफन बेचने का धंधा भी करूं तो लोग मरना भी छोड़ देंगे।
Read More... अब मेरी उम्र हो गई है!🍁
उसने धीरे से हिलाया,और मेरी आंख खुल गई, नज़र सामने खड़ी मुस्का रही,पत्नी पे पड़ गई, हौले से वो बोली.."आपकी चाय ठंडी हो गई.!" "ओह..अच्छा"कह,चेतना जैसे सचेत हो गई! एक हाथ में ऐनक,दूजे में अख़बार लटक रहा था, अभी कुछ देर पहले ही तो,अख़बार पढ़ रहा था...
Read Moreक्योंकि शिक्षक भी कभी विद्यार्थी थे
मुझे प्रिंसिपल ने समझाया, देखिए इस विद्यालय के बच्चे बड़े बदमाश हैं, संभल कर रहना होगा। उदंडता की हद तक चले जाते हैं, कभी कभी बच के रहिएगा। मैने कहा आप मेरी फिक्र मत करो, अगर करना ही है तो उन सबों की करो। क्योंकि मैट्रिक के बाद पांच साल मैं उनसे ज्यादा शा
Read Moreदरवाजे से आते हैं, खिड़की से निकलते हैं
वैसे तो मेरा जन्म ही स्त्री उद्धार के लिए हुआ था, लेकिन उद्धार करने में कई बार मेरे शरीर का भी पुरजोर उद्धार किया नामाकुलों और नाकाम आशिकों ने मिल कर।
Read Moreउल्लू, राष्ट्र और गधा
लेकिन एक परेशानी थी की उल्लू जी महाराज सिर्फ रात को ही देख पाते थे, दिन के उजाले में उन्हें कुछ दिखाई नहीं पड़ता था। वैसे भी जो उजाले को नही देख पाते वो अंधेरे में सब कुछ देख लेते हैं।
Read Moreछेड़ू सिंह छेड़ा उर्फ मजनू भाई
करतूत तो मेरे पिता जी की भी वही थी इसलिए एक कहावत है न की " बापे पूत परापत घोड़ा, कुछ नही तो थोड़ा थोड़ा" असर तो आना ही था। का छेड़ा भाई सुने की कल ही जेल से बाहर आए। देखो हर कोई जे जनम लेता है ऊ किसी खास मकसद से ही इस मृत्युलोक में अवतरित होता है, और...
Read Moreमंगरू - छान उजाड़ विशेषज्ञ
मंगरू कोई साधारण प्राणी नही है और इस दुनिया में अकेला भी नही है। हर गली, हर मोहल्ले, हर जिले, हर राज्य और हर देश में मंगरू अपने जगह पर व्याप्त है। मंगरू बड़ा ही मृदभाषी, सौम्य, सुशिल और कोमल हृदय का स्वामी होता है। मंगरू के अंदर चिपकू नामक पदार्थ भरा होता
Read Moreजो बीत गया है वो पल न आएगा
हवा हूं हवा मैं बसंती हवा हूं" कविता जो केदारनाथ अग्रवाल द्वारा रचित थी वो उस समय हम सबों की प्रिय कविता हुआ करती थी, रात को लैंप या लालटेन की रोशनी में जोर जोर से इस कविता का पाठ करने में जो मजा आता था, शायद ही आज कल के बच्चे उस मजा को आत्मसात कर पाएंगे।
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