माँ आदिशक्ति

धर्म हेतु मां धरी शरीरा । दीन-दुखी की हरती पीडा़ ।। शंभु - निशुंभ दुष्ट संहारे । दें वर, विप्र भक्त भव तारे ।। सुर किन्नर गंधर्व पुजते।

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मूक रिश्ता

पशु पक्षियों में भी संवेदनाएं होती हैं। अब जब भी वह दिखती है अनायास ही बीता समय चलचित्र की तरह घूम जाता है।अभी अधिक समय बीता भी नहीं है।लेकिन ऐसा लगता है जैसे कल की ही बात हो।

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       01-04-2022

औपचारिकता

इस बार नवसंवत्सर चैत्र प्रतिपदा का शोर कुछ अधिक है, होना भी चाहिए और हो भी क्यों न? हम तो औपचारिकताओं में ही जीने के आदी जो हैं। तभी तो आजादी के बाद से अब तक हिन्दी दिवस/पखवाड़ा मनाते हैं, राष्ट्र भाषा के बजाय

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       01-04-2022

जज़्बात बनाम सौदे दिल के

बिक जाते हैं बड़े ही सस्ते दाम में दिल के रिश्ते । आजकल, वफ़ा के बाजार में । जज़्बात धरे के धरे रह जाते हैं रस्मों,वादों और नीयत की ताक पर । सजाई गई महफ़िल एहसासों की

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रिश्वत

रिश्वत या घूसखोरी का नशे सा असर हो चला हैं । तब से,ईमानदारी,सच और विश्वास के पैमाने के संगठन का काम तमाम कर दिया हैं ।। हर क्षेत्र चाहे शिक्षा का हो या हो प्रशासनिक । या फिर हो,कानून संबंधी

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       31-03-2022

दहेज हैं एक मानसिक विकृति

दहेज़ हैं एक मानसिक रोग ।। # दहेज़ लोभी होना हैं एक मानसिक विकृति । इसके कारण हो जाते हैं साधारण और धन से कमजोर मानव तंग ।। बेटियां ब्याही जाती हैं एक वर से और उसके घर और समाज वाले उसे (वर) बना डालते हैं सौदे बाजी

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       31-03-2022

शहीदों को नमन

शहीदों को नमन खुली हवा में सांस जो ली है, गुलामी की जंजीरें तोड़ी है, अत्याचार सहन न करे कोई बदन आओ मिलकर सभी करे, वीर शहीदों को नमन।

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       30-03-2022

सन्नाटा

चहु ओर सन्नाटे का आलम था मैं था और मेरी तन्हा ख्वाहिशों से मेरा दिल ज़ख्मी था । सारा ज़माना छोड़ मैं, मिलने लगा खुद की बेचैनियोँ से, तो कभी तन्हाइयों से ।।

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       30-03-2022

अलविदा दीदी

अमर आत्मा का अनंत सफ़र दे गया अश्रु करोड़ों नयनों में, वेदनाओं का यह पल क्यू न थम जाएं यहीं पर। ममत्व के आंचल में जिसने

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       29-03-2022

खामोशियां चुभती हैं

खामोश हो जाती जुबां अक्सर जब जख्म ढेर हो भीतर मन के । टूटा फूटा ही सही पर गुबार निकल जाता हैं दर्द का शब्द बनकर ।। सैलाब बन पीरा का भंवर

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       29-03-2022

मुसाफिर सा मैं

मुसाफ़िर बन मैं भटकता रहा मंज़िल की तलाश में । दूर दूर तक ना अता पता था । मंज़िल का मैंने खोजा उसे,हाथ में चराग़ लेकर ।

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       29-03-2022

परछाई/ अक्स

ख्वाबों में सूरत बसी थी बन हकीकत छा गई है । अक्स बनकर आंखों में अंतःकरण में भा गई है ।। मन मंदिर के निलय में

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       29-03-2022

शहादत

तिरंगे की शान की खातिर और मातृभूमि की आन की खातिर लाखों कर गए जान फिदा देश की माटी की खातिर । कौन सा लहू का रिश्ता था

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       29-03-2022

लावारिस

चुका रहा हूं मोल में, न जानें किस गुनाह का। हूं मैं दर्पण सभ्य खोखले समाज का, जिसकी विशाल दृष्टि कोनता में न मिला मुझे कोई सम्मान।

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       28-03-2022

दिल के जज़्बात

मैं प्रेम के दो शब्दों पे भरोसा करने वाला। और वो दिल से मेरे खेले तो बुरा लगता है।। मैं दुनियाँ की भीड़ में उसको पहचान जाऊँ। वो पहचान कर भी तन्हाँ छोड़े तो बुरा लगता है ।।

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       28-03-2022

सपने का राजकुमार

बड़ी चाहत थी मेरी मिलने की ख्वाबों के राजकुंवर से । सुना था दादी, नानी से किस्से कहानियों में उस, राजकुंवर के तारीफों की अनगिनत कड़ियों के बारे में । होगा वो ऐसा,

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       28-03-2022

पवित्र मन

मन जब,पवित्र होता हैं तो, उसमें झलकती हैं कुदरत की सारी सुंदर कृति । होता हैं आइना एक साफ मन बस्ती हैं उसमें सारी जहान की खूबसूरती स्वयं,उसमें आकर रहती हैं सारी सृष्टि की कला ।।

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       28-03-2022

मनहर तेरा परिधान प्रिए

दिलकश मनहर अनुपम प्यारा आकर्षक परिधान तुम्हारा । नवयौवना सा सजी-धजी तुम मनभावन है रूप तुम्हारा ।। तन से लिपटे हुए ढंग से

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चिपको आंदोलन

विद्रोह नही विरोधियों के खिलाफ ये,हैं माध्यम जन चेतना को जगाने का पर्यावरण संरक्षण दृष्टिकोण से ।। जुनून रग रग में भरकर वो सोते हैं, जगते हैं और राह पर निकलते हैं

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       28-03-2022

Theory of Old Age किसी वस्तु के पुराना होने का सिद्धांत, द्वारा-अभिषेक कुमार

वैसे मेरा मन बचपन से ही भौतिक एवं रसायन विज्ञान की ओर खिंचा चला आता था और उसमें यदि खगोल, अंतरिक्ष विज्ञान की बात हो तो क्या कहना मन बावरा हो कर एक कल्पनाओं के सागर में गोता लगाने लगता आखिर कैसे होंगें असल में चांद सितारे..?

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       28-03-2022

गांव का आंचल

सुन ज़रा, रुका जा ज़रा, मुड़कर देख तो लें ज़रा क्या है तेरी संस्कृति क्या है तेरी परंपरा मुड़ कर देख तो ज़रा क्यू दौड़ता है पगले आधुनिकता के माया जाल में कुछ पल थम तो जा थोड़ा प्रीत के मीत में डुबकी लगा तो लें ज़रा

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       28-03-2022

स्वागत है मधुमास

नवसमवत्सर का स्वागत गीत नवसम्वत्सर की बेला है, नवऋतुओ ने श्रृंगार किये I आमों पर हैं खिली मंजरी, स्वागत है मधुमास प्रिये II

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       27-03-2022

मेरी चाहत

कवियत्री की चाहत जो वो पक्तियों में व्यक्त कर रही है....

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       27-03-2022

सरिता संगीत पथ प्रेम मृत्यु

यह कविता एक नदी के प्रवाह को दर्शाती है उस नदी की बहाती हुई धारा को समझती है कि जब नदी बहाती है तो एक संगीत के साथ कलकल करती हुई और मनोरम संगीत के साथ मन को लुभाती हुई जीवन की प्यास बुझती हुई और ये समझाती हुई कि मेरा जीवन एक वैराग्य सा है जो निस्वार्थ है

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       27-03-2022

आहत स्त्री

।। आहत स्त्री ।। # स्त्री का मन होता हैं फूल सा कोमल उसके भीतर के अहसास भी होते छुईमुई से और नाजुक । क्यूं और कब,कैसे और कहां हो जाती हैं फिर वो आहत भीतर ही भीतर ।। कब और कैसे हो जाती हैं चोटिल उसके भाव ।। संस्कारों की खान बन चलती हैं मर्यादा का पालन करती

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