कविता/दोहा
सहयोग सद्भाव से तलाक
चलो मान लिया कि आप बड़े संवेदनशील हैं भोले भाले मिलनसार है सबसे सहयोग का विचार रखते हैं। आपकी देखा देखी मुझे भी ये बीमारी लग गई, सुख चैन मेरा छीन ले गई। जाने कैसे आप झेल लेते हैं ईर्ष्या, द्वेष तो सह कर भी प्रसन्नचित रहते हैं, गालियाँ खाकर भी...
Read Moreविश्वास की मीनार
टूटता चिटकता मन काँपता बिखरता विश्वास हौसले तोड़ने वाला आत्मविश्वास, फिर भी मन मानने को तैयार नहीं है। शायद बेहयाई इतनी प्रबल कि सत्य से मुंँह मोड़ने को न हो पा रहे तैयार। कब तक उहापोह में जीते रहोगे क्यों खुद को मिटाने की आखिर जिद किए बैठे...
Read Moreइंसान हैं तो
इंसान हैं हम आप तो इंसानियत भी दिखना चाहिए, गिरगिट की रंग बदलने से हम सबको बचना चाहिए। भेड़िए का खाल ओढ़कर बेशर्म बनने से क्या मिलेगा? अंदर से कुछ हैं, भीतर से कुछ और से कुछ हाथ नहीं आने वाला, सिर्फ हाथ मलने के सिवा कुछ हासिल भी नहीं होगा। आ...
Read Moreमिसाइल मैन कलाम
15 अक्टूबर 1931को जन्में रामेश्वरम, तमिलनाडु के गरीब मुस्लिम परिवार में कलाम धरा पर आये, पिता जैनुलाब्दीन माता अशियम्मा सुत कलाम को पाये। गरीबी की छाँव में अनेकों कष्ट सहकर दुश्वारियों से लड़़कर रार जैसे ठाने थे, अभावों, असुविधाओं के बीच हौंसले की चट्टान..
Read Moreदिल की बातें
दिल की बातें साझा करना कठिन भी तो है,आसान भी, मन की पीड़ा बाँटना मुश्किल है, क्योंकि पीड़ा के लिए दोषी मैं ही हूँ। तो दोष किसे दूँ, किससे बताऊँ? भावनाओं के रिश्ते की पवित्रता पर आखिर दाग क्यों और कैसे लगाऊँ? दिल ने माना महसूस किया पवित्रता को....
Read Moreवर्षा रानी अब आ जाओ
कब से इंतजार में हम हैं वर्षा रानी कि तुम आकर सुनाओगी अपनी कहानी, पर मन मलीन होकर रह गया है तुम्हारा तो दर्शन ही दुर्लभ हो गया है। आखिर! तुम्हारी बेरुखी का कारण क्या है? तुम्हें मनाने का निवारण क्या है? धरती प्यास से व्याकुल है जगह जगह पड़ रही द...
Read Moreद्रौपदी:तब और अब
एक थी वो द्रौपदी जो गुहार लगाती, दुहाई देती धर्म, मर्यादा और रिश्तों की, फिर भी असहाय सी शर्मिंदा हो कृष्ण कन्हैया को अपनी रक्षा की खतिर पुकारने को विवश हो गई, माखन चोर ने लीला ऐसी रची कि रिश्तों की ही नहीं नारी मर्यादा की आखिर उस समय लाज बच गई..
Read Moreसावन आया रे...
दूर गगन में घटा है छाई.. मानो... यह संदेश थी लाई, बिजुरिया भी,हौले से मुस्काई.. चमक दमक के,वो भी इठलाई, मंद मंद फिर चली पुरवाई.. गहरी हो गई.. नभ की सुरमाई, बादलों ने भी अपने अंदाज में.. गीत यह गुन गुनाया रे... सावन आया रे..देखो,
Read Moreजय बम भोले
पावन सावन मंगल मय बम बम भोले शिव की जय गंगा जल गगरी में भरकर चले कांवड़िए शिव के घर गूंज रहा शोर चहुँदिश में हर हर महादेव की जय जय। बैजू बैद्यनाथधाम की जय सोमनाथ, रामेश्वर की जय पृथ्वीनाथ की जय बम भोले होय भदेश्वरनाथ की जय जय बोलें औघड़ दानी की...
Read Moreसावन में इंद्रदेव
पानी की आस लिए लिए वारिश के इंतजार में लो आषाढ़ बीत गया चलो कोई बात नहीं। सावन आ गया, गुरु पूर्णिमा भी मनाया हमनें शिव का दरबार सज गया शिव मंदिरों में भोलेनाथ को जल भी खूब चढ़ गया बम बम भोले, ऊँ नमः शिवाय के जयकारों से वातावरण शिवमय भी हो गया। पर इंद्रदेव..
Read Moreआज..मेरी मां जा रही है...
जाने क्यों सुबह से आज, आंखें नम हो रही हैं.. उमंग नहीं है आज..जाने क्यों, दिल में उदासी सी छा रही है.! आज"गंगा दशहरा"के पावन दिवस पे, "गंगा रूपी" मेरी मां.. मेरा धाम छोड़े जा रही है, विदाई की बेला..पास आ रही है.. आज...मेरी मां जा रही है! अर...
Read Moreचाँद में अक्स
चांँद में दिख रहा अक्स क्या सचमुच मेरा है? या महज छलावा है अथवा मेरा भ्रम है। जो भी है क्या फर्क पड़ता है भले ही ये महज छलावा है कि मेरा अक्स चांँद में नजर आया है इसी बहाने से एक पल के लिए ही सही मुझे खुद पर गुमान हो आया है, चाँद को मुझसे प्यार हो गया है
Read Moreअनिता कुमारी जोनवाल की प्रेरक कविताएं
आज रिश्तो में नया रूप नया रंग आ चुका है बच्चे पहले माता-पिता कहते थे अब वह मॉम डैड बन चुके हैं पहले घर के मुखिया को दादा जी कहते थे परंतु अब दादाजी दद्दू बन चुके हैं।। आज रिश्तो में नया रूप नया रंग आ चुका है पहले बुजुर्गों के आशीर्वाद से घर...
Read Moreहसरतें एवं उमंगों के कारवां
हसरतें है चांद के उस पार अँधेरे में सूरज के रौशनी पहुंचाने का। उमंगें है उजड़े हुए चमन में बहारों की गुलसिताँ सजाने का। जुनून है बैसाख के तपती धरती को सावन के फुहारों से तृप्त कराने का। साहस है तूफानों में मझधार तक पहुँचाने का। धैर्य और हिम्मत है...
Read Moreआज मेरा जन्मदिन
आज एक जुलाई है मेरा जन्मदिन भी है मगर इसमें खास क्या है? एक जुलाई तो अनंत काल तक आयेगा पर मेरे जन्मदिन का साल लगातार कम होता जायेगा। हर साल,हर माह, हर दिन, हर पल मेराजीवन काल कम होता जायेगा फिर एक दिन मुक्ति मिल जायेगी मेरा जन्मदिन भी भुला दिया जायेगा...
Read Moreमेरा जन्मदिन
बगिया वाले प्राइमरी पाठशाला वाले मुंशी जी ने तो कमाल कर दिया, अठारह मार्च था जन्मदिन मेरा उसे हलाल कर एक जुलाई कर दिया। पहले का जमाना कुछ ऐसा ही था बाबा का संदेश क्या मिला मेरा नाम जन्मदिन रजिस्टर में पहले दर्ज कर फिर मुंशी जी घर आ गए कल से स्कूल आना है,
Read Moreबदल गई है तू
कल और आज में कितनी अलग अलग लगती है तू मान या न मान बहुत बदल गई है तू। याद आता है वो दिन जब मिले थे हम तुम पहली बार कितना अपनापन सा दिखा था रिश्तों में एक अनुबंध सा लगा था। कितना दुलार था जब पहली बार तेरे हाथों से जलपान किया था, तब बड़ी बहन का...
Read Moreमाँ अन्नपूर्णा
सभी को भाते हैं, पर इस व्यंजन के पीछे कितनों की हाँड़ तोड़ मेहनत लगी है कितने लोग समझ पाते हैं। पैसों के गुरुर में चूर हैं कितने अन्नपूर्णा का अपमान करने में भी तनिक नहीं शर्माते हैं। चंद पैसे फेंक अनाज ले आते हैं पैसों का बड़ा घमंड दिखाते हैं,...
Read Moreपिता का मतलब
हम जानते हैं, मानते भी हैं पर विडंबना यह है कि पिता को समझते नहीं हैं, पिता हमें बेवकूफ लगते हैं जब वे हमें कुछ बताते, समझाते हैं अथवा कभी डांटते हैं। तब लगता है कि वे हमें अभी तक बच्चा ही समझते हैं, मगर ये बात उन्हें कौन समझाए कि अब हम बड़े ही नहीं समझ..
Read Moreये वक्त भी चला जायेगा
वक्त कहो या समय कोई फर्क नहीं पड़ता, बस! वक्त या समय चलता रहता है निरंतर, निर्बाध अविराम। वक्त बड़ा भोला है अपने काम के प्रति संवेदनशील है जूनून से लगा ही रहता अपने कर्तव्यों के प्रति। न ईर्ष्या न द्वैष,न निंदा न नफरत न कोई दोहरा मापदंड न हमसे लगाव, न आपस
Read Moreदोहा कबीर जयंती विशेष
दोहा प्रतियोगिता: कबीर जयंती विशेष 1. जात पात पर चोट कर जीव दया पर ध्यान । करम हो उत्तम सदा मनुज गुणों की खान ।। 2. गुरु श्रेष्ठ है जगत में गुरु को गुरुतर मान । मोम सदिश खुद को जला देता जग को ज्ञान ।। 3. वाणी मीठी हो सदा स्वच्छ हृदय नित राख
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