जनसंदेश आलेख

       06-09-2022

एकल पहुंच के पैरवीकार एवं सार्वजनिक पहुंच के पैरवीकार पर मेरे विचार।

किसी कार्यो के संपादित कराने के लिए खुद के पुरुसार्थ पर भरोषा न कर के शॉर्टकट तरीका किसी दूसरे पहुंच पैरवी वाले व्यक्ति से सिफारिश कराना कुछ लोग उचित समझते है। इस संदर्भ में एकल पहुंच पैरवीकार वाले व्यक्ति और सार्वजनिक पहुंच पैरवीकार वाले व्यक्ति के बा...

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       26-08-2022

समानता का अधिकार

ना हूं मैं सारंगी ना हूं कोई वाद यंत्र जो,जब चाहे और आए और सरगम की धुन समझ वीना के तान छेड़ जाएं ।। नारी हूं खुद में संपूर्ण हूं चाहती हूं स्वतंत्रता से फलक दरमियान पंख फैला उड़ना ।। हां, चाहती हूं रात और दिन बेखौफ हो सड़कों और चौराहों...

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       18-08-2022

दुर्दशा का कौन जिम्मेवार

औरत या नारी की दुर्दशा का कौन हैं असली गुनहगार आखिर,कौन ?? हर लेखक,हर रचनाकार औरत की मन की जबानी को शब्दों में ढालने की चेष्टा करता हैं मन की पीर, मस्तिष्क की हर उथल पुथल को कागज़ी जामा पहनाने की कोशिश भी करता हैं ।। पर वो, जायज़ या उचित..

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       26-06-2022

सोच बदलिए

हमारे जीवन में सोच का बड़ा महत्व है।कहा भी जाता है कि हम जैसा सोचते हैं, परिणाम भी लगभग वैसा ही मिलता है। उदाहरण के लिए एक विद्यार्थी बहुत मेहनत करता है, लेकिन परिणाम के प्रति उहापोह लिए नकारात्मक भावों में ही उलझा रहता है, तो यकीनन परिणाम भी निराश...

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       16-05-2022

कबाड़ी वाली दादी

कबाड़ी वाली दादी हमारे दुकान के सामने रोज़ आती जहाँ मैं व मेरे गाँव के तीन दोस्त जॉब करते हैं,पंडित जी,पप्पू भैया, और प्रमोद एक दिन हमने उनसे पूछा आप बुजुर्ग हो गई हो आपको तो घर पर रहना चाहिये, तब उन्होंने बताया कि हमारे बेटा नहीं है, एक बेटी है जिसका...

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       14-05-2022

आस

एक नए विचार को सीखने के लिए पुराने विचारों को भूलना पड़ता है कुछ क्षण के लिए। यदि पुराने विचारों का मंथन मस्तिष्क में चलता रहेगा तो नए विचारों का सीखना असंभव है। जीवन, क्या इसे समझा जा सकता है, हर क्षण एक नयी आस के साथ जीवन का चक्र चलता रहता है। एक आस....

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       12-05-2022

सद्चरित्रवान बनाम दुष्चरित्रवान

हमारी सभ्यता और हमारी संस्कृति, मानव की मानवता अर्थात सत्कर्म पर अत्यधिक बल देती है। वर्तमान में अभी भी संकीर्णता देखने को मिल जाती हैं जो की अज्ञानता की उपज है जिसने समाज को अभी भी कई हिस्सों में बांट रखा है। सद्चरित्रवान बनाम दुष्चरित्रवान जाति-पाँति..

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       08-05-2022

मोह और माया

सामंजस्य और संतुलन सुखमय जीवन के मूलाधार हैं स्वयं के लिए और समाज के लिए भी। प्रस्तुत आलेख मोह और माया के बीच संतुलन एक व्यवस्थित और सुखमय जीवन को दर्शाता है और विचारों को एक नई दिशा प्रदान करता है। मोह-माया, बड़ा ही घनिष्ट संबंध है एक दूसरे से। अक्सर...

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       20-04-2022

जायज बनाम नाजायज

दौर बदले,ढंग बदले जीवन जीने की शैली भी बदली । कहां,हम एक मानसिक रूप से स्वस्थ रिश्ते में बंधना पसंद करते हैं और कहा अब, भाई सब चलता हैं । क्या,जायज क्या नाजायज, बस,दौलत की चमक और जरूरतों की लालसा ने इंसानों को अंधा बना दिया हैं । शायद,वो सही और

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       12-04-2022

पंछी खोजते अपना आशियां वृक्षों की डाल पर

पंछी खोजते अपना आशियां वृक्षों की डाल पर

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       13-03-2022

प्रेम रंग से हृदय रंगो

हमारे तीज त्योहार हमेशा ही हमें आपसी एकता, भाईचारे के संदेश देते आ रहे हैं।आधुनिकता की अंधी दौड़ में हम भले ही कहाँ से कहाँ पहुंच गये...

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       06-03-2022

जिस देश मे गंगा बहती है, वहां गंदी राजनीति का फैलाव है।

आज यह देखकर बहुत हैरानी होती है कि जिस देश में पवित्र गंगा बहती है वहां की राजनीति बहुत ही गंदी और कीचड़ मय होती जा रही है। जोकि हर भारतीय को धार्मिक और जातिवाद के कुचक्र में इस प्रकार फंस आती जा रही है की आम इंसान अपनी इंसानियत भूल गया है। देश का राजनीतिक माहौल धार्मिक और राजनीतिक स्तर का हो गया है जोकि हमारे समाज की सामाजिक संरचना को बिगाड़ने के लिए काफी है।

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