जनसंदेश आलेख
एकल पहुंच के पैरवीकार एवं सार्वजनिक पहुंच के पैरवीकार पर मेरे विचार।
किसी कार्यो के संपादित कराने के लिए खुद के पुरुसार्थ पर भरोषा न कर के शॉर्टकट तरीका किसी दूसरे पहुंच पैरवी वाले व्यक्ति से सिफारिश कराना कुछ लोग उचित समझते है। इस संदर्भ में एकल पहुंच पैरवीकार वाले व्यक्ति और सार्वजनिक पहुंच पैरवीकार वाले व्यक्ति के बा...
Read Moreसमानता का अधिकार
ना हूं मैं सारंगी ना हूं कोई वाद यंत्र जो,जब चाहे और आए और सरगम की धुन समझ वीना के तान छेड़ जाएं ।। नारी हूं खुद में संपूर्ण हूं चाहती हूं स्वतंत्रता से फलक दरमियान पंख फैला उड़ना ।। हां, चाहती हूं रात और दिन बेखौफ हो सड़कों और चौराहों...
Read Moreदुर्दशा का कौन जिम्मेवार
औरत या नारी की दुर्दशा का कौन हैं असली गुनहगार आखिर,कौन ?? हर लेखक,हर रचनाकार औरत की मन की जबानी को शब्दों में ढालने की चेष्टा करता हैं मन की पीर, मस्तिष्क की हर उथल पुथल को कागज़ी जामा पहनाने की कोशिश भी करता हैं ।। पर वो, जायज़ या उचित..
Read Moreकबाड़ी वाली दादी
कबाड़ी वाली दादी हमारे दुकान के सामने रोज़ आती जहाँ मैं व मेरे गाँव के तीन दोस्त जॉब करते हैं,पंडित जी,पप्पू भैया, और प्रमोद एक दिन हमने उनसे पूछा आप बुजुर्ग हो गई हो आपको तो घर पर रहना चाहिये, तब उन्होंने बताया कि हमारे बेटा नहीं है, एक बेटी है जिसका...
Read Moreसद्चरित्रवान बनाम दुष्चरित्रवान
हमारी सभ्यता और हमारी संस्कृति, मानव की मानवता अर्थात सत्कर्म पर अत्यधिक बल देती है। वर्तमान में अभी भी संकीर्णता देखने को मिल जाती हैं जो की अज्ञानता की उपज है जिसने समाज को अभी भी कई हिस्सों में बांट रखा है। सद्चरित्रवान बनाम दुष्चरित्रवान जाति-पाँति..
Read Moreमोह और माया
सामंजस्य और संतुलन सुखमय जीवन के मूलाधार हैं स्वयं के लिए और समाज के लिए भी। प्रस्तुत आलेख मोह और माया के बीच संतुलन एक व्यवस्थित और सुखमय जीवन को दर्शाता है और विचारों को एक नई दिशा प्रदान करता है। मोह-माया, बड़ा ही घनिष्ट संबंध है एक दूसरे से। अक्सर...
Read Moreजायज बनाम नाजायज
दौर बदले,ढंग बदले जीवन जीने की शैली भी बदली । कहां,हम एक मानसिक रूप से स्वस्थ रिश्ते में बंधना पसंद करते हैं और कहा अब, भाई सब चलता हैं । क्या,जायज क्या नाजायज, बस,दौलत की चमक और जरूरतों की लालसा ने इंसानों को अंधा बना दिया हैं । शायद,वो सही और
Read Moreपंछी खोजते अपना आशियां वृक्षों की डाल पर
पंछी खोजते अपना आशियां वृक्षों की डाल पर
Read Moreप्रेम रंग से हृदय रंगो
हमारे तीज त्योहार हमेशा ही हमें आपसी एकता, भाईचारे के संदेश देते आ रहे हैं।आधुनिकता की अंधी दौड़ में हम भले ही कहाँ से कहाँ पहुंच गये...
Read Moreजिस देश मे गंगा बहती है, वहां गंदी राजनीति का फैलाव है।
आज यह देखकर बहुत हैरानी होती है कि जिस देश में पवित्र गंगा बहती है वहां की राजनीति बहुत ही गंदी और कीचड़ मय होती जा रही है। जोकि हर भारतीय को धार्मिक और जातिवाद के कुचक्र में इस प्रकार फंस आती जा रही है की आम इंसान अपनी इंसानियत भूल गया है। देश का राजनीतिक माहौल धार्मिक और राजनीतिक स्तर का हो गया है जोकि हमारे समाज की सामाजिक संरचना को बिगाड़ने के लिए काफी है।
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