सबसे पहले माँ
जहाँ मैं रही नौ महीने, वो गर्भ गृह है पहला घर मेरा। चैन से रख कर सोती थी, अपना सर जिस गोद में, वो पहला बिस्तर मेरा। अपनी बाहों में रखती थी, सबसे बचा कर मुझे, वो पहला सुरक्षा कवच मेरा। पी कर जिसको बड़ी हुई, और मिली ताकत मुझे, वो पहला भोजन मेरा...
Read Moreगोरे के घर, काला धन।
मैडम तो मोहन की राधा, कन्हैया की बंसी, नंदलाल की श्यामा, शंखपानि की तिर्थकन्या, पुरानपुरूष की नागरमनी, नवनीत की कृष्णाप्रिय, पार्थसारथी की श्यमाभारती जैसी थी। उफ्फ कैसी निष्ठुर और निर्दई है ये ईडी। बेचारी नारियों की प्रेरणास्रोत आईएएस मैडम को बदनाम करने
Read Moreपौधों से जंगल बनाता एक नव युवा की लगन
वर्ष 1979 में जाधव 10 वीं की परीक्षा देने के बाद अपने गाँव में ब्रह्मपुत्र नदी के बाढ़ का पानी उतरने पर इसके बरसाती भीगे रेतीले तट पर घूम रहे थे। तभी उनकी नजर लगभग 100 मृत सांपों के विशाल गुच्छे पर पड़ी आगे बढ़ते गए तो पूरा नदी का किनारा मरे हुए जीव....
Read Moreरिश्ते बनाम स्वार्थ सच का
रिश्ते बनाम सच स्वार्थ का ।। किसी ने हैं सच कहा, ना ज़िगर काट के लहू बहाना किसी वास्ते कतरा कतरा करके । लहू के नाम संग जो नाते हैं जुड़ते जैसे,आहिस्ता आहिस्ता हो रग रग का जोक की तरह खून पीते ।। उम्र दराज बढ़ती पलती हैं ये वफ़ा रिश्ते की नाम क
Read Moreमाँ को नमन
उस माँ पर हम क्या लेख लिखें खुद ईस्वर जिनके लिए तरसे इक जननी बनने के खातिर न जाने कितने कष्ट सहे I तेरह वर्षों की अल्पायु, जीवन का कोई बोध नही I होते शारीरिक बदलाव, स्वीकार करे कैसे कोई I नौ माहों की गर्भा वस्था रक्त से अपने सींच सींच कर..
Read Moreखुदा की इबादत जैसी मेरी मोहब्बत
खुदा की इबादत जैसी,पाक मेरी मोहब्बत ।। मोहब्बत के फनकार पर सदियों से फना गालिब और मिर्ज़ा की शायरी साहब! हर अल्फाज़,हर गज़ल सजे इनकी बस ,मोहब्बत के कसीदे पर । मोहब्बत,प्यार,प्रेम,लगाव और अपनापन हैं महज़ एक ही किताब के ढेर पन्ने ये,प्रेम और....
Read Moreजानिए लोटा और गिलास के पानी में अंतर
भारत में हजारों साल की पानी पीने की जो सभ्यता है वो गिलास नही है, ये गिलास जो है #विदेशी है. गिलास भारत का नही है. गिलास #यूरोप से आया. और यूरोप में #पुर्तगाल से आया था. ये पुर्तगाली जबसे भारत देश में घुसे थे तब से गिलास में हम फंस गये. गिलास अपना नही..
Read Moreउत्तराखंड में फूलों के घाटी का सैर
उत्तराखंड के चमोली जनपद स्थित फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए 1 जून, 2022 से खोल दी जाएगी। क्या आप जानते हैं कि फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान, यूनेस्को द्वारा ‘‘विश्व धरोहर स्थली’’ घोषित है। समुद्र तल से लगभग 3,600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस विश्व....
Read Moreसंसार का आठवां आश्चर्य
इस आधुनिक संसार में कुछ ऐसे भी देश हैं जो वह अपने आर्थिक हित के लिये युद्ध करते है। मीडिया , बुद्धिजीवी वर्गों से राष्ट्रों और नेताओं को बदनाम करता है। आज एक ऐसे नेता कि बात होगी जिसे विश्व के अधिकतर लोग तानाशाह मानते है। जिसे नोबेल पुरस्कार मिलना......
Read Moreलम्हें खुशी के
ढूंढता हूं लम्हें अक्सर, मैं! वो, जिसमें समाई मेरी दिल की हैं थोड़ी सी खुशी पढ़ता भी हूं,सुनता भी वाकई,मेरा दिल चाहता क्या हैं ।। गुजरता हूं जब भी, प्रकृति के साए से होकर । थोड़ा,एकांत में होकर खोजता हूं अपनी भीतर की हर खुशी । ये, लताएं....
Read Moreसरकारी बाबू - सेवक नहीं साक्षात अवतार।
जब भी कोई सरकारी कार्य करवाने कोई महापुरुष अवतरित हो तो उसे ग्राहक समझिए क्यूंकि इंसान में भगवान दिखे न दिखे ग्राहक में भगवान जरूर दिखते हैं। सुबह उठकर नित्य क्रिया से निवृत होकर, माथे पर गेंदा के फूल से त्रिपुंड लगाकर, जब मनोहर जी भगवान के साधना में...
Read Moreभारत तेरा नाम रहे I
देश भक्ति से ओत प्रोत कविता, देश पर बलिदान हुए वीरो के शौर्य की गाथा, भारत तेरा नाम रहे I सोने की चिड़िया थे कहते सिंचित है वीरो के रुधिरो से I माटी है पावन बलिदानी वन्दन करते हम अधरों से I तू हम सब की पहचान रहें, हे भारत तेरा नाम रहे I चन्द्
Read Moreमजदूर नहीं मजबूर
मज़दूर हूं साहब! कोई मजबूर नही,लाचार नही और ना ही बेबस । दो पल जून की रोटी चैन से कमाता हूं ।। और ऐशो आराम के साथ खुले आसमां की छत पर सुकून के साए तले पैर फ़ैला आराम से सोता भी ।। ईमान,खुद्दारी का जज़्बा ज़िंदा मुझमें भी है हुजूर,
Read Moreमजदूर दिवस
आज एक मई मजदूर दिवस है। आज बड़े बड़े खोखले वादे होंगे मजदूरों के ज़ख्मों पर नमक छिड़के जायेंगे मजदूरों के मजदूर होने और मजबूरियां ही उनकी नियत का अहसास कराये जायेंगे। कल से फिर मजदूरों के जज़्बातों उनके दुःख दर्द, परेशानियां किसी को नजर नहीं आयेंगे मजदूर
Read Moreतुम मजदूर हो
फटे पुराने कपड़ों से लिपटे तन निकल पड़ते हो गेह से । छल-कपट से दूर तुम हो कर्मरत तुम देह से ।। बांध सिर पगड़ी फटी, बेबस -दुखी - मजबूर हो । तुम मजदूर हो ।। मन विकल, काया शिथिल आंखें उम्मीदों से भरी । दो वक्त की रोटी मिले दुविधा यही सबसे बड़ी..
Read Moreगौरवशाली अतुल्य भारत 🚩
हल खींचते समय यदि कोई बैल गोबर या मूत्र करने की स्थिति में होता था, तो किसान कुछ देर के लिए हल चलाना बन्द करके बैल के मल-मूत्र त्यागने तक खड़ा रहता था ताकि बैल आराम से यह नित्यकर्म कर सके,यह आम चलन था। *हमनें (ईश्वर वैदिक) यह सारी बातें बचपन में स्वयं...
Read Moreसंघर्ष की कहानी मेरी ज़ुबानी
जन्म से लेकर मरण के चक्र दौरान करती हैं आत्मा का पुंज भी संघर्ष अनेक । एक,नवीन जीवन में प्रवेश कर आत्मा पाती हैं नई काया नए बंधन,नए नाते और नए संघर्ष के ढेर सारे आलम ।। जन्म से ही हुजूर! खुल जाते हैं संघर्ष के खाते कर्म और भाग्य के अधिकोष में...
Read Moreऐ ज़मीं माँ
ऐ जमीं मां तेरी यह उम्र है सदियों पुरानी मैने सुना था पूर्वजों से तेरी कहानी। वे सुने होंगे अपने पूर्वजों से उनकी जुबानी ।। और आज मैं देख रहा हूं सुन रहा हूं तेरे पिछले कर्मों की कहानी ।। ये अनगिनत जड़-चेतन जिन्हें लादे हुए हो अपनी पीठ पर....
Read Moreनैनों की तलाश ख्वाब वास्ते एक मनचाही मंजिल
नैना तलाशे खुद दर्मियां पल रहे ख़्वाब का सही ठिकाना ।। ये, ख़्वाब,ये सपने और ये मनचाही सिफारिशें हैं! शायद, कही ना कही मेरे मन की अधूरी सी कुछ ख्वाहिशें । नैना, ना देखे सर्दी की गलन, ज्येष्ठ की तपन और बरसात की टपकन बस,
Read Moreगरीब खुद शोषित या शोषण का शिकार
गरीब का शोषण क्यूं या,इसके लिए खुद गरीब हैं जिम्मेवार ।। # गरीबी कोई लाचारी नही और गरीब कोई गलीच नही फिर, अक्सर, क्यूं शोषण का शिकार होता हैं । सच्चा और सीधा इंसान । क्या,जिम्मेदार हैं उसकी परिस्थितियां या उसका खुद का खुद वास्ते! व्यवहार ।। ""
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