सबसे पहले माँ

जहाँ मैं रही नौ महीने, वो गर्भ गृह है पहला घर मेरा। चैन से रख कर सोती थी, अपना सर जिस गोद में, वो पहला बिस्तर मेरा। अपनी बाहों में रखती थी, सबसे बचा कर मुझे, वो पहला सुरक्षा कवच मेरा। पी कर जिसको बड़ी हुई, और मिली ताकत मुझे, वो पहला भोजन मेरा...

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       08-05-2022

नफ़रत

बड़ी शिद्दत से मैं , नफरत भी करता हूं । मोहब्बत की तरह । नफ़रत के अंश,बेवजह नही घर करते मन के विशाल समंदर में । बेवजह ही नही पनपते, नफरत के बीज रिश्तें,दोस्ती और सांसारिक सामंजस्य की दहलीज पर ।

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       07-05-2022

गोरे के घर, काला धन।

मैडम तो मोहन की राधा, कन्हैया की बंसी, नंदलाल की श्यामा, शंखपानि की तिर्थकन्या, पुरानपुरूष की नागरमनी, नवनीत की कृष्णाप्रिय, पार्थसारथी की श्यमाभारती जैसी थी। उफ्फ कैसी निष्ठुर और निर्दई है ये ईडी। बेचारी नारियों की प्रेरणास्रोत आईएएस मैडम को बदनाम करने

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       07-05-2022

पौधों से जंगल बनाता एक नव युवा की लगन

वर्ष 1979 में जाधव 10 वीं की परीक्षा देने के बाद अपने गाँव में ब्रह्मपुत्र नदी के बाढ़ का पानी उतरने पर इसके बरसाती भीगे रेतीले तट पर घूम रहे थे। तभी उनकी नजर लगभग 100 मृत सांपों के विशाल गुच्छे पर पड़ी आगे बढ़ते गए तो पूरा नदी का किनारा मरे हुए जीव....

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रिश्ते बनाम स्वार्थ सच का

रिश्ते बनाम सच स्वार्थ का ।। किसी ने हैं सच कहा, ना ज़िगर काट के लहू बहाना किसी वास्ते कतरा कतरा करके । लहू के नाम संग जो नाते हैं जुड़ते जैसे,आहिस्ता आहिस्ता हो रग रग का जोक की तरह खून पीते ।। उम्र दराज बढ़ती पलती हैं ये वफ़ा रिश्ते की नाम क

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माँ को नमन

उस माँ पर हम क्या लेख लिखें खुद ईस्वर जिनके लिए तरसे इक जननी बनने के खातिर न जाने कितने कष्ट सहे I तेरह वर्षों की अल्पायु, जीवन का कोई बोध नही I होते शारीरिक बदलाव, स्वीकार करे कैसे कोई I नौ माहों की गर्भा वस्था रक्त से अपने सींच सींच कर..

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       06-05-2022

खुदा की इबादत जैसी मेरी मोहब्बत

खुदा की इबादत जैसी,पाक मेरी मोहब्बत ।। मोहब्बत के फनकार पर सदियों से फना गालिब और मिर्ज़ा की शायरी साहब! हर अल्फाज़,हर गज़ल सजे इनकी बस ,मोहब्बत के कसीदे पर । मोहब्बत,प्यार,प्रेम,लगाव और अपनापन हैं महज़ एक ही किताब के ढेर पन्ने ये,प्रेम और....

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जानिए लोटा और गिलास के पानी में अंतर

भारत में हजारों साल की पानी पीने की जो सभ्यता है वो गिलास नही है, ये गिलास जो है #विदेशी है. गिलास भारत का नही है. गिलास #यूरोप से आया. और यूरोप में #पुर्तगाल से आया था. ये पुर्तगाली जबसे भारत देश में घुसे थे तब से गिलास में हम फंस गये. गिलास अपना नही..

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       06-05-2022

उत्तराखंड में फूलों के घाटी का सैर

उत्तराखंड के चमोली जनपद स्थित फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए 1 जून, 2022 से खोल दी जाएगी। क्या आप जानते हैं कि फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान, यूनेस्को द्वारा ‘‘विश्व धरोहर स्थली’’ घोषित है। समुद्र तल से लगभग 3,600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस विश्व....

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       06-05-2022

मेरी मां

अमिट प्रेम की पीयूष निर्झर क्षमा दया की सरिता हो । गीत ग़ज़ल चौपाई तुम हो मेरे मन की कविता हो ।। ऋद्धि सिद्धि तुम आदिशक्ति हो ज्ञानदायिनी मां सरस्वती हो । रणचंडी तुम समर क्षेत्र में रिपुंजय मां काली हो।।

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संसार का आठवां आश्चर्य

इस आधुनिक संसार में कुछ ऐसे भी देश हैं जो वह अपने आर्थिक हित के लिये युद्ध करते है। मीडिया , बुद्धिजीवी वर्गों से राष्ट्रों और नेताओं को बदनाम करता है। आज एक ऐसे नेता कि बात होगी जिसे विश्व के अधिकतर लोग तानाशाह मानते है। जिसे नोबेल पुरस्कार मिलना......

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       05-05-2022

कलाकार

रंगों से हो या जीवन के रंगमंच से एक कलाकार का वास्ता हैं । हकीकत के अक्स से ।। कभी ,रंगों के माध्यम से भरता हैं खुशी और सकारात्मकता के रंग चित्रकारी के जरिए । तो,कभी रंगमंच पर अदा और करतब करके, हर एक को साबित करता हैं अपने हुनर

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       05-05-2022

लम्हें खुशी के

ढूंढता हूं लम्हें अक्सर, मैं! वो, जिसमें समाई मेरी दिल की हैं थोड़ी सी खुशी पढ़ता भी हूं,सुनता भी वाकई,मेरा दिल चाहता क्या हैं ।। गुजरता हूं जब भी, प्रकृति के साए से होकर । थोड़ा,एकांत में होकर खोजता हूं अपनी भीतर की हर खुशी । ये, लताएं....

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       04-05-2022

खुद्दारी

ये ज़मीर हैं जो मेरा धकड़ता हैं जोरों से और कहता हैं मेरे अस्तित्व का वजूद हैं केवल खुद्दारी के दम से । बेशर्मियत की ज़िंदगी जो करती हैं मन को बोझिल सा और जैसे, तन के हर अंगों को लहूलुहान उस,बोझ को ना ये शरीर की काया ढोह सकेगी जब तक, ये आत्मा

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       03-05-2022

सरकारी बाबू - सेवक नहीं साक्षात अवतार।

जब भी कोई सरकारी कार्य करवाने कोई महापुरुष अवतरित हो तो उसे ग्राहक समझिए क्यूंकि इंसान में भगवान दिखे न दिखे ग्राहक में भगवान जरूर दिखते हैं। सुबह उठकर नित्य क्रिया से निवृत होकर, माथे पर गेंदा के फूल से त्रिपुंड लगाकर, जब मनोहर जी भगवान के साधना में...

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       03-05-2022

भारत तेरा नाम रहे I

देश भक्ति से ओत प्रोत कविता, देश पर बलिदान हुए वीरो के शौर्य की गाथा, भारत तेरा नाम रहे I सोने की चिड़िया थे कहते सिंचित है वीरो के रुधिरो से I माटी है पावन बलिदानी वन्दन करते हम अधरों से I तू हम सब की पहचान रहें, हे भारत तेरा नाम रहे I चन्द्

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मजदूर नहीं मजबूर

मज़दूर हूं साहब! कोई मजबूर नही,लाचार नही और ना ही बेबस । दो पल जून की रोटी चैन से कमाता हूं ।। और ऐशो आराम के साथ खुले आसमां की छत पर सुकून के साए तले पैर फ़ैला आराम से सोता भी ।। ईमान,खुद्दारी का जज़्बा ज़िंदा मुझमें भी है हुजूर,

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       01-05-2022

मजदूर दिवस

आज एक मई मजदूर दिवस है। आज बड़े बड़े खोखले वादे होंगे मजदूरों के ज़ख्मों पर नमक छिड़के जायेंगे मजदूरों के मजदूर होने और मजबूरियां ही उनकी नियत का अहसास कराये जायेंगे। कल से फिर मजदूरों के जज़्बातों उनके दुःख दर्द, परेशानियां किसी को नजर नहीं आयेंगे मजदूर

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       01-05-2022

तुम मजदूर हो

फटे पुराने कपड़ों से लिपटे तन निकल पड़ते हो गेह से । छल-कपट से दूर तुम हो कर्मरत तुम देह से ।। बांध सिर पगड़ी फटी, बेबस -दुखी - मजबूर हो । तुम मजदूर हो ।। मन विकल, काया शिथिल आंखें उम्मीदों से भरी । दो वक्त की रोटी मिले दुविधा यही सबसे बड़ी..

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गौरवशाली अतुल्य भारत 🚩

हल खींचते समय यदि कोई बैल गोबर या मूत्र करने की स्थिति में होता था, तो किसान कुछ देर के लिए हल चलाना बन्द करके बैल के मल-मूत्र त्यागने तक खड़ा रहता था ताकि बैल आराम से यह नित्यकर्म कर सके,यह आम चलन था। *हमनें (ईश्वर वैदिक) यह सारी बातें बचपन में स्वयं...

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       30-04-2022

संघर्ष की कहानी मेरी ज़ुबानी

जन्म से लेकर मरण के चक्र दौरान करती हैं आत्मा का पुंज भी संघर्ष अनेक । एक,नवीन जीवन में प्रवेश कर आत्मा पाती हैं नई काया नए बंधन,नए नाते और नए संघर्ष के ढेर सारे आलम ।। जन्म से ही हुजूर! खुल जाते हैं संघर्ष के खाते कर्म और भाग्य के अधिकोष में...

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       30-04-2022

ऐ ज़मीं माँ

ऐ जमीं मां तेरी यह उम्र है सदियों पुरानी मैने सुना था पूर्वजों से तेरी कहानी। वे सुने होंगे अपने पूर्वजों से उनकी जुबानी ।। और आज मैं देख रहा हूं सुन रहा हूं तेरे पिछले कर्मों की कहानी ।। ये अनगिनत जड़-चेतन जिन्हें लादे हुए हो अपनी पीठ पर....

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विश्वगुरु

बट रहा है मेरा भरतखंड जाति,धर्म, भाषा,वर्ग के भेद में क्यू है छाया अंधकार का साया संस्कृति और मानवियता प्रधान राष्ट्र में। भिन्न भाषा, भिन्न जाति फिर भी भारत एक है भारत मां की ममता में क्या बच्चों में भेद है??

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       28-04-2022

नैनों की तलाश ख्वाब वास्ते एक मनचाही मंजिल

नैना तलाशे खुद दर्मियां पल रहे ख़्वाब का सही ठिकाना ।। ये, ख़्वाब,ये सपने और ये मनचाही सिफारिशें हैं! शायद, कही ना कही मेरे मन की अधूरी सी कुछ ख्वाहिशें । नैना, ना देखे सर्दी की गलन, ज्येष्ठ की तपन और बरसात की टपकन बस,

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गरीब खुद शोषित या शोषण का शिकार

गरीब का शोषण क्यूं या,इसके लिए खुद गरीब हैं जिम्मेवार ।। # गरीबी कोई लाचारी नही और गरीब कोई गलीच नही फिर, अक्सर, क्यूं शोषण का शिकार होता हैं । सच्चा और सीधा इंसान । क्या,जिम्मेदार हैं उसकी परिस्थितियां या उसका खुद का खुद वास्ते! व्यवहार ।। ""

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