कविता/दोहा
समसामयिक दोहे
समसामयिक दोहे, षड्यंत्र कि बात नही कहते सब सत्य निर्भय प्रजा जन सत्यार्थ लोक तंत्र।। 2- टांग खींचना परस्पर जन हित कि रार साथ खड़े मंच पर स्वांग प्रपंच कि बात।। 3- रैली रेला हुंकार बढ़ा चुनावी ताप विजय मान मैदान में जैसे हो निःष्पाप।। 4- जीवन..
Read Moreकरती ही क्या हो?
सुबह सुबह सफाई, बर्तन, नाश्ता, तुम्हारा टिफिन, बच्चों का टिफिन, तैयार करते करते, खुद नाश्ता करना भूल गई। और तुम कहते हो, तुम करती ही क्या हो? सोचा था दोपहर में, थोड़ा आराम करूंगी। पर तुम्हारे कुछ रिश्तेदार आ गए, वो किसी चीज की शिकायत ना करे...
Read Moreमां ने कुछ नहीं सिखाया
आज सब्जी में नमक अधिक हो गया, ससुर जी ने कहा, मां ने कुछ नहीं सिखाया। रोटियां थोड़ी टेढ़ी - मेढ़ी थी, सास ने कहा, मां ने कुछ नहीं सिखाया। जल्दी - जल्दी में, टिफिन पैक करना भूल गई, पति ने कहा, मां ने कुछ नहीं सिखाया। ननद का मेक-अप थोड़ा...
Read Moreथक गई हूं।
थक गई हूं। लड़की हूं इस अपराध की सजा भुगतते-भुगतते, जमाने के ताने सुनते-सुनते, थक गई हूं। अपने लक्ष्य के लिए लड़ते, उसे पूरा करते। थक गई हूं। अपनी निर्दोषिता प्रमाणित करते-करते। अपनी सफाई देते देते। थक गई हूं। अपने परिवार के लिए लड़ते-लड़ते..
Read Moreसुकून जिंदगी की
इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में लोग कैसे पैसा कमाने के लिए निकल पड़ते हैं सिर्फ अपने परिवार और खुद भरण पोषण के लिए। भागदौड़ भरी जिंदगी में, हर कोई चाहता तलाश सुकून की। थोड़ा आराम कर चल पड़ते, यही तो दस्तूर है जिंदगी की।।
Read MoreBook article
इस किताब में प्यार और ज़िंदगी पर निर्भर छवि को पूर्ण एहसास से कविताओं के ज़रिये बहुत कोमल और प्यारी कहानियों से सज़ाई है, ये कार्य बांग्लादेश में रहने वाली हिन्दी साहित्य से बहुत गहरा लगाव रखने वाली और कला के क्षेत्र में अपनी रचनाओं से लोगों तक अपने एहसा..
Read Moreएक थी राजकुमारी
राजकुमार और राजकुमारी की अमर प्रेम कहानी पर लिखी एक छोटी सी कविता।
Read Moreचिराग जलाना छोड़ दिया..
चिराग़ जलाना छोड़ दिया..! सुना है..तुमने मुस्कुराना छोड़ दिया है.. आजकल गमों से नाता जोड़ लिया है.! जुदाई का दर्द,इस कदर लगाया सीने में.. तुम ने तो गुनगुनाना ही छोड़ दिया है!! तुम्हें तो पसंद थी,महफिलों की रौनक.. आजकल..
Read Moreवाह री किस्मत
किस्मत पर लिखी एक छोटी कविता है. पल मे बना देते है राजा, और राजा को बना दे रंक। जिंदगी के होते है अजीब से ढंग, किसी को नहीं खाने को, और किसी की तिजोरी में पड़ा है करोड़ों धन। कोई सोने को तरसे है, किसी को मखमल पर भी ना मिले चैन। किस्मत के खेल अजीब, अजीब..
Read Moreहमारी श्रद्धांजलि
पिछले कुछ दिनों से मेरे मन में एक डर सा समाया रहता था, पर उसका आशय क्या है बस! यही समझ नहीं आ रहा था। पर आज सामने आ गया जब मेरे सिर पर अपनी अनवरत सुरक्षा छाया देने ......
Read Moreआज मैं एक प्रण ले रहा हूं
आज मैं एक प्रण ले रहा हूं अपनी सारी दौलत अपने साथ स्वर्ग ले जाने का प्रण, जो आज तक किसी ने न किया वो मैं करके दिखाना चाहता हूं। सीधा सरल फार्मूला है
Read Moreऐसा ही तो जीवन है
न हवा चली,न धरा हिली न आँधी न तूफान ही आया न बिजली कड़की, न ही ज्वालामुखी फटा और न ही वारिश ही हुई न ही बादल फटना तब क्यों गिर गया अचानक
Read Moreलोहड़ी पर्व
सामाजिक कार्यकर्ता, पर्यावरण संरक्षिका, कवियित्री, राष्ट्रीय हिन्दू संगठन वीरांगना प्रकोष्ठ की अध्यक्ष, उपलब्धि :स्वामी विवेकानंद सम्मान, समाज रत्न सम्मान, राष्ट्रीय बलिका दिवस सम्मान,अन्तरराष्ट्रीय पर्यावरण वैरियर एवार्ड आदि
Read Moreशुभारंभ है
शुभारम्भ है शुभारम्भ है लुका छिपी सूरज की बहुत ठंड है।। शुभारम्भ है शुभारम्भ है शहरों गलियों फुटपाथों पर सोया भूखा जीवन ठिठुर ठिठुर कर तंग है।। शुभारम्भ है शुभारम्भ है भोर कोहरे कि चादर ओढ़े आकाश शीत लहर है।। शुभारम्भ है शुभारम्भ है किस..
Read Moreमुस्कुराते चेहरे
युवाओं के लिए अपने लेख प्रस्तुत करने का यह एक सुअवसर है। धन्यवाद!
Read Moreअटल बिहारी वाजपेयी
जय माँ शारदे नमन मंच दिनांक- 25/12/22 अटल बिहारी वाजपेयी भारत माँ के लाल थे, अटल सपूत महान| मधुर बड़ी मुस्कान थी, जन -मन के अभिमान || मीठे उनके बोल थे, चम- चम चमके भाल ~ कविताओं में जान थी, करें जगत गुणगान || अटल बिहारी लाल के, बड़े सुघड़ थे काम क..
Read Moreनव वर्ष की मंगल कामनाएं
बीत रहा है वर्ष यह, कृपा करो रघुराज । मंगलमय नववर्ष हो, पूरण हो हर काज ।। सुख-समृद्धि, यश-कीर्ति मिले, चहुं दिश हो यश गान। मंगल नूतन वर्ष हो, मिले मान सम्मान ।। कृपादृष्टि राखो प्रभु,दो अनुपम उपहार । कर्म परायण से मिले, खुशियों का..........
Read Moreआंगन में बिछी..चारपाई!🍁
अगर आपकी उम्र पचास की है.. तो आप बहुत नसीबवान हो, "आंगन में बिछी उस चारपाई" की.. आप आख़री चश्मदीद पहचान हो। उस चारपाई पे दादाजी को आपने आंगन में हुक्का भरते देखा होगा, हुक्के की चिलम से उठता धुंआ.. और गुड़गुड़ाहट को सुना...
Read Moreआंगन में बिछी..चारपाई!🍁
अगर आपकी उम्र पचास की है.. तो आप बहुत नसीबवान हो, "आंगन में बिछी उस चारपाई" की.. आप आख़री चश्मदीद पहचान हो। उस चारपाई पे दादाजी को आपने आंगन में हुक्का भरते देखा होगा, हुक्के की चिलम से उठता धुंआ.. और गुड़गुड़ाहट को सुना हो..
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