मन से मन की ओर
मन से मन की ओर ले जाने का सच में यदि इरादा है, तो विचारों की प्रखरता को विकसित कीजिए, न मन को भ्रमित होने दें न खुद की लगाम छोड़िए। मन को मन की ओर ले जाना है तो पहले खुद को मन की ओर ले जाइए, बिना मन के ओर जाये बिना मन के मन की ओर जाने के स्व...
Read Moreये जिंदगी मेरी
मैं इस बात से इत्तेफाक नहीं रखता कि ये जिंदगी मेरी है या इस पर मेरा कोई अधिकार है। ये जिंदगी महज एक यात्रा है जिसके लिए ईश्वर की बनाई व्यवस्था है। कुछ जिम्मेदारियां देकर हमें ईश्वर ने इस संसार में भेजा है, मैं तो बस उसके इशारे पर नाचता हूं उसके...
Read Moreभक्तों धैर्य धरो
गहरी नींद में मैं सो रहा था मेरे कमरे के दरवाजे पर कोई दस्तक दे रहा था, न चाहकर मैं उठा, दरवाजा खोला तो ठगा सा रह गया। दरवाजे पर औघड़दानी खड़े थे, उन्हें देख मेरे तोते उड़े थे। मैं कुछ बोल नहीं पा रहा था, दरवाजे के बीच से हट भी नहीं पा रहा था...
Read Moreसहयोग सद्भाव से तलाक
चलो मान लिया कि आप बड़े संवेदनशील हैं भोले भाले मिलनसार है सबसे सहयोग का विचार रखते हैं। आपकी देखा देखी मुझे भी ये बीमारी लग गई, सुख चैन मेरा छीन ले गई। जाने कैसे आप झेल लेते हैं ईर्ष्या, द्वेष तो सह कर भी प्रसन्नचित रहते हैं, गालियाँ खाकर भी...
Read Moreविश्वास की मीनार
टूटता चिटकता मन काँपता बिखरता विश्वास हौसले तोड़ने वाला आत्मविश्वास, फिर भी मन मानने को तैयार नहीं है। शायद बेहयाई इतनी प्रबल कि सत्य से मुंँह मोड़ने को न हो पा रहे तैयार। कब तक उहापोह में जीते रहोगे क्यों खुद को मिटाने की आखिर जिद किए बैठे...
Read Moreअनोखा..अनमोल तोहफ़ा!
आज "15 अगस्त.. स्वतंत्रता दिवस" की चहल-पहल चारों ओर थी,परंतु,लुधियाना रेलवे स्टेशन के जी०आर०पी० एफ०(government Railway Police Force) के थाना प्रांगण को,कुछ अलग तरह से सजाया गया था।साफ सफाई का खास ख्याल रखा गया था।"ध्वजा रोहण" के लिए बड़े सलीके से तैया...
Read Moreईमानदारी का ईनाम….
एक राहजन रहजनी करने के लिए दूर जंगल में रास्ता भटक गया. रास्ते में उस दूर एक व्यक्ति दिखाई दिया राहजन मन ही मन सोचने लगा चलो इस को लूटते हैं जैसे ही उसके पास पहुँचा जो भी तेरे पास हैं सब कुछ निकाल दे व्यक्ति ने जेब में से चाकू निकाल कर के उस राहजन के हाथ में दे दिया राहजन व्यक्ति से बोला ये क्या हैं व्यक्ति राहजन से बोला मैं भी तेरा जैसा ही राहजन ही हूँ और तेरी तरह इस जंगल में
Read Moreमरा मरा से राम राम …. मोह मोह से ॐ ॐ…
मरा मरा से राम राम … मोह मोह से ॐ ॐ….एक सेठ जी बड़े ही दयालु पूजा पाठ वाले इंसान थे. दूसरों की सेवा करना उनका जैसे अपना काम था सेठ जी का व्यापार भी बहुत बढ़िया था एक दिन जैसे ही सुबह सेठ जी पूजा के लिए तैयार हो रहे थे और पूजा के आसन पर बैठ कर पूजा कर रहे थे पीछे से किसी ने हाथ लगाया जैसे ही सेठ जी ने पीछे मूड कर देखा भगवान उनके पीछे खड़े थे .. सेठ जी की आँखो
Read Moreजंग 1971 की..
इस नारे को,भारतीय वीरों ने, तब सच कर दिखाया था..., जब... 1971 की जंग में, दुश्मन को धूल चटाया था। लोंगे वाला की पोस्ट पे डटे, सिख रेजीमेंट के जवान थे वो, पाक सेना के लश्कर से अनभिज्ञ, बिल्कुल ही अनजान थे वो। एकसौ बीस की....
Read Moreशरीर में सुषुप्त सात दिव्य शक्ति केंद्रों को जागृत करने की रहस्मयी जानकारी
मनुष्य शरीर के अंदर दिव्य शक्ति के सात केंद्र मूलाधार चक्र, स्वाधिष्ठान चक्र, मणिपुर चक्र, अनाहत चक्र, विशुद्धि चक्र, आज्ञा चक्र और सहस्रार चक्र है जो सभी जाती, धर्म सम्प्रदायों के मनुष्यों में पाया जाता है सभी मनुष्यों का शरीर एक ही सिद्धांत नियम पर...
Read Moreइंसान हैं तो
इंसान हैं हम आप तो इंसानियत भी दिखना चाहिए, गिरगिट की रंग बदलने से हम सबको बचना चाहिए। भेड़िए का खाल ओढ़कर बेशर्म बनने से क्या मिलेगा? अंदर से कुछ हैं, भीतर से कुछ और से कुछ हाथ नहीं आने वाला, सिर्फ हाथ मलने के सिवा कुछ हासिल भी नहीं होगा। आ...
Read Moreमिसाइल मैन कलाम
15 अक्टूबर 1931को जन्में रामेश्वरम, तमिलनाडु के गरीब मुस्लिम परिवार में कलाम धरा पर आये, पिता जैनुलाब्दीन माता अशियम्मा सुत कलाम को पाये। गरीबी की छाँव में अनेकों कष्ट सहकर दुश्वारियों से लड़़कर रार जैसे ठाने थे, अभावों, असुविधाओं के बीच हौंसले की चट्टान..
Read Moreबाप बड़ा ना भैया सबसे बड़ा हैं रुपैया
।। आशिक,हैं भैया सभी रुपैया का ।। बाप बड़ा ना भैया साहब! कलयुग का सरताज़ हैं । तो,बस रुपैया हर रिश्ते,हर नाते और हर जज़्बात ,अहसास पर भारी हैं छाप इस,रुपैया की रुपैया को सर माथे रख लोग राज़ करना चाहते हैं दुनिया क्या उस,खुदा की का...
Read Moreअनकहा सा एक ख़्वाब
बचपन की वो अटखेलियां कहां गुम सी हो गई हैं मैं! खोजता जितना उन्हें उतना ही वो लापता सी हैं ।। लड़प्पन से निकलकर जरा संभला जो मैं एक ख्वाब ने हौले से, मेरे दिल की दरवाजे पर दी दस्तक ।। ख्वाब वो,मेरे चरित्र का गहना सा था जैसे,मेरे मन ने...
Read Moreसेठ जी … मुझे खुशी चाहिये….
एक दिन अचानक एक भिखारी सेठ जी की दुकान पर आया, सेठ ने जैसे ही भिखारी को पैसे दिए, भिखारी ने पैसे लेने से मना कर दिया नहीं साहेब मुझे पैसे नहीं मुझे ख़ुशी चाहिए. सेठ भिखारी से बोला मैं तेरे को ख़ुशी कहा से लाऊँ, मेरे पास तो पैसे हैं या जो तुझे कुछ...
Read Moreदिल की बातें
दिल की बातें साझा करना कठिन भी तो है,आसान भी, मन की पीड़ा बाँटना मुश्किल है, क्योंकि पीड़ा के लिए दोषी मैं ही हूँ। तो दोष किसे दूँ, किससे बताऊँ? भावनाओं के रिश्ते की पवित्रता पर आखिर दाग क्यों और कैसे लगाऊँ? दिल ने माना महसूस किया पवित्रता को....
Read Moreवर्षा रानी अब आ जाओ
कब से इंतजार में हम हैं वर्षा रानी कि तुम आकर सुनाओगी अपनी कहानी, पर मन मलीन होकर रह गया है तुम्हारा तो दर्शन ही दुर्लभ हो गया है। आखिर! तुम्हारी बेरुखी का कारण क्या है? तुम्हें मनाने का निवारण क्या है? धरती प्यास से व्याकुल है जगह जगह पड़ रही द...
Read Moreहीरे की अंगूठी….
एक ३४-३५ साल के एक सज्जन बड़े ही सीधे साधे,लेकिन अपने सिद्धांत के पक्के थे, नौकरी की तलाश में शहर के बीच से गुज़रे जा रहे थे. रास्ते में एक मंदिर पड़ा, मत्था टेक कर जैसे ही आगे बढ़े, एक हीरे की अंगूठी पा गई,ये सोच कर उठा ली की जिसकी होगी उसको दे दूँगा. यह सोच कर घर की ओर चल दिए समय गुजरता रहा, अब वो सज्जन ये सोचने लगे कि ये अंगूठी जिसकी हैं उसको कैसे दी जाए.
Read Moreख्वाबों दर्मियां ,एक आधी अधूरी सी रैन
दर्मियाँ एक आधी अधूरी सी रैन ।। रैन की ओट में था और था मैं बेचैन बड़ा सिरहाने रखी तकिए को जो, मैंने थामा बाहों से कसकर उलझकर रह गया रैन की बेताबियों की कशमकश में । फिर गया जो मैं नींद के आगोश में हो ही गई गई गुफ्तगू दो चार सोच दरमियान कैद ख
Read Moreपीयूष गोयल ने दर्पण छवि में लिखी पुस्तकें.
दुनिया में एक से एक कलाकार मौजूद है जिनकी प्रतिभा देखकर लोग चमत्कार समझने लगते है। ऐसे ही एक कलाकार ने पांच तरह की पुस्तकों को लिखकर चौका दिया है। लेखक पीयूष गोयल ने उल्टे अक्षरों में गीता, सुई से मधुशाला, मेंहंदी से गीतांजलि, कार्बन पेपर से पंचतंत्र के साथ ही कील से पीयूष वाणी लिख डाली। पीयूष की इन किताबों को देखकर हर कोई हतप्रभ है।कला और दक्षता की कोई सीमा नहीं होती.
Read Moreद्रौपदी:तब और अब
एक थी वो द्रौपदी जो गुहार लगाती, दुहाई देती धर्म, मर्यादा और रिश्तों की, फिर भी असहाय सी शर्मिंदा हो कृष्ण कन्हैया को अपनी रक्षा की खतिर पुकारने को विवश हो गई, माखन चोर ने लीला ऐसी रची कि रिश्तों की ही नहीं नारी मर्यादा की आखिर उस समय लाज बच गई..
Read Moreबारिश की बूंदे
सताती हैं मन को जलाती भी जब जब, तन को सहसा अपने अनोखे अंदाज़ से भीगाती हैं ये बरखा की बूंदे । मैं! होना चाहता हूं सराबोर ऐ,बरखा की बूंदे तेरे नशे में चूर भी । आसमान के सीने को चीर आती हैं मिलने मुझसे ये बरखा की बूंदे जैसे खेलती हो लुका छिपी...
Read Moreसावन आया रे...
दूर गगन में घटा है छाई.. मानो... यह संदेश थी लाई, बिजुरिया भी,हौले से मुस्काई.. चमक दमक के,वो भी इठलाई, मंद मंद फिर चली पुरवाई.. गहरी हो गई.. नभ की सुरमाई, बादलों ने भी अपने अंदाज में.. गीत यह गुन गुनाया रे... सावन आया रे..देखो,
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