तू खुदा हो गया
सुबह से तीसरी बार ऋचा का फोन अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका था। मगर मैं व्यस्तता के कारण उसका फोन उठा नहीं पा रहा था। तब उसने मां को फोन किया, मां ने हालचाल पूछा और फोन मुझे पकड़ा दिया। हाँ! बोल बेटा -त्रिलोक ने कहा उधर से ऋचा फट पड़ी-
Read Moreजय बम भोले
पावन सावन मंगल मय बम बम भोले शिव की जय गंगा जल गगरी में भरकर चले कांवड़िए शिव के घर गूंज रहा शोर चहुँदिश में हर हर महादेव की जय जय। बैजू बैद्यनाथधाम की जय सोमनाथ, रामेश्वर की जय पृथ्वीनाथ की जय बम भोले होय भदेश्वरनाथ की जय जय बोलें औघड़ दानी की...
Read Moreसावन में इंद्रदेव
पानी की आस लिए लिए वारिश के इंतजार में लो आषाढ़ बीत गया चलो कोई बात नहीं। सावन आ गया, गुरु पूर्णिमा भी मनाया हमनें शिव का दरबार सज गया शिव मंदिरों में भोलेनाथ को जल भी खूब चढ़ गया बम बम भोले, ऊँ नमः शिवाय के जयकारों से वातावरण शिवमय भी हो गया। पर इंद्रदेव..
Read Moreमहारथी कर्ण का किरदार जातिगत दुर्भावना से ऊपर उठने का प्रेरणास्रोत
भारत में एक विकट समस्या वर्षो से है जाती-पाती की जहां अनुसूचित जाती, जनजाति, पिछड़े वर्गों एवं सामान्य वर्गों में अक्सर वर्चस्व की लड़ाई देखने को मिलते रहता है। एक समुदाय के जाती दूसरे समुदाय के जातियों पर वर्षो से यह आरोप लगाते आ रहे हैं कि हमारी मूलभूत...
Read Moreशिव से शव तक
शिव महिमा का बखान शब्दभावों में जितना भी किया जाय कम है। परंतु मेरे समझ में जो आया वह ये कि आदि से अंत तक बस शिव ही शिव है।जीवन भर हम शिव मय ही रहते हैं ,शिव के बगैर जीवन असंभव है। शिव = यानि शव + शक्ति (प्राण)। जब तक हमारी साँसें चलती हैं...
Read Moreआज..मेरी मां जा रही है...
जाने क्यों सुबह से आज, आंखें नम हो रही हैं.. उमंग नहीं है आज..जाने क्यों, दिल में उदासी सी छा रही है.! आज"गंगा दशहरा"के पावन दिवस पे, "गंगा रूपी" मेरी मां.. मेरा धाम छोड़े जा रही है, विदाई की बेला..पास आ रही है.. आज...मेरी मां जा रही है! अर...
Read Moreचाँद में अक्स
चांँद में दिख रहा अक्स क्या सचमुच मेरा है? या महज छलावा है अथवा मेरा भ्रम है। जो भी है क्या फर्क पड़ता है भले ही ये महज छलावा है कि मेरा अक्स चांँद में नजर आया है इसी बहाने से एक पल के लिए ही सही मुझे खुद पर गुमान हो आया है, चाँद को मुझसे प्यार हो गया है
Read Moreएक बहू ऐसी भी...
आज मई दिवस के उपलक्ष में,दफ्तर से छुट्टी होने के कारण, सुबह देर तक सोता रहा।शायद कल बरसात होने की वजह से मौसम सुहाना था,इसलिए नींद से जागने का मन ना हो रहा था। अभी भी ना जाने कब तक सोता रहता,अगर मोबाइल की घंटी नहीं बजती।अनमने,मनसे फ़ोन को रिसीव किया- "ह
Read Moreगुरु महिमा का बखान
अर्थात गुरु में सबकुछ समाहित है। विद्या, मुक्ति का साधन जरूर है पर गुरु इसी विद्या के संगम की अनेक धारा है। व्यक्ति यदि किसी को गुरु नहीं बनाया तो उसका जीवन भार स्वरूप डगमगाते नाव की भांति है कभी भी पलट सकता है । गुरु संसार की श्रेष्ठ विभूति है। स्वयं...
Read Moreअनिता कुमारी जोनवाल की प्रेरक कविताएं
आज रिश्तो में नया रूप नया रंग आ चुका है बच्चे पहले माता-पिता कहते थे अब वह मॉम डैड बन चुके हैं पहले घर के मुखिया को दादा जी कहते थे परंतु अब दादाजी दद्दू बन चुके हैं।। आज रिश्तो में नया रूप नया रंग आ चुका है पहले बुजुर्गों के आशीर्वाद से घर...
Read Moreचाटुकारिता का वर्णन
मानव के अस्तित्व से ही चाटुकारिता का जन्म हुआ है तथा लोकतंत्र ने तो इसे नए आयाम दिए हैं। यहां पर सत्ता या बाहुबलियों का दबदबा होगा वहां पर चापलूसी की संभावनाएं और भी बढऩे-फूलने लगती हैं। कभी समय था जब चापलूसी केवल अफसरों के इर्द-गिर्द ही घूमती थी मगर अब..
Read Moreहसरतें एवं उमंगों के कारवां
हसरतें है चांद के उस पार अँधेरे में सूरज के रौशनी पहुंचाने का। उमंगें है उजड़े हुए चमन में बहारों की गुलसिताँ सजाने का। जुनून है बैसाख के तपती धरती को सावन के फुहारों से तृप्त कराने का। साहस है तूफानों में मझधार तक पहुँचाने का। धैर्य और हिम्मत है...
Read Moreब्रह्मांड का सूक्ष्म स्वरूप मनुष्य शरीर
ऊपर आकाश में जो कुछ दिख रहा है वह अखिल ब्रह्मांड का नजारा है। यह ब्रह्मांड अनंत रहस्यों से भरा है, हम इंसान लगभग एक प्रतिशत ही ब्रह्मांड के रहस्यों को जान पाने में सफल हो पाए हैं। जैसे पृथ्वी में गुरुत्वाकर्षण बल है जो किसी भी वस्तु को अपने केंद्र की...
Read Moreभेदभाव.. एक मानसिक रूग्णता..
शाम के 7:00 बजे ऑफिस से घर लौट रहा था की, "चित्रालय चौंक"पर सत्येंद्र शर्मा (मेरा पत्रकार दोस्त) से मुलाकात हो गई। "अरे जीते रुक रुक"..(जीते मेरा घरेलू नाम है) मैं तुझे ही ढूंढ रहा था!"-उसने कहा "मुझे ढूंढ रहा था..? क्या तेरा मोबाइल गुम हो गय...
Read Moreआज मेरा जन्मदिन
आज एक जुलाई है मेरा जन्मदिन भी है मगर इसमें खास क्या है? एक जुलाई तो अनंत काल तक आयेगा पर मेरे जन्मदिन का साल लगातार कम होता जायेगा। हर साल,हर माह, हर दिन, हर पल मेराजीवन काल कम होता जायेगा फिर एक दिन मुक्ति मिल जायेगी मेरा जन्मदिन भी भुला दिया जायेगा...
Read Moreमेरा जन्मदिन
बगिया वाले प्राइमरी पाठशाला वाले मुंशी जी ने तो कमाल कर दिया, अठारह मार्च था जन्मदिन मेरा उसे हलाल कर एक जुलाई कर दिया। पहले का जमाना कुछ ऐसा ही था बाबा का संदेश क्या मिला मेरा नाम जन्मदिन रजिस्टर में पहले दर्ज कर फिर मुंशी जी घर आ गए कल से स्कूल आना है,
Read Moreचाहता हूं बिन जज़्बात ज़िन्दगी का ये सफ़र जीना मैं
।। बिन जज़्बात चाहता हूं जिंदगी का सफ़र जीना ।। सोचता हूं अहसास को थोड़ा बांध सा लू मैं ।। बिन इनके जिंदगी को थोड़ा सा ही सही पर, मैं इनके बिन कुछ लम्हे सफर के गुजार ही लूं ।। जज़्बात में भावुक हो न बहूंगा देता हूं दिल को रोज ये कसम
Read Moreबरखा की वो पहली झड़ी
।। पहली बरखा की वो खूबसूरत सी झड़ी ।। पहली फुहार जब पड़ती हैं दिल पर दिल को हौले से गुदगुदा सा देती हैं ।। कुछ सपनों को पाने में था जो,ये मसरूफ़ सा मन मुझे, उस ख़्वाब के भरम जाल से मेरे मन की दहलीज पर गिरकर ये बारिश की बूंद, मुझे, उस भरम...
Read Moreचिट्ठी वाले भैया
रवि जब हाल में पहुँचा, कवि सम्मेलन आरंभ हो चुका था। उसके आगमन की सूचना संचालक महोदय द्वारा दी गई, तो सबकी निगाहें रवि की ओर उठ गईं। उसे आयोजक समिति के पदाधिकारियों द्वारा मंच पर ससम्मान ले जाया जा रहा था कि एक युवा कवयित्री ने आकर उसके पैर छुए...
Read Moreरईसी और मुफलिसी...
काफी अर्से के बाद..मैं, अपने "पत्रकार मित्र,सत्येंद्र शर्मा" के साथ,आसनसोल में उनके अज़ीज़ मित्र की शादी में शिरकत कर,वापस दुर्गापुर..उसकी मोटरसाइकिल पर आ रहे थे। सत्येंद्र के ज़िद भरी अनुग्रह के समक्ष,मेरी एक ना चली थी.. और वैसे भी कल इतवार होने के चलते,
Read Moreचिट्ठी वाले भैया
रवि जब हाल में पहुँचा, कवि सम्मेलन आरंभ हो चुका था। उसके आगमन की सूचना संचालक महोदय द्वारा दी गई, तो सबकी निगाहें रवि की ओर उठ गईं। उसे आयोजक समिति के पदाधिकारियों द्वारा मंच पर ससम्मान ले जाया जा रहा था कि एक युवा कवयित्री ने आकर उसके पैर छुए...
Read Moreबदल गई है तू
कल और आज में कितनी अलग अलग लगती है तू मान या न मान बहुत बदल गई है तू। याद आता है वो दिन जब मिले थे हम तुम पहली बार कितना अपनापन सा दिखा था रिश्तों में एक अनुबंध सा लगा था। कितना दुलार था जब पहली बार तेरे हाथों से जलपान किया था, तब बड़ी बहन का...
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