आध्यात्मिक/धार्मिक प्रेरक प्रसंग

आक्सीजन प्राण नही है।

प्राण आत्मा का गुण है आत्मा(जीवन) की प्रतीति प्राण से ही है।प्राण अगर शरीर से निकल जाता है तो प्राणांत अर्थात मृत्यु हो जाती है,जीवित प्राणियों में जीवन सांसों पर आधारित है।जब तक सांस चलती है,जीव जिंदा रहता है। शरीर आत्मा का वाहक है, जब तक ठीक है प्राण..

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प्रारब्ध का सत्य

प्रारब्ध का सत्य वर्तमान विज्ञान आध्यात्म एव आचरण संस्कार के परिपेक्ष्य में लिखा गया सत्यार्थ धर्म एव जीवन दर्शन है। प्रस्तुत कहानी में सुभद्रा से अजुर्न को किसी संतान का योग नही था मामा भगवान श्री कृष्ण स्वंय इंद्र का स्वरूप 16 वर्षो के लिए मांग कर..

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नर नारायण

आत्मीय बोध और ईश्वरीय सत्य नर नारायण का सत्य। जो ब्रह्मांड का आधार है जिसमे पंच तत्व महाभूतों का सत्यार्थ परिलक्षित है जिसका प्रवाह पवन,पावक ,शून्य (आकाश) स्थूल (पृथ्वी) जल प्रावाह का सत्य है इन्ही के आधार पर प्राण का अस्तित्व निर्धारित होता है..

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प्रभु श्री राम के पूर्वजों का वर्णन।

सुर्यवंश की कथा विस्तार से कहना इस पटल से संभव नहीं है क्यों कि विस्तार पूर्वक सूर्यवंश की कथा का वर्णन करना लगातार सौ वर्षों में भी संभव नहीं है अतः अति संक्षेप में वर्णन करती हूँ। सृष्टि के मालिक भगवान श्रीमान नारायण के नाभि कमल से ब्रह्मा जी का जन्म...

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जीवन की पवित्रता

जीवन की पवित्रता ही सबसे बडी आध्यात्मिक साधना है। निश्चित ही असत्य हमें भीतर से कमजोर बना देता है। जो लोग असत्य भाषित करते हैं, उनका आत्मबल भी बड़ा कमजोर होता है। जो लोग अपनी जिम्मेदारियों से बचना चाहते हैं वही सबसे अधिक असत्य का भाषण करते हैं। हमें सत्य.

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आध्यात्मिक रहस्य का ज्ञान ही मानव की श्रेष्ठ सफलता है।

मानव संसाधनों को इकट्ठा करके अपने आपको सफल मानता है,यही उसके जीवन की सबसे बडी भूल है क्योंकि दुनिया की हर वह चीज को चेतना से पृथक है,वह अनित्य है फिर अनित्य वस्तु की प्राप्ति से जीवन की सफलता का निर्धारण कैसे,यह सोच इन्सान को अज्ञान के दुख में गिराती है।

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वस्त्रहरण

कहा जाता है कि महाभारत द्रौपदी के कारण हुआ। यदि द्रौपदी दुर्योधन को अंधा नहीं कहती तो ये युद्ध नहीं होता। द्रौपदी का वस्त्रहरण भरी सभा में नहीं होता। किन्तु सत्य तो ये है कि उस समय द्रौपदी का वस्त्रहरण नहीं हुआ। वस्त्रहरण हुआ तो उन पुरुषों का जो एक अस...

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सत्य श्री सत्यस्वरूप महाराज जी के अनमोल वचन।

तुम जब प्रेम में होते हो,प्यार में होते हो,भक्ति में होते हो,श्रध्दा और समर्पण में होते हो तो फूल चुनते हो कांटे क्यों नही चुनते हो

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मन को शान्त रख कर ही जीवन में सफलता हासिल कर सकते हो।

मन की शान्ति के सही तरीके। भूली-बिसरी बातों पर सोच-सोच कर खुद को खपाने का कोई फायदा नहीं। बीते कल को आप बदल नहीं सकते और आने वाला कल अभी आया नहीं है। अपना सारा ध्यान अपने आज पर केन्द्रित कर खुश रहें। अपनी चिंता को दरकिनार कर एक गहरी सांस लें। पांच..

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जीवन क्या है?

हमारे अस्तित्व के ७ स्तर हैं - शरीर, श्वास, मन, बुद्धि, स्मृति, अहम् और आत्मा। मन तुम्हारी चेतना में विचार और अनुभूति की समझ है जो निरंतर बदलते रहते हैं।

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तनाव और समस्या

तनाव और समस्या जब तुम तनाव में होते हो, तब तुम्हारो भौहें चढ़ जातीं हैं। जब तुम इस तरह त्योरी चढाते हो, तब तुम चेहरे की ७२ नसें और माँस-पेश्यियाँ उपयोग में लाते हो। लेकिन जब तुम मुस्कुराते हो तब उन में से केवल ४ का उपयोग करते हो।अधिक कार्य का अर्थ है...

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मानव चेतना की श्रेष्ठता

ब्रह्मांड में अनन्त अन्तरिक्ष है,अनन्त चन्द्र और सूर्य है।अनन्त ग्रह नक्षत्र है,बाहरी प्रकृति की खोज मानव चेतना का एक लघू प्रयास है,मानव चेतना इतना व्यापक और विस्तृत है कि उसकी खोज से मनुष्य सर्वस्व का ज्ञाता हो जाता है।इसलिए मानव शरीर और मानव चेतना का अ

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समाज में अनैतिकता का माहौल

समाज की दुर्दशा का जिम्मेदार कौन है। दामाद सास को लेकर भाग गया, टीचर स्टूडेंट को लेकर भाग गई, समधी समधन ने शादी कर ली, अमीर बूढ़े 60 साल के बाद पोते- पोतियो को खिलाने की जगह सच्चा प्यार ढूंढते नजर आते है। लड़की लड़की से शादी करना चाहती है लड़के लड़के से..

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महादेव की महिमा

बजेगे नगाड़े और सजेगा द्वार, हर तरफ होगा महादेव का जयकार। पार्वती अब दुल्हन बनेगी, बारातियों का होगा खूब सत्कार। लोग भी मिलकर जश्न उड़ायेगे , हम तुम मिलकर शिवरात्रि मनाएंगे। लाएगे भांग धतूरा बेलपत्र,

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गुरूकुल शिक्षा

प्रारंभिक शिक्षा का ऐसा केंद्र जहां विद्यार्थी अपने परिवार से दूर गुरु परिवार का आवश्यक हिस्सा बनकर शिक्षा प्राप्त करता था।। गुरुकुल में पढ़े विद्यार्थियों का बड़ा सम्मान होता था कुरुकुल कि स्थापना ऋषि एव वैदिक परम्पराओं के अंतर्गत होती थी।। गुरुकुल..

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अंधविश्वास और अशिक्षा

क्या हुआ चाची😐?कहे इतना मुह लटकाये बैठी हो😐।कहो कोई बात है क्या ? अरे का बताऊ बेटवा🥺, हम तो लूट गई ,बर्बाद हो गई। 😭😭 अरे एसा ना कहो चाची😮,आपका बेटवा अभी जिंदा है🙁। बोलो का बात है😕। अरे बेटा,का बताई🥺। 2 महीने पहले कलूवा को बुखार हुआ रहा🥺। तो..

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आज

चारों ओर क्या... धूम मची है, घर-घर"मां"की,ज्योत जागी है, शंख नाद की ... धुन बजी है, पुष्प-आरती की,थाल सजी है, "नवमीं"का ये पर्व,कितना सुहाना है, आज"मैया"ने सबके घर-घर जाना है.! ध्वजा- नारियल..पान- सुपारी, "मां"को इलायची लगती प्यारी, काजू- कतरी..

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प्रकृति का पर्व :छठ महापर्व

छठ चार दिन का पर्व होता है जो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष चतुर्थी से आरम्भ हो कर सप्तमी तक चलती है | छठ मात्र एक पर्व नहीं है | इसमें भावना है, आस्था है, विश्वास है, श्रद्धा है | इस महापर्व में व्रती 48 घंटे निर्जला उपवास करते हैं | छठ पर्व...

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FESTIVAL

WHAT IS FESTIVAL ? FESTIVAL IS CELEBRATED WITH JOY AND HAPPINESS. A FESTIVAL IS CELEBRATED ON ANY GOOD OCCASION . LIKE DIWALI IS CELEBRATED ON THE OCCASION OF LORD RAMA CAME TO AYODHYA AFTER 14 YEAR OF RESIDENCE IN FOREST. ON THE DAY OF THE FESTIVAL WE...

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CHHATH PUJA

CHHATH PUJA IS MOST POPULAR FESTIVAL OF HINDU CULTURE. IT IS MOST IMPORTANT DAY IN HINDU CALENDAR.CHHATH PUJA IS OF FOUR DAYS. FIRST DAY- NEHAY -KHAYE SECOND DAY - KHARNA . THIRD DAY- SANDHYA ARADHYA. FOURTH DAY- AT FOURTH DAY PEOPLE WORSHIP ON THE..

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महारथी कर्ण का किरदार जातिगत दुर्भावना से ऊपर उठने का प्रेरणास्रोत

भारत में एक विकट समस्या वर्षो से है जाती-पाती की जहां अनुसूचित जाती, जनजाति, पिछड़े वर्गों एवं सामान्य वर्गों में अक्सर वर्चस्व की लड़ाई देखने को मिलते रहता है। एक समुदाय के जाती दूसरे समुदाय के जातियों पर वर्षो से यह आरोप लगाते आ रहे हैं कि हमारी मूलभूत...

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गुरु महिमा का बखान

अर्थात गुरु में सबकुछ समाहित है। विद्या, मुक्ति का साधन जरूर है पर गुरु इसी विद्या के संगम की अनेक धारा है। व्यक्ति यदि किसी को गुरु नहीं बनाया तो उसका जीवन भार स्वरूप डगमगाते नाव की भांति है कभी भी पलट सकता है । गुरु संसार की श्रेष्ठ विभूति है। स्वयं...

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प्राणिमात्र के कल्याणार्थ सनातन सभ्यता संस्कृति प्रकृति के पूजक

विश्व की सबसे प्राचीन और प्रथम धर्म है सत्य सनातन धर्म। धर्म कोई विवादित शब्द नहीं हो सकता धर्म का एक ही तात्पर्य है जो सत्य अहिंसा, आपसी एकता सौहार्द प्रेम एवं भाईचारे पर आधारित जाती-पाती भेद-भाव, ऊँच-नीच से परे आत्मिक कल्याण और सामाजिक कल्याण तथा सरो...

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परिश्रम एवं भाग्य

इंटरनेशनल जर्निलज्म अवार्ड, अंतरराष्ट्रीय शोध एवं राष्ट्रीय पत्रकारिता आवार्ड, महर्षि वेदव्यास अवार्ड सहित तीन सौ पचास से अधिक अवार्ड व सम्मान पत्र से सम्मानित।

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शबरी के राम

शबरी बोली, यदि रावण का अंत नहीं करना होता तो राम तुम यहाँ कहाँ से आते ?" राम गंभीर हुए। कहा, "भ्रम में न पड़ो अम्मा! राम क्या रावण का वध करने आया है? छी... अरे रावण का वध तो लक्ष्मण अपने पैर से बाण चला कर कर सकता है। राम हजारों कोस चल कर इस गहन वन...

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