प्रेरणादायक संदेश

संस्कार (लघु कथा)

मैंने इस कहानी के माध्यम से संस्कार के महत्व को बताने की एक छोटी सी कोशिश की है। अनीता एक साधारण परिवार में पली बड़ी संस्कारी और व्यवहार कुशल लड़की थी। वह दिखने में बहुत ही खूबसूरत थी। यहीं वजह थी, कि अमित और उसके परिवार को अनीता पहली बार में ही पसंद आ..

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ईमानदारी से सिर्फ़ १०० के आगे तीन जीरो ही लगा पाया.

मैं इंटर करने के बाद आगे पढ़ाई के लिए सोच रहा था, मेरा मन इंजीनियरिंग करने का था, १२ वीं में विषय भी मेरे पास इंजीनियरिंग वाले ही थे. जबकि मेरे पिता जी डाक्टर थे, मैं हमेशा कई विकल्प लेकर चलता था. यांत्रिक इंजीनियर बन गया, २७ साल का अनुभव, लेकिन पुस्तकें लिख रहा हूँ ( आनंद आ रहा हैं). जब मैंने १२ वीं कर ली, एक दिन मेरे पिता जी ने मुझे बुलाया और १०० रुपये देकर कहा

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एक संस्मरण- मम्मी का ग़ुस्सा ….

बात सन् १९७५ की हैं मेरे पिता जी सरकारी नौकरी में सहारनपुर के एक गाँव सबदलपुर में स्वास्थ विभाग में कार्यरत थे. पिता जी का स्थानांतरण थाना भवन( जलालाबाद) से हुआ था.मेरे पिता जी को सिगरेट पीने की आदत थी,एक दिन में करीब १०-१५ सिगरेट पी ले...

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तरीक़े आपने ख़ुद ढूँढने हैं…..

मेरे पिता जी का ट्रांसफ़र सबदलपुर( सहारनपुर) से चौमुहां ( मथुरा ) सन् १९७७-७८ में हो गया, मैं उस समय छटवीं कक्षा का विद्यार्थी था. गाँव चौमुहां मतलब चार मुख वाला यानी वहाँ पर भगवान ब्रह्मा जी का मंदिर हैं मैं आपको बताता चलू भगवान ब्रह्मा जी का मंदिर...

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भारत कि आजादी का अमृतमहोत्सव और गोरखपुर

गोरखपुर में आजादी के संघर्ष के दौरान बस्ती ,देवरिया, आजमगढ़ एव नेपाल के सीमावर्ती भाग समम्मिलित थे।वर्तमान में गोरखपुर, आजमगढ़ एव बस्ती अलग अलग मंडल मुख्यालय है ।आजमगढ़, में मऊ ,बलिया एव आजमगढ़ जनपद है तो बस्ती में सिद्धार्थ नगर ,संत कबीर नगर ,एव बस्ती जनपद..

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बिटिया की शादी

दहेज प्रथा पर लिखी एक छोटी सी कहानी है। जिसमें एक गरीब बाप अपनी बेटी की शादी करना चाहता है लेकिन दहेज ना दे पाने के कारण शादी नही हो पाती । फिर भगवान कृष्ण सपने मे उसे दर्शन देते है और उनके आशीर्वाद से रामू बिना दहेज के अपनी बेटी की शादी कर पाता है।

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तू मुझे अपना बेटा सा लगता हैं…

एक छोटी सी सूझबूझ …..३०-३५ साल के एक व्यापारी जिनके अपने कई काम थे, व्यापार में शहर में उनका नाम था. रोज़ाना नंगे पैर मंदिर जाना,मंदिर से वापिस लोटते हुए, मंदिर के बाहर बैठे माँगने वालों को रोज़ाना एक-एक रुपया देकर जाना ये उनका रोज़ाना का नियम था.एक दिन जैसे ही वो बाहर निकले एक ग़रीब ६० साल की वृद्ध महिला जो अक्सर वही बैठी रहती थी और सेठ एक रुपया देकर चले जाते थे.

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११ मोतियों की माला…

११ मोतियों की माला——एक जंगल में एक सिद्धि प्राप्त ऋषि रहते थे.आस -पास के लोग उनसे मिलने जाया करते थे.ऋषि की कुटिया के पास एक कुआँ था.कुँए की एक ख़ासियत थी जो भी कोई पानी पीने जाता बाल्टी के साथ एक मोती भी ज़रूर आता.अक्सर आस-पास के लोग इस कारण से उनसे मिलने जाते थे.एक क़स्बे में एक ज्ञानीजन रहते थे,उनको भी पता चला की जंगल में एक पहुँचे हुए ऋषि रहते हैं,और उनकी कुटिया के

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आज से आप मेरी माँ हैं.

एक क़स्बे में एक धनी सेठ रहते थे.सेठ बड़े ही पूजा पाठ वाले व दान देने में सबसे आगे रहते थे.स्कूल धर्मशाला आदि कई उन्होंने अपने पूर्वजों के नाम पर बनवाये हुए थे.सेठ जिनको बड़ी मिन्नतों के तीन लड़कियों के बाद बेटा हुआ,समय गुजरता रहा धीरे-धीरे सेठ अपनी लड़कियों की शादी करते रहे … सबकी शादी सेठ ने अच्छे घरों में की थी.सेठ ने अपने बेटे की शादी भी बड़े धूम धाम से की …. जब कभी भी सेठ

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FREINDSHIP

FRIENDSHIP - FRIENDSHIP IS A WORD THAT'S MEANS A VERY GOOD BONDING OF PEOPLES. A REAL FRIEND IS WHO , WHO SUPPORT IN YOUR GOOD AND BAD DAYS . THE FRIEND WHO SUPPORT IN YOUR GOOD DAYS AND NOT SUPPORT IN YOUR BAD DAYS IN YOUR PROBLEM HE IS NOT THT REAL

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काया की माया

बुजुर्ग होते हैं रीढ़ की हड्डी जैसे, क्या, इनसे जुदा होकर रह पाया हैं कोई ।। खुद का सहारा हैं लाठी पर औरों के हौसलों को बुलंद करते हैं ।। बिना किसी स्वार्थ उम्र दरमियान अपने आशीर्वाद की छांव देते हैं हर दर्द,हर तकलीफ को खुद बा खुद भांप लेते

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मरा मरा से राम राम …. मोह मोह से ॐ ॐ…

मरा मरा से राम राम … मोह मोह से ॐ ॐ….एक सेठ जी बड़े ही दयालु पूजा पाठ वाले इंसान थे. दूसरों की सेवा करना उनका जैसे अपना काम था सेठ जी का व्यापार भी बहुत बढ़िया था एक दिन जैसे ही सुबह सेठ जी पूजा के लिए तैयार हो रहे थे और पूजा के आसन पर बैठ कर पूजा कर रहे थे पीछे से किसी ने हाथ लगाया जैसे ही सेठ जी ने पीछे मूड कर देखा भगवान उनके पीछे खड़े थे .. सेठ जी की आँखो

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सेठ जी … मुझे खुशी चाहिये….

एक दिन अचानक एक भिखारी सेठ जी की दुकान पर आया, सेठ ने जैसे ही भिखारी को पैसे दिए, भिखारी ने पैसे लेने से मना कर दिया नहीं साहेब मुझे पैसे नहीं मुझे ख़ुशी चाहिए. सेठ भिखारी से बोला मैं तेरे को ख़ुशी कहा से लाऊँ, मेरे पास तो पैसे हैं या जो तुझे कुछ...

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हीरे की अंगूठी….

एक ३४-३५ साल के एक सज्जन बड़े ही सीधे साधे,लेकिन अपने सिद्धांत के पक्के थे, नौकरी की तलाश में शहर के बीच से गुज़रे जा रहे थे. रास्ते में एक मंदिर पड़ा, मत्था टेक कर जैसे ही आगे बढ़े, एक हीरे की अंगूठी पा गई,ये सोच कर उठा ली की जिसकी होगी उसको दे दूँगा. यह सोच कर घर की ओर चल दिए समय गुजरता रहा, अब वो सज्जन ये सोचने लगे कि ये अंगूठी जिसकी हैं उसको कैसे दी जाए.

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धर्म और आस्था

।। धर्म और आस्था ।। जोड़ता हैं धर्म हमें इंसानियत,सच और ईमान से जातियों की सीमा और अमीरी,गरीबी में भेदभाव मिटा एकता और प्रेम के सूत्र में बांध हर इंसान पर मिटना सीखाता हैं ये धर्म ।। जो, झुककर अदब से जीना बतलाए वही धर्म हैं जो, मोह..

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रक्तदान

आपका किया रक्तदान तीन व्यक्तियों का जीवनदान। विचार कीजिये और लगे हाथ यह पुण्य काम कर डालिए। मन में संतोष होगा, आत्मसंतुष्टि मिलेगी, आपके इस कदम से किसी के आँगन में खुशियाँ महकेगी। रक्तदान का कोई मोल नहीं है ये अनमोल है, हम सबके छोटे से प्रयास का जाने किस

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सहज स्वभाव

सरल स्वभाव का होना चार चांद लगाना हैं व्यक्तित्व में । कोयले की खान में कोहिनूर की तरह दमकना हैं भरे जहान में । लोग बहुत मिलते हैं सोचे बहुत मिलती हैं जिसमें हो इंसानियत ज़िंदा वही इस दिल की दुनियां में ताउम्र! दिए बनकर जलते हैं ।। दर्द का

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सिया के राम और राम की सिया

आदर्श की पराकाष्ठा हैं श्रीराम और चरित्र की वास्तविक प्रतिबिंब हैं सीता जी ।। सर्वगुण संपन्न से सियाराम जैसे,एक दूजे के अक्सो को पूरा सा करते हो सियाराम । एक कुशल राजा,एक कुशल शासक आदर्श पुत्र और सभी के प्यारे श्रीराम एक पतिव्रता,एक आदर्श

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सगाई की रस्म

दिल से दिल का मिलना जरूरी हैं सोच और समझ के विस्तार, को पकड़कर ताउम्र चलना भी जरूरी हैं । अंगूठी का आदान प्रदान कर हम सब बांधते हैं,गांठ दिल के रिश्तों की । पर,दिल से दिल का एक रंग में रंगना भी उतना ही जरूरी हैं ।। सगाई गर, करनी हैं तो मन

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मासिक धर्म और उससे जुड़ी विडंबनाए

।। मासिक धर्म और उससे जुड़ी विडंबनाएं ।। तेरह,चौदह की वो, लडप्पन की उम्र और उस पर बोझ, छोटे से मन पर मासिक धर्म का । वो, डरती हैं, सहमती हैं बतलाने में पहली दफा,जब घटता हैं ये सारा प्रसंग । घर वाले से कैसे कहूं पल पल हैं ये सोचती, बाहर कैस

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मैं! कोई बदलते मौसम की घटा नही

मैं! कोई मौसम नही जो वक्त बेवक्त बदल जाऊं । स्थिर हूं मैं धरा की धीरज की तरह, टिका हूं मैं अंबर के सीने की विशालता की तरह ।। घाटा मुनाफा देख इंसान की फितरत हैं बदलती मैं! कोई गिरगिट नही जो, ईमान का सौदा कर, रंग बेमानी के भर दिल को इसके

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बुढ़ापे केववो लड़खड़ाते कदम

वो लड़खड़ाते कदम ।। उम्रदराज, कि कगार में खड़ा हो गया हूं मैं, जैसे,हो आजकल की ही बात । लेकर,जो लाठी औरों को डराने वास्ते उठाता था मैं! आज,उसी को लेकर चलने लगा हूं मैं ।। घर के अपने और बाहर के लोग समझने लगे हैं मुझे लाचार सा जैसे,उनके ही सहारे हो

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स्वाभिमान हैं सबसे बड़ा मान

जब तक जियो धरती पर अभिमान के साथ स्वयं को उसमें शामिल कर जियो । बिन, स्वाभिमान बेमानी हैं बेस्किमती उपहार सारे जैसे,सांसे भी चलती हो उधार लिए हुए किराये के मकानों में ।। चार बातें सुनने के ना आदी बने ,ये कान और ना बेइज्जती सहने को मजबूर हो ये..

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बेटियां

मां की तपस्या ,करुणा और पिता का त्याग,समर्पण का फल हैं ये बेटियां ।। त्याग,तपस्या,समर्पण और ममता की मूरत होती हैं बेटियां मां की परछाई तो पिता का गर्व होती हैं ये बेटियां ।। बेटों से तनिक भी ना कम होती हैं ये बेटियां कंधे से

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सबसे पहले माँ

जहाँ मैं रही नौ महीने, वो गर्भ गृह है पहला घर मेरा। चैन से रख कर सोती थी, अपना सर जिस गोद में, वो पहला बिस्तर मेरा। अपनी बाहों में रखती थी, सबसे बचा कर मुझे, वो पहला सुरक्षा कवच मेरा। पी कर जिसको बड़ी हुई, और मिली ताकत मुझे, वो पहला भोजन मेरा...

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