व्यंग/कटाक्ष
नेताओं की एक ही पुकार - हो हमारा विकसित बिहार।
बिहार चुनाव में वोटर और नेताओं की प्रजाति का मन जानने निकले थे हम। जी हां हम। एक तथाकथित व्यंग्यकार, जिसका गांव गर्दन का कुछ ठिकाना नहीं, अपने लिखते हैं, अपने पढ़ते हैं, और अपने ही, अपने लेख पर सकारात्मक टिप्पणी भी करते हैं। खैर अपनी प्रशंसा तो होते ही रह
Read Moreकबीरा तेरे देश में ....।
हे ईश्वर, हे बऊरहवा बाबा, पीपर तर के बाबा तुमसे हाथ जोड़ कर बिनती है कि ई बार बिहार चुनाव में हमन लड़ोर सब के मान सम्मान रखना। 243 में बाकी जेकरा मन करे ओकरा जीतवा देना लेकिन हमन के पसंदीदा ई पांच उम्मीदवार के भारीमत से जीतवा कर मनोरंजन से लबरेज रखना।
Read Moreप्रेमग्रंथ -लव गुरु का ज्ञान।
🌺🌺 चटुकनाथ - अंतराष्ट्रीय लव गुरु।💐💐 "ये इश्क नहीं आसान, बस इतना समझ लीजिए फ़िनाइल की गोली है और चूसते जाना है"। हिंदी के प्रख्यात प्राध्यापक अंतराष्ट्रीय लव गुरु चटुकनाथ जी को प्रेम दिवस पर हमारे शहर में बुलाया गया, प्रेम पर व्याख्यान के लिए। उन्हों
Read Moreतेरे मेरे बीच में कैसा है ये भाषा....।
पंडित रामसेवक जी पलामू महाविद्यालय में प्राध्यापक थे। मुंबई विश्वविद्यालय के एक दीक्षांत कार्यक्रम में हिंदी भाषा पर व्याख्यान हेतु उन्हें आमंत्रण प्राप्त हुआ था। इस हेतु वे अतिउत्साहित अपने झोले में चार कुर्ता और जोड़ी का चार पायजामा रख कर निकल पड़े ...
Read Moreडिप्रेशन में जा रहे हैं।
डिप्रेशन में जा रहे हैं। पांच क्लास में पढ़ते थे, उसी समय हम दिल दे चुके सनम का पोस्टर देखा, अजय देवगन हाथ में बंदूक लेके दांत चिहारले था, मुंह खूने खून था, हम समझे बड़ी मार धाड़ वाला सनिमा होगा। स्कूल से भाग कॉपी पैंट में लुका के तुरंत सिनेमा हॉल भागे।
Read Moreहाय हाय बिजली
हाय हाय बिजली।। सर ई का है ? दिखाई नहीं दे रहा है, ई पसीना है, ई पसीना घबराहट में नहीं निकला है, न ही किसी के डर से निकला है, फौलाद वाला शरबत पीने से भी नहीं निकला है, ई निकला है गर्मी से, और अगर बिजली रहती तो ई देह में ही सुख जाता लेकिन पंद्रह से बीस
Read Moreबस में यात्रा कसम से बस हो गया।
बस में यात्रा कसम से बस हो गया। शकील बदायूंनी का एक शेर में मेरे तरफ से जोड़ा गया "वादा करता हूं कल से बस में सफर करूंगा नहीं, और इस बस के सफर में फ़सूँगा नहीं, मगर वादा करने से पहले मेरे हमकदम बस एक सफर आखिरी आखिरी"। इस बार अपने दोस्त के साथ निकलना था
Read Moreपालनहार - मेरे सरकार।
पालनहार - मेरे सरकार। मा० सरकार, यहां मा के बाद जीरो इसलिए दिया गया ताकि आप सुविधापूर्वक माननीय या अन्य कोई उपसर्ग अपने दुःख या सुख के अहसास के बाद लगा लें। व्यायाम शरीर को स्वस्थ्य रखता है, सरकार भली भांति इस बात को जानती है। लेकिन साठ साल .....
Read Moreहर सवाल का जवाब एक सवाल।
आईए आईए, कह कर नेता जी ने एक गरीब किसान से हाथ मिलाया और बोले, देखिए एक गरीब आदमी से भी मै हाथ मिला लेता हूं। ये एक बड़े नेता की निशानी होती है। आप जैसे फटीचर और गरीब मेरे घर के दरवाजे के भीतर चुनाव के घोषणा के बाद निडर होकर आते हैं, ये मेरी .....
Read Moreदर्द - ए - दिल
दर्द -ए -दिल भोरहरिया जब नींद खुला और बाहर निकला तो देखे की सब लोग महादेव थान के चबूतरा के तरफ दौड़ लगा रहा है। हम अकबका गए की गांव में कोई गुजर तो नही गया। हमहु फटाफट दौड़ के चबूतरा के पास गए। वहां जाकर देखा की बहादुर चा मार सिसक सिसक के रो रहे हैं। आंख
Read Moreबदनाम आदमी पार्टी
मैने अपने पूर्वजों के बारे में जाना तो पता चला आज तक मेरे खानदान में कोई राष्ट्र स्तर का नेता पैदा नहीं हुआ था। कारण सब सच बहुत बोलते थे। एक मैं ही कुलबोरन पैदा हो गया था अपने खानदान में। झूठ बोलने में मैं इतना माहिर था की वर्तमान वाले विधायक जी मुझे.....
Read Moreहल्का फुल्का
देश में चुनावी माहौल, नेता जीतने के बाद उड़ाएंगे माखौल। वादा ......।
Read Moreमैं विभीषण।
जिनगी भर पार्टी के सेवा किए, घर से माड़ भात खा के आते थे, कुपोषण के शिकार हो गए, लेकिन जिंदाबाद जिंदाबाद हमेशा टनकार आवाज में लगाते थे। पूरा जिला जवार जानता था की सबसे अच्छा नारा हम ही लगाते थे, नेताजी के आगे चलते हुए दोनो पैर हवा में रहता था और हाथ आसमान
Read More....... और बिजली फिर गायब।
अरे जगमोहना के रोको, बांस लेके, गरियाते पता नही किसको खोज रहा है, कहते हुए रामबृक्ष भईया हाथ में लोटा लेके निकल पड़े स्वच्छता अभियान का मां बहन करने। तभी जगमोहन मुझे दिखाई दिया, वो हमसे पूछा बिजली विभाग के बड़े अधिकारी का नाम बताओ आज बांस ठेलना है। मैने क
Read Moreरामभरोसे राम।
रामभरोसे को अपने राम पर पूरा भरोसा था, तभी तो रिटायरमेंट के पहले चल बसे और राम को अनुकम्पा का लाभ मिला। मतलब घर में एक नौकरी फिर से सुरक्षित। अपने पिता के सभी गुणों को अपने में आत्मसात किये राम, मधुर वाणी के स्वामी थे। रामभरोसे वैसे तो एक सरकारी कार्यालय
Read Moreदिव्य निपटान स्थल - राष्ट्र चिंतन हो कर रहेगा।
दिव्य निपटान स्थल - राष्ट्र चिंतन हो कर रहेगा। एक सर्वे के अनुसार छिहत्तर प्रतिशत भारतीय कब्ज के शिकार हैं, ये सर्वे भारतीय सिनेमा के एक प्रसिद्ध अभिनेता ने अपने कार्यक्रम दस का दम में प्रदर्शित किया था एक प्रश्न के रूप में। सरकार आती गई, जाती गई लेकिन..
Read Moreजेपीएससी, मैं और मेरा दुर्भाग्य।
परीक्षा के दिन सुबह में टीवी खोला, किसी महाराज का प्रवचन आ रहा था, तुला राशि के बारे में कह रहे थें की आज का दिन वर्ष का सर्वश्रेष्ठ दिन साबित होगा और मुझे अपने दुश्मनों पर विजय प्राप्त होगी, अब महाराज को कौन बताये की जो राशि मेरी है, वही मेरे दुश्मन.....
Read Moreमुसीबतों की बारात
मुसीबतों की बारात - अनकही दास्तान।। ऊहे दिन किरिया खाया की अब कभी शादी समारोह में शामिल नहीं होंगे। मेहरारू के फुआ के ननद के बेटी का शादी था, जम्मू में। महीने के पच्चीस तारीख को बैंक अकाउंट बोल रहा था की चुप चाप पांच दिन घर पर ही रहो, बाहर जाने को औकात...
Read Moreदुर्भाग्य - एक वृतांत
दुर्भाग्य - एक वृतांत। सच्ची घटना पर आधारित। पपलु बाबू बैंक पीओ का परीक्षा देके नागपुर से गढ़वा के लिए चल पड़े। साथ में मंगेसर काका का लड़का भी था, मंगेसर काका के लड़का मनीष, अडानी के कंपनी में एचआर थे। जानकार थे और नागपुर से परिचित भी। पपलु के ......
Read Moreजन जन के सेवक।
मुख्यमंत्री जी ने आदेश दिया था, की सभी मंत्री एक महीना गांव में रहेंगे, ताकि जनता की समस्यायों को जमीनी स्तर से जानने का अवसर प्रदान हो सके। सरकार का फरमान पर, सब मंत्री लोग तुरंत एक्टिव हो गए। लेकिन सरकार ने शर्त ये लगाई थी की अपने विधानसभा में कोई भी म
Read Moreकाला आदमी, गोरा कर्म।
करीवा जिनगी में एके बार जन्म के समय ललछहु गोर दिखा था, फिर जे करिया रंग उस पर चिपका से चिपकले रह गया। भैंस जैसा काला हमर करीवा, अपने रंग के बारे में सबको बताता की मैं श्याम वर्ण का हूं। कृष्ण और राम भी श्याम वर्ण के थे, सरवा के करिया बताने में लाज लगता था
Read Moreकुसंग का लालच
एगो दिक्कत रहे तब न! ई जीवन दुखी कर दिहिस है। सुरेंद्र मोहन पाठक आऊ वेद प्रकाश शर्मा का उपन्यास खरीदना भी अब मुश्किल है, मिलबे नही करता है। मनोहर कहानियां और सरस सलिल का व्यस्क कहानी भी कहां नसीब होता है। हमन जैसन के हीरो मिथुन आऊ गोविंदा भी ससुरा बूढ़ा ग
Read Moreबड़े साहब के बुरे दिन
बचपन में जब कोई घर पर आता तो बाबूजी बोलते - देखिएगा इसको हम आईएएस अफसर बनाएंगे। का हुआ, जो हम नही बन सकें, मेरा बेटा जरूर बनेगा। और उसके बाद शुरू होता मेहमान का मुझसे प्रश्न, बताओ बेटा " कै नवां दू तीन चार" हम उच्चरुंग जैसन मुंह बना लेते। खैर मेहमान के जा
Read Moreप्रेमग्रंथ
प्रेमग्रंथ। सदियां बीत जाएंगी, दौर अलग अलग आयेंगे पर लोग अपने पहले प्यार को कभी न भूल पाएंगे। गांव में एगो टीवी, आऊ देखे वाला पूरा गांव। इतवार के दिन टीवी दुरा पर लग जाता आऊ साथ में एगो बैटरी। फिर शुरू होता रामायण। कुछ लोग पलथिया मार के तो कुछ लोग चुकु म
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