साहित्यिक लेख
कक्षा पांचवीं
मैं पंकज बिंदास उत्तराखंड से हूँ, साहित्य की विभिन्न विधाओं में लिखता हूं, यहाँ प्रमुखता गद्य में रचनाएं संकलित कर रहा हूँ। हमारी आज की यथार्थता की कल्पना दस साल पहले किसी ने न की होगी;कौन क्या करेगा, कहाँ रहेगा किसी ने न समझा होगा और दस साल बाद की हमा...
Read Moreसंविधान शिल्पी बाबा साहब
संविधान शिल्पी बाबा साहब के जीवन व्यक्तित्व पर शोध लेख। बाबा साहब भीम राव अंबेडकर भारतीय इतिहास के ऐसे विराट व्यक्तित्व जिनके बिना ना तो वर्तमान भारत कल्पनीय है ना ही भारत कि स्वतंत्रता के बाद भारत के इतिहास की कल्पना सम्भव है कोई भी राजनीतिक उदय हो या..
Read Moreनेता जी शोध लेख
नेता जी के सम्पूर्ण व्यक्तित्व के बिभिन्नं आयाम पर शोध लेख। -साहित्य के आलोक में नेता जी-नेता जी सुभाष चन्द्र बोस का जन्म 1897 में कटक में जानकी नाथ बोस की 14 संन्तानो में नवी संतान के रूप में हुआ1-साहित्य के आलोक में नेता जी-नेता जी सुभाष चन्द्र बोस का..
Read Moreडॉ निशंक शोध लेख
डॉ रमेश पोखरियाल निशंक भरतीय विद्वत समाज सदैव दैदीप्यमान नक्षत्र है जो वर्तमान में प्रेरणा है।रमेश पोखरियाल निशंक किसी परिचय सम्मान के मोहताज नही जैसा की नाम है निशंक निडर वेवाक विद्वत मनीषी पुरुषार्थ पराक्रम ऊर्जा के आदर्श प्रेरक प्रेरणा व्यक्तित्व...
Read Moreकुमायूंनी साहित्य के अमर अमिट हस्ताक्षर जीवन जोशी जी
कुमायूंनी साहित्य के अमर अमिट हस्ताक्षर जीवन जोशी जी जिनके विषय मे वर्तमान पीढ़ी को जागरुक करता शोध लेख जिससे वर्तमान पीढ़ी जीवन जी को जाने समझे।
Read Moreस्त्री हूं मैं.......
स्त्री जागरण की दृष्टि से मेरे द्वारा लिखा गया यह लेख सभी स्त्रियों को समर्पित है। इसे पढ़ के स्त्रियों को खुद को जानने ,समझने और पहचानने का अवसर मिलेगा।
Read Moreशीशा नीचे करके बोली तू पीयूष हैं ना ….
बात बहुत पुरानी हैं,मैं वृंदावन में बाँके बिहारी के दर्शन करने के लिये अकेला ही जा रहा था,सामने से आ रही एक बहुत सुंदर सी गाड़ी जिसको एक महिला चला रही थी,अचानक मेरे पास आ कर रुकी, शीशा नीचे करके बोली आप पीयूष हैं ना, मैं बोला,हाँ मैं पीयूष हूँ.उसने गाड़ी किनारे लगाकर मेरे पास आई और बोली पहचाना मुझे,मैं बोला नहीं मैं पहचान नहीं पाया, उसने कुछ समय दिया मुझे पहचानने के लिये,मैं फि
Read Moreमानव मन में संतोष
मानव पशु है. प्राचीन पाषाण युग का मानव और पशु में कोई अंतर नहीं था । शनैः शनैः मानव में मानवता आयी । मानवता या इन्सानियत मानव को महान बनाता है । कम से कम अपने दायरे में आदरणीय बन सकता है । मानव जीवन में शैतान की शक्ति हैं ।दिव्य शक्ति है ।
Read Moreजैसा कर्म वैसा फल
कर्म-फल पर लिखा हुआ लेख है । आज सुबह ही मैंने एक सोशल मीडिया साइट पर देखा कि कितने ही बूढे बुजुर्ग घर से ज़बरदस्ती निकल दिए गए ।फिर वो भिखारियों सी जिंदगी जीने को मजबूर हो गए। किसी के पास पहनने को कपड़ा नहीं ,किसी के पास घर नहीं ,भूख -प्यास से तड़प
Read Moreअंधविश्वास या परम्परा
परम्परा के नाम पर माने जाने वाले अंधविश्वास पर एक लेख एक पीढ़ी के द्वारा अपनाया गया अंधविश्वास आने वालीं पीढ़ीयो के लिए परंपरा बन जाता है। और इसे परंपरा बनाने मे सबसे बड़ा हाथ होता है उन लोगों को जो अशिक्षित है , अज्ञान है, और रूढ़ीवादी है। वो घर...
Read Moreतरक़्क़ी देखकर फुले नहीं समा रहे थे….
बिहार का रहने वाला एक १८ वर्षीय युवा मुश्किल से १०वी पास, चार बहन भाइयों में सबसे छोटा, कुछ करने के लिए अपने माँ बाप को बिना बतायें दिल्ली आ जाता हैं.काम की तलाश में इधर उधर घूमता हैं, दिहाड़ी पर एक कंप्यूटर सही करने वाले के यहाँ नौकरी करनी शुरू कर दी.दिन में काम रात में कंप्यूटर भाषा सीखता था.काम करते-करते उसने एक छोटी सी वेबसाइट बना ली.अपने मालिक को दिखाई, मालिक उस
Read Moreमाँ के चरणों में बहुत रोयें.
एक सेठ जिन्होंने अपनी ज़िंदगी में बड़ा ही संघर्ष किया.सेठ को तीन बेटे थे. व्यापारी ने तीनों को पढ़ाया लिखाया. सेठ को अपने बड़े बेटे से बहुत लगाव था और माँ को छोटे बेटे से, और बड़े भाई को अपने बीच वाले भाई से. सेठ का सबसे छोटा बेटा थोड़ा बिगड़ा हुआ था. सेठ अपने बड़े बेटे से कई बार कह चुके थे अपने सबसे छोटे भाई का ध्यान रखना कही कुछ गड़बड़ ना कर दें.बड़ा बेटा सेठ के व्यापार में हाथ
Read More*अखबार वाला*
एक छोटे बच्चे को देखा और दिमाग में कुछ बातें दौड़ने लगी । अखबार में नाम छपवाने के लिए लोग क्या क्या नहीं करते हैं। अगर आप कुछ अच्छा करें और आपका नाम अखबार में नहीं आया तो बहुत से लोगों को तो पता ही नहीं चलता है।
Read Moreसंस्मरण -जंत्री
जंत्री संस्मरण संस्कृति और सामाजिक मूल्यों को जीवित रखने का प्रयास। पिछले साल जब पिताजी नहीं रहे तो हमारा पूरा महिना गांव में ही गुजरा । तत्पश्चात बड़े भाई साहब माताजी को भी साथ ही शहर में ले आए । हमने घर की सभी आवश्यक और कीमती चीजें भी साथ ही लाने का...
Read Moreकद और पद, बड़ा कौन..?
एक बार कवर्ग और पवर्ग में बहस हो गई कि बड़ा कौन? कवर्ग का प्रतिनिधित्व 'कद' ने किया तो पवर्ग का प्रतिनिधित्व 'पद' ने किया। प्रतिनिधियों का नाम सामने आने के बाद दोनों ने अपने जीत के लिए भ्रमण शुरू कर दिया। कद ने कहा कि मैं बड़ा हूं हर जगह लोग कहते हैं कि..
Read Moreमीठे पानी का कुआँ
तेजगढ़ राज्य दुखों की चपेट में आ गया, लोग पानी के लिये तरसने लगे. तेजगढ़ के राजा को अपनी प्रजा की कोई चिंता न थीं.राजा अपने में ही मस्त रहते थे , ज़्यादातर समय शिकार खेलने में ही व्यस्त रहता था.प्रजा पानी के लिए तरस रही थी.राज्य के लोग बड़े ही परेशान...
Read Moreबांग्ला उपन्यासकार 'बनफूल' की जिंदगी की वास्तविक सच्चाई, उनकी रचनाएँ और हिंदी कनेक्शन
पद्मभूषण में मूलनाम 'बालाइ चंद्र मुखोपाध्याय' है, न कि 'बनफूल' ! बिहार के मनिहारी (कटिहार) के हैं 'बनफूल'। हालांकि अब वे पार्थव्य लोक में रहे नहीं! वे पेशे से 'डॉक्टर', किन्तु साहित्य-साधक थे। वे बांग्ला के महान उपन्यासकार थे। हाटे बजारे, भुवन शोम आदि...
Read Moreलघुकथा-वो डरावना बंगला
किराये पर घर नही मिल रहा है सारे पैसे ट्रेन मे चोरी हो गये भूख भी लगी है जेब मे एक फूटी कौड़ी भी नही है। पास में ही सुनसान स्टेशन था बिना देरी किये मैं वहां से भाग खड़ा हुआ। कितने अरमान से गाँव से शहर आया था मेहनत से काम करूँगा और खूब पैसा कमाउगा प..
Read Moreसेठ का पत्र…..
एक क़स्बे में एक धनाढ्य सेठ रहते थे जिनका अपनी पंसारी की दुकान थी. सेठ जी की उम्र क़रीब ३५ साल की थी.एक दिन दोपहरी में एक गरीब महिला अपने १० साल के बेटे के साथ सेठ जी की दुकान पर सेठ जी से कहने लगी मेरे पास खाने को कुछ भी नहीं हैं. हमें कुछ पैसे दे दो जिस से हम अपना पेट भर सके, सेठ जी महिला से बोले देखो तुम हमारे यहाँ रह सकती हो, तुम्हारे बेटे का क्या नाम हैं . गरी
Read Moreवो मासूम लड़की..!
"ए.. लड़की क्या चाहिए.!" किराने की दुकान में बैठे लाला ने पूछा- "बड़ी देर से,मेरी दुकान की ओर घूर रही हो!" बोलते हुए दुत्कारने लगा। "मेरा नाम शिल्पी है.. मैं किसी गांव में रहती हूं।"उस लड़की ने जवाब दिया- "मैंने कल से कुछ नहीं खाया..मेरे पापा भ
Read Moreभेदभाव.. एक मानसिक रूग्णता..
शाम के 7:00 बजे ऑफिस से घर लौट रहा था की, "चित्रालय चौंक"पर सत्येंद्र शर्मा (मेरा पत्रकार दोस्त) से मुलाकात हो गई। "अरे जीते रुक रुक"..(जीते मेरा घरेलू नाम है) मैं तुझे ही ढूंढ रहा था!"-उसने कहा "मुझे ढूंढ रहा था..? क्या तेरा मोबाइल गुम हो गय...
Read Moreसोच का फर्क
बदलती संस्कृति और बदलते परिवेश में आज भी कुछ ऐसा है जिसे हमारे होने की फिक्र है। हवा में घर खरीदा घनश्याम अपने घर की एकलौती संतान था,उसे श्याम बाबू ने बहुत लाड़ प्यार से पाला था । बचपन गांव में ही बीता था। गुरुग्राम में 12वें तला सेक्टर 9 के डीएलएफ क
Read More!! लक्ष्य का निर्धारण !!
एक बार की बात है, एक निःसंतान राजा था, वह बूढा हो चुका था और उसे राज्य के लिए एक योग्य उत्तराधिकारी की चिंता सताने लगी थी। योग्य उत्तराधिकारी के खोज के लिए राजा ने पुरे राज्य में ढिंढोरा पिटवाया कि अमुक दिन शाम को जो मुझसे मिलने आएगा, उसे मैं अपने...
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