18-12-2022

आंगन में बिछी..चारपाई!🍁

अगर आपकी उम्र पचास की है.. तो आप बहुत नसीबवान हो, "आंगन में बिछी उस चारपाई" की.. आप आख़री चश्मदीद पहचान हो। उस चारपाई पे दादाजी को आपने आंगन में हुक्का भरते देखा होगा, हुक्के की चिलम से उठता धुंआ.. और गुड़गुड़ाहट को सुना...

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       17-12-2022

मासिक धर्म के नाम पर ये आडंबर क्यूं??

पूछना चाहती हूं इस समाज धर्म के ठेकेदारों से आखिर! नारी के असहनीय दर्द भरे पलों के नाम पर ये ढोंग ढकोसला क्यूं ।। जिस, रक्त के कण कण से जब पालती हैं नन्ही सी जां को कोख में और जन्म देती हैं शिशु को तब,वो शिशु अपवित्र क्यूं नही कहलाता...

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       17-12-2022

चाहतों की..चाहत!❤️

फिर वही चाहतों की घटा,छाई है.. फिर वही मोहब्बत, याद आई है.. नयनों से रिमझिम बारिश,बरसी है.. फिर तुझे पाने की चाहत,तरसी है.!! फिर दिल मचल रहा,तुझे पाने को.. बादल बन,तेरे तस़व्वर में छाने को.. फिर वही पुराने गीत,गुनगुनाने को.. प्रीति की फुहार में..

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       17-12-2022

आंगन में बिछी..चारपाई!🍁

अगर आपकी उम्र पचास की है.. तो आप बहुत नसीबवान हो, "आंगन में बिछी उस चारपाई" की.. आप आख़री चश्मदीद पहचान हो। उस चारपाई पे दादाजी को आपने आंगन में हुक्का भरते देखा होगा, हुक्के की चिलम से उठता धुंआ.. और गुड़गुड़ाहट को सुना हो..

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११ मोतियों की माला…

११ मोतियों की माला——एक जंगल में एक सिद्धि प्राप्त ऋषि रहते थे.आस -पास के लोग उनसे मिलने जाया करते थे.ऋषि की कुटिया के पास एक कुआँ था.कुँए की एक ख़ासियत थी जो भी कोई पानी पीने जाता बाल्टी के साथ एक मोती भी ज़रूर आता.अक्सर आस-पास के लोग इस कारण से उनसे मिलने जाते थे.एक क़स्बे में एक ज्ञानीजन रहते थे,उनको भी पता चला की जंगल में एक पहुँचे हुए ऋषि रहते हैं,और उनकी कुटिया के

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       15-12-2022

मन का मंदिर

मन का मंदिर भटक रहा है मन तड़प रहा है मन कलयुग के जाल में उलझ रहा है जीवन। आत्मशांति की तलाश में अन्धकार के मायाजाल में खो गया है मन। दौड़ रही हैं ज़िंदगी ना जानें किस पथ पर पीठ पर आधुनिकता का चाबुक है चल रहा सब चल रहे जीवन के अज्ञात लक्ष्य पर...

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       14-12-2022

दर्द सहेंगे, कुछ ना कहेंगे, चुप ही रहेंगे हम, प्यार में तेरे सनम।

हूक-सी उठती है मन में– काश हम भी लिख पाते अपना दर्द, पर उस हूक को हम समझदारी से ज़बरियन दबा देते हैं। तब हमें अहसास होता है कि विद्रोह कैसे कुचले जाते होंगे।

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       14-12-2022

नर हो न निराश करो मन को।

भगवान मुझ जैसे मुजसम्मा को बनाने की क्या जरूरत थी। किस खास मकसद के लिए मुझे अवतरित किया प्रभु। अब तो लगता है की यदि कफन बेचने का धंधा भी करूं तो लोग मरना भी छोड़ देंगे।

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       11-12-2022

तेरे घर की खिड़कियां

अब नहीं दिखती मेरे छत से, तेरे घर की खिड़कियां। जब से गली में ऊंचे-ऊंचे, मकान बन गए ।। खुशबुओं से महक उठती थी, राहों की जो फिज़ा ।। बहती वे हवाएं भी, तूफां में बदल गए ।। मिलते थे जिस गली के, नुक्कड़ पर हम कभी हमने सुना है उस जगह, चाय की दुकान खुल गए...

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       11-12-2022

तुम्हारी डीपी/DP

ढलती सुहानी शाम में जल उठी घरों में शमां । धवल-उज्ज्वल रोशनी से, निखर उठा आसमां ।। सिमट रही रवि किरणें, हो रहीं ओझल बन बावरी । श्वेता-श्याम घूंघट काढ़े, अवतरित हो रही विभावरी ।। बादलों की ओट से झांकता चाँद, बिखेर रहा जग में प्रकाश । मन हरती धवल चांद...

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       10-12-2022

ज़ख्मी सा, मेरा मन

ज़ख्मी सा मेरा मन ।। मैं भाव के हाथों बिकता रहा और ये ज़माना मेरा सौदा दौलत के सहारे करता रहा ।। जब,जब ढूंढा चैन दिल का ये ज़माना रह रहकर मुझ पर तंज कसता रहा ।। वफ़ा,ईमान और सच का चोला ओढ़ा मैंने तन पर पर बेईमान होने का इल्ज़ाम सरेआम, मुझ.

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       09-12-2022

बाल कहानी- प्रिया

प्रिया एक चंचल लड़की थी। एक दिन प्रिया अपनी सहेलियों के साथ खेल रही थी। अचानक प्रिया की नज़र जमीन पर पड़ी अँगूठी पर पड़ी। प्रिया ने अँगूठी उठाकर पास के मैदान में फेंक दी, बिना पूछें कि ये अँगूठी किसकी है? कुछ देर बाद प्रिया की सहेली ज्योति की अम्मी आयी और..

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आज से आप मेरी माँ हैं.

एक क़स्बे में एक धनी सेठ रहते थे.सेठ बड़े ही पूजा पाठ वाले व दान देने में सबसे आगे रहते थे.स्कूल धर्मशाला आदि कई उन्होंने अपने पूर्वजों के नाम पर बनवाये हुए थे.सेठ जिनको बड़ी मिन्नतों के तीन लड़कियों के बाद बेटा हुआ,समय गुजरता रहा धीरे-धीरे सेठ अपनी लड़कियों की शादी करते रहे … सबकी शादी सेठ ने अच्छे घरों में की थी.सेठ ने अपने बेटे की शादी भी बड़े धूम धाम से की …. जब कभी भी सेठ

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जर्मन कैमोमाइल के महक से रोशन होगा ठेकमा की गुलशिता

समाज के मुख्य धारा से पिछड़े, वंचित समूह दीदियों के उत्थान हेतु निरंतर प्रयत्नशील रहने वाले आजमगढ़ जिला, ठेकमा के ब्लॉक मिशन प्रबंधक-कौशल एवं रोजगार अभिषेक कुमार के पहल से महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना अंतर्गत महिला किसानों ने जर्मन कैमोमाइल की खेती कर...

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       06-12-2022

खुद से लड़ाई

जिंदगी से हार चुकी हूं, खुद से लड़ते लड़ते बिखर चुकी हूं। किस किस को समझाऊं खुद ही नासमझ बन गई हूं। तेरे वादे के आगे ये दिल पिघल गया था, पर तेरा वो प्यार एक दिखवा था। इतना ना तड़पा जालिम, परछाई को भी मौत बना चुकी हूं, तेरे आगे इतना बिखर चुकी ह

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       06-12-2022

बिंदिया..🌹

मेहताब से चमकते रुख़ पे.. ऑफ्फ.!दमकती नन्हीं सी बिंदिया.. ज़लज़ला जगा जाती है त़कव्वुर में.. अंखियों से चुरा जाती है निंदिया.! नयनों के बीच इठलाती है बिंदिया.. छेड़ जाती है.. हजारों तरन्नुम, त़ल्खी मिटा जाती है जिग़र की.. लबों..

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आज

चारों ओर क्या... धूम मची है, घर-घर"मां"की,ज्योत जागी है, शंख नाद की ... धुन बजी है, पुष्प-आरती की,थाल सजी है, "नवमीं"का ये पर्व,कितना सुहाना है, आज"मैया"ने सबके घर-घर जाना है.! ध्वजा- नारियल..पान- सुपारी, "मां"को इलायची लगती प्यारी, काजू- कतरी..

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       06-12-2022

।। भागलपुर के दुर्भाग्य ।। इज्जत नारी की फिर हुई तार तार।।

इज़्जत नारी की हुई फिर तार तार ।। बार बार हैं पुनरावृत्ति हो रही ।। छिन्न भिन्न हैं किए जा रहे नारी अंग के पुर्जे पुर्जे ।। कभी आंख हैं फोड़ी जाती कभी स्तन हैं काटें जाते और कभी जिस्म के एक एक हिस्से को हैं ज़ख्मी सा किया जाता ।। ये सिलस

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       05-12-2022

बाल कहानी- सुन्दर संदेश

शनि-,"मुझे याद है, जब मैं पिछली बार छुट्टियों में दादी के घर गया था तब दादी ने मुझे बहुत अच्छी-अच्छी कहानियाँ सुनायी थीं। इस बार भी मैं छुट्टियों में अम्मी-पापा के साथ दादी से मिलने जाऊँगा।" राहुल-,"हाँ.. हाँ.. (हँसते हुए) तुमने क्या कहा? फिर से कहो..

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       05-12-2022

बाल कहानी- टीना और तोता

टीना अपने पापा के साथ मार्केट गयी थी। वहीं पर उसे पिंजड़े में कैद तोता दिखायी दिया। टीना ने पापा से कहकर तोता पिंजड़े के साथ ले लिया और घर ले आयी। घर लाकर टीना तोते के साथ ही खेलने-कूदने लगी। तोता भी टीना के साथ खूब हिल-मिल गया। टीना तोता को मन-पसंद...

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       04-12-2022

वफ़ा

मोहब्बत हैं तुमसे बीच राह साथ छोड़ मुंह मोड़ तो ना लोगे ।। वफ़ा का धागा बांधा हैं तुमसे उम्र दरमियान जाकर तुम उसे झुठला तो न दोगे ।। लिबाज़ की तरह इंसान बदलता हैं प्रेम तुम,किसी और की ओढ़नी को सर मत्थे सजा तो न लोगे ।। हमसाया,हमदम माना हैं...

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       02-12-2022

आखिरी दफा

आखिरी दफा मेरी आखिरी दफा बात मान जाओ ना, कुछ कहना है मुझे, कुछ तो सुन जाओ ना। मेरी मौत ने पुकारा है मुझे, वो आखिरी सन्नाटा गूंज रहा कैसे, वही नजारा देख जाओ ना। कैसे कपती हुई डर रही हूं, मेरी आखिरी दुआ में भी तुम थे, बस आखिरी बार!! मेरे जनाज़े पर

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ये जिस्म के 35 टुकड़े

बड़े ना गवार हैं ये जिस्म के 35 टुकड़े ।। हर बार जिस्म के टुकड़े महिला के क्यूं क्यूं, ये मर्द नहीं कटता अनगिनत बार ।। हर बार, क्यूं बोरे या बैग में सिल फेंकी जाती हैं नारी अबकि बारी, मर्द क्यूं काट नही हैं फेंका जाता ।। क्यूं, आखिर...

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       29-11-2022

भारत को भारत बनने से पहले की अद्भूत यात्रा कराता है उपन्यास रणक्षेत्रम

अगर आप अतिप्राचीन भारत का दर्शन करना चाहते हैं, खासकर भारत को भारत बनने से पहले, राजा भरत के जन्म से पहले, आर्यावर्त या जम्बद्वीप के समय, तो रणक्षेत्रम को एक बार अवश्य पढिए।

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