आंगन में बिछी..चारपाई!🍁
अगर आपकी उम्र पचास की है.. तो आप बहुत नसीबवान हो, "आंगन में बिछी उस चारपाई" की.. आप आख़री चश्मदीद पहचान हो। उस चारपाई पे दादाजी को आपने आंगन में हुक्का भरते देखा होगा, हुक्के की चिलम से उठता धुंआ.. और गुड़गुड़ाहट को सुना...
Read Moreमासिक धर्म के नाम पर ये आडंबर क्यूं??
पूछना चाहती हूं इस समाज धर्म के ठेकेदारों से आखिर! नारी के असहनीय दर्द भरे पलों के नाम पर ये ढोंग ढकोसला क्यूं ।। जिस, रक्त के कण कण से जब पालती हैं नन्ही सी जां को कोख में और जन्म देती हैं शिशु को तब,वो शिशु अपवित्र क्यूं नही कहलाता...
Read Moreचाहतों की..चाहत!❤️
फिर वही चाहतों की घटा,छाई है.. फिर वही मोहब्बत, याद आई है.. नयनों से रिमझिम बारिश,बरसी है.. फिर तुझे पाने की चाहत,तरसी है.!! फिर दिल मचल रहा,तुझे पाने को.. बादल बन,तेरे तस़व्वर में छाने को.. फिर वही पुराने गीत,गुनगुनाने को.. प्रीति की फुहार में..
Read Moreआंगन में बिछी..चारपाई!🍁
अगर आपकी उम्र पचास की है.. तो आप बहुत नसीबवान हो, "आंगन में बिछी उस चारपाई" की.. आप आख़री चश्मदीद पहचान हो। उस चारपाई पे दादाजी को आपने आंगन में हुक्का भरते देखा होगा, हुक्के की चिलम से उठता धुंआ.. और गुड़गुड़ाहट को सुना हो..
Read More११ मोतियों की माला…
११ मोतियों की माला——एक जंगल में एक सिद्धि प्राप्त ऋषि रहते थे.आस -पास के लोग उनसे मिलने जाया करते थे.ऋषि की कुटिया के पास एक कुआँ था.कुँए की एक ख़ासियत थी जो भी कोई पानी पीने जाता बाल्टी के साथ एक मोती भी ज़रूर आता.अक्सर आस-पास के लोग इस कारण से उनसे मिलने जाते थे.एक क़स्बे में एक ज्ञानीजन रहते थे,उनको भी पता चला की जंगल में एक पहुँचे हुए ऋषि रहते हैं,और उनकी कुटिया के
Read Moreमन का मंदिर
मन का मंदिर भटक रहा है मन तड़प रहा है मन कलयुग के जाल में उलझ रहा है जीवन। आत्मशांति की तलाश में अन्धकार के मायाजाल में खो गया है मन। दौड़ रही हैं ज़िंदगी ना जानें किस पथ पर पीठ पर आधुनिकता का चाबुक है चल रहा सब चल रहे जीवन के अज्ञात लक्ष्य पर...
Read Moreदर्द सहेंगे, कुछ ना कहेंगे, चुप ही रहेंगे हम, प्यार में तेरे सनम।
हूक-सी उठती है मन में– काश हम भी लिख पाते अपना दर्द, पर उस हूक को हम समझदारी से ज़बरियन दबा देते हैं। तब हमें अहसास होता है कि विद्रोह कैसे कुचले जाते होंगे।
Read Moreनर हो न निराश करो मन को।
भगवान मुझ जैसे मुजसम्मा को बनाने की क्या जरूरत थी। किस खास मकसद के लिए मुझे अवतरित किया प्रभु। अब तो लगता है की यदि कफन बेचने का धंधा भी करूं तो लोग मरना भी छोड़ देंगे।
Read Moreतेरे घर की खिड़कियां
अब नहीं दिखती मेरे छत से, तेरे घर की खिड़कियां। जब से गली में ऊंचे-ऊंचे, मकान बन गए ।। खुशबुओं से महक उठती थी, राहों की जो फिज़ा ।। बहती वे हवाएं भी, तूफां में बदल गए ।। मिलते थे जिस गली के, नुक्कड़ पर हम कभी हमने सुना है उस जगह, चाय की दुकान खुल गए...
Read Moreतुम्हारी डीपी/DP
ढलती सुहानी शाम में जल उठी घरों में शमां । धवल-उज्ज्वल रोशनी से, निखर उठा आसमां ।। सिमट रही रवि किरणें, हो रहीं ओझल बन बावरी । श्वेता-श्याम घूंघट काढ़े, अवतरित हो रही विभावरी ।। बादलों की ओट से झांकता चाँद, बिखेर रहा जग में प्रकाश । मन हरती धवल चांद...
Read Moreज़ख्मी सा, मेरा मन
ज़ख्मी सा मेरा मन ।। मैं भाव के हाथों बिकता रहा और ये ज़माना मेरा सौदा दौलत के सहारे करता रहा ।। जब,जब ढूंढा चैन दिल का ये ज़माना रह रहकर मुझ पर तंज कसता रहा ।। वफ़ा,ईमान और सच का चोला ओढ़ा मैंने तन पर पर बेईमान होने का इल्ज़ाम सरेआम, मुझ.
Read Moreबाल कहानी- प्रिया
प्रिया एक चंचल लड़की थी। एक दिन प्रिया अपनी सहेलियों के साथ खेल रही थी। अचानक प्रिया की नज़र जमीन पर पड़ी अँगूठी पर पड़ी। प्रिया ने अँगूठी उठाकर पास के मैदान में फेंक दी, बिना पूछें कि ये अँगूठी किसकी है? कुछ देर बाद प्रिया की सहेली ज्योति की अम्मी आयी और..
Read Moreआज से आप मेरी माँ हैं.
एक क़स्बे में एक धनी सेठ रहते थे.सेठ बड़े ही पूजा पाठ वाले व दान देने में सबसे आगे रहते थे.स्कूल धर्मशाला आदि कई उन्होंने अपने पूर्वजों के नाम पर बनवाये हुए थे.सेठ जिनको बड़ी मिन्नतों के तीन लड़कियों के बाद बेटा हुआ,समय गुजरता रहा धीरे-धीरे सेठ अपनी लड़कियों की शादी करते रहे … सबकी शादी सेठ ने अच्छे घरों में की थी.सेठ ने अपने बेटे की शादी भी बड़े धूम धाम से की …. जब कभी भी सेठ
Read Moreजर्मन कैमोमाइल के महक से रोशन होगा ठेकमा की गुलशिता
समाज के मुख्य धारा से पिछड़े, वंचित समूह दीदियों के उत्थान हेतु निरंतर प्रयत्नशील रहने वाले आजमगढ़ जिला, ठेकमा के ब्लॉक मिशन प्रबंधक-कौशल एवं रोजगार अभिषेक कुमार के पहल से महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना अंतर्गत महिला किसानों ने जर्मन कैमोमाइल की खेती कर...
Read Moreखुद से लड़ाई
जिंदगी से हार चुकी हूं, खुद से लड़ते लड़ते बिखर चुकी हूं। किस किस को समझाऊं खुद ही नासमझ बन गई हूं। तेरे वादे के आगे ये दिल पिघल गया था, पर तेरा वो प्यार एक दिखवा था। इतना ना तड़पा जालिम, परछाई को भी मौत बना चुकी हूं, तेरे आगे इतना बिखर चुकी ह
Read Moreबिंदिया..🌹
मेहताब से चमकते रुख़ पे.. ऑफ्फ.!दमकती नन्हीं सी बिंदिया.. ज़लज़ला जगा जाती है त़कव्वुर में.. अंखियों से चुरा जाती है निंदिया.! नयनों के बीच इठलाती है बिंदिया.. छेड़ जाती है.. हजारों तरन्नुम, त़ल्खी मिटा जाती है जिग़र की.. लबों..
Read More।। भागलपुर के दुर्भाग्य ।। इज्जत नारी की फिर हुई तार तार।।
इज़्जत नारी की हुई फिर तार तार ।। बार बार हैं पुनरावृत्ति हो रही ।। छिन्न भिन्न हैं किए जा रहे नारी अंग के पुर्जे पुर्जे ।। कभी आंख हैं फोड़ी जाती कभी स्तन हैं काटें जाते और कभी जिस्म के एक एक हिस्से को हैं ज़ख्मी सा किया जाता ।। ये सिलस
Read Moreबाल कहानी- सुन्दर संदेश
शनि-,"मुझे याद है, जब मैं पिछली बार छुट्टियों में दादी के घर गया था तब दादी ने मुझे बहुत अच्छी-अच्छी कहानियाँ सुनायी थीं। इस बार भी मैं छुट्टियों में अम्मी-पापा के साथ दादी से मिलने जाऊँगा।" राहुल-,"हाँ.. हाँ.. (हँसते हुए) तुमने क्या कहा? फिर से कहो..
Read Moreबाल कहानी- टीना और तोता
टीना अपने पापा के साथ मार्केट गयी थी। वहीं पर उसे पिंजड़े में कैद तोता दिखायी दिया। टीना ने पापा से कहकर तोता पिंजड़े के साथ ले लिया और घर ले आयी। घर लाकर टीना तोते के साथ ही खेलने-कूदने लगी। तोता भी टीना के साथ खूब हिल-मिल गया। टीना तोता को मन-पसंद...
Read Moreये जिस्म के 35 टुकड़े
बड़े ना गवार हैं ये जिस्म के 35 टुकड़े ।। हर बार जिस्म के टुकड़े महिला के क्यूं क्यूं, ये मर्द नहीं कटता अनगिनत बार ।। हर बार, क्यूं बोरे या बैग में सिल फेंकी जाती हैं नारी अबकि बारी, मर्द क्यूं काट नही हैं फेंका जाता ।। क्यूं, आखिर...
Read Moreभारत को भारत बनने से पहले की अद्भूत यात्रा कराता है उपन्यास रणक्षेत्रम
अगर आप अतिप्राचीन भारत का दर्शन करना चाहते हैं, खासकर भारत को भारत बनने से पहले, राजा भरत के जन्म से पहले, आर्यावर्त या जम्बद्वीप के समय, तो रणक्षेत्रम को एक बार अवश्य पढिए।
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