सन्त का सच त्याग..
सन्त के सामाजिक कल्याआर्थ सच तप कि मर्मस्पर्शी कहानी। गोकुल खानाबदोश परिवार में जन्मा था जिसके समाज के लोग मन मर्जी के अनुसार जहां अच्छा लगा वहीं डेरा जमा लिया कुछ दिन रहे मन उबा तो दूसरी जगह चल दिए यही जिंदगी थी पेट भरने के लिए भीख मांगना कबूल नही हाथ..
Read Moreभ्रष्टाचार खत्म करने वाली मशीन की परिकल्पना...
भ्रष्टाचार विरोधी या भ्रष्टाचार खत्म करने की मशीन यह सुनने में अजीब और अटपटा जरूर लग रहा होगा परंतु भविष्य में एक दिन भ्रष्टाचार को नियंत्रण करने के लिए एक विशेष मशीन की जरूरत पड़ेगी। क्यों की जैसे जैसे कलयुग का समय बीतता जायेगा भ्रष्टाचार, पाप, अनाचार...
Read Moreमें भारत हूँ
भीम प्रजापति द्वारा लिखित पुस्तक मैं भारत हूँ कि समीक्षा पुस्तक का शीर्षक ही स्प्ष्ट करता है कि काव्य संग्रह के अंतर्गत सामाजिक ,राष्ट्रीय ,राजनीतिक समसामयिक ,प्राकृतिक आदि विभिन्न विषयों पर काव्य मोतियों को पिरोकर माला संग्रह के रूप में समाज समय...
Read Moreमहानिशां कि ममतामयी माँ
नारी महिमा गरिमा कि माँ के संघर्षों कि कहानी। जीवेश से जब भी उसके सहपाठी पूछते तुम्हारे पिता का नाम क्या है ? जीवेश कुछ भी बता पाने में खुद को असमर्थ पाता और सहपाठियों के बीच लज्जित होता लौट कर माँ से सवाल करता माँ मेरे पिता कौन है? स्वास्तिका बताती भी..
Read Moreहल्का फुल्का
देश में चुनावी माहौल, नेता जीतने के बाद उड़ाएंगे माखौल। वादा ......।
Read Moreसमसामयिक दोहे
समसामयिक दोहे, षड्यंत्र कि बात नही कहते सब सत्य निर्भय प्रजा जन सत्यार्थ लोक तंत्र।। 2- टांग खींचना परस्पर जन हित कि रार साथ खड़े मंच पर स्वांग प्रपंच कि बात।। 3- रैली रेला हुंकार बढ़ा चुनावी ताप विजय मान मैदान में जैसे हो निःष्पाप।। 4- जीवन..
Read Moreमैं विभीषण।
जिनगी भर पार्टी के सेवा किए, घर से माड़ भात खा के आते थे, कुपोषण के शिकार हो गए, लेकिन जिंदाबाद जिंदाबाद हमेशा टनकार आवाज में लगाते थे। पूरा जिला जवार जानता था की सबसे अच्छा नारा हम ही लगाते थे, नेताजी के आगे चलते हुए दोनो पैर हवा में रहता था और हाथ आसमान
Read Moreचुनावी जनसभा के भीड़ का विश्लेषण।
जैसा की हम सभी जानते हैं की भारत में लोक तंत्र, प्रजातांत्रिक व्यवस्था का आगाज बीसवीं सदी के मध्य में हुआ था। दो सौ वर्षो की अंग्रेजी हुकूमत और इसके पहले राजतांत्रिक व्यवस्था में चुनावी जनसभा का कोई नामो निशान नहीं था। भारत में जब से प्रजातांत्रिक...
Read More....... और बिजली फिर गायब।
अरे जगमोहना के रोको, बांस लेके, गरियाते पता नही किसको खोज रहा है, कहते हुए रामबृक्ष भईया हाथ में लोटा लेके निकल पड़े स्वच्छता अभियान का मां बहन करने। तभी जगमोहन मुझे दिखाई दिया, वो हमसे पूछा बिजली विभाग के बड़े अधिकारी का नाम बताओ आज बांस ठेलना है। मैने क
Read Moreरामभरोसे राम।
रामभरोसे को अपने राम पर पूरा भरोसा था, तभी तो रिटायरमेंट के पहले चल बसे और राम को अनुकम्पा का लाभ मिला। मतलब घर में एक नौकरी फिर से सुरक्षित। अपने पिता के सभी गुणों को अपने में आत्मसात किये राम, मधुर वाणी के स्वामी थे। रामभरोसे वैसे तो एक सरकारी कार्यालय
Read Moreदिव्य निपटान स्थल - राष्ट्र चिंतन हो कर रहेगा।
दिव्य निपटान स्थल - राष्ट्र चिंतन हो कर रहेगा। एक सर्वे के अनुसार छिहत्तर प्रतिशत भारतीय कब्ज के शिकार हैं, ये सर्वे भारतीय सिनेमा के एक प्रसिद्ध अभिनेता ने अपने कार्यक्रम दस का दम में प्रदर्शित किया था एक प्रश्न के रूप में। सरकार आती गई, जाती गई लेकिन..
Read Moreजेपीएससी, मैं और मेरा दुर्भाग्य।
परीक्षा के दिन सुबह में टीवी खोला, किसी महाराज का प्रवचन आ रहा था, तुला राशि के बारे में कह रहे थें की आज का दिन वर्ष का सर्वश्रेष्ठ दिन साबित होगा और मुझे अपने दुश्मनों पर विजय प्राप्त होगी, अब महाराज को कौन बताये की जो राशि मेरी है, वही मेरे दुश्मन.....
Read Moreनवसवत्सर -2081 कैसा होगा भारतीय परिपेक्ष्य में
नवसवत्सर 2081 कि ज्योतिषीय व्यख्या। सनातन धर्म कि मान्यता के अनुसार ब्रह्मा जी ने जिस दिन सृष्टि कि रचना का शुभारम्भ किया था उसी दिन से नववर्ष का भी शुभारम्भ माना जाता जो चैत मास के शुक्लपक्ष कि प्रतिपदा से शुरू होता है । सनातन नव वर्ष के प्रथम दिवस...
Read Moreमानवाधिकार सहायता संघ अंतर्राष्ट्रीय जागृत समाज का पर्याय है।
एम.एस.ए.(ह्यूमन राइट्स एसोसिएशन) मानवाधिकार हनन को रोकने एवं पीड़ितों को न्याय दिलाने तथा उनकी सहायता करने हेतु अपने संघ मित्रों, पदाधिकारियों के सहयोग से मानव समाज के उत्थान एवं विभिन्न समाजोपयोगी सामाजिक कार्यों के संपादन से मानवाधिकार सहायता संघ अंत...
Read Moreप्राचीन इतिहास में सशक्त एवं ज्ञानी नारी-नेतृत्व।
प्राचीन भारत के विभिन्न ऐतिहासिक एवं धार्मिक साहित्यों में सशक्त एवं ज्ञानी नारी-नेतृत्व के दर्शन भले चौंकाने वाले हों, किंतु उनकी सत्यता से इंकार नहीं जा सकता है।ऋग्वैदिक काल में नारियों की स्थति अन्य कालों की तुलना में बेहतर थी।उस समय नारी जितना...
Read Moreमतदान (लघुकथा )
यह लघु कथा समाजोपयोगी है, यह कथा हमें हमारे दायित्वों का बोध करवाती है, साथ ही हम अपने विवेक का सद् असद् कैसें व्यावहारिक प्रयोग करें।
Read Moreपलट दल बदल, जनादेश बेदखल
वर्तमान राजनैतिक व्यवस्था प्रजातांत्रिक आधारित है जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के सेक्शन 29A के तहत किसी भी राजनैतिक दल के पंजीकरण का प्रावधान है। चुनाव आयोग पार्टी पंजीकरण के वक्त सर्व प्रथम ही पार्टी का नियम कानून, सिद्धांत, संविधान जिसके आधार पर...
Read Moreअभिमान तिरंगा है।
तिरंगे की शान में अर्पित श्रद्धा सुमन अभिमान तिरंगा है हर घर तिरंगा है उत्तर में हिमालय है दक्षिण में सागर है पश्चिम के रेतीले मैदान पूरब हरियाली है ब्रम्हपुत्रा, सरयू ,कावेरी यमुना और गंगा है अभिमान तिरंगा ............ केसरिया वीरों का है..
Read Moreरखैल कहो या लिव इन रिलेशनशिप, यह कुसंस्कार समाज के लिए घोर अभिशाप।
भारत भूमि के नारियां सदैव से आदरणीय पूज्यनीय सम्माननीय रही है जिसका मूल आधार उनका उत्तम आदर्श चरित्र, पतिव्रता धर्म ही है तभी तो स्वयं अनंत कोटि ब्रह्माण्ड के अधिनायक जगदीश्वर ने कई बार विभिन्न माताओं के गर्भ से जन्म लिया है। एक मजबूत शुद्ध मां के गर्भ...
Read Moreसंविधान शिल्पी बाबा साहब
संविधान शिल्पी बाबा साहब के जीवन व्यक्तित्व पर शोध लेख। बाबा साहब भीम राव अंबेडकर भारतीय इतिहास के ऐसे विराट व्यक्तित्व जिनके बिना ना तो वर्तमान भारत कल्पनीय है ना ही भारत कि स्वतंत्रता के बाद भारत के इतिहास की कल्पना सम्भव है कोई भी राजनीतिक उदय हो या..
Read Moreनेता जी शोध लेख
नेता जी के सम्पूर्ण व्यक्तित्व के बिभिन्नं आयाम पर शोध लेख। -साहित्य के आलोक में नेता जी-नेता जी सुभाष चन्द्र बोस का जन्म 1897 में कटक में जानकी नाथ बोस की 14 संन्तानो में नवी संतान के रूप में हुआ1-साहित्य के आलोक में नेता जी-नेता जी सुभाष चन्द्र बोस का..
Read Moreडॉ निशंक शोध लेख
डॉ रमेश पोखरियाल निशंक भरतीय विद्वत समाज सदैव दैदीप्यमान नक्षत्र है जो वर्तमान में प्रेरणा है।रमेश पोखरियाल निशंक किसी परिचय सम्मान के मोहताज नही जैसा की नाम है निशंक निडर वेवाक विद्वत मनीषी पुरुषार्थ पराक्रम ऊर्जा के आदर्श प्रेरक प्रेरणा व्यक्तित्व...
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