काव्य

       21-05-2022

यादों के झरोखों से झांकती वो, कुल्हड़ वाली चाय

थोड़ा खुमार जगाए थोड़ा सा नशे में चूर ये, चाय की प्याली मन को खुद के नशे में मुझे सराबोर सा करे ।। अदरक की थोड़ी कड़वाहट, घुलकर मन को जोश से भरे । शक्कर की मिठास से उदास ज़िंदगी रंगीन और पत्ती चाय की खुद के नशे में मुझे मदहोश सा करे ।।...

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       21-05-2022

बहते अश्रु,तस्वीर सी मन की

बिन शोर,बिन किए हलचल बड़े ही आराम से आंखों की कोरो से अक्सर, छलक या बह जाया करते हैं ये आंसू खुशी या गम की तस्वीर बनके । अथाह, सैलाब जब उमड़ता हैं दर्द की ज़ुबान बन बेचैनियाँ,घर करे मन के घर आंगन सब्र का भरम भी, बांध तोड़ने लगे अपना फिर,ये बे

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       21-05-2022

माँ की ममता

वात्सल्य प्रेम की अमूल्य निधि है इसका कोई तोल नहीं है । प्रश्न सदा यह रहा अनुत्तरित मां की ममता का मोल नहीं है ।। जीवन देती जन्मदायिनी स्नेह सदा न्योछावर करती । मां अपने बच्चों की खातिर नवजीवन है धारण करती ।। वक्षस्थल का दूध पिलाकर लालन-पालन

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       20-05-2022

लेखिका रंजना लता जी का जीवन परिचय

एक ही आसमान के तले बजती है घंटियां मंदिरों में मस्जिदों में सब हैं शीश नवाए होती हैं प्रार्थनाएं गिरजाघर में सजते हैं गुरुद्वारों में दरबार न‌ए कोयल की कूक बांधती हैं समां उड़ते हैं पंछी पंख फैलाए बारिश की बूंदों से भींगता मन दिल में जगाए प्रीत न‌ए।

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       20-05-2022

मेरे गीत

मन दर्पण में निहित प्रेम रस होठों पर आकर गीत बन गए । प्रेम सुधा मकरंद लुटाते पुष्प सुकोमल मीत बन गए ।। आंखों में संचित थे सपने एहसासों के रीति बन गए । सुर लय ताल समेटे नगमें जीवन के संगीत बन गए ।। मधुर मिलन की मीठी यादें मनोभावों की नीति..

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       18-05-2022

हमारे प्यारे सूरज दादा

पहली किरण,सूरज की जैसे तेज को अपने करती हो ज़िगर के आर पार ।। तपती धरती,जलते रेगिस्तान बयार भी जैसे,हो बेताब झुलसाने को अपने झोके की तपिश से हर इंसान ।। सूरज दादा के गुस्से का कहर,बरपा रहा हर जगह,हर मंजर गर्मी की मार ।।

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       16-05-2022

अधूरी ख्वाहिश

मेरे बाजू की गली में थी एक चांद जो मुझे अपना चांद समझती थी बादलों से ढकी थी उसकी चाहत मैं उसे वो मुझे बहुत प्यार करती थी मिलना तो किस्मत में पता ही नही पर दिलो को धड़कना आता था जब देख मुस्कुराती थी मुझे बस दिन भर उसका चेहरा याद आता था यू ही...

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       16-05-2022

भूली बिसरी यादें -2

तरुवर की शीतल छाया में कभी हमारा गांव बसा था । आम नीम महुआ के नीचे घर आंगन परिवार बसा था ।। जहाँ खड़ी थी कभी सुनहरे खुशियों की दिव्य इमारत । नैतिक मूल्यों, संस्कार की होती थी जहां हिफाजत ।। बड़े बुजुर्गो की बातों का शिलापट्ट सा मान सदा था

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       16-05-2022

महात्मा बुद्ध

सत्य, अहिंसा, भाईचारा बंधुत्व, प्रेम संदेश दिया । ज्ञान अलौकिक दिया विश्व को पंचशील सिद्धांत दिया ।। चोरी, हिंसा, व्यभिचार झूठ, नशा का त्याग करो । जीव-जगत परिवार सदृश है विमल हृदय सम्मान करो ।। सुविचारों से संपूर्ण धरा को बुद्धि, विवेक, सम्मान

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       15-05-2022

सब्र कहां है जरा सा

सब्र,कहां हैं जरा सा कहा रहता हैं धैर्य जब होता है,दिल बेकल सा । कहां,रुकता हैं एक जगह मन जब,भीतर का धीरज हो जाए अधीर सा ।। प्रेम का ही उदाहरण लीजिए, दीदार हो या हो इंतजार सब्र का बांध ना बांधे बंधता हैं ।। ये, सब्र भी बड़े बड़े कारनामे...

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       15-05-2022

तुम मेरी मंजिल

हो मेरी मंजिल तुम्हीं तुमसे बना ये आशियाना। हर गमों को छांव जो दे रूप तेरा ओ सलोना।। हो मेरी मंजिल तुम्हीं, तुमसे बना ये आशियाना।। हर कदम पर साथ तेरा कर्मपथ की हमसफ़र हो । नित्य प्रति उल्लास भर दे भोर सा उजला पहर हो ।। तिमिर का जो नाश कर...

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       13-05-2022

भूली बिसरी यादें....

नहीं आती कच्चे मकानों के सोंधी मिट्टी की महक। अब नहीं आता कोई कागा बैठने मुंडेर पर। जब से तन गई हैं ऊंची मिनारे जब से लग गए हैं द्वारों पर ओहदों के पट्ट खिंच गई है बिखराव की लकीरें । ज्यों पड़ गई हों मकानों में दरारें ।। भूल गए

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       12-05-2022

मेरा किरदार महका कस्तूरी जैसा

।। दूर दूर, तक महका महका सा मेरा किरदार हो मृग की कस्तूरी जैसा ।। ख्वाहिश मेरी,चाहत मेरी मेरे नाम की चर्चा भीं हो हर गली,हर शहर ।। व्यक्तित्व भी हो मेरा सबसे अलग,सबसे जुदा भीड़ में भी दमकू कोहिनूर की तरह ।। मन हो पवित्र इतना जैसे, उजला...

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       12-05-2022

बंजारा बन ढूंढता मैं मन की खुशी

।। बंजारा बन ढूंढा फिरता खुशी मन की ।। मैं! मुकम्मल होकर भी ना मुकम्मल सा इस, जहान को भी ना रास आई मेरी खुशी ।। सुकून,जो ढूंढा जरा सा ज़िंदगी वास्ते! हज़ार की हाथ में मेरे अरमानों को कत्ल करने वास्ते,खंजर सा निकला ।। दुश्मनी सी थी हर किसी को

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       11-05-2022

लहरों में समाया एक उफान सा, क्यूं

।। लहरों में समाया उफान सा ,क्यूं ।। आज,बेवजह ही निकला सागर किनारे की सैर को सहसा,मुलाकात हो गई वेग के साथ आगे बढ़ती हुई लहरों से । बड़ी, बेचैन सी लगी जैसे,उठती लहरों के उफान में भीतर ही भीतर मची हो एक खलबली ।। एक पीर का समंदर था । हर..

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       11-05-2022

मैं भोलाभाला मरुवासी

मरु प्रदेश से बेइंतहा मोहब्बत। जन्मभूमि के प्रति सभी को समर्पित होना चाहिए मरुभूमि का मैं कृषक मिट्टी का कण कण करता मुझसे कानाफूसी कब बारिश की बुंदे गिरे कब मरुभूमि का कण कण खिले इसका हूं मैं अभिलाषी । मैं भोलाभाला मरुवासी मरुभूमि का...

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       11-05-2022

मेरी कहानी

जिसे पाने के लिए सोचा कभी उसे पाया नहीं मंजिल की राह में हमसफ़र कभी आया नहीं बस खुद में ही खोया रहता हूं। कभी रो देता हूँ कभी मैं हंसता हूं कभी खुशी पा लेता हूं गमगीन कभी हो जाता हूं बस खुद में ही खोया रहता हूं। अपनी मजबूरी को

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       11-05-2022

ग्राम्य जीवन

बदल गए सुर-ताल गांव के बदल गई परिपाटी। धरती बदली अंबर बदला बदल गई यह माटी ।। 'चाक' रघु के नहीं सुहाते गीत स्नेह के नहीं लुभाते भाई से भाई कतराते आंगन में दिवारें खिंच गई सिमट गई दिन- राती ...।। बदल गए ..।। नहीं कोकिला तान सुनाती नहीं भ्रमर...

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       10-05-2022

हर धड़कन की गति बढ़ाती हैं ये चूड़ियां

कंगन,चूड़ियां हैं साजो श्रृंगार नारी की कलाई का । हैं! कांच की मगर रिश्तों की डोर को अपनी खनक से खनकाती हैं ये चूड़ियां ।। मन से कही ना कही एक, डोर सी बांधे हैं ये रंग बिरंगी सी चूड़ियां ।। सूने हाथों को भी अपनी रंगत से भरे हैं ये....

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       10-05-2022

दिलो अजीज़ मेरी पहली मोहब्बत सा कश्मीर

तेरी,हर अदा का मैं , ओ दिले अजीज़ कश्मीर ।। ज़िक्र,तेरा मैं अक्सर बहने वाली हवाओं से करता हूं । तू,खुशुब सा बन ना जाने कबसे इन,सांसों में जैसे बसता हो ।। ये, तेरी ऊंचे ऊंचे पर्वत की सफेद बर्फ़ से ढकी श्रृंखलाएं । घाटियां और कल कल बहती झीलों

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       08-05-2022

जननी

बहुत छोटा सा मेरे व्यक्तित्व का कद हैं । जो, कर सकूं, बयान कुछ शब्द उस,जननी की तारीफ़ में ।। होश ने जब से संभाला होगा खुद के अंदाज़ को । उस,दिन से मेरा दिल हाज़िर हुआ तेरी, जी हुजूरी में ।। आया जब,तेरी कोख में संभाला तूने मेरे वर्चस्व...

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       08-05-2022

नफ़रत

बड़ी शिद्दत से मैं , नफरत भी करता हूं । मोहब्बत की तरह । नफ़रत के अंश,बेवजह नही घर करते मन के विशाल समंदर में । बेवजह ही नही पनपते, नफरत के बीज रिश्तें,दोस्ती और सांसारिक सामंजस्य की दहलीज पर ।

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       06-05-2022

खुदा की इबादत जैसी मेरी मोहब्बत

खुदा की इबादत जैसी,पाक मेरी मोहब्बत ।। मोहब्बत के फनकार पर सदियों से फना गालिब और मिर्ज़ा की शायरी साहब! हर अल्फाज़,हर गज़ल सजे इनकी बस ,मोहब्बत के कसीदे पर । मोहब्बत,प्यार,प्रेम,लगाव और अपनापन हैं महज़ एक ही किताब के ढेर पन्ने ये,प्रेम और....

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       05-05-2022

कलाकार

रंगों से हो या जीवन के रंगमंच से एक कलाकार का वास्ता हैं । हकीकत के अक्स से ।। कभी ,रंगों के माध्यम से भरता हैं खुशी और सकारात्मकता के रंग चित्रकारी के जरिए । तो,कभी रंगमंच पर अदा और करतब करके, हर एक को साबित करता हैं अपने हुनर

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       04-05-2022

खुद्दारी

ये ज़मीर हैं जो मेरा धकड़ता हैं जोरों से और कहता हैं मेरे अस्तित्व का वजूद हैं केवल खुद्दारी के दम से । बेशर्मियत की ज़िंदगी जो करती हैं मन को बोझिल सा और जैसे, तन के हर अंगों को लहूलुहान उस,बोझ को ना ये शरीर की काया ढोह सकेगी जब तक, ये आत्मा

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