30-08-2025

राजनीति में गालीवाद का उदय...

राजनीति, जो कभी, समाज के पिछड़े, वंचितों के उत्थान, बिना भेदभाव के समाज की सेवा, समेकित विकास और न्याय की धुरी हुआ करती थी, आज विभिन्न प्रकार के 'वादों' की गिरफ्त में आ चुकी है। हमने राजनीति में जातिवाद देखा है, जहां जातीय पहचान को वोट बैंक के रूप में...

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       19-08-2025

क्या सरकार किसी व्यक्ति विशेष या सत्ताधारी दल के नाम हो सकती है..? एक चिंतन...

वास्तव में सरकार न तो किसी व्यक्ति विशेष की होती है और ना ही किसी राजनैतिक दल की होती है। सरकार एक संस्थागत व्यवस्था है जो देश के संविधान, नियमों और कानूनों के अनुसार कार्य करती है। यह जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के माध्यम से संचालित होती है, जो..

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       17-08-2025

मेरे मन का चांद..

मेरे दरख़्त के ऊपर बादलों में अटखेलिया करता ये चांद, तुम कितने शांत, शालीन हो, तुमसे नैन मिलाने को जी चाहता है। ये चांद, तेरी चांदनी से बरसता नूर व शीतलता, जिसमें अपनी तन्हा आंखों को डूबा देने को जी चाहता है।

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       06-07-2025

डॉ अभिषेक कुमार द्वारा लिखित पुस्तक गिरवी ज़मीर की समीक्षा।

"गिरवी ज़मीर" भारतीय ग्रामीण राजनीति के यथार्थ और व्यक्तिगत नैतिकता के ह्रास को दर्शाती एक मार्मिक कथा है । यह कहानी एक पान की दुकान चलाने वाले ईमानदार और सिद्धांतवादी रामचेत चौरसिया के ग्राम प्रधान बनने की यात्रा के माध्यम से समकालीन लोकतांत्रिक व्य..

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ये जंगल तुम कितना खूबसूरत हो...

यह कविता जंगल की सुंदरता और प्रकृति के प्रति प्रेम को दर्शाती है। कवि जंगल की खूबसूरती से मंत्रमुग्ध है और उसके साथ एक हो जाना चाहता है। यह कविता प्रकृति के प्रति एक सुंदर श्रद्धांजलि है। यह हमें याद दिलाती है कि हमें प्रकृति के साथ सद्भाव में रहना चाहि..

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       14-04-2025

बचपन के वह हसीन यादें।

वह क्या दौर था, ओ रे मनवा, वह क्या दौर था... जब ताड़ तर अनूप के साथे ताड़ी पीने नहीं, तड़खाजा खाने जाया करते थे। पुआल के गांज पर बैठ, धूप में तन को तपाया करते थे। गन्ने की मिठास चूसते, बेर झाड़ने की जुगत लगाया करते थे। अमराई में भटकते, कच्चे..

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       03-03-2025

"सनातन संस्कृति का दिव्य स्वरूप और समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी"

अति प्राचीन महाकुंभ कि परंपरा हो या अन्य सनातनी भारतीय सभ्यता संस्कृति के पर्व त्यौहार जहां करोड़ों, अरबों लोगों की आस्था और विश्वास वहीं दूसरी तरफ इक्का-दुक्का गिरी हुई तुच्छ मानसिकता के लोगों के वक्तव्यों पर हम अपना अमूल्य समय बर्बाद करें और देश...

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       11-02-2025

स्व प्रशंसा सुनने की लत, व्यसन समान गर्त..

आत्म प्रशंसा कह लीजिए या स्व प्रशंसा दोनों एक ही शब्द है जिसकी सुनने की आदत या चाहत किसी व्यक्ति को लग गई तो यह धूम्रपान, बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, शराब, शबाब, ज़ुआखोरी जैसे व्यसन से कम ख़तरनाक नहीं है..! धूम्रपान, बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, शराब, शबाब और ज़ुआखोरी..

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       23-01-2025

पद से बड़ा उम्र होता है..

मेरा मानना है कि पद से बड़ा उम्र होता है। यदि कोई अधीनस्थ अपने से छोटे पद पर कार्यरत कर्मचारी उम्र में बड़ा हो तो किसी विशेष मौके पर उनका पैर छू लेने में कौन सा बुराई और शिकायत है..? ऐसा करने से निश्चित ही उनका आशीर्वाद तो मिलेगा ही साथ ही साथ उन कर्म...

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       01-01-2025

सरकारी सार्वजनिक परिसंपत्तियों का खरीदार नहीं हो सकता मददगार..

देश, दुनियां के यदि शीर्ष उद्योगपतियों जैसे कि टाटा, बिरला, जिंदल, हिंडालको या फिर बिलगेट्स, एलन मस्क, मार्क जुकरबर्ग, जेफ़ बेज़ोस पर नजर डाले तो वे सब अपने-अपने कोई विशिष्ट उत्पाद या कर्मयोगीता से शीर्ष अमीर व्यक्तियों की सूची में शामिल हैं। एक व्यक्ति..

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       15-12-2024

वित्तीय सम्पन्नता हेतु लेखा-जोखा जरूरी।

वित्तीय सम्पन्नता के दृष्टिकोण से किसी भी संगठन, संस्थान या किसी व्यक्ति के बारे में गहराई से गैर करेंगे तो यह पाएंगे कि उन्होंने अपने वित्त को जितना सुव्यवस्थित, सुनियोजित या अच्छे तरीके से लेखांकन के उपरांत रिपोर्ट तैयार कर तथा तुलनात्मक अध्ययन से एक...

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       06-12-2024

समोसा और जलेबी की सुगंध..

बात उन दिनों की है जब बैंक में सीसीएल कराने का रोज अभियान चल रहा था और ब्लॉक प्रबंधक होने के नाते इस अभियान का नेतृत्व मुझे करना पड़ता। वीसी के बाद ब्लॉक से ऐसे हाक दिया जाता जैसे बैलों को कठोर पथरीली जमीन को जोतने जाना हो.. ऐसा नहीं है की मेरे पास पैसे..

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       03-08-2024

गुणवत्ता और महत्ता एक दूसरे के पूरक...

मानव जीवन के विविध विषयों पर ध्यान केंद्रित करें तो कहां नहीं गुणवत्ता और महत्ता विद्धमान है। मेरे समझ से जो वस्तु हम दैनिक जीवन में नित्य दिन इस्तेमाल करते हैं उन सभी में गुणवत्ता और महत्ता होती है। बिना गुणवत्ता और महत्ता के सृष्टि में कुछ भी नहीं है...

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       31-07-2024

संगठन से कई गुना सरकार बड़ा...!

संगठन और सरकार दोनों के अपने-अपने महत्व और प्रभाव होते हैं। संगठन एक पंजीकृत, मान्यता प्राप्त, संरक्षित समूह होता है जो किसी विशेष उद्देश्य को पूरा करने के लिए काम करता है, जैसे कि व्यापार, सामाजिक कार्य, राजनीति या अन्य गतिविधियाँ। समग्र रूप से समाज के..

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       24-06-2024

जन प्रतिनिधि के निधियों की बहार, काश होता क्षेत्र में विकास के गंगा की बौछार...

असल में मतदाता जागरूक हो तो उनके पास यही उपयुक्त वक्त है अपने जन प्रतिनिधियों को अति प्रेम से अपने घर में बैठाकर पूछने का की आदरणीय विकास पुरुष माननीय नेता जी, सांसद जी, विधायक जी, पार्षद जी या मुखिया जी अपने पिछले पांच साल के कार्यकाल में प्रति वर्ष...

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अंतर्राष्ट्रीय मगध गौरव सम्मान समारोह- 2024

मानद कुलपति सौहार्द शिरोमणि डॉ. सौरभ जी महराज के नेतृत्व मार्गदर्शन और राष्ट्र लेखक डॉ. अभिषेक कुमार जी के संयोजन तथा क्षेत्रीय स्तर पर श्री राजीव रंजन पाण्डेय जी के सहयोग से आगामी 16 और 17 नवंबर 2024 को बिहार राज्य अंतर्गत नालंदा जिले के राजगीर में दो...

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       31-05-2024

बिहार के शिक्षकों का हाल-ए-दर्द बयां...

मई जून की तपती महीना, आसमान से बरस रहे आग के भीषण जानलेवा गोले, जल रहा जमीन, झुलस रहा लोगों के गालों की लालिमा, पशु पक्षियों में भी अजीब सी व्याकुलता, ऊजड़ी हुई गुलसिता और घर के छांव में दुबके कामगार। आस पास के परिवेश से आ रही मौत की खबरे.. जी हां बिहार..

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       18-05-2024

भ्रष्टाचार खत्म करने वाली मशीन की परिकल्पना...

भ्रष्टाचार विरोधी या भ्रष्टाचार खत्म करने की मशीन यह सुनने में अजीब और अटपटा जरूर लग रहा होगा परंतु भविष्य में एक दिन भ्रष्टाचार को नियंत्रण करने के लिए एक विशेष मशीन की जरूरत पड़ेगी। क्यों की जैसे जैसे कलयुग का समय बीतता जायेगा भ्रष्टाचार, पाप, अनाचार...

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       07-04-2024

चुनावी जनसभा के भीड़ का विश्लेषण।

जैसा की हम सभी जानते हैं की भारत में लोक तंत्र, प्रजातांत्रिक व्यवस्था का आगाज बीसवीं सदी के मध्य में हुआ था। दो सौ वर्षो की अंग्रेजी हुकूमत और इसके पहले राजतांत्रिक व्यवस्था में चुनावी जनसभा का कोई नामो निशान नहीं था। भारत में जब से प्रजातांत्रिक...

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       03-02-2024

पलट दल बदल, जनादेश बेदखल

वर्तमान राजनैतिक व्यवस्था प्रजातांत्रिक आधारित है जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के सेक्शन 29A के तहत किसी भी राजनैतिक दल के पंजीकरण का प्रावधान है। चुनाव आयोग पार्टी पंजीकरण के वक्त सर्व प्रथम ही पार्टी का नियम कानून, सिद्धांत, संविधान जिसके आधार पर...

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रखैल कहो या लिव इन रिलेशनशिप, यह कुसंस्कार समाज के लिए घोर अभिशाप।

भारत भूमि के नारियां सदैव से आदरणीय पूज्यनीय सम्माननीय रही है जिसका मूल आधार उनका उत्तम आदर्श चरित्र, पतिव्रता धर्म ही है तभी तो स्वयं अनंत कोटि ब्रह्माण्ड के अधिनायक जगदीश्वर ने कई बार विभिन्न माताओं के गर्भ से जन्म लिया है। एक मजबूत शुद्ध मां के गर्भ...

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प्रभु श्री राम के पूर्वजों का वर्णन।

सुर्यवंश की कथा विस्तार से कहना इस पटल से संभव नहीं है क्यों कि विस्तार पूर्वक सूर्यवंश की कथा का वर्णन करना लगातार सौ वर्षों में भी संभव नहीं है अतः अति संक्षेप में वर्णन करती हूँ। सृष्टि के मालिक भगवान श्रीमान नारायण के नाभि कमल से ब्रह्मा जी का जन्म...

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       10-01-2024

सम्मान पत्रों की बाढ़, जी भर के जितना मर्जी उतना काढ़।

सम्मान प्राप्ति वह दिव्य अनुभूति है जो स्वयं को तो आनंदित, गौरवान्वित महसूस करता ही है साथ ही साथ अन्य दूसरे व्यक्तियों को भी सत्कर्म करने को प्रेरित करता है। इससे एक सुंदर, सुव्यस्थित, मर्यादित तथा अनुशासित सामाजिक परिवेश का निर्माण होता है। सम्मान से...

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अयोध्यापूरी धाम के पौराणिक परिचय।

मैं अयोध्या हूं। सृष्टि विकास के पूर्व में केवल जल ही जल था तथा जल से स्थल निर्माण के क्रम में मैं यानी कि अयोध्या का उदय सर्वप्रथम हुआ तथा सृष्टिकर्ता भगवान श्री नारायण ने मेरे कानों में कहा था मैं तुम्हारी भूमि पर अवतरित हूंगा इस लिए मेरा महात्म्य और...

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       08-11-2023

जहां जैसा माहौल, वहां वैसा ही बोल।

यह मिथ्या नहीं हो सकता की जहां जैसा माहौल, वहां वैसा बोल नहीं होगा..? यह सत्य है की बिहार के वायुमंडल में भोजपुरी अश्लील गाने और फिल्मों का घना कोहरा छाया हुआ है। हमने हाल ही में हिंदी, भोजपुरी सिनेजगत में व्याप्त अश्लीलता पर एक आलेख लिखा था जिसका...

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