22-09-2022

गजोधर भैया! तुम लौट आओगे न

ऐसा भी क्या था कि आप तो सबको हंसाते गुदगुदाते लोटपोट करते करते खुद मौन हो गए, जैसे हमारी परीक्षा लेने के लिए इतने दिनों तक मौन होकर बिस्तर पर एकदम खामोश हो जम से गये। माना हमारी कोई बात तुम्हें चुभ गई या हमारे व्यवहार से तुम्हारी आत्मा घायल हो गई।

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       22-09-2022

पूर्वजों को नमन

हम सभी पितृपक्ष में पूर्वजों,पित्ररों को नमन करते हैं, तर्पण, दान, श्राद्ध, पिंडदान और बहुत याद करते हैं, अपना कर्तव्य, परंपरा निभाते हैं। मगर क्या हम सचमुच पूरी ईमानदारी से ऐसा करते हैं? या महज औपचारिकता निभाते हैं? बड़ा विचारणीय प्रश्न है...

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       22-09-2022

❤️... तुझे पाने का इरादा है! ❤️

कभी बहारों की तरह,बदल ना जाना, पेड़ों की शाख से, टूटे पत्तों की तरह, पतझड़ में तनहा..छोड़ ना जाना! इंद्रधनुष के रंगों से...रंगी है मैंने, तस्वीर तुम्हारी... अपने मन में.. दर्जा दे चुकी हूं... रब्ब सा...

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       21-09-2022

हस्ती,मेरी

मोहताज नही मेरा वजूद किसी की मेहरबानियों का ।। मेरा व्यक्तित्व खुद में हैं पूरा मैं! साया वो नही हो,जिसे इंतजार करम एहसानों का ।। खुद्दार हूं, हूं स्वाभिमानी, मैं नहीं तरसता कभी किसी के बिन वजह सहारे का ।। प्रेम का अंश हूं हूं भावों की खान

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उठो धनुर्धर

महाकाव्य रामायण के युद्ध कांड में जब लक्ष्मण को शक्ति लगी और वे मुर्छित हो गये उस समय ईस्वर होते हुए भी प्रभु श्री राम साधारण मनुष्य की भांति विलाप कर रहे हैं और भाई के साथ व्यतीत क्षणों को स्मरण कर रहे I

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शहीद ए आजम

आज़ादी के महानतम क्रन्तिकारी भगत सिंह जी की काव्यात्मक जीवनी। सुना कभी एक सोन चिरैया, रहती थी मधुबन में I फिरंगियों ने आग लगा दी, आकर उस उपवन में I क़ैद हो गयी भारत माता, लोहे की जंजीरों में I कब सोचा था ऐसा भी दिन, आएगा तकदीरो में I रौंद दिया था..

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बेटी जन्म की बधाई

बेटी भी बेटो के सामान हर कार्य कर सकती है, कोई भेद भाव न करने को प्रेरित करती कविता बेटियों को भी समान अवसर मिलना चाहिए...

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बसंत की बहार

बसंत ऋतू का विस्तृत वर्णन सरसों की महक सी, पंछियो की चहक सी I प्रेम के गीत सी, घास पर शीत सी I वर्षा की फुहार सी, बसंत की बहार ऐसी I लोहड़ी की आंच सी, मयूर के नाच सी I लहरों के तरंग सी, उडती पतंग सी I होली के त्यौहार सी, बसंत की बहार ऐसी I

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स्वागत है मधुमास

ऋतुराज बसंत का स्वागत गीत नवसम्वत्सर की बेला है, नवऋतुओ ने श्रृंगार किये I आमों पर हैं खिली मंजरी, स्वागत है मधुमास प्रिये II नवरात्रि का पावन उत्सव, पूजन से वर्षारम्भ करें I नवमी तिथि जन्में रघुनन्दन, हम सबका कल्याण करें II पुष्प सुसज्जि..

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       21-09-2022

भ्रम दल का उदय

नरम दल, गरम दल के बारे में तो आपने सुना होगा क्या भ्रम दल के बारे में सुना है आपने...? यदि नहीं तो हम आज भ्रम दल के बारे में आपको अवगत कराएंगे। दरअसल हमारे एक सीनियर अधिकारी ने किसी हक अधिकार संबंधित चर्चा में नरम दल, गरम दल से इतर एक नया दल की उपमा दी...

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       18-09-2022

संत गाडगे जी महाराज :: एक संपूर्ण दस्तावेज

बुन्देलखण्ड की गौरवशाली उर्वराभूमि से आच्छादित उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले के प्रतिष्ठित हस्ताक्षर वरिष्ठ साहित्यकार रामकरण साहू "सजल" जी ने अपने दूरदर्शी सोच को धरातल पर उतारने के क्रम में गौरवशाली परम्परा के पुरोधा "सन्त गाडगे जी महाराज" महाकाव्य का...

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       18-09-2022

साधो साध विचार :: जीवंत कबीर दर्शन

गोनार्द की उर्वर भूमि में महर्षि पतंजलि, गोस्वामी तुलसीदास जी सहित अन्याय ख्यातिप्राप्त कवियों, साहित्यकारों, विभूतियों और गोण्डा की पहचान बन चुके स्व. रामनाथ सिंह "अदम गोण्डवी" जैसी विभूतियों से आच्छादित हो चुकी धरा पर कबीर की विचारधारा को रेखांकित क...

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       12-09-2022

साहित्य की ताकत

संस्कृति सभ्यता का उपवन साहित्य ज्ञान की झांकी है। प्रगतिशील होता वह देश साहित्य जहां की साखी है ।। नर जीवन अधम अगोचर है साहित्य बिना संज्ञान कहां बंधुत्व प्रेम वात्सल्य निहित साहित्य जहां है, स्वर्ग वहां ।। दिशा मोड़ देता साहित्य उद्दंड सम..

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       12-09-2022

मातृभाषा

हिंदी दिवस पर भाषा के महत्व को प्रकाशित करती कविता। सिन्धु नदी से सागर तट तक भिन्न राज्य की विभिन्न भाषा अखंड देश की परिचय देती हम सब की हिंदी भाषा पाली प्राकृत अपभ्रंश की वंसज संस्कृत सुता है हिंदी भाषा तुलसी सूर कबीर की वाणी भारतेंदु प्रेमचन्द

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       11-09-2022

साक्ष्य धर्म के

मर्यादा को प्रीत बना श्रीराम ने जीवन डोर किस्मत के हाथ थमाई लाख जुगत कि फिर भी संघर्षों से पार ना पाई ।। सीता ने पालन किया पत्निव्रत धर्म का और ताउम्र,वनवास की सजा पाई ।। लखन ने त्यागा पत्नी और राजमहल के ऐश्वर्य को कई अरसा,उन्होंने अकेलेपन और

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       08-09-2022

साक्षरता अभियान चलाते हैं...✍️

चलो आज,एक बीड़ा उठाते हैं.. अपने ज्ञान को हम,देश पे लुटाते हैं.. हर मानस को अक्षर का ज्ञान हो.. हर अनपढ़ को...साक्षर बनाते हैं! मां शारदे की अलख रमाते हैं.._ ज्योति..विद्या की जलाते हैं.. हर जन में फैले प्रकाश इसका.. कुछ ऐसा...कर्म आजमा...

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       08-09-2022

पत्थर दिल दुनियां

इस ज़ालिम दुनियां का तू ऐतबार न कर, बेमतलब के भाव से भरे तू इससे,सवाल ना कर ।। स्वार्थ भरा हैं इसके वासी की रग रग में तू, फिजूल में इनसे हमदर्दी की गुहार ना कर ।। तारीफ़ का हकदार तुझे बनायेगे अपने हिसाब से, और नाकदरी के खिताब से नवाजे..

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       06-09-2022

वो मासूम लड़की..!

"ए.. लड़की क्या चाहिए.!" किराने की दुकान में बैठे लाला ने पूछा- "बड़ी देर से,मेरी दुकान की ओर घूर रही हो!" बोलते हुए दुत्कारने लगा। "मेरा नाम शिल्पी है.. मैं किसी गांव में रहती हूं।"उस लड़की ने जवाब दिया- "मैंने कल से कुछ नहीं खाया..मेरे पापा भ

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       06-09-2022

एकल पहुंच के पैरवीकार एवं सार्वजनिक पहुंच के पैरवीकार पर मेरे विचार।

किसी कार्यो के संपादित कराने के लिए खुद के पुरुसार्थ पर भरोषा न कर के शॉर्टकट तरीका किसी दूसरे पहुंच पैरवी वाले व्यक्ति से सिफारिश कराना कुछ लोग उचित समझते है। इस संदर्भ में एकल पहुंच पैरवीकार वाले व्यक्ति और सार्वजनिक पहुंच पैरवीकार वाले व्यक्ति के बा...

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युवा, जुनूनी और उदियमान साहित्यकार : अभिषेक कुमार

बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी श्री अभिषेक कुमार हिंदी साहित्य जगत में आज नव नक्षत्र की तरह उदियमान हैं। जिस जुनून और दृढ़ संकल्प के साथ वे साहित्य सृजन में अहर्निश जूटे हुए हैं, इससे इस बात का अंदाजा सहज रूप से लगाया जा सकता है कि उनका भविष्य उज्ज्वल...

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       04-09-2022

गुरु वंदना

हे ईश तुल्य, हे पूज्य गुरु तम हर, प्रकाशमय जीवन कर दे । प्रज्ञा प्रखर, निर्मल पावन मन खुशियों से घर-आंगन भर दे । बुद्धि विवेक प्रखर हो मेरा शुचित हृदय तन निर्मल कर दे । वाणी मधुर, कर्म हो गतिमय मन दर्पण सा उज्ज्वल कर दे ।। परहित धर्म भरा हो..

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       04-09-2022

चरण वंदन - कलयुगी रामबाण

मैने भी एक दिन गहन चिंतन किया, चिंतनोपरांत मुझे यह आभास हुआ की मुझमें चरण वंदन करने का अदभुद गुण बचपन से ही विद्यमान है। गहन चिंतन में हमने बचपन से ही चरण वंदन के द्वारा कई बार सीढ़ियों को चढ़ा और फिर कई बार धकिया के उतारा भी गया। ।

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       04-09-2022

आधुनिक परिप्रेक्ष्य में गुरु-शिष्य-परंपरा की विरासत

भारत में गुरु-शिष्य-परम्परा की समृद्ध विरासत प्राचीन काल से चली आ रही है। गुरु के प्रति श्रद्धा तथा शिष्य के प्रति स्नेह का भाव इस परंपरा की विरासत और प्राण है। प्राचीन काल में दोनों के मध्य रिश्ता का आधार एक दूसरे के प्रति अपनत्व और समर्पण का भाव था...

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       03-09-2022

गुप्तरोग - मन का रोग।

बाहुबली, बाहुबली यही ठीक है, लेकिन ठीक हो जायेंगे न। देखिए दवा के साथ दुआ की भी जरूरत है,इसलिए दो चार लोगों से दुआ भी करवाइए, और अगर दुआ देने वाले न मिलें तो दो चार रोगी मेरे पास लाइए हम ही दुआ दे देंगे।

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