काव्य

       12-09-2022

साहित्य की ताकत

संस्कृति सभ्यता का उपवन साहित्य ज्ञान की झांकी है। प्रगतिशील होता वह देश साहित्य जहां की साखी है ।। नर जीवन अधम अगोचर है साहित्य बिना संज्ञान कहां बंधुत्व प्रेम वात्सल्य निहित साहित्य जहां है, स्वर्ग वहां ।। दिशा मोड़ देता साहित्य उद्दंड सम..

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       12-09-2022

मातृभाषा

हिंदी दिवस पर भाषा के महत्व को प्रकाशित करती कविता। सिन्धु नदी से सागर तट तक भिन्न राज्य की विभिन्न भाषा अखंड देश की परिचय देती हम सब की हिंदी भाषा पाली प्राकृत अपभ्रंश की वंसज संस्कृत सुता है हिंदी भाषा तुलसी सूर कबीर की वाणी भारतेंदु प्रेमचन्द

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       11-09-2022

साक्ष्य धर्म के

मर्यादा को प्रीत बना श्रीराम ने जीवन डोर किस्मत के हाथ थमाई लाख जुगत कि फिर भी संघर्षों से पार ना पाई ।। सीता ने पालन किया पत्निव्रत धर्म का और ताउम्र,वनवास की सजा पाई ।। लखन ने त्यागा पत्नी और राजमहल के ऐश्वर्य को कई अरसा,उन्होंने अकेलेपन और

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       08-09-2022

पत्थर दिल दुनियां

इस ज़ालिम दुनियां का तू ऐतबार न कर, बेमतलब के भाव से भरे तू इससे,सवाल ना कर ।। स्वार्थ भरा हैं इसके वासी की रग रग में तू, फिजूल में इनसे हमदर्दी की गुहार ना कर ।। तारीफ़ का हकदार तुझे बनायेगे अपने हिसाब से, और नाकदरी के खिताब से नवाजे..

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       04-09-2022

गुरु वंदना

हे ईश तुल्य, हे पूज्य गुरु तम हर, प्रकाशमय जीवन कर दे । प्रज्ञा प्रखर, निर्मल पावन मन खुशियों से घर-आंगन भर दे । बुद्धि विवेक प्रखर हो मेरा शुचित हृदय तन निर्मल कर दे । वाणी मधुर, कर्म हो गतिमय मन दर्पण सा उज्ज्वल कर दे ।। परहित धर्म भरा हो..

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       02-09-2022

नारी

नारी सम्मानगीत सम्माननीय है नारि रूप, जग जननी का अवतार यही। मानव सभ्यता वेल इनकी, उर्वरता से ही फलित रही।। संस्कृतियों की हैं मूल यही, ऋणवंत इन्हीं का विश्व सदा। नर अंकुर,पल्लव,पुष्पों की, क्यारियाँ यही हैं शील-प्रदा।। हैं मनु की श्रद्धा रूप यही...

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       25-08-2022

प्रेम पत्र ,नामे हमनवा के

लिखने को बैठा कुछ अंशे मोहब्बत ज़िगर के कागज़ दरमियान ।। पर, याद आया जो,भाव उतारने को हूं मैं बेताब लहू की स्याही बना उस काग़ज़ के टुकड़े पर उसको भी खरीदने में लगता हैं पैसा ।। जज़्बात जो,दिल के नाम करना चाहता हूं हमनवा के कागज़,कलम...

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       02-08-2022

दोस्ती

निसार हैं ये चलती सांसे दोस्तों की खातिर! हमदर्द, दिल की असली खुशी की वजह हैं जिनसे उस,इनायत का नाम हैं दोस्ती । हर रिश्ते,हर नाते की बुनियाद हैं दोस्ती झूठ,बेमानी और बदनीयती का ना ज़रा से भी दाग से सजी हैं ये दोस्ती । हर उलझन,हर परेशानी

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       27-07-2022

बाप बड़ा ना भैया सबसे बड़ा हैं रुपैया

।। आशिक,हैं भैया सभी रुपैया का ।। बाप बड़ा ना भैया साहब! कलयुग का सरताज़ हैं । तो,बस रुपैया हर रिश्ते,हर नाते और हर जज़्बात ,अहसास पर भारी हैं छाप इस,रुपैया की रुपैया को सर माथे रख लोग राज़ करना चाहते हैं दुनिया क्या उस,खुदा की का...

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       25-07-2022

अनकहा सा एक ख़्वाब

बचपन की वो अटखेलियां कहां गुम सी हो गई हैं मैं! खोजता जितना उन्हें उतना ही वो लापता सी हैं ।। लड़प्पन से निकलकर जरा संभला जो मैं एक ख्वाब ने हौले से, मेरे दिल की दरवाजे पर दी दस्तक ।। ख्वाब वो,मेरे चरित्र का गहना सा था जैसे,मेरे मन ने...

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       22-07-2022

ख्वाबों दर्मियां ,एक आधी अधूरी सी रैन

दर्मियाँ एक आधी अधूरी सी रैन ।। रैन की ओट में था और था मैं बेचैन बड़ा सिरहाने रखी तकिए को जो, मैंने थामा बाहों से कसकर उलझकर रह गया रैन की बेताबियों की कशमकश में । फिर गया जो मैं नींद के आगोश में हो ही गई गई गुफ्तगू दो चार सोच दरमियान कैद ख

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       21-07-2022

बारिश की बूंदे

सताती हैं मन को जलाती भी जब जब, तन को सहसा अपने अनोखे अंदाज़ से भीगाती हैं ये बरखा की बूंदे । मैं! होना चाहता हूं सराबोर ऐ,बरखा की बूंदे तेरे नशे में चूर भी । आसमान के सीने को चीर आती हैं मिलने मुझसे ये बरखा की बूंदे जैसे खेलती हो लुका छिपी...

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       09-07-2022

सच बताओ

प्रेयसी को याद करती एक रचना, क्या तुम अभी यहां से गुजरी हो फूलों से पूछा तो मुस्कुरा रहे थे भवरों से पूछा तो गीत गा रहे थे चिड़िया चहक रही थी हवा महक रही थी सच कहो... क्या तुम अभी यहां से गुजरी हो संगीत से पूछा तो झूम रहा था राहगीर से पूछा तो...

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       29-06-2022

चाहता हूं बिन जज़्बात ज़िन्दगी का ये सफ़र जीना मैं

।। बिन जज़्बात चाहता हूं जिंदगी का सफ़र जीना ।। सोचता हूं अहसास को थोड़ा बांध सा लू मैं ।। बिन इनके जिंदगी को थोड़ा सा ही सही पर, मैं इनके बिन कुछ लम्हे सफर के गुजार ही लूं ।। जज़्बात में भावुक हो न बहूंगा देता हूं दिल को रोज ये कसम

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       29-06-2022

बरखा की वो पहली झड़ी

।। पहली बरखा की वो खूबसूरत सी झड़ी ।। पहली फुहार जब पड़ती हैं दिल पर दिल को हौले से गुदगुदा सा देती हैं ।। कुछ सपनों को पाने में था जो,ये मसरूफ़ सा मन मुझे, उस ख़्वाब के भरम जाल से मेरे मन की दहलीज पर गिरकर ये बारिश की बूंद, मुझे, उस भरम...

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       27-06-2022

सफ़र का सफ़ीना बिन पतवार ( हमसफर)के

उम्र तमाम सफ़र पर रहा पर बिन हमसफर ही रहा ।। समय की दरख्तों से झांकते मेरी ख्वाहिशों की हर बुनियांद जैसे,कहती हो पुकार हौले से आकर, कोई कर दे बस ,पूरे मेरे सारे वो अधूरे ख्वाब ।। मैं! उम्र तमाम सफ़र पर रहा पर बिन हमसफर ही रहा ।। कई अरसे से

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       23-06-2022

ना मीरा सा भक्त कोई ।। ना राधा सा दीवाना कोई ।।

एक प्रेम दीवानी और एक भक्ति में डूब परमेश्वर को पाने की आस लगाएं जैसे, कई जन्मों की दरस की प्यासी हो ।। प्रेम हैं पाठ त्याग,समर्पण और बलिदान का और भक्ति हैं मार्ग ईश्वर के सन्निकट होने का । राधा थी बांवरी प्रीत में कान्हा की और...

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       22-06-2022

मेरी अग्नि परीक्षा

सदियों से परीक्षा होती आई, अग्नि से रिश्ता पुराना है I जन्म से पहले भय मृत्यु छाई किसको मुझसे खुशियाँ आई पसरा मातम न बजी बधाई बुझे मन बिटिया का घर आना है I चार बरश से घर को पाले, नन्हे हाथों से रोटी सेंकी चूल्हे के धुएं में जलती बेटी हर...

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       20-06-2022

शर्म ओ हयां

शर्म ओ हयाँ गहना हैं चरित्र का रक्षक सा हैं मान और मर्यादा का । संभालता हैं पीढ़ी दर पीढ़ी रीति रिवाजों,परंपराओं और प्रतिष्ठा को ।। शर्म ओ हयां चार चांद भी लगाता हैं खूबसूरती की हर दहलीज को बांध के रखता हैं प्रीत के अनमोल धागे मन के एक...

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       15-06-2022

ख्वाहिशों को पर

देना चाहता हूं मैं! अपनी हर ख्वाहिश को एक पर हां, मैं भी खुलके जीना चाहता हूं । सतरंगी अरमानों के संग ।। छुपाके,जो रखता था मन में अब तक दबाकर,जो चलता था सीने में अब तक सरेआम,कर ज़माने संग जगजाहिर करना चाहता हूं । वो, अपनी भीतर दबी इच्छा के...

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       06-06-2022

मौन, भीतर का

मैं! हो जाता हूं मौन ये शब्द भी हो जाते हैं मौन फिर भी,ये दिल बड़ी खामोशी से बात करता हैं । जाने अंजाने, बिन शब्द मुख से कहे बिना आंखों की जरिए ,अपनी बात कहता हैं ।। ये, मौन,हैं बड़ा बेदर्दी हैं बड़ा ज़ालिम हर वक्त मन को बेचैन सा और भीतर ही

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       26-05-2022

मेरी,अनकही सी एक उलझन

दुनियां, जहान से बेखबर फिर से,हो चला खुद की ही हस्ती में आज से थोड़ा, मशरूफ सा मैं । हो चला, थोड़ा बेखबर, थोड़ा हर बात से अंजान सा, मैं! बहुत भीड़ थी भरे पूरे ज़माने में मगर, भीतर ही भीतर,तन्हा था मैं! शिकायत थी औरों से बहोत पर उफ्फ! त..

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       24-05-2022

हाइकु -भाई

मैं भी तो आपकी तरह ही हाड़ माँस की ही बनी हूँ, मुझे भी मेरी माँ ने जन्मा प्रसव पीड़ा भी झेली थी, मगर मुझे पाकर भी खुश होने के बजाय मुँह मोड़ ली थी। पिता मायूस थे किंकर्तव्यविमूढ़ से हुए, समाज के डर से गैरों की गोद जाने से मुझे रोकने की हिम्मत न जुटा सके दूर..

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       23-05-2022

वर्षा आई रे ...।।

छा गई चहुंओर घटाएं घिर गई काले बादलों से दिशाएं चमकती बादलों की ओट से बिजली संदेश लाई है । मिलजुल गाओ मल्हार कि वर्षा आई है । बादलों से निकलकर गिर रही बूंदें धरा पर पायलों की सी खनकती आवाज कर रही‌ छम-छम बुझा प्यास धरा की, खुशियां लाई है। मि..

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       22-05-2022

सम्राट पृथ्वी राज चौहान विषय अंतर्गत कविता

मैं दिल्ली का सिंहासन हूँ, मुझ पर वीरों ने राज किया उन वीरों में एक सिंह था, पृथ्वी जिनका नाम हुआ I शौर्य वीरता अद्भुत जिनकी तीर तलवार क्षत्रिय निशानी पृथ्वी रासो लिखी चन्द्र ने संयोगिता की प्रेम कहानी I गौरी था बर्बरीक आक्रान्ता सोलह

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