धर्म ज्योतिष वास्तु अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन
युग मानवता के नाम। नेपाल जो कभी भी औपनिवेश वाद का शिकार नही रहा किसी ने भी नेपाल पर शासन करने या आक्रमण करने का दुस्साहस नही जुटाया। आम लोंगो का मत है कि नेपाल कि भौगोलिक परिस्थियाँ इतनी दुरूह है कि उंसे जीतना एव शासन करना कठिन कार्य दिवा स्वप्न जैसा..
Read Moreजिंदगी इक रेलगाड़ी
मेरी यह गजल या कविता मेरी जिंदगी की एक सच्चाई बताती हुई मेरी जिंदगी का एक आईना भर है। जिंदगी इक रेलगाड़ी ओर हम उसके सवार चंद लम्हे और चंद सपने चंद है अपनी पगार पिछली सर्दी बुनने बैठा था कुछ सपने अपने बदल गया मौसम तो ग़रीब पड़ी मुझपर मार एक तो कोशिश
Read Moreगृहस्थ जीवन में सुखी कैसे रहें
संसार में हर कोई सुख पूर्वक जीवन जीना चाहता है लेकिन क्यों नही जीता है। आज के समय में संयुक्त परिवार टूट कर,लघु परिवार होता जा रहा है। वर्तमान समय के युवा माता -पिता के साथ न रह कर स्वतंत्र जीवन जीना पसंद कर रहें हैं,इससे माता पिता के अनुभव से भी वे..
Read Moreगुरु नानक देव जी
गुरु नानक देव जी के चमत्कार कायनात को जब जब होती दरकार इंसानियत का हाकिम गुरु नानक आता हर बार!! नेक नियत के रिश्तो का अलख जगाता ईश्वर का स्वर साक्षात देता दुनियां को नया नया प्रकाश !! सन चौदह सौ उनहत्तर तलवंडी गांव कालू तुरूपता के घर आंगन दामन में..
Read Moreसमाज में अनैतिकता का माहौल
समाज की दुर्दशा का जिम्मेदार कौन है। दामाद सास को लेकर भाग गया, टीचर स्टूडेंट को लेकर भाग गई, समधी समधन ने शादी कर ली, अमीर बूढ़े 60 साल के बाद पोते- पोतियो को खिलाने की जगह सच्चा प्यार ढूंढते नजर आते है। लड़की लड़की से शादी करना चाहती है लड़के लड़के से..
Read Moreएक दिन सफलता मेरे सपनें में आई.
एक दिन सफलता मेरे सपनें में आई और बोली मैं तुझे बहुत दिनों से देख रही हूँ तो बहुत मेहनती,हमेशा कुछ न कुछ करता रहता हैं.सफल होने के लिये, मैं समझ गई तू मुझे बहुत प्यार करता हैं,मैं बोला,हाँ,तुझे पाने के लिए में कुछ भी करूँगा, सफलता बड़े उत्साह से बोली...
Read Moreमणिपुर समस्या का चिंतन व सुझाव
मानव इतिहास की सबसे बीभत्स, शर्मशार करने वाली घोर निंदनीय, मणिपुर की दो समुदायों के बीच झगड़े में नारी उत्पीड़न, उसके आबरू मर्यादा से छेड़छाड़, रक्तपात की घटना मानवता को झकझोर के रख दिया है और सभ्य समाज को शर्म से मस्तक नीचे झुका दिया है..
Read Moreमानव मन में संतोष
मानव पशु है. प्राचीन पाषाण युग का मानव और पशु में कोई अंतर नहीं था । शनैः शनैः मानव में मानवता आयी । मानवता या इन्सानियत मानव को महान बनाता है । कम से कम अपने दायरे में आदरणीय बन सकता है । मानव जीवन में शैतान की शक्ति हैं ।दिव्य शक्ति है ।
Read Moreसाक्षात्कार —- पीयूष गोयल(दर्पण छवि लेखक).
यह साक्षात्कार बिंदेश कुमार झा द्वारा लिया गया है। जो मूल रूप से एक लेखक हैं। यह वर्ष 2023 में जुलाई माह में मौखिक रूप से लिया गया है। जिसे लिखित रूप में प्रस्तुत किया गया है। आप अपने बारे में बताइए। मैं नाम पीयूष गोयल है । मैं 56 वर्षीय सच्चा...
Read Moreजन जन के सेवक।
मुख्यमंत्री जी ने आदेश दिया था, की सभी मंत्री एक महीना गांव में रहेंगे, ताकि जनता की समस्यायों को जमीनी स्तर से जानने का अवसर प्रदान हो सके। सरकार का फरमान पर, सब मंत्री लोग तुरंत एक्टिव हो गए। लेकिन सरकार ने शर्त ये लगाई थी की अपने विधानसभा में कोई भी म
Read Moreमिष्ठान प्रेम
यात्रा संस्मरण, ईश्वर की कृति यह मानव देह विभिन्न प्रकार की इच्छाएं समेटे हुए हैं । कुछ पाने की, कुछ बनने की, कुछ होने की। इसमें सारा दोष है इंद्रियों का। जी ललचाए,,, रहा न जाए। बस इसी पंक्ति से शुरू करते है यह रोचक संस्मरण..
Read Moreजैसा कर्म वैसा फल
कर्म-फल पर लिखा हुआ लेख है । आज सुबह ही मैंने एक सोशल मीडिया साइट पर देखा कि कितने ही बूढे बुजुर्ग घर से ज़बरदस्ती निकल दिए गए ।फिर वो भिखारियों सी जिंदगी जीने को मजबूर हो गए। किसी के पास पहनने को कपड़ा नहीं ,किसी के पास घर नहीं ,भूख -प्यास से तड़प
Read Moreभारत का गौरव नालंदा
भारतीय संस्कृति का गौरवगाथा नालंदा विश्वविद्यालय कलम मेरी चिंगारी बन जा लिख देना अमर कहानी जुबा पर सबके इंकलाब हो जागे हर हिंदुस्तानी भारत के पूरब में स्थित है ज्ञानकोष का महा प्रांत इतिहास है गौरवशाली जिसका कहते जिसको है बिहार प्रांत राजा मह
Read Moreगर्मी की छुट्टी
गर्मी की छुट्टी सिर्फ बच्चों के लिए नहीं होती है। इसकी प्रतीक्षा सभी करते हैं। बच्चे,उनके शिक्षक, उनकी मां सभी लोग करते हैं। गर्मी की छुट्टी में सारा परिवार एक साथ होता है। बहन, बेटियां और बुआ लोग अपने अपने मायके आती हैं। जो बच्चे हॉस्टल या बाहर रह कर...
Read Moreईमानदारी से सिर्फ़ १०० के आगे तीन जीरो ही लगा पाया.
मैं इंटर करने के बाद आगे पढ़ाई के लिए सोच रहा था, मेरा मन इंजीनियरिंग करने का था, १२ वीं में विषय भी मेरे पास इंजीनियरिंग वाले ही थे. जबकि मेरे पिता जी डाक्टर थे, मैं हमेशा कई विकल्प लेकर चलता था. यांत्रिक इंजीनियर बन गया, २७ साल का अनुभव, लेकिन पुस्तकें लिख रहा हूँ ( आनंद आ रहा हैं). जब मैंने १२ वीं कर ली, एक दिन मेरे पिता जी ने मुझे बुलाया और १०० रुपये देकर कहा
Read Moreक्यों जरूरत पडी विश्व पर्यावरण दिवस की ?
पर्यावरण दिवस पर लिखा गया लेख ये वो युग था जब औद्योगिकरण और शहरीकरण बहुत तेजी से होने लगा था। मशीनों के निर्माण ने काम को आसान बना दिया था। जिस वज़ह से कच्चे माल के लिए जंगलों को तेजी से काटा जा रहा था। नगरों को बसाने के लिए भी जंगलों को काट कर वहां...
Read Moreअंधविश्वास या परम्परा
परम्परा के नाम पर माने जाने वाले अंधविश्वास पर एक लेख एक पीढ़ी के द्वारा अपनाया गया अंधविश्वास आने वालीं पीढ़ीयो के लिए परंपरा बन जाता है। और इसे परंपरा बनाने मे सबसे बड़ा हाथ होता है उन लोगों को जो अशिक्षित है , अज्ञान है, और रूढ़ीवादी है। वो घर...
Read Moreपैसा दे दो पैसा व्यंग्य
पइसा दे दो पइसा-व्यंग्य पइसा दे दो पइसा, हाहाहाहाहा- अरे-अरे आप ग़लत समझ रहे । ये कोई मुफ्त मे पैसे मांगने वाले नहीं हैं भाई, ये तो वो लोग है जो जनता का कार्य कर रहे और उसके बदले मोटी कमाई के रूप मे पैसे मांग रहे। आज कल ये बताइए हम तो मुफ्त मे वैसे भी
Read Moreविश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस पर विशेष
पर्यावरण के क्षेत्र में बहुत अच्छा छोटा सा लेख आपके साथ सांझा कर रहा हूं अच्छा लगे तो जरूर रिप्लाई करें.. आओ मिलकर बनाएं प्रदूषण मुक्त भारत प्रिय सर्व समाज बंधुओ वर्तमान में संपूर्ण मनुष्य जाति पर्यावरण के बढ़ते असंतुलन से ग्रस्त है ईधर तेजी से आबादी..
Read MoreBook article
इस किताब में प्यार और ज़िंदगी पर निर्भर छवि को पूर्ण एहसास से कविताओं के ज़रिये बहुत कोमल और प्यारी कहानियों से सज़ाई है, ये कार्य बांग्लादेश में रहने वाली हिन्दी साहित्य से बहुत गहरा लगाव रखने वाली और कला के क्षेत्र में अपनी रचनाओं से लोगों तक अपने एहसा..
Read Moreएक संस्मरण- मम्मी का ग़ुस्सा ….
बात सन् १९७५ की हैं मेरे पिता जी सरकारी नौकरी में सहारनपुर के एक गाँव सबदलपुर में स्वास्थ विभाग में कार्यरत थे. पिता जी का स्थानांतरण थाना भवन( जलालाबाद) से हुआ था.मेरे पिता जी को सिगरेट पीने की आदत थी,एक दिन में करीब १०-१५ सिगरेट पी ले...
Read Moreतरीक़े आपने ख़ुद ढूँढने हैं…..
मेरे पिता जी का ट्रांसफ़र सबदलपुर( सहारनपुर) से चौमुहां ( मथुरा ) सन् १९७७-७८ में हो गया, मैं उस समय छटवीं कक्षा का विद्यार्थी था. गाँव चौमुहां मतलब चार मुख वाला यानी वहाँ पर भगवान ब्रह्मा जी का मंदिर हैं मैं आपको बताता चलू भगवान ब्रह्मा जी का मंदिर...
Read Moreबाल कहानी-अधूरा सपना
बात उन दिनों की है, जब मैं बहुत छोटा था। मैं तकरीबन बारह साल का था। मैं उस समय कक्षा सात का छात्र था। मुझे अच्छी तरह से याद है। घर के पास ही एक प्राइमरी स्कूल था, जिसमें मेरा छोटा भाई कक्षा पाँच और छोटी बहन कक्षा तीन में पढ़ती थी।उसके कुछ ही दूरी पर उच...
Read Moreधन्य तुम्हारी वाणी - पुस्तक समीक्षा
समाज में सद्भावना तथा समरसता का संदेश देती है पुस्तक “धन्य तुम्हारी वाणी” ! श्रीमती मीना जैन ने यह पुस्तक अपने अग्रज भ्राता डॉ गिरिजा प्रसाद मुखर्जी को सादर समर्पित की है। अपनी कविताओं में उन्होंने कविवर कबीर जी की वाणी को आज के परिप्रेक्ष्य में भी उ..
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