गजल/शायरी

       07-09-2024

ग्यारह होना

जीवन के अनेक बिंबों को एक ग़ज़ल के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है, आशा करता हूँ आपको रचना पसंद आएगी।

Read More

       18-01-2024

हैं कितने रंग तेरी मेहरबानी के!

हिंदी की मिठास यूँ भी हो सकती है!

Read More

       17-01-2024

मैं अपने दर्द का प्रचार क्या करता!

हिंदी की मिठास यूँ भी हो सकती है....

Read More

       20-08-2023

जिंदगी इक रेलगाड़ी

मेरी यह गजल या कविता मेरी जिंदगी की एक सच्चाई बताती हुई मेरी जिंदगी का एक आईना भर है। जिंदगी इक रेलगाड़ी ओर हम उसके सवार चंद लम्हे और चंद सपने चंद है अपनी पगार पिछली सर्दी बुनने बैठा था कुछ सपने अपने बदल गया मौसम तो ग़रीब पड़ी मुझपर मार एक तो कोशिश

Read More

       13-05-2023

इंसानियत

संघर्ष करती हुई जिंदगी पर एक छोटी सी शायरी ये अपनो की करतूत जब अपनो को ही वापस करता हूं तब पता नही क्यों उन्हें बुरा मैं लग जाता हूं इन्सान हूं , इन्सानियत की बात करता हूं, अच्छे के लिए अच्छा हूं , होशियारों के लिए थोड़ा होशियार भी हूं , समाज में

Read More

       24-03-2023

बेवफा जिंदगी..🍁

बेवफा जिंदगी..🍁 ए जिंदगी... करले चाहे जितने भी सितम,हार ना मानूंगा, हो जा जितनी भी हसीन तू,तुझसे प्यार ना करूंगा! बड़ी पेचीदा हैं,तुझ संग दिल लगाने की शर्तें.. तुझ संग,मोहब्बत के वादे निभा ना पाऊंगा! एक तिल्सम है तू..ख़ूबस

Read More

       05-01-2023

(काश मैं एक आजाद परिंदा होती)

(काश मैं आजाद परिंदा होती) काश मैं, एक आजाद परिंदा होती दूर गगन की सैर मैं पल में कर आती न किसी की शिकवा होती चारों तरफ बस खुशियां होती जब कोई आता तो उड़ जाती न किसी के हाथ मैं आती फूलों की क्यारी में यूं बसेरा होता जहां मन भाता वहाँ..

Read More

       17-12-2022

चाहतों की..चाहत!❤️

फिर वही चाहतों की घटा,छाई है.. फिर वही मोहब्बत, याद आई है.. नयनों से रिमझिम बारिश,बरसी है.. फिर तुझे पाने की चाहत,तरसी है.!! फिर दिल मचल रहा,तुझे पाने को.. बादल बन,तेरे तस़व्वर में छाने को.. फिर वही पुराने गीत,गुनगुनाने को.. प्रीति की फुहार में..

Read More

       10-12-2022

ज़ख्मी सा, मेरा मन

ज़ख्मी सा मेरा मन ।। मैं भाव के हाथों बिकता रहा और ये ज़माना मेरा सौदा दौलत के सहारे करता रहा ।। जब,जब ढूंढा चैन दिल का ये ज़माना रह रहकर मुझ पर तंज कसता रहा ।। वफ़ा,ईमान और सच का चोला ओढ़ा मैंने तन पर पर बेईमान होने का इल्ज़ाम सरेआम, मुझ.

Read More

       06-12-2022

खुद से लड़ाई

जिंदगी से हार चुकी हूं, खुद से लड़ते लड़ते बिखर चुकी हूं। किस किस को समझाऊं खुद ही नासमझ बन गई हूं। तेरे वादे के आगे ये दिल पिघल गया था, पर तेरा वो प्यार एक दिखवा था। इतना ना तड़पा जालिम, परछाई को भी मौत बना चुकी हूं, तेरे आगे इतना बिखर चुकी ह

Read More

       04-12-2022

वफ़ा

मोहब्बत हैं तुमसे बीच राह साथ छोड़ मुंह मोड़ तो ना लोगे ।। वफ़ा का धागा बांधा हैं तुमसे उम्र दरमियान जाकर तुम उसे झुठला तो न दोगे ।। लिबाज़ की तरह इंसान बदलता हैं प्रेम तुम,किसी और की ओढ़नी को सर मत्थे सजा तो न लोगे ।। हमसाया,हमदम माना हैं...

Read More

       02-12-2022

आखिरी दफा

आखिरी दफा मेरी आखिरी दफा बात मान जाओ ना, कुछ कहना है मुझे, कुछ तो सुन जाओ ना। मेरी मौत ने पुकारा है मुझे, वो आखिरी सन्नाटा गूंज रहा कैसे, वही नजारा देख जाओ ना। कैसे कपती हुई डर रही हूं, मेरी आखिरी दुआ में भी तुम थे, बस आखिरी बार!! मेरे जनाज़े पर

Read More

       30-10-2022

❤️ चाहतों की डोली..❤️

मैंने सजाए थे जो,अरमान दुल्हन की तरह, वो देखो जा रही है,मेरी चाहतों की डोली, खाए कसमें-वादे,प्यार वफ़ा के मुझ संग, अब बांह पकड़..किसी और की हो ली! ख़ता उसकी नहीं..वो तो नादान है, शायद मेरी वफाएं ही उसके काबिल ना थीं, नाज़ था मुझे,अपनी मोहब्बत पे...

Read More

       17-10-2022

... सच बोलना है!

पिला दे जाम ऐ साकी,के आज ना मैंने डोलना है, बेखौफ हो जाऊं इस कदर,के आज मैंने सच बोलना है! राज़ छुपे हैं,नासूर बन के,दिल की गहराई में जो, दिल के भेदों को..आज,परत दर परत खोलना है! लगी है तोहमत,के वफ़ा के काबिल नहीं हूं मैं.. इश्क़ के तराजू में सा..

Read More

       06-10-2022

पर्दा उठाओ..रूख से!

पर्दा ना करो अपने रुख पे हिज़ाब का, हटा दो ये पहरा,रेशमी नकाब का... जलवा दिखाओ सनम,अपने शबाब का, दीदार हो जाने दो,दमकते मेहताब का। मरहबा,तेरी ये... मतवाली चाल, झुकी पलकें ... कर गई कमाल, हाल - ए - दिल हो... गया बेहाल, तेरी झलक पाने का है...

Read More

       24-09-2022

जुनूने इश्क़

पढ़ता हूं रोज़ जिसको वो, मीठी सी नज़्म हो तुम ।। बिन,बुलाए चले आते हो यादों में सताने,ऐसे ख़्वाब से हो तुम ।। मेरी दिल की नगरी को जो, कर जाएं रोशन वो,महताब हो तुम ।। जब,भी सुकून गर खोजूं फिजा के रंगों में ऐसे,घटा में उतरते आफताब हो तुम...

Read More

       24-09-2022

ग़ज़ल

ऐसा भी क्या था कि आप तो सबको हंसाते गुदगुदाते लोटपोट करते करते खुद मौन हो गए, जैसे हमारी परीक्षा लेने के लिए इतने दिनों तक मौन होकर बिस्तर पर एकदम खामोश हो जम से गये। माना हमारी कोई बात तुम्हें चुभ गई या हमारे व्यवहार से तुम्हारी आत्मा घायल हो गई।

Read More

       22-09-2022

❤️... तुझे पाने का इरादा है! ❤️

कभी बहारों की तरह,बदल ना जाना, पेड़ों की शाख से, टूटे पत्तों की तरह, पतझड़ में तनहा..छोड़ ना जाना! इंद्रधनुष के रंगों से...रंगी है मैंने, तस्वीर तुम्हारी... अपने मन में.. दर्जा दे चुकी हूं... रब्ब सा...

Read More

       04-06-2022

गुमनाम सा लगता है

आज कल शहर ये अंजान सा लगता है। भीड़ तो है यहाँ मग़र वीरान सा लगता है।। रिश्तों की बवंडर में हम उलझ गये हैं ऐसे। सुनामी के संग उठता तूफ़ान सा लगता है।। ये जो सूरत ईक मिरे ज़ेहन में बस गई है न। ख़ुदा क़सम ग़ैर होके भी जान सा लगता है।। उसके न होन

Read More

       25-05-2022

ढाल बना धर्म हैं।

धर्म की आड़ मर कैसे देश की जनता को बहकाया जाता हैं और एक कशमकश पैदा कर की ऐसी स्थिति निर्मित की जाती हैं। राजनीति के चेहरे पर ढाल बना धर्म हैं जो जानते नहीं धर्म को कहते उसे धर्म हैं। धर्म, धर्म की कुछ बाते बनाकर देश मे धर्म की आड़ से रखते राजनीति को...

Read More

       19-05-2022

दिल की हसरतें

दिल की हसरतों को, एक मुकाम दीजिए। प्रगाढ़ आत्मीय प्रेम का, पैगाम दीजिए।। यादें बसी जो दिल में, उसे इजहार कीजिए। प्रेयसी के प्रीत को, इकरार कीजिए।। चाहतों का सिलसिला थम ना जाएं कहीं जवां होती मुहब्बत को, एहसास कीजिए ।। उनकी चाह में क्यों भटके,

Read More

       17-05-2022

लेखिका नीतू राठौर जी का परिचय

ज़िंदगी संघर्ष विराम हैं एक चुनोतीपूर्ण संग्राम हैं भला-बुरा अंजाम हैं पियो तो एक जाम हैं जियो तो एक नाम हैं ऐसी ज़िंदगी को "नीतू" का शत-शत बार प्रणाम हैं। समझो तो सही,देहरी के पार, आलोक,सृजन,मनुहार,शगुन,कलमकार डॉट कॉम,दर्पण,स्नेह,निर्दलीय,एक और कदम,पतवार

Read More

       17-05-2022

खामोशियां, बेजुबान नही होती

ज़बान अक्सर हो जाती हैं जब खामोश और धड़कने जैसे बेजान ज़ख्म हो जब गहरे दिल में ना कही आए चैन न ही आए सुकून खामोशियां भी बहुत कुछ कहती हैं जैसे, उनकी भी अपनी एक दुनियां रहती हैं सुनना,कभी गौर से सन्नाटे में,ये खामोशियां बेवह ज़बान को यूं ही.

Read More

       14-05-2022

बगावत या रस्मे मोहब्बत

दिल हां,ये दिल क्यूं करना चाहता हैं मोहब्बत में बगावत । बागी बन, क्यूं बदनुमा दाग बनना चाहता हैं राहें,मोहब्बत में । क्यूं,फजीहत के धागे बुनना चाहता हैं । क्यूं,जीना दुश्वार सा कर ज़िंदगी मुहाल चाहता हैं करना । ये, मोहब्बत,ये इश्क़...

Read More

       14-05-2022

सलामे इश्क़

एक पैग़ाम हैं मोहब्बत का इश्क़ भी इसकी हर सह का गुलाम, हो जैसे कई सभ्यताओं,परंपराओं,रीति और रिवाजों का एक,मिश्रण हैं इसमें ऐसा, कुछ मीठा सा,सुखद अनुभव का एहसास हो इसमें, जैसे प्रेम की रिवायत हैं इसमें झलकती प्रीत की संजीदगी हैं इसमें ज़रा सी ढलत

Read More

श्रेणी