गजल/शायरी
ग्यारह होना
जीवन के अनेक बिंबों को एक ग़ज़ल के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है, आशा करता हूँ आपको रचना पसंद आएगी।
Read Moreजिंदगी इक रेलगाड़ी
मेरी यह गजल या कविता मेरी जिंदगी की एक सच्चाई बताती हुई मेरी जिंदगी का एक आईना भर है। जिंदगी इक रेलगाड़ी ओर हम उसके सवार चंद लम्हे और चंद सपने चंद है अपनी पगार पिछली सर्दी बुनने बैठा था कुछ सपने अपने बदल गया मौसम तो ग़रीब पड़ी मुझपर मार एक तो कोशिश
Read Moreबेवफा जिंदगी..🍁
बेवफा जिंदगी..🍁 ए जिंदगी... करले चाहे जितने भी सितम,हार ना मानूंगा, हो जा जितनी भी हसीन तू,तुझसे प्यार ना करूंगा! बड़ी पेचीदा हैं,तुझ संग दिल लगाने की शर्तें.. तुझ संग,मोहब्बत के वादे निभा ना पाऊंगा! एक तिल्सम है तू..ख़ूबस
Read More(काश मैं एक आजाद परिंदा होती)
(काश मैं आजाद परिंदा होती) काश मैं, एक आजाद परिंदा होती दूर गगन की सैर मैं पल में कर आती न किसी की शिकवा होती चारों तरफ बस खुशियां होती जब कोई आता तो उड़ जाती न किसी के हाथ मैं आती फूलों की क्यारी में यूं बसेरा होता जहां मन भाता वहाँ..
Read Moreचाहतों की..चाहत!❤️
फिर वही चाहतों की घटा,छाई है.. फिर वही मोहब्बत, याद आई है.. नयनों से रिमझिम बारिश,बरसी है.. फिर तुझे पाने की चाहत,तरसी है.!! फिर दिल मचल रहा,तुझे पाने को.. बादल बन,तेरे तस़व्वर में छाने को.. फिर वही पुराने गीत,गुनगुनाने को.. प्रीति की फुहार में..
Read Moreज़ख्मी सा, मेरा मन
ज़ख्मी सा मेरा मन ।। मैं भाव के हाथों बिकता रहा और ये ज़माना मेरा सौदा दौलत के सहारे करता रहा ।। जब,जब ढूंढा चैन दिल का ये ज़माना रह रहकर मुझ पर तंज कसता रहा ।। वफ़ा,ईमान और सच का चोला ओढ़ा मैंने तन पर पर बेईमान होने का इल्ज़ाम सरेआम, मुझ.
Read Moreखुद से लड़ाई
जिंदगी से हार चुकी हूं, खुद से लड़ते लड़ते बिखर चुकी हूं। किस किस को समझाऊं खुद ही नासमझ बन गई हूं। तेरे वादे के आगे ये दिल पिघल गया था, पर तेरा वो प्यार एक दिखवा था। इतना ना तड़पा जालिम, परछाई को भी मौत बना चुकी हूं, तेरे आगे इतना बिखर चुकी ह
Read More❤️ चाहतों की डोली..❤️
मैंने सजाए थे जो,अरमान दुल्हन की तरह, वो देखो जा रही है,मेरी चाहतों की डोली, खाए कसमें-वादे,प्यार वफ़ा के मुझ संग, अब बांह पकड़..किसी और की हो ली! ख़ता उसकी नहीं..वो तो नादान है, शायद मेरी वफाएं ही उसके काबिल ना थीं, नाज़ था मुझे,अपनी मोहब्बत पे...
Read More... सच बोलना है!
पिला दे जाम ऐ साकी,के आज ना मैंने डोलना है, बेखौफ हो जाऊं इस कदर,के आज मैंने सच बोलना है! राज़ छुपे हैं,नासूर बन के,दिल की गहराई में जो, दिल के भेदों को..आज,परत दर परत खोलना है! लगी है तोहमत,के वफ़ा के काबिल नहीं हूं मैं.. इश्क़ के तराजू में सा..
Read Moreपर्दा उठाओ..रूख से!
पर्दा ना करो अपने रुख पे हिज़ाब का, हटा दो ये पहरा,रेशमी नकाब का... जलवा दिखाओ सनम,अपने शबाब का, दीदार हो जाने दो,दमकते मेहताब का। मरहबा,तेरी ये... मतवाली चाल, झुकी पलकें ... कर गई कमाल, हाल - ए - दिल हो... गया बेहाल, तेरी झलक पाने का है...
Read Moreजुनूने इश्क़
पढ़ता हूं रोज़ जिसको वो, मीठी सी नज़्म हो तुम ।। बिन,बुलाए चले आते हो यादों में सताने,ऐसे ख़्वाब से हो तुम ।। मेरी दिल की नगरी को जो, कर जाएं रोशन वो,महताब हो तुम ।। जब,भी सुकून गर खोजूं फिजा के रंगों में ऐसे,घटा में उतरते आफताब हो तुम...
Read More❤️... तुझे पाने का इरादा है! ❤️
कभी बहारों की तरह,बदल ना जाना, पेड़ों की शाख से, टूटे पत्तों की तरह, पतझड़ में तनहा..छोड़ ना जाना! इंद्रधनुष के रंगों से...रंगी है मैंने, तस्वीर तुम्हारी... अपने मन में.. दर्जा दे चुकी हूं... रब्ब सा...
Read Moreगुमनाम सा लगता है
आज कल शहर ये अंजान सा लगता है। भीड़ तो है यहाँ मग़र वीरान सा लगता है।। रिश्तों की बवंडर में हम उलझ गये हैं ऐसे। सुनामी के संग उठता तूफ़ान सा लगता है।। ये जो सूरत ईक मिरे ज़ेहन में बस गई है न। ख़ुदा क़सम ग़ैर होके भी जान सा लगता है।। उसके न होन
Read Moreढाल बना धर्म हैं।
धर्म की आड़ मर कैसे देश की जनता को बहकाया जाता हैं और एक कशमकश पैदा कर की ऐसी स्थिति निर्मित की जाती हैं। राजनीति के चेहरे पर ढाल बना धर्म हैं जो जानते नहीं धर्म को कहते उसे धर्म हैं। धर्म, धर्म की कुछ बाते बनाकर देश मे धर्म की आड़ से रखते राजनीति को...
Read Moreदिल की हसरतें
दिल की हसरतों को, एक मुकाम दीजिए। प्रगाढ़ आत्मीय प्रेम का, पैगाम दीजिए।। यादें बसी जो दिल में, उसे इजहार कीजिए। प्रेयसी के प्रीत को, इकरार कीजिए।। चाहतों का सिलसिला थम ना जाएं कहीं जवां होती मुहब्बत को, एहसास कीजिए ।। उनकी चाह में क्यों भटके,
Read Moreलेखिका नीतू राठौर जी का परिचय
ज़िंदगी संघर्ष विराम हैं एक चुनोतीपूर्ण संग्राम हैं भला-बुरा अंजाम हैं पियो तो एक जाम हैं जियो तो एक नाम हैं ऐसी ज़िंदगी को "नीतू" का शत-शत बार प्रणाम हैं। समझो तो सही,देहरी के पार, आलोक,सृजन,मनुहार,शगुन,कलमकार डॉट कॉम,दर्पण,स्नेह,निर्दलीय,एक और कदम,पतवार
Read Moreखामोशियां, बेजुबान नही होती
ज़बान अक्सर हो जाती हैं जब खामोश और धड़कने जैसे बेजान ज़ख्म हो जब गहरे दिल में ना कही आए चैन न ही आए सुकून खामोशियां भी बहुत कुछ कहती हैं जैसे, उनकी भी अपनी एक दुनियां रहती हैं सुनना,कभी गौर से सन्नाटे में,ये खामोशियां बेवह ज़बान को यूं ही.
Read Moreबगावत या रस्मे मोहब्बत
दिल हां,ये दिल क्यूं करना चाहता हैं मोहब्बत में बगावत । बागी बन, क्यूं बदनुमा दाग बनना चाहता हैं राहें,मोहब्बत में । क्यूं,फजीहत के धागे बुनना चाहता हैं । क्यूं,जीना दुश्वार सा कर ज़िंदगी मुहाल चाहता हैं करना । ये, मोहब्बत,ये इश्क़...
Read Moreसलामे इश्क़
एक पैग़ाम हैं मोहब्बत का इश्क़ भी इसकी हर सह का गुलाम, हो जैसे कई सभ्यताओं,परंपराओं,रीति और रिवाजों का एक,मिश्रण हैं इसमें ऐसा, कुछ मीठा सा,सुखद अनुभव का एहसास हो इसमें, जैसे प्रेम की रिवायत हैं इसमें झलकती प्रीत की संजीदगी हैं इसमें ज़रा सी ढलत
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